आपने गज़लें और शायरीया तो बहुत सुनी होंगी पर उन मैं से गुलजार साहेब की बहुत गज़लें और शायरीया दिल को छु लेने वाली है.
मै आपके सामने गुलज़ार साहेब की शायरीया लेके आ रहा हु और उसमे मे अपने शब्दों से रंग भरने कोशिश रहा हुं.
सायद आपको पसन्द् आये..
कुछ सब्द मेरी कलम से
जब भी दिल उदास होता है
जाने
कोन आसपास होता है होठ चुपचाप बोलते हो साँस कुछ तेज -तेज चलती
आँखे जब दे रही हो आवाज़े
थंडी आहों मै सांस जलती हो
आँख में तैरती है तस्वीरें
तेरा चेहरा तेरा खयाल लिए
आईना देखता है जब मुझको
एक मासूम सा सवाल लिए
कोई वादा नही किया लेकिन
क्यो तेरा इंतजार रहता है
बेवजह जब करार मिल जाए
दिल बड़ा बेकरार रहता है
जब भी यह दिल उदास होता है
जाने कोन आस-पास होता है
" गुलजाऱ साहेब "
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ज़िन्दगी यु हुई बसर तन्हा
ज़िन्दगी यु हुई बसर तन्हा
काफिला साथ और सफर तन्हा
अपने साये से चौक जाते है
उम्र गुजरी है इस कदर् तन्हा
रात भर बोलते है सन्नाटे
रात काटे कोई किधर तन्हा
दिन गुजरता नही है लोगो में
रात होती नही बसर तन्हा
हमने दरवाजे तक तो देखा था
फिर न जाने गए किधर तन्हा
" गुलज़ार साहब "
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चले जाते है हम सायरो की महफ़िल मै
हम वहा होते है तो उनको बड़ी तकलीफ होती है
आँखो से छलक जाते है दो आँसूं
मचल के जब भी आँखो से छलक जाते है दो आँसू
सुना है आबशारों को बड़ी तकलीफ होती है
खुदारा अब तो बुझ जाने दो इस जलती हुई लौ को
चरागो से मजारो को बड़ी तकलीफ होती है
कहु क्या वो बड़ी मासुमियत से पूछ बैठे
क्या सचमुच दिल के मारो को बड़ी तकलीफ होती है
तुम्हारा क्या तुम्हे तो राह दे देते है काँटे भी
मगर हम खाँकसारो को बड़ी तकलीफ होती है
"गुलज़ार साहब"
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सितारे लटके हुए है
सितारे लटके हुए है तागो से आसमा पर
चमकती चिंगारियाँ -सी चकरा रही आँखो की पुतलियों मे
नज़र पे चिपके हुए है कुछ चिकने- चिकने से रोशनी के धब्बे
जो पलके मुदु तो चुभने लगती है रोशनी की सफेद कीरचे
मुझे मेरे मखमली अंधेरो की गोद मै डाल दो उठाकर
चटकती आँखो पे धुप अंधेरो के फाये रख दो
यह रोशनी का उबलता लावा न अंधा करदे
" गुलज़ार साहब "
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मरने वाले तो एक दिन बिना
बताये ही मर जाते है,
रोज तो वो मरते है जो खुद से ज्यादा
किसी और को चाहते है..
मेरी कदर तुुजे उस दिन समझ ,
जिस दिन तेरे पास
दिल तो होंगा मगर दिल से
चाहनेवाला कोई नही होंगा..
" गुलज़ार साहब "
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बात महोब्बत की थी तभी तो
लुटा दी ज़िन्दगी तुझे पे,
जिस्म से प्यार होता तो तुझ से भी
हसीन चेहरे बिकते है बजार मै...
अगर कोई जोर देकर पूछेगा
हमारी महोब्बत की कहानी,
तो हम भी धीरे से कहेंगे
मुलाकात को तरस गए
" गुलज़ार साहब "
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बस अब दिल मे कबसे एक
आस लिए बैठा हुं,
मुद्दतें हो गई है उस से एक बात हुए
फिर भी उसके इंतजार मै बैठा हुं..!!!
" हर्ष परमार "
शायरी पे रेटिंग और कॉमेंट जरूर कीजियेंगा
और अपनी पर्तिकिया जरूर दीजीयें आप मुझे
क्यु की मै आगे और भी अच्छा लिख सकु ..
🙏🙏धन्यवाद🙏🙏