Rupaye, Pad aur Bali - 6 in Hindi Detective stories by S Bhagyam Sharma books and stories PDF | रुपये, पद और बलि - 6

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रुपये, पद और बलि - 6

अध्याय 6

"क्या बोल रहे हो प्रधान जी ? चौंकाने वाली बात ?"

"हां... आज सुबह मुझे एक लेटर मिला... एक-एक करके इस लेटर को तुम लोग पढ़ के देखो। उसके पहले मैं अपनी प्यास को बुझाता हूं।" अपने शर्ट की जेब में जो लेटर था उसे निकाल कर देकर – तिपाई पर जो व्हिस्की की बोतल थी उसके ढक्कन को खोल कर रामभद्रन एक गिलास में डालकर सोफे पर आराम से बैठकर पीने लगे।

दो घूंट पीने के बाद - 5 लोगों ने उस पत्र को पढ़कर - पांचों का चेहरा सफेद पड़ गया।

"क्या...? सब ने पढ़ लिया?"

"हां.. हां..."

"फिर क्या बोलते हो ?"

"इसी ने माणिकराज को मारा क्या ?"

"वही है। मद्रास सेंट्रल स्टेशन पर सुबह के समय कितनी भीड़ होती है - कितने साहस के साथ माणिकराज को खत्म कर दिया तो वह कैसा आदमी होगा ! थोड़ा सोच कर देखो...."

"इस पत्र को देखकर हमें डर जाना चाहिए प्रधान जी ?"

"मुझे कुछ नहीं है। तुम पांच जनों को मंत्री पद देने के लिए मैंने पहले ही वादा किया है। उस वादे के अनुसार मिनिस्टर की पोस्ट मैं तुम्हें दे देता हूं। कल कोई असंभावित घटना घटे तो मुझे दोष मत देना। सोचिए।"

कमरे में एकदम शांति हो गई।

एक मिनट के बाद रामभद्रन ने पूछा "आप सब क्या बोल रहे हो?"

"मुझे मिनिस्टर की पोस्ट नहीं चाहिए प्रधान जी !" कारमेघवनं बोले।

"मुझे भी नहीं चाहिए...." अंबई अरगमुथु बोले।

"मुझे 6 महीने हो जाने दो" - कुमार देवन।

"मुझे भी 6 महीने होने दो" अमृता प्रियन।

कौशल राम ने स्पष्ट बोला "मुझे मिनिस्टर पद चाहिए।"

प्रधान जी रामभद्रन आश्चर्य से कौशल राम को देखा। "क्या बात है कौशल्या! सोच के ही बोल रहे हो क्या ? या बिना सोचे बोल रहे हो?"

"सोचकर ही बोल रहा हूं ! मुझे मंत्री पद चाहिए।"

"इस पत्र को तुमने पूरा पढ़ कर देखा ?"

"पढ़ कर देखा। ऐसे धमकी वाले पत्र से डर जाएं तो राजनीति में कैसे काम करेंगे प्रधान जी ! मुझे आप मिनिस्टर पोस्ट दे दीजिए। कौन मेरी जान लेता है मैं देख लेता हूं...."

"माणिकराज के ऐसे लापरवाह रहने से ही सेंट्रल स्टेशन में सैकड़ों लोगों के बीच उसे जान से हाथ धोना पड़ा। माणिकराज कितना बड़ा खिलाड़ी है तुम्हें भी पता है।"

"उन्होंने धोखा खाकर अपनी जान दी ‌। किसी की भी धमकी मेरे ऊपर कुछ नहीं कर सकती।"

"विपत्ति को पैसे देकर मत बुलाओ कौशल राम। यह धमकी इस पत्र में सिर्फ तुम पांचों के लिए ही लिखा है । तुम पांचो कुछ दिनों के लिए अलग रहो। पुलिस उसे ढूंढने के लिए पूरे जोर-शोर से उतरी है उसके पकड़ते ही मैं तुम्हें मंत्री पद दे दूंगा।"

"आप मुझे माफ करो प्रधान जी ! मुझे पद चाहिए.." कौशल राम जिद्द करके बोलने पर राम भद्रन ने सर हिलाया।

"बाद में कोई परेशानी हो तो मुझे मत कहना !"

"ठीक है प्रधान जी।"

"माणिकराज की हत्या को हमें राजनीतिक ढंग से कैसे काम में लेना चाहिए ? हमेशा की तरह विरोधी पार्टी पर इल्जाम लगा दें?"

"प्रधान जी ! मैं एक योजना बताऊं क्या?"

"बोलो अरकमुथु। इसीलिए तो बैठे हैं।"

"माणिकराज के विरोध में खड़े विरोधी पार्टी के आदमी को इस केस से संबंधित करके... अंदर डाल दें...?"

"उसके लिए सबूत चाहिए....!"

"अब दो दिन में आप शपथ लेने वाले हैं। सबूत की कोई कमी है क्या ? पुलिस को बुलाकर थोड़ा मंत्र बता दो।"

रामभद्रन के पी.ए. ने झांक कर देखा।

"क्या बात है...?"

"टी.वी. की तरफ से आदमी आए हैं।"

"किसलिए.… ?"

"नए मंत्रिमंडल के बारे में आपसे बात करके एक इंटरव्यू को टेलीकास्ट करना है...."

"कितने दिन हो गए इस रामभद्रन को टी.वी. वालों ने देखा ही नहीं आज कैमरे को उठा कर आ गए ? उन्हें अंदर भेजो!"

"पी.ए. बाहर चलें गए। दूसरे ही मिनट कैमरा लेकर टीवी वाले दो लोग आ गए।

"नमस्कार सर..."

