Intezar Pyaar ka - 40 in Hindi Love Stories by Unknown Writer books and stories PDF | इंतजार प्यार का - भाग - 40

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इंतजार प्यार का - भाग - 40

सब लोग एक एक कर ले वहां से निकल ने लगे। पवन के साथ बाकी सारे लोग भी वहां से निकल कर नीचे जाने लगे। नीचे जाने के बाद सब लोग बाहर की और जाने लगे लेकिन तभी सनाया ने वहां पर किसी को देख लिया जिसको देखने के बाद वो काफी ज्यादा शॉक हो गई। और उसकी पर वहीं पर जम हीं गए और वो आगे बढ़ हीं नहीं लाई बस आगे की और देखने लगी। वहीं उसको इस तरह से रुकते हुए देख कर सब लोग उसकी और कंफ्यूज हो कर देखने लगे और फिर वो जिसको और देख रही थी उसकी और देखने लगे।
वह लोग देखते हैं कि तकरीबन 50 साल का एक आदमी आगे जा रहा है जोकि दिखने में काफी रॉयल घराने से लग रहा था। और उसकी भैंस पूसा पिक काफी रॉयल तरीके की थी। और उसके पीछे एक 60 साल की उम्र की आदमी भी जा रहा था। जो कि अपने सर को नीचे किए हुए था। और उनके चारों तरफ काफी सारे बॉडीगार्ड्स भी खड़े हुए थे। जो की पूरी तरह से armored थे। वह लोग आगे अपनी गाड़ी की ओर जाने लग रहे थे। जो कि उनके सामने ही पार्क होकर खड़ी हुई थी वह लोग देखते हैं की काफी सारी रोयल और लग्जरी गाड़ियां जिनकी कीमत करोड़ों में थी वह वहां पर खड़ी हुई थी। और वह आदमी उसकी और बड़ा चला जा रहा था। तब भी वह लोग देखते हैं कि सनाया जो की अभी तक एक दम किसी बुत की तरह खड़ी हुई थी। जल्दी से उस आदमी के पास भाग कर जाने लगती हे। और वैसे हीं तेजी से भागते हुए वहां से उन लोगों के साइड से निकल जाती हे। उसको ऐसे भागता हुआ देखकर सब लोग शौक और कंफ्यूज दोनों ही हो गए थे। और वह लोग वैसे ही सनाया की और देखने लगे। वहीं सनाया इन सब बातों को इग्नोर करते हुए उस आदमी के पास भागने लगती हे। उसको ऐसे भागते हुए देख कर बिक्रम उसको रोक ने की कोशिश करने लगता हे। लेकिन सनाया बिक्रम को Dhaka दे कर साइड करती है। और वो भाग कर वहां जाने लगती हे। वही उसको ऐसे भाग कर आते हुए देखकर सारे के सारे बॉडीगार्ड अलर्ट हो जाता है और वह उन दोनों के चारों तरफ घेरा बना लेते हैं वहीं जब उन दोनों ने देखा कि कौन उनके पास आ रहा है तो उनके चेहरे पर बहुत खुशी और एक्साइटमेंट दोनो भाव दिखाई दे रही थी। और वह जल्दी से अपने बॉडीगार्ड को सामने से हटने के लिए बोलते हैं। और वही जब सनाया ने देखा की बॉडीगार्ड उसके रास्ते में नहीं आने वाले हैं। तो वह और भी तेजी से भागने लगी ऐसे ही तेजी से भागकर जाकर वह उस आदमी के सीने से लग गई। और वह आदमी भी उसको अपने बाहों में भरने लगता हे। और इस वक्त हर किसी को दोनों के आंखों में नमी साफ दिखाई दे रही थी। वही उनके साइड में खड़ा हुआ आदमी के आंखों में भी पानी आ गया था। लेकिन वह अभी भी वहीं पर अपना सर नीचे किए हुए ही खड़ा हुआ था। साइड में सबको खड़े हो कर खुद की और घूरते हुए देख रहे थे। लेकिन उन लोगों के फेस एक भी एक्सप्रेशन नही था वो लोग अभी भी वैसे हीं अपने एक्सप्रेशन less फेस के साथ खड़े हुए थे। वही जब सनाया ने उस आदमी को छोड़ा तो फिर उसके और देखती हे फिर वो बोली क्या पापा आप भी हमसे झूठ बोलने लगे हे। अपने तो बोला था की आप कोई business ट्रिप पे जाने वाले थे। लेकिन आप यहीं पर हे जिस वजह से हम आपसे मिलने नहीं आ पाए। और राजस्थान आ कर आपसे ना मिल कर मुझे काफी दुख हो रह था। ये सब बोलते वक्त उसके फेस उदासी और आंखों में नमी साफ दिखाई