Ek Ladki - 20 in Hindi Love Stories by Radha books and stories PDF | एक लड़की - 20

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एक लड़की - 20

अगले दिन.....!
सुबह के 7 बज चुके थे और पंछी अभी भी सोयी हुई थी हमेशा की तरह आज भी झील उसे उठाने आती है और कहती हैं- पंछी, अब तो उठ जा ! कॉलेज के लिए लेट हो जाएगी ।
पंछी - हा दी !!!
झील - अब जल्दी से उठ जा , मैं वापस तुझे उठाने नहीं आउंगी ( जाते हुए कहती हैं। )
पंछी -हम्म, दी !
उसके कुछ देर बाद पंछी उठ कर कॉलेज के लिए तैयार होकर रूम से बाहर आकर कहती है - मैं कॉलेज जा रही हु। उसकी माँ रसोई घर में से ही आवाज़ लगाती हैं - पंछी , जाने से पहले कुछ खा ले।
पंछी - नहीं, मम्मा! मैं लेट हो जाउंगी। वो फिर से कहती है - तू वही रुक, मैं आती हु। उसकी माँ रसोई घर से एक प्लेट में पोहे लेकर आती हैं और पंछी को देकर कहती हैं - इसे जल्दी से खा कर चली जा। पंछी भी कुछ नहीं बोल पाती हैं और वही बैठ कर खाने लगती हैं। जल्दी जल्दी से खत्म करके सभी को good bye बोल कर जाने लगती हैं। घर से बाहर निकल कर देखती हैं कि सामने ही हर्ष अपनी कार का सहारा लेकर खड़ा हुआ था और फ़ोन चला रहा था। पंछी आवाज़ लगाती हैं - हर्ष, तुम कब आये ? हर्ष अपनी नजरे उठा कर हल्की सी मुस्कान के साथ कहता है - अभी आया ही हूँ।
पंछी - अंदर आ जाते ?
हर्ष - कोई नहीं, मैं तो ऐसे ही बाहर रुक गया था। चलो ! अब लेट हो रहे हैं ।
पंछी - हाँ, हाँ ! चलते हैं।
दोनो कार में बैठ कर कॉलेज की ओर बढ़ते हैं। कॉलेज पहुँच कर हर्ष कार पार्क करने चला जाता है और पंछी क्लेस की ओर बढ़ती है। रास्ते में सीढियो पर ऋषि बैठा हुआ था उसे देख पंछी कहती है - good morning.
ऋषि पंछी की और देख खड़ा हो कर कहता है good morning.
और फिर कहता है पंछी ! कितना समय हो गया है तुम्हे देखे, अब जाके दिखी हो।
पंछी - कल ही तो नही मील थे वरना तो रोज ही मिलते हैं।
ऋषि - मुझे तो एक दिन ही बहुत बड़ा लगने लगता है।
पंछी - तुम भी ना .....। वैसे यहाँ क्या कर रहे हो। क्लास के लिए लेट नही हो रहे हो तुम ?
ऋषि - लेट तो हो रहा हूँ लेकिन मैं तुम्हारा ही वैट कर रहा था।
पंछी- तो फिर मैं आ गयी , अब चले।
ऋषि - चलो फिर ! दोनों क्लास की ओर जाते हैं हर्ष भी अपनी कार पार्क करके क्लास में आता है और देखता है कि लास्ट बैंच पर ऋषि और पंछी बैठे हुए थे और हँसते हुए बातें कर रहे थे। उन्हें नज़र अंदाज़ करके हर्ष उनके पास वाली खाली बेंच पर जाकर बैठ जाता हैं कुछ देर बाद टीचर आते हैं और पढ़ाने लगते हैं। हर्ष अपनी नोट बुक निकाल कर 6लास्ट पेज में कुछ लिखने लगता है वो लिखता है - ' second day = last day और लास्ट लाइन में 🙂 /😞 बनाता है। तभी पंछी की नज़र हर्ष पर पड़ती है और उसे कुछ लिखता हुआ देख उसके पास आकर बैठ जाती है और कहती हैं - क्या लिख रहे हो ?
हर्ष जल्दी से अपनी नोट बुक को बंद कर कहता है - कुछ नहीं।
पंछी -बता भी दो।
हर्ष - कुछ खास नही है।
पंछी - फिर भी !
हर्ष - नहीं, रहने दो !
