Raat - Ek Rahashya - 5 in Hindi Horror Stories by Sanjay Kamble books and stories PDF | रात - एक रहस्य - 5

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रात - एक रहस्य - 5


वह काफी देर तक मुझे समझाता रहा और मैं चुपचाप मुस्कुराते हुए दोनों को बाय बोलकर अपनी कार से घर के लिए निकला।
काश उस वक्त मैने उसकी बात मान ली होती तो आज ये नौबत नहीं आती।

लगता है कोई आवाज आ रही है। एक जानी पहचानी आवाज जो कुछ देर पहले मैंने सुनी थी। जमीन पर किसी के घंसीटेजाने की आवाज। आवाज उस दरवाजे के बिल्कुल दूसरी तरफ से आ रही है। मतलब , मतलब वह शैतानी ताकत इस दरवाजे की दूसरी तरफ मौजूद है ?
मतलब वो किसी भी वक्त दरवाजे से होते हुए भीतर आ सकती है ?

डर के मारे मेरे बदन से इतना पसीना आ रहा है कि मेरे सारे कपड़े पसीने की वजह से गीले हो चुके हैं। मेरा गला इस तरह से सुख चुका है की जैसे कोई इंसान तपती, आग उगलती धूप में बंजर वीरान रेगिस्तान की पीली गर्म रेत पर कोसो मील बिना पानी के चलकर थक गया हो। रात के ३:१५ मिनट हुए हैं। समय किसी बुढ़े थके कछुए की तरह धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है। कब तक मैं ऐसे किसी लाश की तरह पड़ा रहूं। यहां से भागना चाहूं तो सब से पहले मुझे वो सीढ़ियां उतरनी होगी। यहां आते वक्त में धीरे-धीरे वह सीढ़ियां चढ़कर आया हूं क्योंकि वह सीढीया काफी कमजोर हो गई है। अगर यहां से भागते हुए मेरे पैर से कोई कमजोर लकड़ी टूट गई और उसके अंदर मेरा पैर फंस गया तो मैं बेमौत मारा जाऊंगा। और वैसे भी मैं आवाज नहीं कर सकता जिंदा रहना है तो लाश बनकर ऐसे ही पड़े रहना होगा सुबह होने तक।

क्योंकि उस रात खाना खाते वक्त मेरे दोस्त ने उस घर में घटी एक घटना के बारे में बताया था।

"सुबह होने तक तु उस घर से निकल नहीं सकता. उस घर के भीतर जो शैतान है वो कैसा दिखता है यह किसी को नहीं पता, पर वो वहां से किसी को जिंदा बाहर जाने नहीं देता ये डरावनी सच्चाई है। "

"अरे बेवकूफ तुझे अब भी लगता है वह कोई शैतानी या बुरी आत्मा है ? चल मैं तुझे दिखाता हूं वहां पर कुछ भी नहीं है। मैं घर से जिंदा निकलूंगा।"

"बुरी आत्मा। तु काफी अनजान हैं यार। "

