Gyarah Amavas - 9 in Hindi Thriller by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | ग्यारह अमावस - 9

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ग्यारह अमावस - 9



(9)

किसी तरह बाइक घसीट कर वह अपने घर ले गया था। उस रात देर तक जागते हुए वह महिपाल के बारे में सोच रहा था। वह ताकतवर बनने की बात कर रहा था। बचपन से वह खुद भी तो यही सोचता रहा था कि काश उसे कुछ ऐसा मिल जाए जिससे वह ताकतवर बन जाए। जैसा कि किस्से कहानियों में होता है। बचपन में लंबे समय तक वह ऐसे चमत्कार की उम्मीद लगाए रहा था। लेकिन समय के साथ उसे समझ आ गया था कि किस्से कहानियों को छोड़कर कहीं ऐसा नहीं होता है। उसने मान लिया था कि उसे ऐसे ही अपनी ज़िंदगी जीना है।
महिपाल ने उसे अगले दिन दोपहर को रेस्टोरेंट के बाहर मिलने को कहा था। वह उसे कहीं ले जाना चाहता था। गगन सोच रहा था कि क्या सचमुच वह उसकी मदद करेगा। पर उसके मन में आया कि ऐसा ना होता तो ठंड में वह उसके पीछे पीछे चलकर ना आया होता। वह रेस्टोरेंट में उसके व्यवहार को याद करने लगा। दो बार वह उसकी टेबल पर गया था। पानी देते समय जब उससे थोड़ा पानी टेबल पर गिर गया था तो उसने दूसरों की तरह उसकी बेइज्ज़ती नहीं की थी। बल्की मुस्कुरा कर कहा था कि कोई बात नहीं। कपड़ा ला कर पोंछ दो। इसलिए गगन को उसकी बात पर यकीन हो रहा था। उसने तय कर लिया था कि वह कल दोपहर रेस्टोरेंट के बाहर उससे मिलेगा।
दोपहर को उसने अपने मालिक से ज़रूरी काम है कहकर छुट्टी ले ली थी। वह रेस्टोरेंट के पास अपनी बाइक लिए महिपाल का इंतज़ार करने लगा। कुछ देर में एक कार आकर रुकी। ड्राइवर ने नीचे उतर कर गगन से कहा,
"सर गाड़ी में हैं। बैठ जाओ।"
गगन कुछ झिझक के साथ कार की पिछली सीट के दरवाज़े तक गया। उसे महिपाल बैठा दिखाई पड़ा। महिपाल ने उसे इशारे से अंदर बैठने को कहा। गगन ने कहा,
"मेरी बाइक साथ है।"
महिपाल ने पूछा,
"ठीक हो गई थी ?"
"सुबह करवा ली थी।"
महिपाल ने कुछ सोचकर कहा,
"बाइक यहीं कहीं रखवा दो। कार से ही चलना है।"
गगन रेस्टोरेंट के बाहर अपनी बाइक पार्क कर आया। वह कार के पास गया। दरवाज़ा खोलकर अंदर बैठ गया। कार उसे लेकर आगे बढ़ गई। रास्ते में महिपाल ने कोई बात नहीं की। कार शहर से निकल कर हाईवे पर आ गई थी। हाईवे पर करीब दस मिनट चलने के बाद कार अंदर जाती एक सड़क पर उतर गई। कुछ आगे जाने पर एक बड़ा सा घर दिखा। कार उसके अंदर चली गई।
यह एक बंगला था। कार पोर्टिको में जाकर रुकी। महिपाल कार से उतरा। गगन भी दूसरी तरफ से उतर गया। महिपाल ने उसे अपने साथ आने का इशारा किया। दोनों लॉन पार करते हुए बंगले के पिछले हिस्से में पहुँचे। यहाँ एक आउट हाउस था। महिपाल उसे अंदर ले गया। वहाँ पाँच और लोग थे। महिपाल ने कहा,
"यह हमारा नया साथी है गगन।"
गगन ने देखा कि वहाँ मौजूद सभी आदमी पच्चीस से तीस साल के थे। महिपाल ने उससे कहा,
"तुम इन लोगों के साथ ठहरो। थोड़ी देर में मीटिंग शुरू होगी। तब तुम्हें सब पता चल जाएगा।"
