Hame tumse pyar kitna... - 6 in Hindi Fiction Stories by Poonam Sharma books and stories PDF | हमे तुमसे प्यार कितना... - 6 - विराज का गुस्सा

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हमे तुमसे प्यार कितना... - 6 - विराज का गुस्सा














उस शख्स को देखते ही उस लड़के के कदम उस ओर बढ़ गए और बोला "आपको इजाज़त लेने की जरूरत कब से पढ़ गई डैड"।

महेश जी मुस्कुराए और कहा आपकी प्रेजेंटेशन रेडी है विराज?

विराज ने हां में अपनी गर्दन हिला दी और अपना लैपटॉप बंद करते हुए अपने टेबल पे रखी हुई बेल बजा दी।

एक आदमी बेल की आवाज़ सुन कर अंदर आया।
येस सर.... उस आदमी ने कहा।

मिस्टर विंग एवरीथिंग इस रेडी शैल वी स्टार्ट? विराज ने पूछा।

"येस सर, यू कैन प्रोसीड" कहते हुए उसने फाइल और लैपटॉप विराज के हाथों से लेलिया।

विराज और उसके डैड महेश जी आगे बढ़ गए और विराज का असिस्टेंट मिस्टर तकूमी विंग उनके पीछे पीछे आने लगा।

ऑफिस के रिसेप्शन एरिया में सोफे पे बैठे एक लड़की इंतजार कर रही थी उसके साथ ही एक और लड़की बैठी थी वे बार बार पहली लड़की की ओर देख रही थी। काफी देर उसको परेशान देखने के बाद उसने उससे से पूछा "पहला इंटरव्यू था?"

नही... उस लड़की ने जवाब दिया।

तो इतना घबरा क्यों रही हो

अगर सिलेक्शन हो गया तो नौकरी पहली होगी

ओह....अब समझी शक्ल से ही लग रहा था बहुत छोटी हो अभी ऑल द बेस्ट।

सेम हेयर....🙂

मेरा नाम नेहा बिष्ट है उसने हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा।

मायरा राठौर.....मायरा ने भी हाथ मिलाते हुए कहा।

थोड़ी देर बातें करने के बाद मायरा और नेहा के कान में एक लड़की की आवाज़ पड़ी। रिसेप्शनिस्ट ने फोन का रिसीवर नीचे रखते हुए चार पांच लोगों का नाम अनाउंस करते हुए कहा की आप लोगों को फोन पे इनफॉर्म कर दिया जाएगा। उसके बाद बचे लोगों को कहा आप सभी ये फॉर्म भर के मुझे दीजिए और कल से ज्वाइन कर सकते हैं।
सभी के चहरे पर खुशी की लहर दौड़ पढ़ी।
कियांश पारेख , नेहा बिष्ट, हार्दिक चौहान, संजूमन दूबे और मायरा राठौर इन पांच लोगों को नौकरी मिली थी।
सारी फॉर्मेलिटीस पूरी करने के बाद सब वहां से निकल गए।

मां...... मां.....कहां हैं आप बाहर आइए।

अरे आ रहीं हूं....क्यों चिल्ला रही है इतना। तेरी आखों की चमक देख के ही पता चल रहा है की जिस काम के लिए गई थी वो काम पूरा हो गया।

हां मां मुझे इंटर्नशिप मिल गई और पता है उन्होंने कहा है की काम अच्छा किया तो मुझे नौकरी भी यहीं मिल जायेगी।

में बहुत खुश हूं मेरी बच्ची तेरा हर सपना पूरा हो अपने जीवन का हर लक्ष्य तू पूरा करे....मेघना ने मायरा के गाल पे हाथ फेरते हुए कहा। फिर उसे अपने सीने से लगा लिया।

बस भी करो मां...पहली सैलरी नही लाई है सिर्फ इंटर्नशिप के लिए सिलेक्शन हुआ है। आप तो सारा प्यार आज ही लूटा दोगी दीदी पर।

चुप कर किंशू...! कुछ भी बोलता है। मेघना ने आंख दिखाई तो किंशू बात पलटते ही बोला जोरो की भूख लगी है मां पहले कुछ खाने को दो उसके बाद आपकी डांट भी खलूंगा।

