Monster the risky love - 4 in Hindi Horror Stories by Pooja Singh books and stories PDF | दानव द रिस्की लव - 4

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दानव द रिस्की लव - 4

" अब मैं आजाद हूं उबांक ...अब फिर होगा गामाक्ष का कहर ..."
" लेकिन दानव राज आप तो बहुत कमजोर हो गये हैं इतने सालो यहां कैद होने से .."
" हां उबांक जो बरसो पहले आदिनाथ ने मेरे साथ किया था उसका बदला उसके बच्चों से लूंगा ..."
"..दानव राज आप कैसे बदला लेंगे वो देविका अपने बच्चों को भी सुरक्षा यंत्र से बांध लेगी ..."
" डरो नहीं उबांक मैं पहले ही सब जान चुका हूं इसलिए उसकी बेटी को यहां तक ले आया था ...क्यूंकि अब शुरू होगा मेरा प्रेम और प्रेत जाल ....उबांक अब तुम भी एक सुंदर तोता बन जाओ ..'
" जी दानवा राज .."
इतना कहकर गामाक्ष जोरो से हंसने लगता है ..जो भी उसकी हंसी सुन ले दिल डर से कांप उठे ...!
...पूजा स्थल ....
रमन : काकी ये रही अदित ....!
देविका : कहां थी ये रमन ...?
रमन : काकी ये पूराने किले की तरफ से आ रही थी ...!
देविका : क्या ...तू वहां क्यूं गयी ...?
अदिति : पता नहीं मां मैं वहां कैसे पहुंच गई..?
देविका : क्या ...?...पुरोहित जी जल्दी पूजा शुरु कीजिए ..
पता नहीं कैसे इसे खिंच लिया उसनेे अपनी तरफ ..मैं अपने पति को तो खो चुकी हूं अब अपने बच्चों को नहीं खोना चाहती ...(रोने लगती है )...!
आदित्य : मां ..तुम क्या बोल रही हो (आदित्य की बात काटते हुए कहती है )
देविका : कुछ नही .तुम कुछ मत सोचो .....अमोघनाथ जी जल्दी सुरक्षा घेरा पूजा कीजिए .....!
अमोघनाथ : देविका डरो नहीं ..तुम्हारे बच्चों को कुछ नहीं होगा ...यहां बैठो तुम दोनों ...!
....सुरक्षा घेरा पूजा की शुरुआत होती है यज्ञ की अग्नि जलाकर मंत्रो को अमोघनाथ जी बोलना शुरु करते हैं ...
मंत्रो को समाप्त करके काले धागे में एक चमत्कारिक ताबीज बांधकर देविका को देते है .....!
अमोघनाथ : लो देविका ...इसे अपने बच्चों के गले में बांध दो ...इस सुरक्षा कवच को वो नहीं भेद पाऐगा ...पर ध्यान रहे.. इस यंत्र को दोनों में से कोई भी अपने से दूर न करें ..!
देविका : जी ...आदि , अदी तुम दोनों इसे पहन लो जल्दी है...!
अदिति : नहीं मां मैं ये नहीं पहनूंगी... सब हंसेंगे मुझ-पर ये क्या पहन लिया ..!
देविका : चुप रहो बिना सवाल किये इसे पहन लो समझी ..तुम्हारी भलाई के लिए है ...!
आदित्य : अदिति पहन लो इसे मां कह रही है हमारी भलाई के लिए है तो पहनो ...!
अदिति : ठीक है भैय्या ...!
पूजा खत्म होती है सब अपने अपने घर की ओर चले जाते है ...!
देविका : आदि... अब तुम्हारी सुरक्षा घेरा पूजा हो चुकी है इसलिए कल शहर चले जाना ..!
आदित्य : पर मां इतनी जल्दी ...!
देविका : आदि ...सवाल मत करो और अब खाना खा कर सो जाओ , कल तुम दोनों को वापस जाना है ...!
आदित्य : जी मां ...!(देविका इतना कहकर चली जाती है )
अदिति तू किस सोच में खोई हुई हैं और ये बता तू पुराने किले पर कैसे पहुंच गई ...!
अदिति : भैय्या मैं भी वही सोच रही थी ...आपको पता हैं भैय्या उस पुराने किले में कोई राक्षस नहीं हैं ...!
आदित्य : क्या ...? फिर कौन हैं ..(अदिति पुराने किले की सारी घटना बता देती है )...अदिति शांत हो जाओ अब ..और ध्यान रहे ये बात किसी को मत बताना ...कल तो हम चले ही जाएंगे यहां से ...!
दोनों अगले दिन सबसे विदा लेकर घर से निकल जाते है तभी बीच रास्ते में उनकी कार से किसी का ऐक्सिडेंट हो जाता है ...!
अदिति : भैय्या चलो बाहर देखो कितनी चोट लगी है उसको.."
आदित्य : हां ..;
आदित्य जैसे ही उसको पलटता है अदिति बोल पड़ती है ..
अदिति : भैय्या ये तो वही हैं ...!
आदित्य : कौन ....?
.......क्रमशः.........