दे रही थी। तो उसके पापा उससे बोलते नहीं बेटी हम जाने वाले थे लेकिन आखिरी वक्त पर कुछ काम आ गया है। जिस वजह से हमें यही रुकना पड़ा। ये सुन ने के बाद सनाया उनकी और देखने लगती हे। ये सुन ने के बाद सनाया अपने पापा की और देखते हुए बोली पापा आप हमसे कोई भी झूठ तो नही बोल रहे हे। ये सुन ने के बाद उसके पापा की फेस के रंग उड़ गए। लेकिन फिर वो जल्दी से उसको छापा लिया और बोले नहीं बेटा हमे कुछ काम आ गया था। जिस बजह से यहीं पर रुकना पड़ा। लेकिन सनाया उनकी ये बात सुन ने के बाद भी संतुष्ट नहीं लग रही थी। लेकिन फिर भी वो कुछ नही कहती और फिर उन दोनों के बीच में ऐसे ही कई बातें होने लगती है। और उसने जब उनके साइड में उस आदमी को खड़ा हुआ देखा तो वह जल्दी से उनके पास जाकर उनके पैर छूकर प्रणाम कर दी। यह देखकर वह आदमी एकदम से हड़बड़ा गया और बोला राजकुमारी जी आप ऐसे मत कीजिए हमें बुरा लगता है। तो सनाया उससे बोलती है क्या कर रहे हैं अंकल जी आपको तो हम बचपन से जानते हैं और हमेशा आपने हमारा बहुत ही ख्याल रखा और हमको बहुत जगह भी घुमाने ले कर गए। और तो आप पापा भी आपको अपने बड़े भाई के जैसे मानते हे तो आपका तो पैर छूना बनता है। और वो कारण ना भी हो तो आप तो मुझसे उमर में काफी बड़े हे। और आपने मुझे सिखाया हे की हमेशा बड़ो की इज्जत करना और उनकी पैर को छू कर आशीर्वाद लेना। उसकी मुंह से यह बातें सुनने के बाद उस आदमी के आंखों में पानी आ गई और वो आगे कुछ नहीं बोल पाया। तो सनाया फिर से उसके पैर छू लेती हे। तो वो आदमी उसके सर पे हाथ रख कर बोलता हे की हमेशा खुश रहिए राजकुमारी जी। उस आदमी के मुंह से ये सब सुन ने के बाद सनाया के फेस में भी स्माइल आ जाती हे। और वही उसके पास में हीं खड़े उसके पापा के पास में बड़ी सी स्माइल आ गई थी। क्योंकि वह अच्छी तरीके से अपने बेटी को जानते थे की वो काफी समझदार और काफी अच्छी स्वभाव की हे और वो हमेशा बड़ो की काफी रिस्पेक्ट करती है। और उनको अपने बेटी के ऊपर काफी गर्व भी महसूस होता हे।
वही उन से कुछ ही दूरी पर खड़े हुए सनाया के सारे दोस्त बस अपने मुंह और आंखें फाड़ कर सनाया और उस आदमी और उनके बीच बातचीत को देख रहे थे। उन सब में से तो विक्रम काफी ज्यादा शौक में था क्योंकि उसको ऐसा लग रहा था कि उसने कुछ गलत देख लिया। लेकिन फिर वो बार-बार अपने आंखें मसलने लगा। लेकिन जब भी वह देखता था अपने सामने का नजारा देखकर और भी ज्यादा शौक हो जाता था। फिर वह ऐसे ही देखता रहा। वहीं उसको इस तरह से बिहेव करता हुआ देखकर बाकी सब भी बिक्रम को शॉक हो कर उसकी ओर देखने लगे। और उससे पूछने लगे क्या हुआ यार इतना शौक क्यों है जैसे कि सामने किसी भूत को देख लिया हे। तो वह शौक से बाहर आकर बोलता कुछ नहीं यार। तो सूरज उसको पूछता हे की सामने आदमी दिख रहा है क्या तू उसको जानता है वह कौन है। तो बिक्रम बोलता है हां जनता हूं। तो सूरज शॉक हो कर उसकी और देखने लगता हे क्यों की उसको लगा था की वो उनको जनता होगा लेकिन वो सब उसके मुंह से सुना तो उसको काफी बड़ा शॉक लगा। तो थोड़ी देर सब लोग एक्साइटेड होकर उससे पूछते हैं कि वो आदमी कौन है। वह बताए या फिर ना बताए सोच में पड़ जाता है। क्योंकि उस आदमी को अच्छी तरीके से जानता था लेकिन वह यह भी जानता था कि उस आदमी को सबके सामने आने में अच्छा नहीं लगता था। अगर कोई उसके बारे में बात बाहर फैलाता है तो वो उस आदमी को जिंदा नहीं चोदता हे। तभी वह लोग फिर से उसके ऊपर दबाव बनाते