किंशू तू बहुत नटखट हो गया है किसी दिन मार खाएगा तू मेरे हाथ से मायरा भी झूठे गुस्से से उसे आंख दिखाती हुई कमरे में चली गई।

अरे हद है सब मेरे ही पीछे पड़े रहते हैं हुंह...! में इतना स्वीट सा प्यारा सा भोला भाला हूं इसलिए सबको में ही मिलता हूं हाथ झाड़ने के लिए किंशू ने डाइनिंग टेबल की चेयर पे बैठते हुए कहा।

मीटिंग शुरू होने वाली थी विराज मीटिंग रूम में अपनी चेयर पे बैठा बार बार घड़ी देख रहा था। विराज के डैड महेश जी ने उसे मीटिंग शुरू करने का इशारा किया।

विराज ने हां में गर्दन हिला दी और अपना लैपटॉप खोल लिया। उसके असिस्टेंट मिस्टर विंग ने सबको एक फाइल पकड़ाई जिसमे मीटिंग का एजेंडा था।

विराज ने कहना शुरू किया "ऐस यू ऑल नो ऑर कंपनी एसआरएस प्राइवेट लिमिटेड इस अ वैरी बिग एक्सपोर्ट हब ऑफ डायमंड ( जैसा की आप सब जानते हैं हमारी कंपनी एसआरएस प्राइवेट लिमिटेड (SRS pvt. Ltd.) डायमंड का एक बहुत बड़ा एक्सपोर्ट हब है।) बट नाउ वी शुड टर्न टू ज्वैलरी डिज़ाइन टू गैट इनटू द कंपटीशन। आई बिलीव थैट..... (पर अब हमें कंपटीशन में उतरने के लिए ज्वैलरी डिज़ाइन की तरफ रुख करना चाहिए। मेरा मानना है.....)"
विराज आगे बोल पता तभी मीटिंग रूम का डोर नॉक हुआ। और एक शख्स ब्लू सूट पहने एकदम क्लीन शेव बाल बिलकुल सैट चेहरे की बनावट गोल बड़ी बड़ी आंखें उम्र में लगभग विराज जितना पर कद में उससे थोड़ा कम और एक्सप्रेशन एक दम सीरियस। दरवाज़ा खुलते ही सब की नज़र उस ओर चली गई। वोह शख्स अंदर आया दोनो हाथ पैंट की पॉकेट में डाले विनम्र भाव से लेकिन अपनी भारी आवाज़ में कहा "सॉरी जेंटलमैन, बिकॉज ऑफ मी यू हैड टू वेट आई एम सॉरी फौर कमिंग लेट।" ( सॉरी जेंटलमैन, आप सब को मेरी वजह से इंतज़ार करना पड़ा में माफी चाहता हूं देर से आने के लिए)
विराज ने एक नज़र डाली और उसे बैठने को कहा "मिस्टर सिंधानिया प्लीज़ हैव अ सीट" ( कृपया बैठ जाइए) बाकी सब ने भी उसे ग्रीट कर गुड मॉर्निंग विश किया।

लैट्स कंटिन्यू! (चलो शुरू करते हैं!) विराज ने सबकी ओर देखते हुए कहा।

विराज और मिस्टर सिंघानिया ने दोनो ने मिलकर प्रेजेंटेशन दी। लगभग दो घंटे चली इस मीटिंग में सबको देख कर ऐसा लग रहा था जैसे सब इस प्रपोजल से खुश हैं। एक बोर्ड मेंबर ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा
"बट वाय आर यू थिंकिंग ऑफ स्टार्टिंग दिस प्रोजेक्ट फ्रॉम इंडिया, वाय नॉट यू फ्रॉम ऑस्ट्रेलिया?" ("लेकिन ये प्रोजेक्ट इंडिया से ही क्यों शुरू करने का सोच रहे हैं आप ऑस्ट्रालीआ से ही क्यों नही?")

