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पालमगढ़ पुलिस स्टेशन में हल्ला सा उठा था। दो लोग अपनी शिकायत लेकर थाने में आए थे। दोनों आपस में लड़ते हुए एक दूसरे पर आरोप लगा रहे थे। इस शोर-शराबे से गुस्सा होकर इंस्पेक्टर कमल जोशी ने डांटते हुए कहा,
"सबसे पहले तो तुम दोनों चुप हो जाओ। यह पुलिस स्टेशन है कोई मछली बाजार नहीं है। अगर शांत नहीं हुए तो दोनों को ही अंदर कर दूँगा।"
डांट सुनकर दोनों चुप हो गए। उसके बाद इंस्पेक्टर कैलाश जोशी ने अपने साथी इंस्पेक्टर से कहा कि वह उन दोनों की बात सुनकर मामला दर्ज करे। यह आदेश देकर वह अपनी सीट पर जाकर बैठ गया। उसे सब इंस्पेक्टर नंदकिशोर का इंतज़ार था। वह उस गाड़ी की डीटेल्स पता करने गया था जिसमें राजेंद्र के होने का अनुमान था। उस गाड़ी के मालिक का पता चलने पर अहाना के केस में आगे बढ़ने में सहायता मिल सकती थी। कुछ ही देर में सब इंस्पेक्टर नंदकिशोर उसके पास आया। उसके चेहरे से ऐसा लग रहा था कि कोई खास सफलता नहीं मिली थी। इंस्पेक्टर कैलाश जोशी ने पूछा,
"क्या खबर है नंदकिशोर ?"
सब इंस्पेक्टर नंदकिशोर ने जवाब दिया,
"सर उस गाड़ी पर नकली नंबर प्लेट थी। इसलिए उसके मालिक का पता नहीं चल सका। सर मैंने अहाना और राजेंद्र के डीटेल्स के साथ कुछ लोगों को रानीगंज भेजा है। उम्मीद है कि अच्छी खबर मिलनी चाहिए।"
"नंदकिशोर अपनी कोशिश जारी रखो। अमन का केस उसकी हत्या पर आकर समाप्त हुआ था। मुझे डर है कि कहीं अहाना के साथ भी कुछ ऐसा ना हुआ हो।"
सब इंस्पेक्टर नंदकिशोर ने कुछ सोचते हुए कहा,
"सर अमन की सरकटी लाश बसरपुर के जंगल में मिली थी। हो सकता है कि आपका डर सही हो। अहाना को भी उसी कातिल द्वारा अगवा कराया गया हो। मुझे तो यह एक रैकेट लगता है। जिसके तहत बच्चों को अगवा करके मारा गया है। आप एसपी गुरुनूर कौर से अहाना के केस के बारे में बात करिए। हो सकता है कि उन्हें अमन के केस में कोई सुराग मिला हो। उसके ज़रिए हमें भी आगे बढ़ने में मदद मिल सकती है।"
इंस्पेक्टर कैलाश जोशी ने कहा,
"मैंने उन्हें सिर्फ अहाना के गायब होने के बारे में बताया था। उसके बाद उनसे कोई संपर्क नहीं हुआ। मैं उनसे बात करके देखता हूंँ।"
अपना फोन लेकर वह गुरुनूर को फोन करने ही जा रहा था तभी मेरठ से इंस्पेक्टर बख्शी का फोन आ गया। इंस्पेक्टर बख्शी ने बताया कि जिस आदमी पर अहाना के साथ बलात्कार करने का आरोप था उसकी लाश मिली है। लाश मेरठ से दिल्ली जाने वाले हाईवे पर सड़क के किनारे लगी हुई झाड़ियों के पीछे मिली है। उसकी हत्या गला दबाकर की गई थी। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि उस आदमी के गुप्तांग को काट दिया गया था। हत्या किसने की इसका पता नहीं चल पाया है। जांच जारी है। एहितयात के तौर पर निशांत से पूछताछ की जा रही है।
इंस्पेक्टर बख्शी ने जो खबर दी थी वह बहुत महत्वपूर्ण थी। इंस्पेक्टर कैलाश जोशी को लग रहा था कि यह हत्या निशांत नहीं कर सकता है। अगर वह हत्या कर सकता तो उसने पहले ही अपनी बेटी के गुनाहगार को मार दिया होता। हत्या करके उस व्यक्ति का गुप्तांग काट दिया गया था। यह इस बात का इशारा था कि हत्या का कारण बलात्कार करने की सज़ा देना था। इंस्पेक्टर कैलाश जोशी ने सारी बात सब इंस्पेक्टर नंदकिशोर को बताकर कहा,
