Gyarah Amavas - 13 in Hindi Thriller by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | ग्यारह अमावस - 13

Featured Books
  • तुझी माझी रेशीमगाठ..... भाग 2

    रुद्र अणि श्रेयाचच लग्न झालं होत.... लग्नाला आलेल्या सर्व पा...

  • नियती - भाग 34

    भाग 34बाबाराव....."हे आईचं मंगळसूत्र आहे... तिची फार पूर्वीप...

  • एक अनोखी भेट

     नात्यात भेट होण गरजेच आहे हे मला त्या वेळी समजल.भेटुन बोलता...

  • बांडगूळ

    बांडगूळ                गडमठ पंचक्रोशी शिक्षण प्रसारण मंडळाची...

  • जर ती असती - 2

    स्वरा समारला खूप संजवण्याचं प्रयत्न करत होती, पण समर ला काही...

Categories
Share

ग्यारह अमावस - 13



(13)

निशांत अपनी पत्नी देवयानी के साथ पुलिस स्टेशन में घुसा। देवयानी ज़ोर ज़ोर से रो रही थी। निशांत बहुत परेशान था। वह रोते हुए इंस्पेक्टर कैलाश जोशी से बोला,
"सर मेरी बेटी ना जाने कहाँ चली गई है...."
इंस्पेक्टर कैलाश जोशी ने उसे और देवयानी को बैठाया। उसके बाद बोला,
"अब शांत होकर सही तरह से सारी बात बताइए।"
निशांत ने खुद को संभाला। उसने कहा,
"सर कल शाम मैं अपनी पत्नी और बेटी को लेकर पालमगढ़ आया था। बस में हमें एक आदमी मिला था। उसने कहा था कि बस अड्डे के पास वह हम तीनों के ठहरने की व्यवस्था करा देगा। दरअसल मैं यहाँ का नहीं हूँ। उत्तर प्रदेश के मेरठ में रहता हूँ। ज़रूरी काम से हम तीनों बसरपुर आए थे। आज सुबह पालमगढ़ से ट्रेन पकड़ कर वापस जाना था। सिर्फ रात भर की बात थी। उस आदमी ने कहा था कि वह सस्ते में रहने और खाने की व्यवस्था करा देगा। मैंने उसकी बात मान ली। वह हमें बस अड्डे के पास ही एक गली के मकान में ले गया। वहाँ ऊपर की तरफ एक कमरे में हमें ठहरा दिया। रात में हम तीनों के लिए खाना लेकर आया था। हम तीनों खाना खाकर सो गए।"
यह कहकर निशांत फिर रोने लगा। इंस्पेक्टर कैलाश जोशी ने कहा,
"आप पूरी बात बताइए तभी तो आपकी मदद कर सकेंगे।"
निशांत ने फिर खुद को संभाला,
"सर जब मैं सोकर उठा तो दिन चढ़ चुका था। जबकी हमको तड़के ही निकलना था। सर भारी था। मैंने पास सोई अपनी पत्नी देवयानी को जगाया‌। हम दोनों का ध्यान अपनी बेटी पर गया तो वह वहाँ नहीं थी। हम नीचे उतर कर आए। लोगों से पूछा तो उन्होंने कहा कि उन्हें कुछ नहीं पता। सब अपने अपने कमरों में थे। हमने सराय के मालिक से बात की तो वह बोला कि हो सकता है कि अपने चाचा के साथ आसपास कहीं गई हो। सराय के मालिक ने बताया कि उस आदमी ने खुद को मेरा छोटा भाई बताया था। वह हमारे बगल वाले कमरे में ही ठहरा था।"
इंस्पेक्टर कैलाश जोशी ने कहा,
"आपको लगता है कि वह आदमी आपकी ‌बेटी को ले गया है।"
"सर वही ले जा सकता है।"
इंस्पेक्टर कैलाश जोशी ने कहा,
"ठीक है आप उस आदमी का नाम और हुलिया बताइए। साथ में अपनी बेटी के बारे में बताइए। हम कोशिश करते हैं।"
निशांत ने उस आदमी का हुलिया बता दिया। वह गेहुएं रंग का नाटा और थोड़ा मोटा आदमी था। सर पर बीच के बाल गायब थे। उसने अपना नाम राजेंद्र बताया था। निशांत ने अहाना के बारे में भी जानकारी दी। उसने कहा,
