Gyarah Amavas - 27 in Hindi Thriller by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | ग्यारह अमावस - 27

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ग्यारह अमावस - 27



(27)

गुरुनूर थाने लौटकर आई तो इंस्पेक्टर कैलाश जोशी का फोन आया। उसने गुरुनूर को अहाना के केस में जो भी पता चला था बता दिया। साथ ही उसे अहाना के गुनहगार के कत्ल के बारे में भी बताया। उसने पूछा कि क्या अमन के केस में आगे कोई सफलता मिली है। गुरुनूर ने उसे मंगलू के अपहरण और अब तक जो कुछ भी हुआ था उसके विषय में बताया। मंगलू का अपहरण भी रानीगंज जाते समय हुआ था। गुरुनूर ने इंस्पेक्टर कैलाश जोशी से कहा कि वह अपनी एक टीम रानीगंज भेजकर अच्छी तरह जांच करवाए। उसने मंगलू के डीटेल्स भी उसे भिजवा दिए थे।
फॉरेंसिक टीम के साथ गुरुनूर और सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे दक्षिण के पहाड़ पर स्थित खंडहरनुमा हवेली में मौजूद थे। फॉरेंसिक टीम ने अपना काम शुरू कर दिया था। टीम के साथ स्निफर डॉग स्क्वायड था। एक जगह पर वह सूंघते हुए आकर रुक गए। डिवाइस से उस जगह की जांच की गई। उस जगह शव के दफन होने की पुष्टि हुई। उस जगह पर खुदाई करके एक लाश निकाली गई। उसे फॉरेंसिक जांच के लिए भेजने की व्यवस्था की गई। पूरे स्थान को अच्छी तरह देखा गया। वहाँ से कोई और लाश नहीं मिली।
गुरुनूर को पूरी तसल्ली नहीं हुई थी। उसे लग रहा था कि उस जगह पर कुछ और भी मिल सकता है। उसने खुद भी हर एक जगह को बहुत ध्यान से देखना शुरू किया। हवेली के अंदरूनी हिस्से में उसे एक कमरा मिला। इस कमरे के एक कोने में नीचे जाने के लिए रास्ता दिखाई पड़ा। वह अपनी टीम के साथ नीचे पहुंँची। नीचे जाने पर एक तहखाना मिला। उस जगह की अच्छी तरह से जांच की गई। वहांँ एक आसन जैसा बना था। इस बात के निशान मिले कि वहाँ मशालें जलाई जाती रही होंगी। उस तहखाने के एक हिस्से ने ज़मीन पर बहुत सारे सूखे हुए खून के निशान मिले। ऐसा लग रहा था जैसे कि वहाँ बहुत सारे लोगों की हत्या की गई हो। फॉरेंसिक टीम ने उन्हें भी जांच के लिए ले लिया।
दक्षिण वाले पहाड़ के खंडहर में बहुत से सबूत मिले थे। अब इंतज़ार था उनके संबंध में आने वाली फॉरेंसिक रिपोर्ट का। दक्षिण वाले पहाड़ के खंडहर से गुरुनूर सीधा शांति कुटीर गई। वहाँ अभी तक दीपंकर दास और शुबेंदु की कोई खबर नहीं थी। उसने शांति कुटीर के मैनेजर नीलेश से मुलाकात की। उसने पूछा,
"दीपांकर दास अपने साथी शुबेंदु के साथ कहाँ गए हैं ?"
नीलेश ने जवाब दिया,
"मुझे नहीं पता है। मुझे इतना पता है कि कल देर रात दोनों कहीं गए थे। उसके बाद लौटे नहीं। हमें उनकी चिंता है।"
"आपको चिंता है लेकिन यह नहीं पता कि दोनों गए कहांँ है। आप यहाँ के मैनेजर हैं। आपको पता होना चाहिए कि दोनों कहाँ गए थे।"
"मैं शांति कुटीर का मैनेजर हूँ। यहांँ की व्यवस्था देखता हूंँ। यहाँ बाहर से आए मेहमानों के रहने खाने आदि की सारी ज़िम्मेदारी मेरी है। दीपू दा के व्यक्तिगत मामलों से मेरा कोई लेना देना नहीं रहता है। वह सबकुछ शुबेंदु देखते हैं।"
"आप यह नहीं पूछते हैं कि वह कहाँ जा रहे हैं।"
"नहीं...."
