दामोदर भी बुक स्टाल की ट्राली पर काम करता था।गोकुल का रहने वाला था।उसके जीवन मे संघर्ष, प्रेम,रोमांस,रोमांच था।और उसके जीवन की घटनाओं को आधार बनाकर मैने बहुत कुछ लिखा।और मेरा ट्रांसफर हो गया। फिर उसे भी बुकस्टाल की नौकरी छोड़नी पड़ी।फिर उसने राजामंडी पर चाय की दुकान लगा ली थी।और फिर एक दिन परिवार के साथ आगरा छोड़कर चला गया।कहां पता नही।
अम्बाला के कहानी लेखन महाविद्यालय से कहानी लेखन का कोर्स करने के बाद मेरा लेखन शुरू हो गया था।शुरू में जरूर परेशानी हुई लेकिन फिर
कजरारी के अलावा हिमाचल टाइम्स,उत्तर उजाला,स्वराज टाइम्स,निशा नरेश आदि अनेक पत्र पत्रिकाओं में रचनाये छपने लगी।
कहानी लेखन के बाद लेख लिखना भी मैने शुरू किया।लेख मेरे यूगवार्ता, अदिति,युवराAज,मीडिया इंटरमेंट,हिंदुस्तान फ़ीचचर्स आदि एजेंसियों के माध्यम से छपे।सबसे ज्यादा युवराज व अदिति फीचर्स से--पंजाब केशरी,भास्कर,दैनिक नवज्योति,पायलेट,हिंदी मिलाप,वीर अर्जुन,दिन प्रतिदिन,आज का आनंद,रांची एक्सप्रेस देश के प्रतेयक राज्य से निकलने वाले अखबारों में इन फ़ीचर्स के माध्यम से रचनाये छपी।हर माह इन लेखों की कटिंग्स मिलती रहती थी।हिंदुस्तान फ़ीचर्स व अन्य से ज़रूर पैसे मिले लेकिन युवराज फ़ीचर्स में सबसे ज्यादा लेख छपे पर आज तक भुगतान नही किया।
अस्सी के दशक से लघुकथाएं भी लिखने लगा था।कजरारी से शुरू होकर आश्वस्त,गगनांचल,पंजाब सौरभ,दिवान मेरा, शुचि,लघुकथा अभिव्यक्ति, प्रतिनिधि लघुकथाएं, संरचना,देशकाल संपदा,नया ज्ञानोदय,मधुमति, हरिगन्धा, गिरिराज,हिम्प्रस्थ, एक लंबी कतार है जिसमे मेरी लघुकथाएं छप चुकी है और छप रही है।अनेक संकलनों में रचनाएं स्वीकृत है।तीन लघुकथा संग्रह पर्दे के पीछे,नीम का पेड़,अनसुलझा प्रश्न प्रकाशित हो चुके है और दो और कि पांडुलिपि तैयार है।
वयस्क पत्रिकाओं के लिए भी मैने कहानी लिखी।उनका मेरे पास रिकॉर्ड नही है।मैने रखा भी नही।शुरू में 10 से12 कहानी मासिक इन पत्रिकाओं के लिए लिखी।अनुमानित 500 कहानिया लिखी।इससे ज्यादा भी हो सकती है।
दिल्ली से प्रकाशित होने वाली कथालोक में भी काफी रचनाये जब तक उस पत्रिका का प्रकाशन बन्द नही हो गया छपी।रंगभूमि से प्रकाशित होने वाली सच्चे किस्से, रोमांटिक दुनिया,रंगभूमि में लगातार छपता रहा।उन दिनों मुझे एक कहानी का 150 व 200 रु मिलता था।बाद में धरम्पलजी ने आफर दिया कि मै रु के बदले पुस्तके लू तो डबल कीमत की पुस्तकें मिलेगी।और यह प्रस्ताव मैने मान लिया लेकिन यह शर्त जोड़ दी कि आधी पुस्तजे साहित्यिक होंगी।हर महीने पुस्तकं का बंडल आ जाता था।जिसमे साहित्य के साथ सिलाई,जादू,रेडियो मिस्त्री,पाक कला जैसी पुस्तके भी होती थी।फिल्मी दुनिया मे भी काफी कहानी छपी।इसमें जय प्रकाश,शितान्सु भारद्बाज,यादवेन्द्र शर्मा चन्द्र,आनंद बिल्थरे के साथ काफी रचनाये छपी।
कथा लोक दिल्ली से निकलने वाली पत्रिका में जब तक इसका प्रकाशन बन्द नही हो गया।रचनाये लगातार छपती रही।इसमें सामाजिक,आध्यात्मिक, ऐतिहासिक,धार्मिक सभी तरह की रचना को स्थान मिला।
बीकानेर से त्रिमूर्ति फ़ार्मेसी की स्वास्थ्य पर निकलने वाली लघु पत्रिका में साहित्य को भी स्थान मिलता था।इसमें स्वास्थ सम्बन्धी आलेख के साथ कविता,लघुकथा और छोटी कहानी भी छपती थी।इसके अंको में मुझे भर पुर स्थान मिला।अभी इसका प्रकाशन स्थगित है।
इंदौर से निकलने वाले साप्ताहिक वॉइस ऑफ इंदौर में मेरी कविताएं,कहानी,लघुकथा,आलेख,बाल कहानी काफी छपी।इसमें रचनाये चित्र के साथ आकर्षक अंदाज में छपती है।इसके विशेषांकों में भी पूरा स्थान मिला।
पंजाब सौरभ पत्रिका एक सरकारी पत्रिका है।लेकिन इसमें वर्षो से मेरी रचनाये छप रही है।अभी तीन साल से पारिश्रमिक नही मिला है