Vo Pehli Baarish - 10 in Hindi Fiction Stories by Daanu books and stories PDF | वो पहली बारिश - भाग 10

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वो पहली बारिश - भाग 10

"ये क्या लगा रखा है तूने?", ऑफिस से आते हुए ध्रुव और निया को जब कुनाल रास्ते में मिला, तो ध्रुव ने पूछा।

"कुछ लगा हुआ है, क्या मेरी शर्ट पे.. यार जब भी मैं डबल आइसक्रीम संडे खाता हूं तो पूरी दुनिया को पता लग जाता है। पर रखा है, मैंने तेरे लिए भी.. तू फिकर ना कर।" कुनाल ध्रुव को हँसते हुए बोलता है।

"मैं आइसक्रीम की बात नहीं कर रहा।"

"तो फिर?"

"तूने निया को क्या बोला?"

"क्या बोला है मैंने?" कुनाल निया की तरफ़ देख कर पूछता है।

"वो.. उस दिन जो सब.."

"अच्छा.. वो उस दिन जो सब बोला था। एक मिनट.. उस दिन जो सब बोला था.. तुमने सब इसे बता दिया?"

"हां"

"अरे मैडम, थोड़ा तो रहम खाती।"

"मतलब??", निया ने पूछा।

"लड़कियां.." ना में सिर हिलाते हुए कुनाल ने बोला।

"भाई.. बस इस दिन के लिए ही मैंने अपनी कोला 2.1 बचा कर रखी थी।"

"उससे अच्छा मुझे ये बता दे, की तूने ये सब किया ही क्यों?"

"वो मैं सच में चाहता था, की निया तेरा थोड़ा बोझ हल्का कर दे।"

जब कुनाल की ये बात सुनकर भी ध्रुव को कोई फ़र्क नहीं पड़ा और वो उसे तीखी नज़रों से देखता रहा तो कुनाल फट से बोला, "ठीक है, ठीक है.. वो मेरी टीममेट है ना, जो उस दिन घर पे आई थी, वो मेरे साथ डेट पे चलने के लिए तैयार थी, पर वो चाहती थी की तू भी आए, ताकी उसकी फ्रेंड को कंपनी मिल जाए। पर तू है की इस पहली बारिश के बेकार चक्करों के कारण कहीं निकलता ही नहीं है। तो मुझे लगा अगर निया होगी, तो शायद तू.."

"तुम्हारा बेकार.. और तुम्हारा क्या था, दया?", ध्रुव कुनाल और निया से हल्के गुस्से में पूछता है।

"नहीं.. ऐसा कुछ नहीं।", कुनाल और निया दोनो इखट्टे बोले।

"बस.. ठीक है। बाद में बात करते है, अभी मैं कुछ नहीं बोलना चाहता।", ध्रुव ये बोलते हुए कुनाल और निया के आगे से चला गया।

"अरे सच में.. ", दोनो उसको पीछे से आवाज़ लगाते है।

"तुम एक वार्निंग तो दे सकती थी ना, की ऐसा हुआ है।", कुनाल निया को बोलता है।

"मैं?? ख़ुद मुझे भी तो समझ आए की क्या ही रहा है", निया बड़ी आंखों से कुनाल को देखते हुए बोली।

**********************

कुछ टाइम तक ध्रुव निया और कुनाल दोनो में से किसी से भी बात नहीं करता। निया जहां अपनी उलझनों में इस बारे में ज्यादा नहीं सोचती, वहीं कुनाल लगातार, कुछ न कुछ करके ध्रुव को मनाने की कोशिश कर रहा था।

संडे शाम को लिफ्ट के लिए खड़े हुए रिया और निया को ध्रुव दिखता है, तो रिया बोलती है,
"हाय ध्रुव। कैसे हो, आजकल नज़र नहीं आते तुम?"

"मैं ठीक हूं।", ध्रुव नरम आखों से रिया को जवाब देता है।

लिफ्ट आई ही होती है, की इतने में रिया का फ़ोन बज जाता है,
"ओए.. तू चल, मैं आई।"

फोन ज़रूरी था, तो निया को जाने का कह कर रिया फोन पे बात करने रुक जाती है।

"तो क्या किया तुमने वीकेंड पे?", निया साथ खड़े ध्रुव से पूछती है।

"कुछ नहीं, बस थोड़ा बहुत काम।"

"तुम मुझे भी तो बताने वाले थे, पर फिर तुमने बताया ही नहीं पीबीसी का कोई काम?"

"मुझे किसी की दया में दिलचस्पी नहीं है।"

"दया?? तुम्हें ऐसा क्यों लगता है?"

"क्योंकि तुम्हे भरोसा नहीं है उसपे।"

"एक बात बताओ, तुम्हे भरोसा क्यों है उसपे?"

"क्योंकि मैंने डेटा देखा है और प्रूफ देखे है इसलिए।"

"अच्छा, तो हमे भी दिखाओ, शायद हम भी भरोसा करने लग जाए।"

"दिखाया तो था।"

"और दिखाओ फिर.. रोज़ देखूंगी तो थोड़ा थोड़ा समझ आए शायद।"

"तू तुम सही में इसका हिस्सा बनाना चाहती हो?"

"सच कहूं, तो इस समय जिस भी चीज से मेरा ध्यान भटके, मैं हर उस चीज का हिस्सा बनने के लिए तैयार हूं। तो मतलब हां, मुझे आज भी इस बात पर भरोसा नहीं, पर ठीक है, मैं फिर भी एक मौका देना चाऊंगी इस काम को।"

लगभग हर फ्लोर पे रुकते हुए लिफ्ट जब नीचे पहुंची, तो रिया पहली से ही बाहर खड़े होकर निया का वेट कर रही थी।

"ध्रुव हम बाहर खाने जा रहे है, तुम भी चलो?", रिया ध्रुव को बोलती है।

"अ.अ.. ठीक है।", ध्रुव बिना ज्यादा कुछ सोचे चलने के लिए हां बोल देता है।

इतने में कुनाल पीछे से आकर ध्रुव के कंधे पे हाथ रखता हुए बोलता है, "तू मेरे बिना कैसे जा सकता है?"

ध्रुव गुस्से वाली नज़रों से उसे देखता है तो कुनाल आगे बोलता है, "इस बार इस बार मान जा बस, आगे से पक्का तुझे ऐसे कहीं नहीं फसाऊंगा मैं। किसी को कुछ नहीं कहूंगा, प्लीज। दो दिन से मैं बहुत बोर हो गया हूं, कोई नहीं है, बकवास करने के लिए।
इतनी मुश्किल से इस रिया को पकड़ा है, मदद के लिए। कम से कम कोशिश के तो नंबर देकर, ग्रेस माक्र्स पे माफ करदे प्लीज।"

"अच्छा.. अच्छा.. चल साथ में।", ध्रुव आखिर कार हल्का मुस्कराते हुए बोलता है और वो चारों साथ में वहां से निकलते है ।