Raat - Ek Rahashya - 4 in Hindi Horror Stories by Sanjay Kamble books and stories PDF | रात - एक रहस्य - 4

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रात - एक रहस्य - 4


उसने दरवाजे की तरफ देखा तो दरवाजा बंद हो चुका था और बाहर से कोई दरवाजे पर लगातार दस्तक दे रहा था।

" लगता है इस घर का मालिक आ गया है । लेकिन अगर घर का मालिक है तो घर के दरवाजे पर दस्तक देने की क्या जरूरत है और सीधा अंदर आ सकता था।"

दबे पैरों से वो सीढ़ियां उतर कर नीचे आने लगा। अभीभी दरवाजे के ऊपर दस्तक हो रही थी। धीरे-धीरे कदम बढ़ाते हुए दरवाजे की तरफ चलने लगा। वो काफी डर गया था। अब दरवाजा 10 से 15 फीट की दूरी पर ही था कि तभी लगातार होने वाली दस्तक एकदम से बंद हो गई। सब कुछ एकदम से शांत हो गया। ना किसी तरह की आवाज ना दरवाजे पर कोई दस्तक, बिल्कुल शांत। पर कहते हैं ना, हद से ज्यादा सन्नाटा इंसान की जान लेने के लिए काफी होता है। वह लड़का भी उस जानलेवा सन्नाटे से काफी डरा हुआ था। उसकी खौफ से भरी नजरें उसी सामने वाले दरवाजे के ऊपर टिकी हुई थी। डर की वजह से उसे अपने दिल धड़कने वाले दिल की आवाज साफ साफ सुनाई दे रही थी। वह यह नहीं समझ पा रहा था कि 'इतनी देर से दरवाजे पर होने वाली दस्तक आखिर रुक क्यों गई?'
वह दरवाजे की तरफ देख रहा था कि तभी उसके पीछे सीढ़ियां के ऊपर कोई तेजी से दौड़ता चला गया। पीछे से आए उन कदमों की आवाज से वह चौक कर झट से पीछे मुड़ा और मोबाइल के टॉर्च की रोशनी सिढीयो पर डाली पर उसे कोई दिखाई नहीं दिया। कुछ सेकंड वह टॉर्च की रोशनी में कमरा ठीक से देखने लगा। उस गहरे सन्नाटे में अब उस जगह रूकने में भी उसे डर लग रहा था।
" यहां से निकलने में ही भलाई है।"
इतना कहकर उसने रोशनी फिर एक बार सीढ़ियों पर डाली थी के तभी उसके पीछे वाले दरवाजे में कुछ हलचल होती उसके कानों पर पड़ी। धीरे से अपनी गर्दन घुमाकर वह पिछे देखने लगा। वो दरवाजा धीरे धीरे खुल रहा था। पुरानी लकड़ी से बने दरवाजे की कर्रर्र करर्र ऐसी आवाज उसके दिमाग को जैसे कुरेद रही थी। दोनों तरफ का दरवाजा आधा ही खुला और वैसा ही रह गया। उसकी नजरें दरवाजे के बाहर ही टिकी हुई थी। बाहर रात के गहरे सन्नाटे ने जैसे सब कुछ निकल लिया था। और जो भी रात में बाहर निकलता उसे भी वो निगलने के लिए तैयार बैठा था। उस लड़के के दिल में बैठा डर उसे घर में रुकने के लिए मना कर रहा था तो दूसरी तरफ घर से बाहर फैला खौफनाक अंधेरा जैसे किसी काले अजगर की तरह उसे निगलने की घात में दुबककर बैठा था। उसने फैसला किया,
' अब यहां नहीं रूकना है। सामने वाले दरवाजे से दौड़ते हुए बाहर निकल कर अपनी गाड़ी के पास जाकर वहीं रात गुजरूंगा।'

चारों तरफ अपनी डर भरी नजरें घुमाई और सामने वाले उस दरवाजे को देखा। हिम्मत जुटाई। और अब वो तेजी से उस दरवाजे की ओर दौडने वाला था पर......वो अपने पैरों को हिला नहीं पा रहा था। उसने टार्च की रोशनी नीचे डाली और एक खौफनाक चीख उसके मुंह से निकली।

कॉफी का एक घुंट लेकर कप नीचे रखते हुए मैंने उससे पूछा।
" उसके पैरों में ऐसा क्या था जिससे वह इतना डर गया ?"

" पता नहीं पर 2 दिन बाद उसकी लावारिस गाड़ी उसी घर के सामने वाली सड़क पर मिली।"

"और वो ?"