और खाना खाते हुए उसने एक रहस्य बता दिया।

" इस हादसे को तकरीबन 10 साल से ऊपर हो गए। उस घर में पति पत्नी रहते थे। उसका पति शैतानी ताकतों को अपने वश में करने के लिए पुजापाठ किया करता। इसी बात को लेकर दोनों में हमेशा झगड़ा होता था। एक रात दोनों अपने बेड पर सो रहे थे के तभी आधी रात को किसी ने उसके घर के दरवाजे पर दस्तक दी। पति दरवाजा खोलने के लिए सीढ़ियां उतरकर नीचे आ गया, उसके पीछे उसकी पत्नी भी चुपचाप नीचे आ गई। पति ने दरवाजा खोला और झट से हाथ जोड़कर अपने घुटनों पर बैठ गया। उसका पति नीचे बैठते ही पत्नी की नजर दरवाजे की बाहर खड़ी उस चीज पर पड़ी, एक अजीब सी काली परछाई दरवाजे पर खड़ी थी। जो पानी की तरह तरल और आकारहीन लग रही थी। उसे दरवाजे पर देखते ही वह औरत डर के मारे कांपना लगी। मगर हिम्मत जुटाकर उसकी पत्नी सब कुछ देख रही थी। उस शैतानी आत्मा ने उस आदमी के शरीर में प्रवेश कर सबसे शक्तिशाली बनाने का वचन दिया। पर शरीर में प्रवेश करने से पहले उसे अपनी पत्नी की बलि देनी होगी।
वो भी बिना समय गंवाए अपनी पत्नी की बलि चढ़ाने के लिए तैयार हो गया। यह विधि दो दिन बाद पुनम की रात पड़ने वाले चंद्र ग्रहण के वक्त संपन्न करनी थी। पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। पत्नी ने सब सुन लिया था। पुनम की रात आ गई। चांद पुरी शिद्दत से अपनी सफेद रौशनी चारों ओर उड़़ेल रहा था। उस आदमी की नींद उड़ गई थी। उस वक्त चंद्र ग्रहण शुरू होने वाला था। उस आदमी ने तैयारी पुरी कर ली पुजा पाठ की सामग्री जमा कर अग्नि प्रज्वलित किया। पास ही तेज धार वाला खंजर छुपाकर रखा। बेड पर सोई पत्नी को दोनों हाथों से उठाकर पुरास्थल पर ले कर रख दिया। पत्नी आधी खुली आंखों से सब शांति से देख रही थी। वो घर के तहखाने में थी। बीच में यज्ञकुंड धुंधुं कर के जल रहा था। हवनकुंड में लाल पीली आग की लपटें जैसे नाच रही थी। उस अग्नि कुंड में एक एक चम्मच घी अग्नि में अर्पित करते हुए वो कुछ मंत्रों का जाप लगातार कर रहा था। कुछ ही देर में उस तहखाने के एक कोने में कुछ हलचल हुई। और वही पानी कि तरह तरल परछाई स्पष्ट होने लगी। चंद्र ग्रहण शुरू हो गया और वो शैतानी आत्मा उसके भीतर प्रवेश करने लगी। की तभी अंधेरे में छुप कर बैठा एक इन्सान झट से बाहर निकला। उसके हाथ में तेज धार वाली कुल्हाड़ी थी। कुल्हाड़ी हवा में लहराई और एक के बाद एक घाव उसके पेट पर होने लगा। कुछ ही पल में उसके पति के जिस्म के दो टुकड़े कर दिए। पेट के उपर का हिस्सा और नीचे का हिस्सा। दोनों हिस्से अलग होकर जमीन पर फड़फड़ाने लगे। वो शैतान उसके पती के नीचे वाले आधे हिस्से में रह गया। उसके पति के टुकड़े करने वाले उस इन्सान ने उसके पति के शरीर का नीचला हिस्सा जीसे शैतानी आत्मा ने जकड़ रखा था उसे घर के पीछे वाले कुंए में फेंक दिया गया, और उपर का हिस्सा कभी नहीं मिला।'

"मतलब शिकारी खुद शिकार बन गया, अपनी पत्नी को बलि चढ़ाने चला था, पत्नी के आशिक ने उसकी ही बलि चढ़ा दी।"
कहते हुए मैं ठहाके लगाकर हंसने लगा।

"सही कहा, पत्नी ने अपने प्रेमी से अपने शैतान पति को खत्म किया, तब से लेकर अब तक उस घर में हर साल चंद्र ग्रहण की रात बलि दी जाती है। पर गर्दन काटकर नहीं बल्कि पेट से काटकर दो हिस्से किये जाते हैं। एक हिस्सा कुंऐ में फेंका जाता है तो दुसरा उसी घर के एक अंजान कमरे में रखा जाता है।

क्रमशः