"आइए...."

"एक छोटा दस मिनट का इंटरव्यू सर.... न्यूज़ के बीच में टैली कास्ट करना है..."

"बोलो.... क्या पूछने वाले हो ?"

कैमरा उनके पास लगाकर दूसरा आदमी उनके मुंह पर लाइट डाला। कैमरा - चलने लगा तो रामभद्रन के मुंह के सामने माइक को रखा।

"इस सफल जीत का कारण आप किसको मानते हैं ?"

"हमारे पार्टी को वोट देने वाले लोगों को ।" सब लोग हंसने लगे - प्रश्न पूछने वाले टी.वी. के आदमी का चेहरा काला पड़ गया। वे भी हंसते हुए दूसरे प्रश्न की तरफ गए।

"शपथ लेकर पहला कौन सा काम करोगे ?"

"सभी एम.एल.ए. लोगों का इंश्योरेंस करा दूंगा। विधानसभा में एम.एल.ए. एक-दूसरे से मारपीट करके किसी की हत्या हो जाए तो उसे एक लाख की मदद करने की भी सोच रहा हूं...."

"जनता के लिए क्या करोगे ?"

"उनके लिए तो मैं अपनी जान भी दे दूंगा।"

उनके सामने बैठे पांचों लोगों ने जोर से तालियां बजाई।

"मतदान के समय जो वादा किया था वह पूरा करोगे ?"

"किस-किस ने कौन-कौन से वादे किए उनका हिसाब देख - उन वादों को पूरा करने के लिए एक वादा पूरा करने की संस्था खोलेंगे। उस वादा पूरा करने की संस्था का प्रधान जिसने ज्यादा वादा किया है उसी को बनाएंगे.... यह वादा निभाने वाली संस्था हमारे भारत के तमिलनाडु में पहली संस्था होगी | हमें इसे बताते हुए अपार हर्ष और गर्व हो रहा है...."

"आपके मंत्रिमंडल में कुल कितने लोग होंगे ?"

"कुल ग्यारह जने होंगे..."

"कौन-कौन होगा आपने फैसला कर लिया ?"

"धीरज रखिए पता चल जाएगा।"

"विपक्षी पार्टी के एम.एल.ए. आए तो आप उन्हें अपने में मिला लोगे ?"

"उनकी आरती उतारकर अपने में मिला लेंगे।"

"आपके पार्टी के बड़े कार्यकर्ता की हत्या के बारे में क्या कहोगे ?"

"तमिलनाडु के लिए बहुत बड़ी क्षति है.... माणिकराज मेरा दाहिना हाथ था - उस हाथ को मैंने खो दिया।"

टी.वी. का आदमी प्रश्नों को पूछता रहा - रामभद्रन व्हिस्की के नशे में कुछ तो बक रहे थे।

उस रात 11 बजे,

कौशल राम का घर पिछले 15 वर्षों की राजनीति जीवन के कारण बंगले में बदल गया । बदले हुए कंपाउंड गेट के बाहर नेपाली गोरखा था। जिसके हाथ में लोड किया हुआ राइफल था।

कौशल्या का कार पास में आकर हॉर्न बजाया। गोरखा गेट खोला। "साहब" कह कर सलाम किया।

कार पॉटिको जाकर खड़ी हुई।

"बहादुर ! पोर्टिको में जरा आओ ।"

"आया साहब...."

कार के पीछे ही दौड़ा।

कार जब खड़ी हुई तो कौशल राम-डगमगाते कदमों से उतरे।

"बहादुर !"

"साहब...."

"और कुछ दिन तुम्हें बहुत ध्यान से रहना होगा।"

"साहब..."

"कोई मेरी हत्या की योजना बना रहा है... मुझे धमकी मिली । तुम्हें किसी पर संदेह हो तो तुम उसे गोली मार देना। भले कोई भी हो वह मरेगा तो मैं देख लूंगा।"

"हां साहब...."

"कोई भी कार अंदर आए तो उसकी अच्छी तरह तलाशी लेकर फिर अंदर छोड़ो।"

"हां साहब..."

"रात के समय मत सोना.... बंगले के चारों तरफ पहरा दो... अपनी मदद के लिए चाहिए तो माली वैलू को बुला लो...."

उसने सिर हिलाया - कौशल राम बंगले के अंदर घुसे। उनकी पत्नी नीलावती नींद खराब हुए आंखों से इंतजार कर रही थी।

"क्यों जी क्यों इतनी देर हुई ?"

"माणिकराज के दाह संस्कार होने के बाद आया हूं..."

"नहाए क्या ?"

"एम.एल.ए. हॉस्टल में ही नहा लिया।"

"अच्छा... उस गोरखा से क्या बात कर रहे थे।"

"माणिकराज जैसे मेरी गति ना हो इसलिए मैं उसे चेतावनी दे रहा था !"

कहते हुए उनके बेडरूम में घुसते समय - हॉल के कोने में तिपाई पर रखें टेलीफ़ोन ने मुंह खोला।

"नीला वह कौन है तुम जाकर देखो ?"

नीलावती ने जल्दी-जल्दी जाकर रिसीवर को उठाया।

"हेलो...."

"कौशल राम है क्या ?"

"आप कौन बोल रहे हैं ?"

दूसरी तरफ से जवाब ना देकर व्यंग्य से पूछा "आप मिसेस कौशल राम है क्या?"

"हां..."

"आपकी शादी हुए कितने साल हो गए ?"

"सोलह साल...."

"सोलह साल से आप सुहागिन हैं अब दो दिन में आप विधवा होने वाली हो।"

*******