पंछी को समझ नही आता कि हर्ष ऐसे क्यों कर रहा है लेकिन बाद में वो इस बात को नजरअंदाज कर देती है। कुछ समय बाद क्लास खत्म होती है सभी बाहर जाने लगते हैं पंछी ऋषि की तरफ देख कहती है - चले ?
ऋषि - ह्म्म्म !
पंछी हर्ष की तरफ देखती है वहाँ हर्ष नही था वो पहले ही जा चुका था। अचानक से पंछी की नज़र पास ही रखी हर्ष की नोट बुक पर पड़ती है हर्ष अपनी नोट बुक वही भूल गया था पंछी उसे लेती हैं और खोल कर देखती हैं वो लास्ट पेज खोलती हैं जिसमे second day = last day लिखा हुआ था जिससे उसे कुछ समझ नहीं आता है फिर वो पेज के एण्ड में देखती है जिसे देख उसे समझ आता है की आज दूसरा दिन है और ये ही लास्ट दिन भी है जब पंछी उसके साथ रहेगी और उन ईमोजी का मतलब था कि ये दिन अच्छा होगा या बुरा। पंछी ऋषि को कहती है - ऋषि , हम बाद में मिलते हैं।
ऋषि - ठीक है।
पंछी क्लास से बाहर निकलती हैं और हर्ष को ढूंढने लगती है वो हर्ष को हर जगह ढूंढती ह लेकिन वो कही नहीं मिलता । लास्ट में वो कॉलेज की छत पर जाती है वहाँ जाकर देखती है कि हर्ष वही बैठा हुआ था पंछी चुप चाप उसके पास जाकर बैठ जाती हैं कुछ देर बाद बैठे रहने के बाद देखती हैं कि हर्ष उसकी तरफ देख भी नही रहा था और न ही कुछ ङोल रहा था इसलिये वो कहती है - कैसे हो ?
हर्ष - ठीक हु, मुझे क्या हुआ है।
पंछी - तो यहाँ अकेले क्यों बैठे हो ?
हर्ष उसकी ओर देख कहता है - अकेला कहा हु , तुम हो ना ।
पंछी - तो इतनी देर से में यही हु तुम कुछ बोल क्यों नहीं रहे हो?
हर्ष पंछी से नज़र हटा कर सामने देख कर कहता है - बोलने को कुछ है ही नही।
पंछी - तुम मुझसे नाराज़ हो ?
हर्ष - नही मैं क्यों नाराज़ होऊंगा।
पंछी - मुझे लग रहा है कि तुम मुझसे नाराज़ हो।
हर्ष - नही! मैं क्यों नाराज़ होऊंगा । मेरा अकेला रहने का मन कर रहा था इसलिए यहाँ आ गया।
पंछी - ठीक है। अब चले !
हर्ष - कहाँ ?
पंछी - बाहर!
हर्ष - बाहर कहाँ ?
पंछी - कॉलेज से बाहर कही घूमने।
हर्ष - थोड़ी देर में अगली क्लास लगने वाली है।
पंछी - क्लास तो रोज ही लेते हैं आज कहि ओर चलते हैं।
हर्ष - नही मेरा मन नही है ।
पंछी - मन तो बन जायेगा, एक बार चलो तो सही! ( हर्ष को हाथ पकड़ कर उठाते हुए ) ।
हर्ष - नही , पंछी! रहने दो।
पंछी - क्यों! कोई प्रॉब्लम है क्या ?
हर्ष - नही ।
पंछी - तो तुम सच में मुझसे नाराज़ हो।
हर्ष - नहीं।
पंछी - तो फिर चलो।
हर्ष - ठीक है चलो। तभी अगली क्लास की घंटी लगती है पंछी हर्ष को हाथ से पकड़ कर नीचे ले आती है और दोनों सभी से छिपते छुपाते कॉलेज के पीछे जाते हैं। जहाँ एक दीवार को पार करके दूसरी और रोड़ पर निकल सकते थे।
पंछी कहती है - कॉलेज के गेट तो जा नहीं सकते। हम इस दीवार को कूद कर बाहर चलेंगें।
दीवार को देख हर्ष पंछी की ओर देख कर आश्चर्य से कहता है - पंछी , मैं तो यहाँ से निकल जाऊंगा लेकिन तुम इस दीवार को कैसे पार करोगी ?
पंछी - तुम कहना क्या चाहते हो कि मैं इस दीवार को पार नहीं कर सकती। ?
