अध्याय 5
रामभद्रन पसीने से तरबतर होते हुए उस लिफाफे को खोला। उसमें से एक लंबा लेटर टाइप किया हुआ निकला। वे पढ़ने लगे।
'एक हफ्ते में मुख्यमंत्री बनने वाले रामभद्रन को मेरा नमस्कार !
तमिलनाडु में कोई भी एक पार्टी जीतकर आती है - तो वहां की जनता के लिए अच्छा काम करेंगे ऐसा उनसे अपेक्षा करते हैं यह साधारण सी बात है। इस बार आप जीत कर आए हो।'
तमिलनाडु की जनता की तरफ से मैं जो मांग कर रहा हूं आप अच्छे काम करिएगा। भ्रष्टाचारियों को मंत्री पद मत दीजिएगा । माणिकराज के बारे में आपको मालूम है, वे एक भ्रष्टाचारी समुदाय के थे। उन्होंने बेनामी जमीन के नाम से बहुत पैसा, जमीन-जायदाद इकट्ठा किया था। तमिलनाडु के सभी शहरों में उनका 'अपना घर' था। मंत्री का पद बहुत पवित्र है। उस पद पर चाहे जो नहीं आ सकता। जो सेवा करने वाले है वे ही मंत्री पद के लायक हैं ना की पैसे कमाने वालों के लिए ।
इसलिए जिसमें ये योग्यता है उन्हीं को देखकर ही आप उनको पद दीजिए। अभी आपकी पार्टी में जीत कर आए कई लोग इस पद के लायक नहीं हैं। उनके नामों को मैंने नीचे दिया है।
कारमेग वणंनन
कुमार देवन
अंबैय अगरमुथु
कौशल्या रामन
अमृता प्रियम
इनमें से किसी को भी आप मंत्री का पद नहीं दोगे, इसके बावजूद दोगे तो - मैं उन्हें अमरत्व की पदवी दे दूंगा। यह बात मैं मजाक में नहीं कह रहा हूं सच कह रहा हूं। माणिकराज की जो गति हुई वह औरों की नहीं होनी चाहिए - मेरे निवेदन पर कान दीजिए। नहीं तो यमदेव के काम को मुझे करना पड़ेगा।'
पत्र यहां से खत्म हो गया। रामभद्रन उस पत्र को तीन बार पढ़ कर देख कर - रिसीवर को लेकर पुलिस को फोन लगाया ।
अगले दस मिनट में - इंस्पेक्टर गुणशेखर और सब इंस्पेक्टर देवराज दोनों रामभद्रन के सामने आकर बैठे। उस पत्र को पलट-पलट कर दोनों ने देखा।
गुणशेखर ने पूछा "आपसे फोन पर बात करने वाले की आवाज आपके जानने वालों जैसे लगी क्या सर?"
"नहीं.... वह आवाज अभी तक मैंने कभी नहीं सुनी थी।
"वह बात कर रहे थे तभी टेलीफोन बूथ से बात करते समय - एक दूसरे टेलीफोन के द्वारा - एक्सचेंज को कांटेक्ट करके ट्रेस आउट कर सकते थे... "
"उसके लिए उसने समय न देकर तुरंत रिसीवर को रख दिया।"
सब इंस्पेक्टर देवराज अपने दाढ़ी को खुजाते हुए - रामभद्रन को देखा।
"पत्र को पढ़ते समय - लेटर को लिखने वाला एक एजुकेटेड पर्सन है ऐसा लगता है।"
"हो सकता है बिना नौकरी के कोई पढ़ा-लिखा आदमी होगा ऐसा लगता है।"
रामभद्रन बोले।
"इस पत्र में जिन लोगों का नाम उल्लेख किया है उन को मंत्री पद बिना दिए ही रहना पड़ेगा।"
"वह तो एक डरपोक का काम होगा सर।"
"रिस्क लेने में मुझे डर लगता है.... इंस्पेक्टर ! माणिकराज की हत्या से मैं आहत हूं।"
"आपको फिक्र करने की जरूरत नहीं है सर.... हत्यारा कैसा भी हो हम उसे पकड़ लेंगे। माणिकराज की हत्या हुई तब सेंट्रल स्टेशन के एक पोर्टर ने हत्यारे को देखा था। रेलवे के इंस्पेक्टर के पूछताछ से पता चला की हत्यारा वॉल टैक्स रोड के ऑटो स्टैंड पर खड़े - एक ऑटो में चढ़कर पैरिस कॉर्नर अरेमनैय कारन्त के गली में उतर गया । अभी तक उस गली में जितने लॉज हैं उसमें पूछताछ हो रही है हत्यारा किसी भी क्षण पकड़ में आ जाएगा।"
"मुझे विश्वास नहीं है इंस्पेक्टर। इतनी आसानी से वह पकड़ में आ जाएगा मुझे नहीं लगता।"
"और दो दिन में हम एक अच्छे समाचार के साथ आएंगे सर...."
ऐसा कहकर इंस्पेक्टर गुणशेखर, सब इंस्पेक्टर देवराज दोनों उठे। सेल्यूट करके उन दोनों के जाते ही - रामभद्रन महफिल से रिसीवर को उठाकर होटल कांची को डायल किया।
रूम नंबर 501 मांगा तो मिल गया ।
"हेलो कौशल्या रामन ?"
"नमस्कार प्रधान जी...."
जवाब में नमस्कार किए बिना ही - "रूम में अभी कौन-कौन हो ?" उन्होंने पूछा।
"क्यों प्रधान जी ?"
"जो पूछा उसका जवाब दो"
"मैं अबैई.... अरकमुथु ..."
कार्मिका वेनन, कुमार देवन और अमृता प्रीयन किस होटल में ठहरे हैं मालूम है ?"
"वे मद्रास आते हैं.... तो मॉरीशस में ही ठहरते हैं प्रधान जी ! क्यों क्या बात है प्रधान जी?"
"अभी.... मैंने जिन लोगों का नाम बोला उनसे मिलकर बात करनी है। मेरे घर आ जाओ।"
"ठीक है प्रधान जी।"
रिसीवर को रखकर --
किसी सोच में पड़कर रामभद्रन अपने गाल को खुजाने लगे।
ठीक एक घंटे बाद --
बंद किए हुए एयर कंडीशन कमरे के अंदर --कुशन की कुर्सियों में वे पांच जने बैठे - उनके सामने रामभद्रन फिक्र के चेहरे के साथ दिखें।
"हमें क्यों बुलाया प्रधान जी ?" कार मेघगवनंन के उत्सुकता से पूछते ही कुमार देवन में सोने लगे हुए दाढ़ को दिखाते हुए हंसा।
"प्रधान जी क्यों बुलाएंगे...? मंत्रिमंडल के बारे में बात करने के लिए ही...."
रामभद्रन धीमी आवाज में बोले।
"तुम पांच लोगों के लिए एक चौकाने वाली बात है।"
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