बिकॉज द इमोशंस आर अटैच्ड टू द ज्वैलरी बाय द पीपल ऑफ इंडिया, देयर इस अ वैरी इंपोर्टेंट रोल ऑफ ज्वैलरी इन देयर ट्रेडिशन एंड आई थिंक इफ वी लॉन्च दिस प्रोजेक्ट फ्रॉम इंडिया, देन द प्रॉफिट विल बी मोर। एंड आई एम पर्सनली हैंडलिंग दिस प्रोजेक्ट।
(क्योंकि इंडिया के लोगों के ज्वैलरी से इमोशंस जुड़े होते हैं वहां के ट्रेडिशन में ज्वैलरी का बहुत इंपॉर्टेंट रोल है और मुझे लगता है की अगर हम इस प्रोजेक्ट को इंडिया से लॉन्च करे तो प्रॉफिट ज्यादा होगा। और में खुद ये प्रोजेक्ट हैंडल करूंगा।) विराज ने बिना किसी भाव के अपनी बात रखी।

ओके देन फिर तो कोई सवाल ही नहीं उठता। सबने प्रोजेक्ट के लिए मंजूरी देदी। विराज और मिस्टर सिंघानिया को कंग्राटुलेशंस कहा और एक एक करके वहां से निकल गए।

अब मीटिंग रूम में बचे थे पांच लोग मिस्टर विराज शिखावत, उसका असिस्टेंट मिस्टर विंग, मिस्टर महेश शिखावत, उनका असिस्टेंट मिस्टर विलियम्स एंड मिस्टर सिंघानिया। महेश जी दोनो को कंग्राटुलेशंस किया और कहा अब इंडिया जाने को तैयार हो जाओ दोनो। और अपने दोनो हाथों को उन दोनो के कंधो पर रख के गले लगा लिया।
मिस्टर सिंघानिया काफी देर विराज की आंखों में झाक रहे थे और कुछ समझने की कोशिश कर रहे थे।

डैड....में इसके साथ इंडिया नही जाऊंगा और ना ही ये प्रोजेक्ट में पार्टनर रहेगा। विराज ने अपने एक एक शब्दो पे ज़ोर देते हुए अपनी एक उंगली मिस्टर सिंघानिया की तरफ करते हुए गुस्से से कहा।

ये सुनते ही मिस्टर सिंघानिया ने अपनी आइब्रोज उचका दी और हैरानी भाव से विराज की तरफ देखने लगा।

विराज़.... अचानक ये क्या बोल रहे हो? महेश जी तुरंत बोले।

रहने दीजिए सर...! अभी ये बच्चा है इसे नही पता की प्रोफेशनल लाइफ में पर्सनल लाइफ को मिक्स नही करना चाहिए। कोई बात नही में सिखा दूंगा। वैसे भी अहम सिंघानिया को कोई मना नहीं कर सकता। मिस्टर अहम सिंघानिया ने अपनी एक आईब्रो ऊपर की तरफ उठाते हुए कहा।

इतना सुनते ही विराज के चेहरे पर गुस्से वाले भाव आ गए उसने अपनी मुठ्ठी भीच ली और आंख दिखाते हुए वहां से अपने केबिन में चला गया।

हम्म्म....हैंडल इट। महेश जी ने बिना किसी भाव के कहा और वहां से अपने असिस्टेंट के साथ चले गए।

मिस्टर विंग भी विराज के पीछे पीछे गया क्योंकि वो विराज के गुस्से को अच्छी तरह से जानता था केबिन में आते ही विंग ने कहा " सर विल यू हैव टी और काफी?"
( सर आप चाय या कॉफी लेंगे?)

विराज जो की अपने केबिन की खिड़की के पास खड़ा बाहर देख रहा था उसने आवाज़ की तरफ पलट कर गुस्से से देखा।

आई थिंक आई शुड गो नाउ! (मुझे लगता है मुझे जाना चाहिए!) विंग ने विराज को गुस्से से देखते हुए कहा और फाइल और विराज का लैपटॉप उसकी टेबल पर रख कर जाने लगा। तभी एक आवाज़ उसके कानो में पड़ी।

जब तक में ना कहूं मेरे कैबिन में कोई नहीं आएगा। विराज ने खिड़की के बाहर देखते हुए कहा।

श्योर सर....कहते हुए विंग रूम से बाहर चला गया और दरवाज़ा बंद कर दिया।

तभी विराज के रूम का दरवाज़ा फिर खुला। आवाज़ सुनते ही विराज बिना पलटे गुस्से से बोला "नाउ व्हाट!" (अब क्या है!)
कोई जवाब ना आने पर विराज पलटा और सामने खड़े शख्स को देख कर उसका गुस्सा और बढ़ गया।












कहानी अभी जारी है......


धन्यवाद🙏