"सर कैसे भी करके मेरी बेटी अहाना को ढूंढ़ दीजिए। वह बीमार है। डरी हुई रहती है।"
इंस्पेक्टर कैलाश जोशी ने अपनी टीम को सारी जानकारी देकर पता करने को कहा। वह खुद निशांत और देवयानी के साथ सराय के मालिक से मिलने चला गया।
इंस्पेक्टर कैलाश जोशी, निशांत और देवयानी के साथ सराय के मालिक के सामने बैठा था। सराय का मालिक अधेड़ उम्र का दुबला पतला आदमी था। इंस्पेक्टर कैलाश जोशी ने उससे पूछा,
"तुम इनके साथ आए उस आदमी राजेंद्र को पहले से जानते थे ?"
सराय के मालिक के मुंह में पान मसाला भरा हुआ था। वह उठकर कमरे के बाहर बनी नाली में उसे थूककर आया। बैठते हुए बोला,
"नहीं मैं उसे नहीं जानता था। उसने कहा था कि वह और उसके भाई का परिवार एक रात के लिए ठहरना चाहता है। दो कमरे चाहिए। दोनों अगल बगल होने चाहिए। ऊपर दो कमरे थे मैंने दे दिए।"
इंस्पेक्टर कैलाश जोशी ने कहा,
"पर वह इस सराय के बारे में जानता था। बस में बैठे हुए ही उसने कहा था कि वह सस्ते में व्यवस्था करवा देगा।"
"साहब हो सकता है उसने किसी से मेरी सराय के बारे में सुना हो। फिर यह जगह बस अड्डे और रेलवे स्टेशन के पास है। इस जगह तो लगभग हर घर में ही लोग अपने कमरे यात्रियों को ठहरने के लिए किराए पर देते हैं। हो सकता है कि यह बात जानते हुए उसने ऐसा कहा हो। उसे पहले मेरी सराय दिखी होगी तो उसने यहाँ कमरा ले लिया।"
सराय के मालिक ने अपना पक्ष रखा। फिर निशांत की तरफ इशारा करते हुए बोला,
"जब वह बात कर रहा था तो ये साहब अपनी पत्नी और बेटी के साथ मौजूद थे। तब इन्होंने तो कुछ कहा नहीं था। मुझे लगा कि वह जो कह रहा है सही है।"
इंस्पेक्टर कैलाश जोशी ने निशांत की तरफ देखा। निशांत समझ गया। धीरे से बोला,
"सर मैंने पहले ही बताया था कि मैं यहाँ पहली बार आया हूँ। बच्ची बीमार है। पैसे भी अधिक नहीं हैं। उसने मदद की बात की तो मैंने विश्वास कर लिया था।"
इंस्पेक्टर कैलाश जोशी ने उसके चेहरे को ध्यान से देखा। उसे एक दुखी इंसान दिखाई पड़ा। उसने समझाते हुए कहा,
"आप पढ़े लिखे इंसान मालूम पड़ते हैं। इस तरह अजनबी पर यकीन करना कहाँ की समझदारी थी।"
इंस्पेक्टर कैलाश जोशी ने सराय के मालिक से कहा,
"जो लोग यहाँ ठहरते हैं उनके खाने की व्यवस्था तुम करते हो ?"
"नहीं मैं बस कमरा किराए पर देता हूँ। खाने की व्यवस्था ठहरने वाले खुद करते हैं। यहाँ कई सस्ते भोजनालय हैं। लोग जाकर खा लेते हैं या बंधवा लाते हैं।"
इंस्पेक्टर कैलाश जोशी सोचने लगा कि राजेंद्र ने इन तीनों के लिए किसी भोजनालय से ही खाना बंधवाया होगा। उसमें कोई दवा मिलाई होगी जिसके कारण ये लोग गहरी नींद सोते रहे। उसका इरादा पहले से ही बच्ची को अगवा करना था। उसने निशांत से कहा,
"खाना सिर्फ तुम लोगों ने खाया था। राजेंद्र ने नहीं।"
निशांत ने कहा,
"उसने कहा कि वह खा आया है। हम लोगों का खाना बंधवा कर लाया है।"
इंस्पेक्टर कैलाश जोशी ने एकबार फिर उसकी तरफ देखा। फिर बोला,

