सुबह सुबह आज उठी तो पड़ोसियों के घर से कुछ शोर आता हुआ सुनाई दिया,सोचा उनसे जाकर पूछ लूँ कि आखिर माजरा क्या है?
पड़ोसिन बोली.....
बच्चे आज नदी में नहाने की जिद कर रहे हैं लेकिन हमारे रिश्तेदारी ऐसी कोई भी नदी से नहीं है जिसे हम घर बुला सकें और बच्चे उसमें नहा सकें....
मैनें कहा,बस इतनी सी बात ,मेरी एक सहेली नदी है आप कहते है तो मैं अभी उसे फोन करके बुला लेती हूँ।।
बहुत बहुत धन्यवाद जी! अगर आप ऐसा कर सकें तो बहुत मेहरबानी होगी,बच्चों का दिल खुश हो जाएगा...
मैने कहा,इसमें मेहरबानी की क्या बात है? आखिर मैं आपकी पड़ोसन हूँ,बस मैं अभी उसे करके बुला लेती हूँ और घर आकर मैने अपनी नदी सहेली को फोन लगाया,लेकिन वो बोली....
यार! मेरे पैर में चोट लग गई है,मैं ऐसे नहीं आ सकती तू लिवा लेजा।।
मैने कहा,तू तैयार रहना,बस मैं अभी आई....
वो बोली,ठीक है ।।
और कुछ ही देर में मैं उसे अपने कन्धों पर लाद लाई और सामने वाली सडक पर रखकर पड़ोसिन और उसके बच्चों को बुला लिया,बच्चे बहुत खुश हुए ,सबने जीभर का नहाया,पड़ोसी तो क्या फिर मुहल्ले भर ने उसमें खूब तैर तैरकर नहाया,जब सबका नहाते हुए जी भर गया तो नदी बोली...
अब मैं घर जाना चाहती हूँ,चलो मुझे छोड़कर आओ....
मैने फिर उसे अपने कंधों पर लादा और उसे छोड़ने चल पड़ी उसके घर,उसके घर पहुँचकर चाय पी फिर मैं वापस आने को निकल पड़ी,लेकिन इस बार मुझे लगा कि शायद मैं रास्ता भटक गई,चलते चलते रास्ते में एक पेड़ मिला,मैने पास जाकर देखा तो वो पेड़ दो दो हजार के गुलाबी नोटों से लदा हुआ था,
मैने उस पर पत्थर चला चलाकर दो दो हजार के खूब नोट तोड़े ,जब ढ़ेर लग गया तो सोचा इन्हें किसमें साथ ले चलूँ,तब मैने अपना दुपट्टा निकाला और उन नोटो की बहुत बड़ी सी पोटली बनाकर अपने साथ लेकर चलने लगी और उस जगह को चिन्ह्ति कर दिया ताकि भविष्य में कभी रूपयों की जरूरत हो तो उस पेड़ से रूपए तोड़ सकूँ।।
फिर आगे चली तो देखा कि कुछ चीटियांँ एक हाथी को कुचल रही थी और कुचल कुचल कर उस हाथी की दुर्गति कर दी थी,मैने पास जाकर उन चीटियों से पूछा कि क्या बात है? क्या किया है इस हाथी ने....
उनमे से एक बोली....
इसने हमारे कबीले की लड़की को भगाकर बहुत बड़ा अपराध किया है,ऊपर से उसकी माँग में सिन्दूर भी भर दिया,हमारे कबीले की लड़की को भगाने की सजा तो इसे मिलेगी ...बराबर मिलेगी....
वो हाथी बोला....
ये सच है कि मैने उसे भगाया क्योकि मुझे उससे मौहब्बत थी लेकिन जब मैने अपनी शादी की बात इस कबीले के सरदार से की तो उन्होंने मुझे तारीख पर तारीख....तारीख पर तारीख ....तारीख पर तारीख दी तो मैं क्या करता ? एक अच्छी सी तारीख देखकर मैं भी उसे भगा ले गया,अब मुझे ये देखना मैडम जी! कि आप मेरे साथ इन्साफ़ करती हैं कि देतीं है आप भी एक और तारीख....
हाथी की बात सुनकर मेरा मन भर आया और मैने चीटियों से कहा....
अब तो आपकी बेटी सुहागन हो चुकी है,देखिए ना उसका मासूम सा चेहरा! कैसैं सुहाग के जोड़े में सिर झुकाएं बैठीं है अगर वो विधवा हो गई तो क्या आप सब खुद को जीवन भर माँफ कर पाएंगें.....
मेरी बात सुनकर चीटियों को कुछ अकल आई और वो उस ब्याह के लिए रजामंद हो गई....
मै आने लगी लेकिन तभी मुझे ध्यान आया कि जरा पूछू तो ये कौन सी जगह है?
तभी उनमे से एक बोली ...
ये गप्प वन है शायद आप यहाँ भटक गईं हैं,वो जो बड़ा सा पेड़ है उसके पास एक गुफा है और वहाँ से एक गली शहर को जाती है,आप वहाँ से ही शहर निकल जाइएगा....।।
मैं उन सबको धन्यवाद देकर आगें चली आई ,आगें जाकर गुफा मिली ,वहाँ मुझे किसी के रोने की आवाज सुनाई दी,पास जाकर देखा तो शेरनी सुबक रही थी.....
मैने पास जाकर उससे पूछा....
शेरनी बहनजी! क्या बात है? आप क्यों रहीं हैं?
शेरनी बोली....
हमारी बहु ने मेरे पति और बेटे पर डोमेस्टिक वायलेन्स का केस ठोक दिया है।।
मैने पूछा ,लेकिन क्यों?
शेरनी बोली.....
कल रात मेरा बेटा थकाहारा शिकार से लौटा ,वो ताजा ताजा माँस लेकर आया था लेकिन हमारी बकरी बहु बोली....
मैं ये नहीं बनाऊँगी,तुम लोगों को आज के बाद मेरी तरह घास ही खानी होगी।।
बेटे ने थोड़ा डाँट दिया तो उसने अपने पैने सींग उसके पेट में घुसा दिए,मेरे पति ने मना किया तो उसने फौरन पुलिस को फोन कर दिया और पुलिस मेरे पति और बेटे क़ो ले गई,इसलिए तो मना किया था बेटे से कि प्रेमविवाह मत कर,सफल नहीं होगा और जिसका डर था वही हुआ.....
इतना कहकर वो रोने लगी,मैने उसे सान्त्वना दी और कहा कि चिन्ता मत करो,मैं शहर जाकर उन्हें छुड़वा देती हूँ,शेरनी ने मेरे पैर छूकर आभार प्रकट किया....
फिर मैं आगें बढ़ी तो जोरों की हवा चलने लगी,हवा क्या थी तूफान था और मैं अपने आप को सम्भाल नहीं पाई ,मेरी पोटली खुल गई और सारे गुलाबी नोट तूफान के साथ कहीं चले गए....
तभी अचानक मेरी आँख खुल गई और मैने मन में सोचा....
हाय रे! मेरे गुलाबी नोट....🙏🙏😃😃
समाप्त.....
सरोज वर्मा....