"दीपांकर दास और शुबेंदु अक्सर बाहर जाते रहते हैं।"
"जब उन्हें जाने की ज़रूरत होती है जाते हैं। मैंने इसका हिसाब नहीं रखा।"
गुरुनूर को उसके जवाब देने का तरीका सही नहीं लगा। उसने कहा,
"आप पुलिस से बात कर रहे हैं। मामला सीरियस है। ज़रा सही तरह से जवाब दीजिए।"
गुरुनूर ने पुलिस वालों के रौब में यह बात कही थी। नीलेश के तेवर ढीले पड़ गए। वह बोला,
"मैं समझ रहा हूंँ मैडम और आपका सहयोग भी करूंँगा। लेकिन वही बता सकूंँगा जो मुझे पता है।"
"मैं भी आपसे वही पूछ रही हूंँ जो आप बता सकते हैं। इसलिए ज़रा सोच समझकर जवाब दीजिए।"
नीलेश ने धीरे से सर हिला दिया। गुरुनूर ने पूछा,
"आपको उन दोनों की चिंता है तो आपने उनका पता लगाने के लिए कुछ किया ?"
"मैंने सिर्फ उन्हें फोन किया था। दोनों का ही फोन बंद पड़ा है। इसके अलावा मैं कुछ नहीं कर सकता।"
"कार कौन चला रहा था ?"
"जब भी दोनों बाहर जाते थे तो कार शुबेंदु ही चलाते थे।"
"मतलब कोई ड्राइवर नहीं था।"
"हाँ.....शुबेंदु ही कार ड्राइव करते थे।"
गुरुनूर कुछ सोचकर बोली,
"आपका काम मेहमानों का ध्यान रखना है। शिवराम हेगड़े पिछले कुछ दिनों से शांति कुटीर में रह रहे थे। आपको उनके बारे में भी कुछ नहीं पता।"
"मैं मेहमानों के रहने और खाने पीने की व्यवस्था देखता हूँ। उनके कहीं आने जाने पर मैं नज़र नहीं रखता हूंँ। शिवराम हेगड़े कब शांति कुटीर से बाहर गए मुझे नहीं पता। रात नौ बजे डिनर के समय मैंने उन्हें देखा था। उसके बाद ही वह गए होंगे। हालांकि दस बजे के बाद मेहमानों को शांति कुटीर के बाहर जाने की इजाज़त नहीं है। अगर कोई बाहर जाता है तो समय से पहले वापस आ जाता है। आप गेटकीपर से पूछिए। वह बता सकता है कि क्या वह उससे कुछ बोलकर गए थे।"
गुरुनूर पहले ही गेटकीपर से बात कर चुकी थी। उसने बताया था कि उसे शिवराम हेगड़े के बारे में कुछ भी नहीं पता। गुरुनूर ने नीलेश से कहा,
"जैसे ही दीपांकर दास, शुबेंदु या शिवराम हेगड़े में से कोई भी आए आप पुलिस स्टेशन में सूचना देंगे।"
"जी....."
गुरुनूर के लिए अब वहाँ ठहरने का कोई फायदा नहीं था। वह कांस्टेबल हरीश के साथ थाने वापस लौट गई।

फॉरेंसिक टीम लाश और बाकी के सबूतों के साथ वापस चली गई थी। उन्होंने जल्दी ही अपनी रिपोर्ट भेजने को कहा था। गुरुनूर और सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे इसी विषय में बात कर रहे थे। सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे ने कहा,
"मैडम आपका अंदाज़ा सही निकला। वहाँ तो बहुत कुछ मिला है। रिपोर्ट आने पर स्थिति और अधिक स्पष्ट हो जाएगी।"
गुरुनूर ने गंभीरता से कहा,
"आकाश मुझसे चूक हो गई। उस दिन जब मैं उस खंडहर में गई थी अगर तब ही ध्यान दिया होता तो हो सकता है अब तक कातिल हमारी पकड़ में होता। जैसा उस दिन हम लोगों ने अनुमान लगाया था कि दो और हत्याएं हुई होंगी। अगर मैंने ध्यान दिया होता तो आगे की हत्याएं ना होतीं।"
सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे गुरुनूर की यह बात सुनकर कुछ सोचने लगा। कुछ देर में उसने कहा,
"मैडम हमारे अनुमान के अनुसार हर अमावस को एक बलि दी जाती है। इस हिसाब से पिछली अमावस छठी थी। हमको चार लाशें पहाड़ के जंगलों में मिल चुकी थीं। पांचवीं आज खंडहर में दफन मिली। लेकिन छठी लाश वहाँ नहीं मिली। इसका मतलब है कि उस लाश को भी जंगल में ही कहीं फेंका गया होगा।"
सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे की बात सुनकर गुरुनूर के मन में भी एक बात आई। उसने कहा,
"सही कहा है तुमने आकाश। मुझे एक बात और लग रही है। सभी हत्याएं शायद उसी खंडहर के तहखाने में की गई हैं। वह खंडहर दक्षिण वाले पहाड़ पर है। वहाँ जाने पर रास्ते में शांति कुटीर पड़ता है।"
"आपका इशारा दीपांकर दास की तरफ है।"
"हाँ आकाश.... अहाना का अपहरण होने से पहले उसका पिता उसे लेकर दीपांकर दास के पास ही आया था। इंस्पेक्टर कैलाश जोशी ने बताया कि अहाना के साथ किसी नज़दीकी ने बलात्कार किया था। जिसके कारण वह सदमे में थी।"
गुरुनूर बोलते हुए रुक गई। सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे ध्यान से उसकी तरफ देख रहा था। गुरुनूर ने आगे कहा,
"अहाना के गुनहगार की हत्या हो गई है। हत्या गला दबाकर की गई है। उसकी लाश मेरठ दिल्ली हाइवे पर झाड़ियों के पीछे मिली है।"
सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे यह सुनकर मन ही मन अहाना के अपहरण और उसके गुनहगार की हत्या के बीच संबंध खोजने लगा। उसने कहा,
"मैडम अहाना के अपहरण और उस आदमी की हत्या के बीच सीधे सीधे तो कोई संबंध नहीं दिख रहा है।"
गुरुनूर ने कहा,
"हत्या में चौंकाने वाली बात है कि उस आदमी को मारने के बाद उसका गुप्तांग काट दिया गया था। हत्या शायद बलात्कार का बदला लेने के लिहाज़ से की गई थी। इंस्पेक्टर कैलाश जोशी का कहना है कि यह काम अहाना के पिता का नहीं है।"
जो कुछ गुरुनूर ने बताया वह आश्चर्यजनक था। लेकिन सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे अभी भी इस सबको दीपांकर दास से जोड़ नहीं पा रहा था। उसने कहा,
"मैडम मैं इन सबमें दीपांकर दास का संबंध नहीं ढूंढ़ पा रहा हूँ। अहाना का पिता उसे दीपांकर दास के पास लेकर आया था। लेकिन उसका अपहरण पालमगढ़ में हुआ था। फिर उसके गुनाहगार की हत्या को दीपांकर दास से कैसे जोड़ सकते हैं। यदि हत्या बलात्कार का बदला लेने के लिए हुई थी तो दीपांकर दास का उससे क्या संबंध है। हाँ अहाना के पिता का हो सकता था। दूसरी बात यह कि दक्षिण पहाड़ वाले जंगल की तरफ जाते हुए शांति कुटीर पड़ता है, यह भी दीपांकर दास को इन सबसे नहीं जोड़ सकता। उस रास्ते में तो और भी ना जाने कितने लोगों के घर हैं।"
अपनी बात कहकर सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे गुरुनूर की तरफ देखने लगा। गुरुनूर कुछ ठहर कर बोली,
"आकाश तुम्हारी दलीलें सही हैं। अभी हमारे पास दीपंकर दास को इस मामले से जोड़ने के लिए कोई सबूत नहीं हैं। लेकिन मेरा मन कहता है कि दीपांकर दास ही इस सबके पीछे है। पहले की तरह इस बार मैं अपने मन की आवाज़ को दबाऊँगी नहीं। मुझे लगता है कि दीपांकर दास के बारे में गहराई से जांच की जानी बहुत ज़रूरी है। दीपांकर दास के पिछले जीवन में कुछ ऐसा है जिससे वह यह सब कर रहा है। मैं इस दीपांकर दास का इतिहास पता करती हूँ।"
सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे को उसकी बात सही लगी। उसने कहा,
"आप दीपांकर दास का इतिहास पता करने की कोशिश कीजिए। तब तक मैं सर्च टीम भेज कर सारे जंगलों की कांबिंग कराता हूंँ। शायद लाश मिल जाए।"
गुरुनूर ने उसे जल्दी ही लाश की तलाश करने को कहा। सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे के जाने के बाद गुरुनूर सोचने लगी कि किस तरह दीपांकर दास की किताब के पिछले अध्याय पढ़े जाएं।