(22)
शिवराम हेगड़े दीपांकर दास के सामने बैठा था। वह उसे अपनी समस्या बता रहा था। दीपांकर दास उसे बड़े ध्यान से देख रहा था। वह एक मॉडल की तरह खूबसूरत था। लेकिन दीपांकर दास को लग रहा था कि उसकी बनावट किसी खिलाड़ी जैसी है। शिवराम उसे बता रहा था कि वह पिछले पाँच साल से मॉडलिंग में अपना भाग्य आजमा रहा है। उसे कुछ सफलता भी मिली है। लेकिन इधर उसका मन बहुत अशांत रहने लगा है। इसलिए जब उसने दीपांकर दास की ध्यान तकनीक के बारे में सुना तो यहाँ चला आया। उसने दीपांकर दास से कहा,
"अब आप मुझे भी अपनी तकनीक सिखाइए। मैं चाहता हूंँ कि मैं बार बार भटकते हुए अपने मन को काबू में करना सीखूँ।"
दीपांकर दास ने कहा,
"शिवराम..... ध्यान की यह तकनीक एक साधना है। साधना के लिए धैर्य और समर्पण की ज़रूरत होती है। क्या तुम धैर्य के साथ पूरे मन से यह साधना करने को तैयार हो ?"
शिवराम ने कहा,
"आप मुझसे यह सवाल इसलिए कर रहे हैं क्योंकी आपको लगता है कि मेरा संबंध ऐसे प्रोफेशन से है जिसमें बाहरी दिखावा अधिक है। लेकिन उसके कारण ही मेरा मन परेशान है। इसलिए मैं वह तकनीक सीखना चाहता हूंँ जिसकी सहायता से मैं उस सबके बीच शांत और खुश रह सकूँ। मेरे अंदर धैर्य की कमी नहीं है। मैं अपना पूरा समर्पण दूंँगा। बस मुझे यह ध्यान तकनीक सीखनी है।"
दीपांकर दास मुस्कुरा दिया। उसने कहा,
"ठीक है फिर दोपहर को मैं तुम्हें ध्यान की आरंभिक अवस्था की शुरुआत करवाता हूंँ। शुबेंदु तुम्हें ध्यान कक्ष में पहुंँचा देगा।"
शिवराम उठकर जाने लगा। जाते हुए दीपांकर दास की तरफ देखकर बोला,
"मैंने देखा यहांँ लोग आपको दीपू दा कहकर बुलाते हैं। क्या मैं भी आपको दीपू दा कहकर बुला सकता हूंँ।"
"बिल्कुल.... सिर्फ शांति कुटीर में नहीं बल्की बसरपुर में कई लोग मुझे दीपू दा कहकर ही बुलाते हैं।"
यह कहकर दीपांकर दास उठकर खड़ा हो गया। शिवराम के जाने के बाद उसने पास खड़े शुबेंदु को इशारे से अपने पास बुलाया। उसने धीरे से कहा,
"इस पर विशेष नज़र रखना।"
यह कहकर वह वहाँ से चला गया।
गुरुनूर और सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे सरकटी लाशों के केस के बारे में चर्चा कर रहे थे। गुरुनूर ने पूछा,
"आकाश तुमने नज़ीर को बंसीलाल की दुकान में आने जाने वाले लोगों पर नज़र रखने के लिए कहा था। उसने कोई खबर दी ?"
सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे ने कहा,
"मैडम नज़ीर पिछले कुछ दिनों से नज़र रखे हुए हैं। उसने बताया कि उसकी दुकान में अक्सर आने वालों में दो लोग हैं। एक जोगिंदर और दूसरा सर्वेश। इन दोनों लोगों से बंसीलाल की बातचीत होती है। अभी तक उनकी बातचीत से तो कुछ ऐसा नहीं लगा है कि वह इस तरह की गतिविधियों में शामिल हों।"
"सर्वेश वही है ना जो उस दिन सब के साथ थाने आया था जब मैंने यहाँ ड्यूटी ज्वाइन की थी।"
"हाँ मैडम वही है....."
"उसने बताया था कि उसकी कोई दुकान है। कह रहा था इस सबके चलते उसके बिज़नेस को नुकसान पहुंँच रहा है।"
गुरुनूर कुछ सोचकर बोली,
"दूसरा.... जोगिंदर..…वह क्या करता है ?"
सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे ने कहा,
"पालमगढ़ के सरकारी स्कूल में टीचर था। साल भर पहले उसने नौकरी छोड़ दी। अब कुछ नहीं करता है।"
"नौकरी क्यों छोड़ दी ? इसका काम कैसे चलता है ?"
"नज़ीर ने इसे बंसीलाल से बात करते हुए सुना था। वह बता रहा था कि स्कूल के प्रिंसिपल से झगड़ा हो गया था। इसलिए नौकरी छोड़ दी। नौकरी छोड़ते समय फंड मिला था। थोड़ी पेंशन भी है। उससे काम चल जाता होगा। जोगिंदर का कोई नहीं है। इसका एक बेटा था जो कुछ साल पहले बीमारी की भेंट चढ़ गया था। पत्नी की मृत्यु तो बेटे को जन्म देते समय हो गई थी।"
"सर्वेश का घर परिवार है ?"
"नहीं मैडम उसने शादी ही नहीं की।"
गुरुनूर ने कुछ सोचकर कहा,
"उसके शादी ना करने का कोई खास कारण है।"
"इस बारे में तो कोई जानकारी नहीं है।"
गुरुनूर ने अब तक जो सुना था उस पर विचार करने के बाद बोली,
"आकाश ऐसा करो इन दोनों पर भी नज़र रखवाओ।"
"ठीक है मैडम मैं व्यवस्था करता हूंँ।"
गुरुनूर ने सरकटी लाशों के केस के बारे में बलि के कोंण से सोच विचार करने के लिए अखबारों और अन्य साधनों से इस तरह के केस के बारे में जानकारी एकत्र की थी। उसने सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे से उन सभी केसों के बारे में चर्चा करने के बाद कहा,
"आकाश अभी तक बलि चढ़ाने वाले जितने केसों के बारे में जानकारी मिली है उनमें से दो बातें निकल कर आई हैं। पहला यह की ऐसी बलि किसी तांत्रिक क्रिया के अंतर्गत कोई शक्ति या बहुत सारा धन प्राप्त करने के लालच से की जाती हैं। दूसरा हर केस में किसी एक की ही बलि दी गई है। हमारे केस में भी कोई ना कोई इस प्रकार का लालच तो होगा ही। लेकिन एक बात जो अलग है, वह है एक से अधिक लाशों का मिलना। जिनमें सभी किशोर हैं और सबकी गला काटकर हत्या की गई है। लाश को तो फेंक दिया गया लेकिन उनका सर कहाँ गया हमको नहीं पता। हो सकता है उनके सर का किसी तरह से प्रयोग किया जाता हो।"
"मैडम ना सिर्फ यह केस कुछ अलग तरह का है बल्की इस तरह की घटनाओं का होना भी बसरपुर के लिए नया है। मैं करीब तीन साल से यहाँ हूँ। अब तक मैंने कभी यहांँ तंत्र मंत्र जादू टोने जैसी चीज़ें नहीं देखी हैं। ऐसी चीज़ें तो बड़े शहरों में भी होती रहती हैं। पर हमारी नज़र में यहांँ ऐसा कोई केस नहीं आया।"
सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे की इस बात को सुनकर गुरुनूर के दिमाग में वह बात आई जो शुरुआत में आई थी। उस समय उसे लगा था कि शायद हत्या का जो समय बताया जा रहा है उसके अनुसार हत्याओं के बीच एक निश्चित समय अवधि है। तब वह इस बात पर विचार नहीं कर पाई थी। उसने सोचा कि वह सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे से इस बारे में बात करे। हो सकता है कि जब दो लोग मिलकर सोचें तो कोई सुराग मिल जाए। उसने कहा,
"जब मैंने लाशों के मिलने की फाइल देखी थी और उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट पढ़ी थी तो मेरे दिमाग में एक बात आई थी।"
यह कहकर उसने सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे की तरफ देखा। वह जानने के लिए उत्सुक था कि गुरुनूर के दिमाग में क्या बात आई थी। उसने कहा,
"मैडम बताइए आपके मन में क्या बात आई थी ?"
गुरुनूर अपनी कुर्सी से उठकर खड़ी हो गई। सब इंस्पेक्टर आकाश भी खड़ा हो गया। गुरुनूर ने हाथ के इशारे से उसे बैठे रहने को कहा। वह सोचने की मुद्रा में इधर उधर टहलने लगी। सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे हैरान था कि ऐसी कौन सी बात गुरुनूर के दिमाग में आई थी, जिसके बारे में बात करते हुए उसे इतना सोचना पड़ा रहा है। उसने कहा,
"क्या बात है मैडम ? कोई गंभीर बात है ?"