"हत्या के बाद गुप्तांग काट देने का मतलब तो यही निकलता है कि उसे बलात्कार करने की सज़ा दी गई है। लेकिन मुझे नहीं लगता है कि अहाना के पिता निशांत ने ऐसा किया होगा। उसने तो मेरे कहने से मामले की रिपोर्ट पुलिस में कर दी थी। उसके बाद ऐसा करने का कोई मतलब नहीं रह जाता। अब या तो उस व्यक्ति ने किसी और के साथ भी वैसा ही किया होगा जैसा उसने अहाना के साथ किया था। या फिर कोई और है जिसने अहाना की तरफ से बदला लिया है।"
"लेकिन सर अहाना की तरफ से उसके पिता के अलावा और कौन बदला लेगा। सर अहाना का गुनहगार बेल पर था। यह बात निशांत को अच्छी नहीं लगी होगी। इसलिए उसने ऐसा कदम उठा लिया।"
इंस्पेक्टर कैलाश जोशी ने कुछ सोचकर कहा,
"नंदकिशोर तुम भी निशांत से मिले थे। वह खुद डरा सहमा था। उसकी बेटी के साथ जो कुछ हुआ था उस पर वह बहुत दिनों तक चुप रहा था। बल्की उसको लेकर इतनी दूर बसरपुर आया था। उसे ध्यान की कोई तकनीक सिखाना चाहता था। मेरे समझाने पर वह बड़ी मुश्किल से अपनी बेटी के साथ हुए अन्याय की पुलिस में शिकायत करने को तैयार हुआ था। वह इस तरह हत्या नहीं कर सकता है।"
सब इंस्पेक्टर नंदकिशोर ने पूछा,
"सर क्या आपको लगता है उस आदमी की हत्या का संबंध अहाना के गायब होने से हो सकता है ?"
"नंदकिशोर वैसे तो दोनों अलग अलग घटनाएं हैं। लेकिन अहाना दोनों के बीच एक सूत्र की तरह है। मैं कुछ कह नहीं सकता। आगे जांच में जो भी निकल कर आए। फिलहाल तो जैसा तुम कह रहे थे मैं सारी बातों की सूचना एसपी गुरुनूर कौर को दे देता हूँ। हो सकता है उनके पास भी बताने को कुछ हो।"
वह गुरुनूर को फोन करने जा रहा था तभी उसका साथी इंस्पेक्टर उसके पास आ गया। वह उन दो आदमियों के झगड़े के बारे में बात करना चाहता था जिनकी उसने शिकायत सुनी थी।
थाने आने के बाद गुरुनूर ने सबसे पहले सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे को अपने केबिन में बुलाया। उसके मन में एक बात आ रही थी। उसे लग रहा था कि दक्षिणी पहाड़ पर जो पुरानी हवेली का खंडहर है उस जगह पर कोई ना कोई सुराग ज़रूर मिलेगा। उसने सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे को उस दिन उस खंडहर में जाने वाली बात बताई। उसने कहा,
"उस दिन देखा जाए तो मुझे कुछ ऐसा दिखाई तो नहीं पड़ा था लेकिन मुझे उस जगह में कुछ विचित्र लगा था। उसके बाद केस में उलझती चली गई। वह बात मन से निकल गई थी।"
सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे ने कहा,
"ठीक है मैडम तो आज ही चलकर देख लेते हैं।"
"आकाश मैं सोच रही थी कि पूरी तैयारी के साथ वहांँ चलें।"
"पूरी तैयारी का मतलब है कि फॉरेंसिक टीम के साथ।"
"हाँ मुझे लगता है कि वहाँ से ऐसा कुछ ज़रूर मिलेगा जो हमारी केस में मदद करेगा।"
"ठीक है मैडम आप हेडक्वार्टर से बात कर लीजिए।"
"आकाश मैंने बात कर ली है। उनकी टीम के यहांँ पहुंँचते ही हम लोग भी उनके साथ वहांँ चलेंगे। उस दिन सब इंस्पेक्टर रंजन सिंह मेरे साथ था। मुझे लगता है कि उस इलाके के बारे में वह अधिक जानता है। उससे कहो कि वह भी साथ चलने के लिए तैयार रहे।"
"मैडम मुझे लगता है कि आज वह ड्यूटी पर नहीं आया है। आज मेरी मुलाकात उससे हुई नहीं।"
"छुट्टी पर तो नहीं है ?"
