Jivit Murda v Betal - 12 in Hindi Horror Stories by Rahul Haldhar books and stories PDF | जीवित मुर्दा व बेताल - 12

Featured Books
Categories
Share

जीवित मुर्दा व बेताल - 12

शारदा जानती है कि इस बार भी वह अपने कार्य में सफल होगी परंतु नियति ने कुछ और ही लिखा था ।
शारदा का यह सब क्रियाकलाप छुपकर एक दूसरा व्यक्ति देख रहा था । छुपकर शारदा पर नजर रखने वाले गांव के वृद्ध पंडित शिवचरण जी हैं । गांव में आने के बाद से ही उन्होंने शारदा पर नजर रखा है मानो शारदा के हाव - भाव देखकर उन्होंने पहले ही किसी अशुभ का संकेत लगा लिया था । सभी गांव वालों के जाने के बाद भी पंडित जी मंदिर के अंदर चुपचाप बैठ कर सब कुछ देख रहे थे ।
शारदा खड़ी हो गई उसके हाथ में एक लालटेन है । ना जाने क्या बडबड़ाते ही माझी पत्नी भी उठ खड़ी हुई ।
माझी पत्नी को एक सफेद साड़ी पहनाया गया है । शारदा अब आगे बढ़ चली माझी पत्नी भी उसके पीछे चल पड़ी । माझी पत्नी मानो अपने होश में नहीं , वह किसी स्वचालित गुड़िया की तरह शारदा के वश में होकर आगे बढ़ती जा रही है ।