हुए पूछते हैं प्लीज बता ना यार वह कौन है और सनाया भी बिना कुछ सोचे हमारे पास से भाग कर चली गई। और वह दोनों ऐसे गले मिल रहे थे देखने में तो वह किसी बाप और बेटी की तरह लग रहे हैं। तो विक्रम उसकी और घूर कर देखने लगता है और फिर बोलता है वह आदमी और कोई नहीं। मान सिंह राजावत है। सनाया राजावत की पिता और पूरे राजस्थान की राजा। ये सब वो एक हीं सांस में बोल देता है। वहीं यह सुनने के बाद उन सबकी आंखें बाहर आ गई और वह अपना मुंह खोले बस उसको देखे जा रहे थे। क्योंकि वह लोग उस नाम को अच्छी तरीके से जानते थे क्योंकि उस नाम पूरा विश्व में विख्यात है और उनकी कंपनी जिसका नाम है राजावत इंडस्ट्रीज और भी पूरे विश्व में काफी ज्यादा फेमस है। जिससे वो लोग उनके नाम के बारे में सुन रखा था। लेकिन उनको कैमरे के सामने आना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था। जिस वजह से उनके बारे में कोई भी न्यूज़ कोई भी छाप नहीं सकता था। और ना ही कोई कभी उनको देखा था। जिस वजह से वह लोग पहचान नहीं पाए लेकिन विक्रम के कहने पर वह लोग पहचान गए हैं कि यही वह आदमी है जिसके सामने पूरी दुनिया तक अपना सर झुका लेती हे।
वहीं सनाया ने जब अपने पिता के साथ बातचीत करने लगी। तभी उसकी नजर अपने दोस्तों पर पड़ी। तभी उसको याद आया की वो अपने पिता को देखने के बाद वहां पर भागते हुए और उनको इग्नोर करते हुए यहां पर आई थी। वो जब अपने दोस्तों की और देखती हे तो देखती हे की वो उसकी और हीं घूर रहे थे। तो वो उन सबके बारे में अपने पिता को बताने के बारे में सोचती हे और वह अभी अपने पिता को अपने दोस्तों के बारे में कुछ बता ने हीं वाली थी कि, तभी उसके पिता ने उससे पूछते हुए बोले बेटा आप यहां कैसे आए आपको तो दिल्ली में होना चाहिए था ना तो आप यहां पर क्या कर रहे हैं। तो वो उनकी सवाल सुन के उनकी और देखने लगी। फिर उनको जवाब देते हुए बोलती है वह पापा हम यहां पर अपने दोस्तों के साथ आए थे। और हम लोग भी यहां पर तकरीबन 4 से 5 दिन के लिए आए थे। क्योंकि हमारा कॉलेज का छुट्टी था। और हम घूमने का प्लान बना रहे थे। तो हम लोग राजस्थान घूमने का प्लान बनाया और यहां पर आ गए। तो उसके पिताजी खुश होते हुए बोलते हैं तो फिर कहां है तुम्हारे वह दोस्त और हमें भी मिलवाओ अपने दोस्तों से और तुम कहां रह रही हो। तो वह बोलती है पिताजी मेरे दोस्त यहीं पर है और मैं उनको यहां पर बुला लूंगी आप फिकर मत कीजिए। और मैं होटल महाराजा पैलेस में रुकी हुई हूं। यह सुनने के बाद उसके पिता जी बोलते हैं आपको वहां पर रुकने की कोई भी जरूरत नहीं है आप लोग आ जाइए हम हवेली में आपके लिए और आपके सारे के सारे दोस्तों के लिए कमरा तैयार करवाते हैं। तो सनाया भी खुश होते हुए बोलती हे की ठीक है पापा मैं अभी आपने दोस्तों को बुलाकर यहां लाती हूं और फिर वह अपने दोस्तों के पास चली गई। वहीं राजा साहब उस आदमी की और देख कर बोलते हे की दीवान साहब आप जल्दी से हवेली में मेरी ये बात पहुंचा दीजिए की राजकुमारी जी आ रही हे। और उनके साथ उनके साथ उनके कुछ दोस्त आए हे। और सब के लिए कमरे रेडी करवा दीजिए। तो दीवान साहब उनको जी राजा साहब बोल कर वहां से चले जाते हे।
तो क्या होता हे आगे राजा साहब का सनाया के दोस्तों को देखने के बाद क्या रिएक्शन होने वाला है और आगे क्या और बवाल होने वाला हे जान ने के लिए पढ़ते रहिए मेरा ये कहानी इंतजार प्यार का............
To be continued...........

Written by

Unknown writer