"नहीं मैडम कल दोपहर को ही उससे बात हुई थी। तब उसने ऐसा कुछ बताया तो नहीं था। हो सकता है बीमार हो गया हो।"
"तुम फोन करके पता करो।"
सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे ने फोन मिलाया। सब इंस्पेक्टर रंजन सिंह का फोन स्विच ऑफ बता रहा था। यह सुनकर गुरुनूर भी परेशान हो गई। उसने कहा,
"फोन स्विच ऑफ होना तो ठीक नहीं लग रहा है। उसके घर के किसी सदस्य का फोन नंबर हो तो उनसे पूछो।"
"मैडम..... रंजन अकेला है। उसका कोई परिवार नहीं है।"
यह सुनकर गुरुनूर सोचने लगी कि आखिर बात क्या हो सकती है। उसे पता था कि सब इंस्पेक्टर रंजन सिंह शिवराम हेगड़े के साथ जुड़ा हुआ है। उसके मन में खयाल आया कि कहीं शिवराम हेगड़े ने कुछ बताने के लिए उसे अपने पास बुलाया हो। उन लोगों ने देख लिया हो। दोनों मुसीबत में हों। उसने कहा,
"आकाश मुझे कुछ गड़बड़ लग रही है। कोई उसका घर जानता हो तो भेजकर पता करो।"
सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे ने कहा,
"मैडम कांस्टेबल हरीश उसके घर के पास ही रहता है। मैं अभी जाकर उससे पूछता हूंँ। अगर उसे कुछ नहीं पता होगा तो उसे उसके घर जाकर पता करने को कहूँगा।"
सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे कांस्टेबल हरीश से बात करने के लिए चला गया।
गुरुनूर को लग रहा था कि ज़रूर सब इंस्पेक्टर रंजन सिंह किसी मुसीबत में है। उसने सोचा कि रुककर वक्त बर्बाद करने का कोई फायदा नहीं है। वह बाहर आई। सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे कांस्टेबल हरीश से बात कर रहा था। कांस्टेबल हरीश बता रहा था कि उसे कुछ नहीं पता है। गुरुनूर ने सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे से कहा,
"आकाश कांस्टेबल हरीश को लेकर मेरे साथ रंजन के घर चलो।"
सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे ने कहा,
"मैडम आप परेशान क्यों हो रही हैं। मैं पता करके आता हूँ।"
"नहीं मैं भी चलूँगी। अगर रंजन घर पर नहीं होगा तो मुझे पता है कहाँ चलना है।"
गुरुनूर ने विलायत खान से कहा कि अगर फॉरेंसिक टीम आ जाए तो उन्हें कुछ देर तक रोककर रखे। यह कहकर वह सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे और कांस्टेबल हरीश के साथ चली गई। सब इंस्पेक्टर रंजन सिंह के अपने घर ना मिलने पर गुरुनूर ने जीप शांति कुटीर ले जाने को कहा। वहाँ जाकर पता चला कि शिवराम हेगड़े अपनी कुटी में नहीं है। उसने दीपांकर दास और शुबेंदु के बारे में पता किया तो वो दोनों भी शांति कुटीर में नहीं थे। गेटकीपर ने बताया कि देर रात दीपांकर दास और शुबेंदु गाड़ी में बैठकर कहीं गए थे। गुरुनूर समझ गई कि मामला गंभीर है। उसने कांस्टेबल हरीश को वहांँ रुकने का आदेश दिया। उससे कहा कि यदि दीपांकर दास और शुबेंदु लौटकर आएं तो उसे फौरन सूचना दे।