महिपाल वहाँ से चला गया। गगन एक प्लास्टिक की कुर्सी पर बैठ गया। उसने कमरे में नज़र दौड़ाई। सभी अपने आप में खोए हुए चुपचाप बैठे थे। कोई किसी से बात नहीं कर रहा था। उनमें से एक स्मार्ट सा था। वह अमीर घर का लग रहा था। वह अपने आईफोन पर कोई गेम खेल रहा था। उसके अलावा बाकी चार लोग गगन की तरह ही साधारण घरों के लग रहे थे। करीब आधे घंटे के बाद महिपाल वापस लौटकर आया। उसने कमरे का दरवाज़ा बंद कर दिया। सब लोगों ने अपनी कुर्सियों को इस तरह व्यवस्थित कर लिया कि उसकी तरफ देख सकें।
महिपाल कुछ देर तक उन सभी को देखता रहा। गगन उसकी तरफ देख रहा था। उसे लगा जैसे कि उसकी आँखें महिपाल की आँखों की गहराई में उतरती जा रही हैं। कुछ देर में वह यंत्रवत उसकी तरफ देख रहा था। महिपाल ने कहा,
"तुम्हारे अंदर दुनिया के लिए नाराज़गी है। इस नाराज़गी की अपनी एक वजह है। तुम्हें लगता है कि दुनिया तुम्हारे साथ अच्छा नहीं करती है। लेकिन तुम अपनी नाराज़गी को दुनिया के सामने रखने की हिम्मत नहीं कर पाते हो। अपने गुस्से को अपने मन में छुपा कर रखते हो।"
महिपाल ने एकबार फिर रुककर सबकी तरफ देखा। गगन सिर्फ उसकी तरफ देख रहा था। उस समय उसे महिपाल के सिवा वहांँ किसी और की उपस्थिति का कोई एहसास नहीं था। उसे लग रहा था कि महिपाल ने जो कुछ कहा वह सिर्फ उससे संबंध रखता है। महिपाल ने आगे कहा,
"कभी मन में आता होगा कि कोई शक्ति मिल जाए तो इस दुनिया को दिखा दूँ कि मैं क्या हूँ। लेकिन ऐसी कोई शक्ति आज तक नहीं मिली।"
महिपाल के चेहरे पर एक कठोरता आ गई। उसने तेज़ आवाज़ में कहा,
"जो दुनिया को अपने कदमों में झुका दे ऐसी शक्ति आसानी से नहीं मिलती है। उसे हासिल करना पड़ता है। क्या तुम उस शक्ति को हासिल करने के लिए तैयार हो ?"

महिपाल की आवाज़ में सम्मोहन था। गगन को लगा जैसे कि वह उससे ही पूछ रहा है‌। उसने कहा,
"हाँ तैयार हूँ...."
महिपाल के चेहरे पर एक चमक आ गई। उसने कहा,
"मैं एक बार फिर कहता हूंँ। उस शक्ति को पाना आसान नहीं है। उसके लिए तपस्या करनी होगी। मुसीबतें उठानी पड़ेगी। अब बोलो तैयार हो।"
"हाँ....."
महिपाल का चेहरा और अधिक चमक उठा। उसने कहा,
"एकबार अगर वह शक्ति तुम्हारे पास आ गई तो दुनिया तुम्हारे आगे झुकेगी। तुम लोगों को अपने हिसाब से चलाओगे। उस शक्ति को पाने के लिए पहले अपने जैसे पाँच और लोगों को ढूंढ़ना होगा। अपने आसपास देखो। जो लोग तुम्हारी तरह अंदर ही अंदर घुट रहे हैं। जो इस दुनिया से नाराज़ हैं। जिनके साथ दुनिया अच्छा नहीं करती है। जो इस दुनिया से बदला लेना चाहते हैं। उन सबको पहचान कर मेरे पास लाओ। जब हमारी टीम तैयार हो जाएगी तो मैं बताऊँगा कि आगे क्या करना है।"
यह कहकर महिपाल ने ज़ोर से ताली बजाई। गगन जैसे किसी सपने से बाहर आया था। लेकिन उसे अच्छी तरह याद था कि उसने सपने में क्या देखा। उसने अपने आसपास नज़र दौड़ाई। सब उसी तरह से देख रहे थे जैसे कि किसी सपने से जागे हों। महिपाल ने कहा,
"अब तुम सब जाओ। जैसा मैंने कहा है हमारी टीम पूरी करो। तुम लोगों को मैंने तलाश किया है। अब तुम्हारी ज़िम्मेदारी है। जितनी जल्दी हमारी टीम पूरी होगी उतनी ही जल्दी हम अपने लक्ष्य की तरफ आगे बढ़ेंगे।"
