Vo Pehli Baarish - 9 in Hindi Fiction Stories by Daanu books and stories PDF | वो पहली बारिश - भाग 9

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वो पहली बारिश - भाग 9

"मुझे पता है, की मैं ये पहले बोल चुकी हूं, पर फिर भी मैं तुम्हे याद दिलाना चाहती हूं, की मैं भी अब तुम्हारी पहली बारिश कमिटी का हिस्सा हूं। तो तुम मुझे बता सकते हो कुछ भी हो तो।" सुबह सुबह ऑफिस की लिफ्ट में मिले ध्रुव को निया बोलती है।

"ठीक है", सामने से ध्रुव जवाब देता है।

निया और ध्रुव इक्ट्ठे अपनी सीट पे पहुंचे, और बिना देर करते हुए, निया ने फट से ध्रुव की सीट की तरफ़ ताका झाकी की, वहां आज भी एक बॉक्स पे पड़ा था, और कल जैसा एक नोट भी।

निया देखने के लिए ध्रुव की डेस्क की तरफ़ बड़ी ही थी, की ध्रुव ने फट से उसे उठा कर अपने ड्रॉअर में रख दिया।
ध्रुव की ये हरकत देखते हुए, निया उसके कंधे पे हाथ रख कर बोली, "भूलना नहीं, मैं हूं यहां, तुम्हारी कमेटी की होनहार मेंबर।"

"हहमम.. याद है।", ध्रुव उसकी इस बात पे अजीब सा मुंह बनाते हुए बोला। और दोनो ध्रुव और निया अपने काम में लग गए।

कुछ देर बाद, जब निया अपनी टीम के साथ लंच करने पहुंची, तो उसने देखा की ध्रुव,अन्नू, सुनील और उनके बाकी टीम वाले वहीं लंच कर रहे थे।

चंचल ने भी वहीं इशारा करके निया को ध्रुव के तिरछे में थोड़ी दूर बैठा दिया। बैठते ही, अनजाने ही सही निया ध्रुव और अन्नू की बाते सुनने लगती है।

"तो आप इस वीकेंड क्या कर रहे है ध्रुव?", अन्नू ध्रुव से पूछती है।

"मैं इस वीकेंड थोड़ा बिज़ी हूं।", ध्रुव जवाब देता है।

"अच्छा.. कुछ ज़रूरी है, क्या?"

"हा.", ध्रुव बोल ही रहा होता है, की इतने उसके फ़ोन में मैसेज आता है।

"बस ये याद दिलाना था की मैं अब तुम्हारी पहली बारिश कमिटी का हिस्सा हूं", ये निया के मैसेज में लिखा होता है।

"क्या हुआ, सब सही?", अन्नू ध्रुव का मैसेज पढ़ कर हल्के लाल चेहरे को देखते हुए कहती है।

"हां, सब ठीक है।" ध्रुव अन्नू को बताता है और अन्नू जहां अपने खाने में लग जाती है, वहीं ध्रुव निया की ओर देख कर मुंह बनाते हुए पूछता है, की ये क्या था?

निया भी उसे आखों और हाथ से इशारा करके कहीं जाने को कहती है।

ना में सारा हिलाता हूं ध्रुव, निया से जानना चाहता है, की आखिर वो क्या कह रही है, पर इतने, अन्नू उसे आवाज़ लगाती है, "ध्रुव, चले?"

"हां", ध्रुव के इतना बोलते ही दोनो वहां से उठ जाते है।

लंच के थोड़ी देर बाद अन्नू फिर आकर ध्रुव के पास बैठती है, तो निया वहीं मैसेज फिर उसे करती है, और ऐसे ही कई बार, ध्रुव और अन्नू को एक साथ देख कर निया वो मैसेज करती है।

"क्या? क्या हुआ है मैडम जी? मुझे माफ़ कर दो, मैंने तुमसे कुछ कहा। प्लीज.. क्यों कर रही हो ये।", कॉफी लेने गई, निया के पीछे आते हुए ध्रुव उसे पीछे से टोकते हुए बोला।

"अ.. मैं तुम्हारे लिए ही कर रही थी, अन्नू ने पता नहीं आ आ आकर तुम्हे कितने बार हिंट दिए, पर तुम हो की तुमने कुछ समझा ही नहीं शायद।"

"हिंट.." ध्रुव सिर पकड़ते हुए बोला। "और उनका तुम्हारे ये सब करने से क्या लेना देना है?"

"वो जिस पहली बारिश कमिटी, यार इसे न पी.बी.सी कहते है आगे से, इतना लंबा नाम लेकर थक जाती हूं मैं।"

"व्हाटएवर.. आगे बताओ" चिड़ते हुए ध्रुव बोला।

"हां, तो मैं कहां थी, हां, मुझे तुम्हे बताना था, की जिस
पी.बी.सी के काम के चक्कर में तुम ये सब कर रहे हो, वो इस बार मैं संभाल लूंगी, तो तुम अपनी डेट पे ध्यान दे सकते हो। देखा कितनी अच्छी हूं ना मैं।"

"डेट पे? और तुम्हे किसने कहा, मेरी ऐसी कोई भी मदद करने के लिए?"

"कुनाल ने।"

"अच्छा.. एक मिनट क्या? कुनाल ने? ये कुनाल का बच्चा तो गया आज। क्या कहा उसने, ज़रा बताना।"

"ज्यादा कुछ नहीं। बस ये की.." निया बोल ही रही होती है की इतने अन्नू ध्रुव को आवाज़ देती हुई वहां आ जाती है।

"ध्रुव, वो मुझसे एक गड़बड़ हो गई है, आपको दिखाना था एक बार।" अन्नू वहां आकर बोली।

"हां, चलिए मैं बताता हूं।" ध्रुव अन्नू के साथ उसकी डेस्क पे जाता है।
जाते हुए, वो मुड़ कर जब निया को देखता है, तो उसे देखती हुई निया, इशारों में फिर से ये बोलती है की वो भी पी.बी.सी में है, जिसे देखते ही, ध्रुव चिड़कर परेशान हुआ सा चेहरा बना लेता है, और उसके ऐसे चेहरे को देखते ही निया को अपनी हँसी रोक पाना मुश्किल होता है।

शाम को लगभग खाली हुए ऑफिस में, ध्रुव निया की तरफ़ आकर बोलता है, "चलो चले और फिर तुम मुझे इस से जुड़ी सारी बातें बताना, अपने फ़ोन में निया के वो कई मैसेज दिखाते हुए ध्रुव बोला।

फिर उस शाम घर जाते हुए, निया उसके और कुनाल के बीच हुई सारी बातें बता देती है।

"बाकी तो सब तुमसे कुनाल कहेगा, पर मैं दो बातें तुम्हें साफ़ साफ़ बता देना चाहता हूं, उन्हें सुनकर ही अपना फैसला लेना। पहली.. मेरी डेट और पी.बी.सी का आपस में कोई लेना देना नहीं है। और दूसरी पी.बी.सी मेरे भाई का नहीं पूरी तरह से मेरा प्रोजेक्ट है। इससे मेरी बस एक ही कोशिश है, की मैं ज्यादा से ज्यादा लोगो की मदद कर सकूं और कुछ नहीं।"

"ठीक है, हम घर पहुंच कर, आराम से बात करते है।", बस की भीड़ से थोड़ी परेशान निया बोलती है।