हर्ष - नहीं , नही कर सकती।
पंछी दीवार की ओर बढ़ते हुए - मैं कर सकती हु।
हर्ष - तुम अपने हाथ-पैर क्यों तोड़ना चाहती हो , वापस अंदर चलो।

पंछी - अरे !!!!! मैं पार कर लुंगी। तुम भी तो कर सकते हो तो मैं क्यों नहीं कर सकती।
हर्ष - क्योंकि मैं तो बहुत बार यहाँ से जा चुका हूं इसलिए आराम से निकल जाऊंगा।
पंछी - ठीक है जैसे तुम जाओगे वैसे ही मैं भी निकल जाउंगी।
हर्ष - तुमसे नही होगा। रुको! मैं कुछ करता हूँ।
हर्ष अपनी नज़रे इधर उधर घूमाता है उसे कुछ दूर कुछ इंटें दिखाई देती हैं वो उन्हें लाकर एक के ऊपर एक रख कर जमा देता है।
पंछी - ये हुई ना बात ! अब मैं जा सकती हूं।
पंछी उन इंटों पर पेर रख दीवार तक पहुँच चुकी थी इसलिए वो दीवार पर चढ़ जाती है जिसमे हर्ष भी उसकी हेल्प करता है। दोनों दीवार पर चढ़ जाते हैं।
फिर हर्ष पंछी को चिढ़ाते हुए बाहर की ओर कूदने को बोलता है क्योंकि वो जानता था कि वो बहुत ऊचाई पर है और पंछी घबरा रही है।
हर्ष दुबारा कहता है - पंछी कूद जाओ
पंछी - ऐसे कैसे कूद जाऊ, बहुत नीचा है।
हर्ष - यहाँ से निकलने के लिए कूदना तो पड़ेगा।
पंछी हर्ष की देख कर - लेकिन मुझे डर लग रहा है।
हर्ष - तो फिर वापिस चले।
पंछी - नही हम बाहर चलेंगे ।
हर्ष - ठीक है! मैं नीचे जाता हूँ और बाद में मैं तुम्हारी हेल्प कर दूंगा। हर्ष ने ऐसे बोला ही था जितने मैं पंछी कूद जाती है। जिसकी वजह से उसके पैर में दर्द होने लगता है हर्ष जल्दी से नीचे आता है और कहता है - पागल हो क्या ? ऐसे क्यों कूद गयी। बोला था ना कि पहले मुझे जाने दो।
पंछी - मैने सुना ही नही था इसलिए कूद गई।
हर्ष - और तुम्हारे चोट लग गयी। पूरी बात तो सुनती नही हो और फिर मनमानी करती हो।
पंछी - सॉरी!!!! कुछ देर तक जहाँ दर्द हो रहा था वहाँ से दबाने पर ठीक हो जाता हैं।
पंछी कहती हैं - अब ठीक है, चले।
हर्ष - अगली बार ऐसी कोई हरकत मत करना।
पंछी - क्यों?
हर्ष - इस बार गहरी चोट नही आयी है पर अगली बार का भरोसा नही है।
पंछी - ठीक है सा! आज के बाद कभी नहीं कुदूँगी , अब चले।
हर्ष - ठीक है।
हर्ष को याद आता है कि उसकी कार तो अंदर ही रह गयी है। वो कहता हैं - पंछी ,मेरी कार तो अंदर ही रह गयी है।
पंछी - अच्छी बात है आज हम पैदल ही घूमेंगे।
हर्ष - टैक्सी कर लेंगे।
पंछी - नही , पैदल में मज़ा आएगा।
हर्ष - ठीक है।
पंछी - अब जल्दी से चलो हमें यहाँ कोई देख लेगा।
और दोनों दौड़ते हुए कॉलेज से दूर चले जाते हैं दूर जाने के बाद दोनों हाँफते हुए रुकते हैं और एक दूसरे की ओर देख कर जोर जोर से हँसने लगते हैं कुछ पल में पंछी की नज़र हर्ष पर पड़ती है हर्ष को हँसते देख पंछी को बहुत अच्छा लगता है और वो मुस्कुराने लगती है। पंछी को अपनी ओर देखता देख हर्ष कहता है - क्या हुआ ?
पंछी - कुछ नहीं।
हर्ष -तुम क्या देख रही हो ?
पंछी - कुछ नहीं।
हर्ष - तो फिर चले! घूमने।
पंछी हल्की सी मुस्कान के साथ कहती हैं - हां।
और दोनों आगे बढ़ते हैं।