The Lost Man (Part 45) in Hindi Fiction Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | हारा हुआ आदमी (भाग 45)

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हारा हुआ आदमी (भाग 45)

शारीरिक सम्बन्धो में एकरसता होने पर भी पति पत्नी के सम्बंध नही टूटते।
लेकिन पश्चिम में ऐसा नही है।वहाँ सेक्स खेल है।मनोरंजन का साधन मात्र।वहा के लोग इसे मौज मस्ती का साधन मानते है।इसलिये शादी के बाद वे दूसरे से शारिरिक सम्बन्ध जोड़ने को बुरा नही मानते।तन का स्वाद बदलते है।वैसे भी शादी पश्चिम में जीवन भर का बंधन नही है।तलाक वहां आम बात है।
शादी के बाद सम्बन्धो में ठंडापन आ जाने पर बदलाव की चाहत होती है।विशेषत मर्द इसका ज्यादा इछुक होता है।
इस बात को काम कला के मर्मज्ञ वात्स्यान अच्छी तरह जानते थे।इसलिये उन्होंने औरतो को कुछ ज्ञान की बाते बतायी है।वे कहते है कि शारीरिक सम्बन्धो में नयापन बनाये रखने के लिए पत्नी को अपने शरीर के सारे राज पति के सामने एक ही बार मे नही खोल देने चाहिये।नवीनता बनाये रखने के लिए पत्नी को रोज बन ठन कर नए अंदाज में पति के सामने प्रस्तुत होना चाहिए।पत्नी अगर रोज नए अंदाज नए रूप में पति को लुभाती रहेगी तो दाम्पत्य सम्बन्ध में बासी पन ठंडा पन एकरसता नही आएगी।हमारे यहां सेक्स को उपेक्षित नज़रो से देखा जाता है।इसलिये कुंवारे लड़के लड़कियों को सेक्स की शिक्षा नही दी जाती।इसलिए उनका ज्ञान सेक्स के बारे में अधकचरा रह जाता है।यह अधकचरा ज्ञान भी सम्बन्धो में ठंडापन ला देता है।
इसलिए अगर अनजान या दूसरी औरत जाने अनजाने में मर्द के सम्पर्क में आ जाती है।उससे शारीरिक रिश्ता स्थापित हो जाता है।तो मर्द को नए स्वाद का एहसास होता है।पराई औरत पत्नी के मुकाबले बदसूरत हो,किसी भी उम्र की हो।लेकिन पराई औरत पत्नी से ज्यादा सूंदर,चुलबुली, आकर्षक और नई लगती है।उससे सेक्स में नयापन महसूस होता है।आनंद आता है।
देवेन के साथ भी ऐसा ही हुआ था।माया ने चालाकी और भय दिखाकर उसे उससे सम्बन्ध जोड़ने पर मजबूर कर दिया।तब देवेन को बहुत बुरा लगा था।उसे बहुत अखरा था।देवेन ने इसे पाप समझा था।
देवेन की कोई गलती नही थी।माया ने बड़ी चालाकी और शातिराना अंदाज में उसे अपने जाल में फंसाया था।फिर भी देवेन स्वंय को ही दोषी समझ रहा था।
पर आज माया के बारे में सोचने पर उसे निशा अपनी पत्नी बासी लगने लगी थी।माया की तरफ झुकाव का कारण निशा में आया बदलाव था।माँ बनने के बाद निशा के प्यार में पहले जैसी गर्मी और जोश नही रहा था।बेटे के जन्म के बाद निशा का ध्यान पति से ज्यादा बेटे पर था। कभी कभी देवेन सोचता।निशा ने उसे भुला सा दिया है।इसमें निशा का कोई दोष नही था।उसकी कोई गलती नही थी।पति की उपेक्षा करने का उसका कोई इरादा भी नही था।
पति के दैनिक कार्य और बेटे की देखभाल करते हुए निशा थक जाती थी।दिन भर काम मे व्यस्त रहने से उसके हाथ पैर जवाब दे देते थे।इसलिये वह अक्सर रात को पति के प्रणय निवेदन को ठुकरा देती थी।।कभी पति के ज्यादा जिद्द करने पर उसके साथ सोने के लिए तैयार हो भी जाती तो बेमन से।उसके प्यार में पहले जैसा जोश और गर्मी नही होती थी।
पत्नी के इस बदले व्यहार ने देवेन को माया के बारे में सोचने के लिए मजबूर कर दिया।जब वह उस जबरदस्ती के सेक्स के बारे में सोचता तो उसे नवीनता महसूस होती।