उसके बाद मीटिंग खत्म हो गई थी। सब अपने अपने घर चले गए। महिपाल ने गगन से उसका नंबर लेकर एक वाट्सएप ग्रुप से जोड़ दिया था। उसने कहा था कि इस ग्रुप में उसे आवश्यक सूचनाएं मिलती रहेंगी। महिपाल ने उस दिन उसे रेस्टोरेंट तक छुड़वा दिया था।
कुछ दिनों में सदस्यों की संख्या ग्यारह हो गई। उसमें एक सदस्य को गगन ने ही जोड़ा था। संजीव कभी उसके साथ स्कूल में पढ़ता था। तब वह बहुत खुशदिल लड़का था। लेकिन जायदाद के झगड़े में उसके माता पिता का कत्ल कर दिया गया था। उसके हिस्से की जायदाद धोखे से हड़प ली गई थी। वह कुछ नहीं कर पाया था। जब भी अपने साथ बुरा करने वालों को सुखी देखता था उसके कलेजे पर सांप लोटते थे। कुछ कर ना पाने के कारण वह भी मन ही मन घुटता था। संजीव से गगन की मुलाकात महिपाल के घर हुई मीटिंग के बाद हुई थी। उसने संजीव को महिपाल की बातों के बारे में बताया। वह भी उनके ग्रुप का सदस्य बन गया।
ग्रुप के सदस्यों की संख्या ग्यारह हो जाने के बाद एक मीटिंग हुई। यह मीटिंग आधी रात के बाद महिपाल के बंगले के उसी आउट हाउस में हुई थी। इस बार फर्श पर दरी बिछी हुई थी। कमरे में मद्धम रौशनी थी। सभी अपनी अपनी जगह चुपचाप बैठे थे। महिपाल कमरे में आया। पिछली बार की तरह दरवाज़ा बंद कर दिया। उसने कुछ क्षण सामने बैठे लोगों को देखा। पहले की तरह गगन सम्मोहन की अवस्था में पहुँच गया था। महिपाल ने गंभीर पर तेज़ आवाज़ में कहा,
"अब तुम सभी की यात्रा का आरंभ होना है। इस यात्रा में चाहे जो भी कठिनाई आए तुम्हें पीछे नहीं हटना है। डटे रहना है। सफल होने पर तुम उस शक्ति के स्वामी हो जाओगे जिसकी मदद से तुम अपनी सारी ख्वाहिशें पूरी कर पाओगे। जो अभी तुम्हें दबाते हैं कल तुम्हारे सामने झुके होंगे। क्योंकी तुम पर शैतानी शक्तियों के स्वामी ज़ेबूल का आशीर्वाद होगा।"
महिपाल रुका। उसने अपने हाथ ऊपर उठाकर कहा,
"ज़ेबूल समस्त शैतानी शक्तियों का स्वामी है। वह हमारा आराध्य है। मैं उसे प्रसन्न करने के लिए कुछ भी करूँगा।"
गगन के हाथ यंत्रवत ऊपर उठ गए। उसने भी वही बात दोहराई। महिपाल ने कहा,
"जांबूर शैतानी शक्तियों के स्वामी ज़ेबूल का उपासक है। वह तुम्हारी मदद करेगा।"
महिपाल ने ज़ोर से ताली बजाई। गगन फिर से सम्मोहन से बाहर आ गया। उसने इधर उधर देखा। सभी उसकी तरह इधर उधर देख रहे थे। उससे कुछ दूरी पर बैठा संजीव हतप्रभ लग रहा था। महिपाल ने कहा,
"मेरा काम खत्म हो गया। तुम लोगों की मुलाकात अब जांबूर से होगी। तुम सभी को अब एक नए व्हाट्सएप ग्रुप ब्लैक नाइट से जोड़ा जाएगा। उस पर अगला आदेश मिलेगा। मेरी और तुम सबकी यह अंतिम मुलाकात थी। अब तुम लोग जाओ।"
गगन और संजीव उस मीटिंग के बाद लौट आए थे। दोनों उत्साहित थे कि वह इस दुनिया को झुका सकें ऐसी शक्ति पाने वाले हैं।
महिपाल से उनकी मुलाकात अंतिम ही साबित हुई। उसके बाद महिपाल का कोई पता नहीं चला। एकबार गगन उस बंगले में उससे मिलने गया था। पर वहाँ कोई नहीं था। उन लोगों को करीब एक महीने के बाद ब्लैक नाइट ग्रुप पर मैसेज मिला। उन्हें बसरपुर में मिलने को कहा गया।