किसी मंत्र शक्ति से पूरा गांव मानो आज सो रहा है । रात के अंधेरे में दो महिला कच्चे रास्ते से आगे बढ़ रहे हैं । लेकिन अंधेरे में अपने को छुपाकर उनके पीछे भी कोई चल रहा है । शिवचरण पंडित !
शारदा को पता ना चले इसीलिए पंडित जी दूरी बनाकर बिना कोई आवाज़ किए चल रहे हैं । उन्हें पता लगाना ही होगा कि इस साधिका का असल उद्देश्य क्या है ।
शारदा के कंधे पर एक काला पोटली है । मंदिर के सामने नकारात्मक शक्ति का आह्वान नहीं किया जा सकता इसीलिए अपनी सामग्री को लेकर वह गांव के पास वाले श्मशान में जा रही है । इस गांव के पास एक श्मशान भी है इस बारे में शारदा ने शायद पहले से ही पता लगा कर रखा था । यहां पर अब चिता नहीं जलाया जाता इसीलिए यह जगह शारदा के लिए सबसे श्रेष्ठ है ।
शमशान में पहुंच एक उपयुक्त स्थान को चुन शारदा ने अपने क्रिया को शुरू किया । अपने पोटली से कुछ सामग्री को निकाल कर जमीन पर रखा इसके बाद शारदा ने पोटली से दो काले मुर्गे को बाहर निकाला । देखकर समझा जा सकता है कि दोनों मुर्गे पहले ही मर चुके हैं ।
अब शारदा ने लाल सिंदूर से जमीन पर एक उल्टा त्रिभुज बनाया तथा उसके ऊपर सीधा करके एक और त्रिभुज बनाया । यह चिन्ह देखने में एक छः कोने वाले तारे जैसा है । उस चीन के चारों तरफ अब एक वृत्त बना दिया ।
अब शारदा ने चिन्ह के 6 कोनों पर 6 अलग-अलग सामग्री रखी । जैसे कि सांप का कटा पूँछ , घोड़े का खुर , शिशु के पसली की हड्डी , बंदर का हाथ , बंदर का सिर , उल्लू की नोंक इत्यादि ।
अब और अद्भुत दृश्य दिखाई दिया । शारदा ने दोनों मरे हुए मुर्गे को हाथ में लेकर ऊपर उठाया और शैतान के उद्देश्य से कुछ मंत्र पढ़ा । तुरंत ही दिखाई दिया कि दोनों मुर्गे छटपटा रहे हैं , अचानक उनके प्राणहीन शरीर में जान आ गया था । अब दोनों मुर्गे को वृत्त के अंदर बने दोनों त्रिभुजों के बीच में रखकर गले को काट दिया । लाल खून से वृत्त पूरा भर गया तथा खून से सने उस वृत्त के अंदर माझी पत्नी को बैठा दिया । अब पोटली से 1 आसन निकालकर वृत्त के सामने शारदा बैठ गई । पोटली से उसने अब एक अद्भुत मूर्ति को निकाला । वह मूर्ति पूरी तरह काले रंग का है , मूर्ति के दोनों हाथों में दो सरीसृप जैसा प्राणी है । मूर्ति के अंदर पुरुष तथा स्त्री दोनों ही उभय रूप में हैं लेकिन चेहरा बकरे का है तथा माथे पर दो सींग हैं । शारदा ने अब मूर्ति को वृत्त के अंदर रखा तथा अरबी भाषा में कुछ मंत्रों को पढ़ना शुरू किया । इस तरह लगभग आधा घंटा मंत्र पाठ चलता रहा । इसके बाद शारदा आसन छोड़ कर उठ खड़ी हुई तथा आसपास से कुछ सूखी लकड़ी लाकर आग जलाया । उसके ऊपर छोटा सा मिट्टी का बर्तन रख उसके अंदर एक मृत चिड़िया डालकर ढक दिया । अब माझी पत्नी की आंख से आंख मिलाकर शारदा ने मंत्र पाठ फिर शुरू कर दिया ।
कुछ देर बाद मिट्टी के बर्तन को आग से हटा लिया तबतक मृत चिड़िया राख में बदल गया है । उस राख से एक चुटकी लेकर एक विशेष पानी में मिलाया तथा बाकी बचे राख से तिलक बनाकर माझी पत्नी के माथे पर लगा दिया । और राख मिले लाल पानी को शारदा ने खुद पी लिया।
एक तीव्र सड़न की बदबू से चारों तरफ भर गया है । शिवचरण पंडित दूर से सब कुछ देख रहे हैं । अब उन्होंने आश्चर्य भरे आंखों से देखा ,
माझी पत्नी का पूरा शरीर हवा में तैर रहा है और दोनों हाथ जोड़कर शारदा को प्रणाम कर रही है । अगले ही क्षण भयानक आवाज़ करते हुए वह फिर वृत्त के अंदर बैठ गई ।
शिवचरण पंडित ने देखा कि शारदा की आंखें ख़ुशी से चमक रही हैं । वह दुनिया की एक शक्तिशाली शक्ति को पाने वाली है ।

°°°°°°°°°°°°°°

उधर आज रात भी गोपाल एक सपना देख रहा है । पहले उसने देखा कि एक कंकाल पानी के नीचे बहुत दिनों से है । कुछ देर बाद फिर उसने देखा कि वह अपने गांव के पास वाले नदी के घाट पर खड़ा है । उसी वक्त पानी के नीचे से वह कंकाल ऊपर आ गया । नदी के उस तरफ गांव का एक पुराना शमशान है बहुत दिनों से वहां पर शवदाह नहीं किया जाता। गोपाल ने अब देखा कि नदी के उस तरफ वही अनजान आदमी खड़ा है और मानो वह कुछ इशारा करना चाहता है । इसके बाद सब कुछ अंधेरा और तुरंत ही गोपाल नींद से जाग गया । वह बिस्तर पर उठ बैठा तथा मन ही मन सोचा कि कल सुबह वह नदी के घाट पर जाएगा । उसके मन में न जाने कैसा हलचल हो रहा है इसीलिए तकिये के नीचे रखी छोटी कागज की पुड़िया निकाल कर देवी माता को याद किया । और मन ही मन बोला ,
" देवी माता ! यह स्वप्न मुझे क्या इशारा दे रहा है । इस बारे में देवी माता मुझे कुछ बताओ । ".......

°°°°°°°°°°°°°°

क्रमशः......