"आपने पूरी तरह से खुद को और अपने परिवार को उसके हवाले कर दिया था। आप परेशान थे यह मैं समझ सकता हूंँ। पर आपने अपने दिमाग का ज़रा सा भी इस्तेमाल नहीं किया। खुद को इस मुसीबत में डाल लिया।"
इंस्पेक्टर कैलाश जोशी उठकर खड़ा हो गया। निशांत और देवयानी को लेकर पुलिस स्टेशन चला गया।

अहाना की तलाश में निकली टीम को कोई सफलता नहीं मिली थी। टीम का लीडर सब इंस्पेक्टर नंदकिशोर यादव था। उसने आकर इंस्पेक्टर कैलाश जोशी को रिपोर्ट देते हुए कहा,
"सर हमने बस अड्डे और रेलवे स्टेशन पर पूछताछ की। पर कोई सुराग नहीं मिला।"
इंस्पेक्टर कैलाश जोशी ने कुछ सोचकर कहा,
"निशांत का कहना था कि वह राजेंद्र के साथ बस से उतरा था। ऐसा करो कल शाम की बस अड्डे की सीसीटीवी फुटेज लेकर आओ। मैं ज़रा निशांत और देवयानी से बातचीत करता हूँ।"
सब इंस्पेक्टर नंदकिशोर चला गया। इंस्पेक्टर कैलाश जोशी ने बाहर बैठे निशांत और उसकी पत्नी को अंदर बुलवाया। अंदर आते ही देवयानी ने रोते हुए कहा,
"सर मेरी बेटी अहाना को ढूंढ़ दीजिए। पहले से ही वह इतना झेल रही थी। अब पता नहीं क्या बीतेगी उस पर।"
उसकी बात सुनकर इंस्पेक्टर कैलाश जोशी ने कहा,
"पुलिस अपनी कोशिश कर रही है। आप बताइए आपकी बेटी क्या झेल रही थी ? आप लोग किस ज़रूरी काम से बसरपुर आए थे ?"
निशांत और देवयानी ने एक दूसरे की तरफ देखा। इंस्पेक्टर कैलाश जोशी ने कहा,
"आप जब तक खुलकर सब नहीं बताएंगे पुलिस आपकी मदद नहीं कर पाएगी।"
निशांत ने उसे सारी बात बता दी। वह बोला,
"हम तो बहुत उम्मीद लेकर आए थे कि दीपांकर दास हमारी मदद करेंगे। पर उन्होंने हमें निराश करके लौटा दिया। सर मैं बहुत परेशान था। कुछ समझ नहीं आ रहा था। मेरी बेटी उस हादसे के बाद से अंदर ही अंदर घुट रही थी। बस में बैठे हुए मन बहुत खराब था। उसे भांपकर राजेंद्र ने वह जाल बुना और मैं उसमें फंस गया।"
निशांत की आवाज़ भर्रा गई। इंस्पेक्टर कैलाश जोशी को उससे हमदर्दी महसूस हुई। वह सोच रहा था कि यह दुनिया कितनी विचित्र है। हर कोई दुख तकलीफ से गुज़रता है। फिर भी दूसरों की तकलीफ का फायदा उठाने से नहीं चूकता है। उसने कहा,
"आपकी बेटी अहाना के बारे में जानकर बहुत बुरा लगा। हम उसे तलाश करने की पूरी कोशिश करेंगे। पर आप भी आगे से ध्यान रखिएगा कि कोई भी परिस्थिति हो अपने विवेक से काम लेना ही सही होता है। मैंने सब इंस्पेक्टर नंदकिशोर को बस अड्डे की सीसीटीवी फुटेज लाने को कहा है। हो सकता है हमें राजेंद्र की तस्वीर मिल जाए तो हमारे लिए काम आसान हो जाएगा। आप अपनी बेटी की तस्वीर दे दीजिए।"
निशांत ने अपने फोन पर एक तस्वीर दिखाते हुए कहा,
"उस हादसे से एक हफ्ते पहले ही उसका चौदहवां जन्मदिन था। तब खींची थी।"
इंस्पेक्टर कैलाश जोशी ने फोटो को देखा। अहाना के चेहरे पर मुस्कान थी और आँखों में चमक। इंस्पेक्टर कैलाश जोशी की आँखें भी नम हो गईं। उसने कहा,
"मैं अपना नंबर दे रहा हूँ उस पर वाट्सएप कर दीजिए।"
निशांत ने उसके नंबर पर तस्वीर वाट्सएप कर दी। इंस्पेक्टर कैलाश जोशी ने कहा,
"पुलिस अपनी तरफ से पूरा ज़ोर लगाएगी। फिर भी कहा नहीं जा सकता है कि कितना वक्त लगेगा। तब तक आपका यहांँ रहना तो मुमकिन नहीं हो पाएगा। आप अपना पता और नंबर लिखवा दीजिएगा। हम आपसे संपर्क करते रहेंगे।"
निशांत ने उन्हें अपना पता और नंबर देकर कहा,
"मेरी बेटी मुझे दुनिया में सबसे अधिक प्यारी है। मेरी आपसे प्रार्थना है कि उसे ढूंढ़ दीजिए।"

देवयानी ने भी इंस्पेक्टर कैलाश जोशी के सामने हाथ जोड़ दिए। इंस्पेक्टर कैलाश जोशी ने कहा,
"पुलिस अहाना को तलाश करने में अपनी तरफ से कोई कमी नहीं छोड़ेगी। मैं मेरठ पुलिस से संपर्क करूंँगा। आप उस व्यक्ति के खिलाफ रिपोर्ट लिखाइए जिसने आपकी बेटी के साथ गलत किया था। पुलिस उस मामले में भी आपकी पूरी मदद करेगी।"

सब इंस्पेक्टर नंदकिशोर बस अड्डे की सीसीटीवी फुटेज लेकर आया था। उसमें राजेंद्र निशांत और उसके परिवार के साथ बस से उतरते हुए दिखाई पड़ा था। पर उसने बड़ी चालाकी से अपना चेहरा गमछे से छुपा रखा था। वह इस तरह से खड़ा था कि उसका चेहरा सीसीटीवी पकड़ ना पाए। सीसीटीवी फुटेज से कोई मदद नहीं मिल पाई थी। निशांत और देवयानी हताश होकर मेरठ चले गए थे। इंस्पेक्टर कैलाश जोशी की मदद से निशांत ने उस व्यक्ति के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज़ कर दी थी जिसने उसकी बेटी का जीवन बर्बाद किया था।