Unsolved Question - (Part 3) in Hindi Short Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | अनसुलझा प्रश्न - (पार्ट3)

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अनसुलझा प्रश्न - (पार्ट3)

6--हीरो जीरो
सेमिनार में भाग लेने के लिए विदेशों से भी मीडिया कर्मी आये थे।शहर के लोगो मे भारी उत्सुकता थी।टी वी पर तो लोग लाल को देखते रहते थे।लेकिन आंखों से साक्षात दर्शन करना चाहते थे।
पत्रकारिता में लाल ने नए मापदंड स्थापित किये थे।स्टिंग के जरिये उजागर किये गए घोटालों की वजह से कई नेताओं और मंत्रियों को केवल पद से ही हाथ नही धोना पड़ा था।बल्कि उनकी सार्वजनिक छवि भी धूमिल हुई थी। कुछ ही समय मे लाल ने मीडिया में अपनी अलग और विशिष्ट पहचान बना ली थी।सेमिनार में उनकी बिना लाग लपेट कही बातो को लोगो ने जमकर सराहा था।सेमिनार खत्म होने के बाद अखबार और टी वी चेनलो पर उसकी शान में कसीदे गढ़े गए थे।लाल जनता की नज़रो में हीरो बन गया था।
लेकिन एक दिन बाद परिद्रश्य बदल गया।लाल के साथ आयी महिला पत्रकार ने लाल पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगा दिया था।एक तूफान सा उठ खड़ा हुआ।जो मीडिया कल तक लाल की शान में कसीदे गढ़ रहा था।आज जमकर उसके पीछे पड़ा था।मामला उछलने पर महिला पत्रकार की रिपोर्ट पर पुलिस ने लाल को गिरफ्तार कर लिया।
लाल हीरो से जीरो बन गया था।
7--माँ
"कल माँ आ रही है।"
"क्यो?"पति की बात सुनकर डॉली बोली,"तुम्हारी माँ यहां क्या करने आ रही है"?
"मुझे गांव गए काफी दिन हो गए।इसलिए मिलने आ रही है"
"तुम्हारी माँ को बंगले पर मत लाना।रिटायरिंग रूम में ठहरा देना।"
"क्यो?"पत्नी की बात सुनकर कुमार आश्चर्य से बोला था।
"हमारी शादी में तुम्हारी माँ की वजह से रेपुटेड लोगो के बीच मे कितनी शर्मिंदगी उठानी पड़ी थी"शादी के दिन को याद करते हुए डॉली बोली,"फूहड़ गंवार सास को बंगले पर ठहराकर में सोसाइटी में अपनी इज़्ज़त का कचरा नही करने दूंगी".
"आज मैं जिस जगह हूँ,माँ की रात दिन की मेहनत का फल है।तुम्हारे पापा ने तुम्हारी मुझसे शादी,मेरा फैमिली बै कग्राउण्ड देखकर नही,,मेरा पद देखकर की है,"पत्नी की बात सुनकर कुमार बोला,"तुम्हारी नज़र में मेरी माँ फूहड़ गंवार है,लेकिन मेरे लिए देवी है।भगवान ऐसी देवी माँ सब को दे"।
8--अकेला
वह अकेला था।कोई नही था उसका।जिसके साथ वह बुढ़ापे में सुख दःख की बात कर सके।जो उसका सहारा बन सके।इसके लिए जिम्मेदार कोई और नही वह स्वंय ही था।
शादी को वह एक बन्धन मानता था।शादी का मतलब पूरी जिंदगी के लिए किसी एक औरत से बंध जाना।चाहे मन मिले या न मिले,दिल मिले या न मिले।जिसके साथ सात फेरे लिए है,उसी के साथ बन्धे रहो।
वह आजाद पंछी की तरह रहना चाहता था।जब तक मन हो एक पेड़ पर बैठे रहो।जब उस पेड़ से मन भर जाए तो फुर्र से उड़कर दूसरे पेड़ पर चले जाओ।लिव इन रिलेशन को वह ऐसा ही मानता था।न कोई जिम्मेदारी, न कोई बंधन,न कोई झंझट।जब तक मन करे एक औरत के साथ रहो।मन भर जाए तो दूसरी के पास
और वह लिव इन रिलेशन में रहने लगा।वह किसी भी औरत के साथ दो तीन साल से ज्यादा नही रहा।जिंदगी के मजे लेते लेते पता ही नही चला।कब जवानी गुज़र गयी और बुढापा आ गया।
अब अकेला सोचता रहता है।शादी की होती तो पत्नी होती,बच्चे होते।जिस उम्र में साथी की जरूरत होती है।उस उम्र में वह अकेला था।