गुरुनूर वापस अपनी कुर्सी पर बैठ गई। उसने एक नोटपैड खोलकर सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे की तरह बढ़ा दिया। सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे ने देखा कि उस पर लाश मिलने और हत्या के संभावित समय के बारे में लिखा था। उसने गुरुनूर की तरफ देखा। गुरुनूर ने कहा,
"आकाश हम बलि वाले एंगल से केस के बारे में विचार कर रहे हैं। तुम्हारे आने से पहले मैं हत्या की संभावित तारीख का अंदाज़ लगाने की कोशिश कर रही थी। इसी सिलसिले में मैंने वह सब लिखा है। मुझे लगता है कि सारी हत्याएं किसी खास मौके पर की गई हैं। बहुत पहले मैंने एक केस सॉल्व किया था जिसमें बलि एक खास नक्षत्र में दी गई थी।"
सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे को उसकी बात में दम नज़र आया। उसने कहा,
"मैडम फिर हम हर हत्या की तारीख का अंदाज़ लगाने की कोशिश करते हैं। फिर देखते हैं कि उन तारीखों से कोई सूत्र मिलता है या नहीं।"
गुरुनूर ने कहा,
"बिल्कुल.... हो सकता है कि हमें आगे बढ़ने के लिए कोई सूत्र मिल जाए।"
दोनों मिलकर लाश मिलने की तारीख से पहले हत्या के समय के आधार पर हत्या की तारीख की गणना करने लगे। वो लोग एक एक तारीख की गणना करके लिखते जा रहे थे। उन्हें आश्चर्य हो रहा था कि हर तारीख के बीच लगभग एक महीने का समय था। सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे ने कुछ सोचकर कहा,
"इन तारीखों को हिंदू कैलेंडर से मिलाते हैं। देखते हैं क्या इन तारीखों में कुछ विशेष था।"
गुरुनूर को उसकी बात अच्छी लगी। उसने कहा,
"क्योंकी हत्या की जो तारीखें हमने निकाली हैं वह सब संभावित हैं। इसलिए हम लोग उनके आगे पीछे भी देख लेंगे।"
सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे ऐसा कलेंडर ले आया जिसमें अंग्रेज़ी के साथ साथ हिंदू महीनों के हिसाब से तिथियां भी लिखी थीं। वह गुरुनूर के साथ मिलकर उन तारीखों और उसके आसपास की तिथियां हिंदू कैलेंडर में देखने लगा। दोनों हैरान थे। चारों हत्याओं का संबंध अमावस से जुड़ रहा था। दोनों कुछ देर तक इस नई जानकारी पर विचार करते रहे। कुछ देर बाद गुरुनूर ने कहा,
"हमने बलि वाले एंगल के बारे में सोचकर सही दिशा पकड़ी थी। अब इस नई जानकारी के अनुसार बसरपुर में कोई ऐसा है जिसका दिमागी संतुलन ठीक नहीं है। उसका साथ उसके जैसे ही कुछ लोग दे रहे हैं।"
सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे ने कहा,
"मैडम मन में एक बात आ रही है।"
गुरुनूर ने कहा,
"मन में जो भी बात आ रही है उसे बोलो। इसी तरह हम आगे बढ़ सकते हैं।"
सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे ने कहा,
"मैडम अब तो पक्का हो गया है कि मंगलू को इसी सिलसिले में अगवा किया गया है। अगर हम ध्यान दें तो मंगलू बीती अमावस के कुछ दिनों पहले ही गायब हुआ है।"
गुरुनूर ने गौर किया। वह सही था। सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे ने आगे कहा,
"हमें अब तक सिर्फ चार लाशें मिली हैं। इसका मतलब है कि लाशों के मिलने से जो हड़कंप मचा उससे कातिल सचेत हो गया। उसने बाकी की लाशों को किसी और तरह से ठिकाने लगा दिया। अगर हम यह मान लेते हैं कि पहली लाश पहली बलि की थी तो बीती अमावस को छठी बलि दी गई होगी। उस हिसाब से दो लाशें हमें नहीं मिलीं। जिनमें से एक मंगलू की है।"
सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे का आंकलन सुनने के बाद गुरुनूर का दिमाग उन दो लाशों के बारे में सोचने लगा जो बरामद नहीं हुई थीं। वह उन लाशों को तलाश करने के बारे में विचार करने लगी।