अदालत से बाहर in Hindi Anything by Kishanlal Sharma books and stories PDF | अदालत से बाहर

Featured Books
  • అరె ఏమైందీ? - 24

    అరె ఏమైందీ? హాట్ హాట్ రొమాంటిక్ థ్రిల్లర్ కొట్ర శివ రామ కృష్...

  • నిరుపమ - 10

    నిరుపమ (కొన్నిరహస్యాలు ఎప్పటికీ రహస్యాలుగానే ఉండిపోతే మంచిది...

  • మనసిచ్చి చూడు - 9

                         మనసిచ్చి చూడు - 09 సమీరా ఉలిక్కిపడి చూస...

  • అరె ఏమైందీ? - 23

    అరె ఏమైందీ? హాట్ హాట్ రొమాంటిక్ థ్రిల్లర్ కొట్ర శివ రామ కృష్...

  • నిరుపమ - 9

    నిరుపమ (కొన్నిరహస్యాలు ఎప్పటికీ రహస్యాలుగానే ఉండిపోతే మంచిది...

Categories
Share

अदालत से बाहर

दोषी कौन?
कोई अपराध होता है तो अपराधी को पकड़ने का काम पुलिस का है।अपराधी को पकड़ने के बाद पुलिस सबूत इकट्ठे करती है।गवाह जुटाती है।मतलब सारी प्रक्रिया पूरी करने के बाद केस अदालत में चला जाता है।और अदालत में मुकदमा चलता है और सबूतों,गवाहों के बयान आदि के आधार पर अदालत फैसला करती है।और कानून के अनुसार मुजरिम को सजा देती है।और फिर अपील का प्रावधान भी है।
जब से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया आया है।एक नया ट्रेंड चला है।मीडिया ट्रायल।अदालत में मुक़दम्मा काफी लंबे समय तक चलता है।पक्ष विपक्ष की तरफ से दलील,गवाह,सबूत पेश किए जाते है।लेकिन मीडिया ट्रायल एक घण्टे में हो जाता है।अदालत के फैसले को ग़लत भी बताया जाता है।अभी सुशांत सिंह राजपूत का केस आप भूले नही होंगे।उसने आत्महत्या की थी।अभी तक कोई नतीजा नही निकला है।मुम्बई पुलिस की जांच पर तमाम सवाल उठे और जांच सी बी आई को चली गयी।बहुत दिनों तक बहस चली।और शायद अब भी चल रही है।इसी दौरान रिया और अन्य लोग ड्रग की आंच में घिर गए।तंदूर कांड काफी पुराना हो गया।सिख दंगे भी लेकिन तब मीडिया इतना नही था।
अदालत से बाहर राफेल पर बहुत बहस चली।सभी चैनल इस पर बहस करते रहे।सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद भी बहस बन्द नही हुई।
राम रहीम हो,आशा राम हो या और दूसरे बाबा हो ।नेता हो या और कोई बड़ा आदमी बस टी वी चेनलो को मुद्दा मिल जाता है।आतंकवादी,गुंडे देशद्रोही बहस के द्वारा चर्चा में आ जाते है।आजकल मीडिया टिकैत व अन्य किसान नेताओ पर फोकस किये हुए है।अन्ना हज़ारे की तरह उन पर खूब मेहरबान है।अगर मीडिया इन पर फोकस नही करता तो कौन जानता इन्हें।कहने का मतलब मीडिया उठता भी है और गिरता भी है।क्या आज अन्ना के आंदोलन में वैसी ही जान आ सकती है।शायद नही।
अब हम फिर आते है आर्यन केस पर।
यूं तो शायद जब तब ड्रग केस में लोग पकड़े जाते है।बहुत छोटा सा समाचार होता है न्यूज़ चैनल पर या अखबारों में।उन पर कभी इतनी लंबी बहस नही होती।
इस केस में ऐसा क्यों हुआ? शाहरुख। खान हीरो है।बड़े हीरो।और आर्यन है उनके बेटे।अगर आर्यन हीरो शाहरुख खान के बेटे न होते तो शायद इस विषय पर इतने दिनों तक इतनी लंबी बहस न होती।वो भी सारे चैनलों पर न होती।और इस बहस में नेता,वकील सभी कूद पड़े।पैसे की ही ताकत थी कि महंगे महंगे वकील आर्यन की पैरवी में खड़े रहे।एक वकील तो भारत सरकार के अधिवक्ता रह चुके है।क्या नैतिकता का भी कोई तकाजा है या नही?
और नवाब मलिक
एक मंत्री जो संविधान की शपथ लेता है एक संस्था के खिलाफ लगातार बयान बाजी कर रहा था।प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहा था।एक तरफ कह रहा था।मुसलमान होने के कारण आर्यन को परेशान किया जा रहा है।दूसरी तरफ अधिकारी के धर्म,जाति, उसकी शादी,पत्नी,बहन को सारे मामले में घसीट रहा था।
मैं अभी तक यह नही समझ पाया।एक अधिकारी कानून सम्मत काम कर रहा है।उसमें उसकी जाति, धर्म,शादी और पत्नी या परिवार को बदनाम करने से क्या मिला?
आर्यन को एन सी बी ने पकड़ा।वह दोषी है या नही इसका फैसला अदालत को करना है।
अदालतों को अपना काम करने दे।क्योंकि अदालत से बाहर फैसले का कोई मतलब नही है।