" उसका पेट के नीचे का आधा कटा हुआ शरीर उसी बंगले के कुंए में पड़ा मिला। उपर का आधा शरीर कहा गया किसी को पता नहीं। इस घटना को एक साल हुआ ।"
कहकर मेरे दोस्त ने खाली कप टेबल पर रख दिया। उसकी डरी हुई शक्ल को देखते हुए मैंने कहा

" आज तक इतनी बद्दी बकवास और बेहूदा भूतिया घटना मैंने पहले कभी नहीं सुनी।"

" भद्दी ? "

" और नहीं तो क्या। जिसके अंदर थोड़ा सा भी लॉजिक है वह झट से समझ जाएगा जिसके साथ इतना बड़ा वाकया हुआ अगर उसकी लाश नहीं मिली तो यह सब बताया किसने ? उसके भुत ने ?😂😂😂"

इतना कहकर मैं ठहाके लगाकर हंसने लगा। मेरी बात सुनकर शायद मेरा दोस्त थोड़ा खफा हो गया।
मैने दुबारा भाभी जी की और देखा और कहा.
" भाभी जी बुरा मत मानना लेकिन। आपके पति कुछ ज्यादा ही डरपोक है।"

मेरी बात सुनकर भाभी जी ने कहा,
" वे डरपोक नहीं है, बस चीजों की कद्र करना जानते हैं "
इतना कहकर वे सोफे पर से उठी और बोली।
" आप दोनों बातें कीजिए मैं खाना लगाती हूं"
और वो किचन में चली गई। मेरी नजरें उन्हीं को पिछे से निहार रही थी। काफी खूबसूरत और आकर्षक थी।
" तुम्हें इन सब बकवास चीजों से दूर रहना चाहिए।"
मेरे दोस्त की आवाज ने एकदम से चौक गया।
" मतलब।?"

" मतलब तुम्हें भूत प्रेत ऐसी बातों से दूर रहना।"

" दूर रहना छोड़, अगर मेरा बस चले तो मैं उनके साथ रात बिताऊं।"

विनीत ने मेरी तरफ देखते हुए कहा।

" रात , और भुतों के साथ ?"

" हां, सही सुना।"

"२५००० ₹ , अगर तुमने सिर्फ एक रात उस घर में बिताई तो मैं तुझे पूरे ₹25000 दूंगा । बोल लगाता है शर्त ?"

अब मेरी बोलती बंद हो गई, उसने एकदम से शर्त लगाई। शायद मैंने उसे कुछ ज्यादा ही उकसाया था।
" यार क्या बात कर रहा है तु ?"

तभी खाना लेकर विनीत की पत्नी बाहर आ गई।
" क्या बातें हो रही है?"

" आपके पति उस भुतिया बंगले में जाने के लिए शर्त लगा रहे हैं।"

" फट गई . मुझे पता था। गरजने वाले बरसते नहीं। शायद तुझे याद होगा, साल भर पहले जब पहली बार हमारी पहचान एक बस के अंदर हुई । तब भी तुम यही कह रहे थे की भूत प्रेत सब बकवास है। आज मैं तुम्हें मौका दे रहा हूं भूत प्रेत बकवास है यह साबित करो।"

उसकी बात सुनकर मुझे थोड़ा गुस्सा आ गया और बिना कुछ सोचे समझे मैंने कहा।
" मुझे शर्त मंज़ूर है।"

मेरा ऐसा कहते ही जैसे उसके चेहरे का रंग उड़ गया। उसके मजाक को जैसे मैंने सीरियसली ले लिया था।
लेकिन मेरे दोस्त की पत्नी काफी परेशान लगने लगी।
" देवरजी शायद आप उस घर के बारे में कुछ नहीं जानते। वो शापित घर हैं। वहां पर जाना मतलब खुदकुशी करने जैसा है।"

" भाभी जी आप चिंता मत कीजिए मुझे कुछ नहीं होगा।"

" वह इसलिए चिंता कर रही है क्योंकि उसे उस घर के बारे में सब कुछ पता है। और मैं चाहता हूं कि तुम भी उस घर के बारे में सब कुछ जान लो।"
खाना खाते वक्त वह मुझे घर के बारे में सारी जानकारी देता रहा, सारी घटनाएं बताता रहा, लेकिन मैं सब कुछ मजाक में उड़ाते हुए हंसकर भाभी जी की खूबसूरती को निहारता रहा।

उस रात काफी देर तक मेरा दोस्त मुझे वहां ना जाने के लिए मनाता रहा पर मैंने एक नहीं सुनी। उसने काफी समझाया पर मैं चुपचाप मुस्कुराते हुए दोनों को बाय बोलकर अपनी कार से घर के लिए निकला।

क्रमशः


*****