Mai bhi fouji - 3 in Hindi Motivational Stories by Pooja Singh books and stories PDF | मैं भी फौजी (देश प्रेम की अनोखी दास्तां) - 3

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मैं भी फौजी (देश प्रेम की अनोखी दास्तां) - 3

रुस्तम सेठ की बात सुनकर गुस्सा तो बहुत आ रही थी पर बेबस अपने गांव से दूर उस विरान से कारखाने में कैद हो चुका था ...कितने साल हो गये थे बाहर की दुनिया न देखे
मन तो था बस भाग जाऊं पर ऐसा संभव नहीं हो पाया ...!
....बहुत दिन बीत गये थे यहां काम करते करते ...एक दिन अचानक कारखाने के सभी दरवाज़े , खिड़कियों पर परदे डाले जा रहे थे , जब मैने पूछा ऐसा क्यूं हो रहा हैं तब किसी ने बताया की कुछ खास मेहमान आ रहे हैं इसलिए रुस्तम सेठ ने यहां सबकुछ बंद करने के लिए कहा हैं और सबको बिना सवाल किये अपने-अपने कमरो में जाने के लिए कहा हैं ....मुुझे बहुत अजीब लगा आखिर ऐसा क्या हुआ अचानक ....सब अपने कमरों में बैठे थे पर मुझसे ये सब सहन नहीं हो रहा था ....इस स्थिति को समझने के लिए मैं गलियारे वाले कमरे की तरफ जाने लगा ...सबने मुझे रोका पर मुझे जानने की धुन थी आखिर क्या हैं इसलिए मैंने सबकी बातें अनसुनी कर दी और गलियारे की तरफ बढ़नें लगा ...जाते जाते मैं सोच रहा था रुस्तम सेठ ने आजतक मुझसे कभी कोई बात नहीं छुपाई और अपने हर खास मेहमानो से भी मिलवाया हैं ...मैं तो सबको जानता हूं फिर अचानक ऐसा कौनसा खास मेहमान हैं जिसे मैं भी नहीं देख सकता , यही जिज्ञासा मुझे गलियारे वाले कमरे की तरफ खींच रही थी ...एकाकी मैं रुका और ज्योही मैने परदे के हल्के से छेद से झांका मैं सन्न रह गया 😱
.....मैने कभी सोचा भी नहीं था वहां कुछ ऐसा होगा ...जैसे ही मैने परदे के हल्के से छेद से झांका तो वहां उस कमरे में चार -पांच नकाबपोश बैठे हुऐ थे , जिनके पास मेरे सोच से भी परे हथियार थे ..बंदूके उन्होनें मेज पर बिखेर रखें थे और सबके सब अपनी अपनी पसंद की बंदूके उठा कर उसे गोलियों से भर रहे थे ,,देखने में में मुझे सैनिक नहीं लगे , मैं समझ गया था ये कौन हैं , ये कोई और नही आतंकवादी हैं क्योंकि मैने कैप्टन अंकल से सुन रखा था इनके हुलिऐ के बारे में .....ये लोग जरुर दहशत फैलाने जा रहे होंगे... तभी वो लोग आपस में बाते करने लगे ...!
उनकी बाते मुझे साफ - साफ सुनाई नहीं दे रही थी ,इसलिए मैं थोड़ा और आगे बढ़ा और कान लगाकर उनकी बाते सुनने लगा ...!
इन सबकी बात सुनकर मेरे शरीर के सारे रोए कांप उठे ...😱इतनी घटिया योजना सच कहते है आंतकी के पास दिल नहीं होता... उनकी सारी योजना को चुपचाप सुनकर और दिए तारिखो को लिखकर मैं चुपचाप वहां से वापस अपने कमरे की तरफ आ गया .....!
उसके बाद से मुझे रुस्तम सेठ से नफरत सी हो गयी थी
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आखिर जिस देश में रहते है उसका सम्मान करना चाहिए , अपने देश की शान बचाने के लिए अपने प्राणो की आहुति तक चढाने से नहीं कतराना चाहिए ....!
अपने देश की आन को इस तरह निलाम नहीं करना चाहिए, आखिर इतना पैसा किस काम का जओ देश मां को बेचकर कमाया गया हो घृणा हैं ऐसे व्यक्तियों से ...!
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.....क्रमशः ......