भाग - 4
पिछले अंक में आपने पढ़ा कि सुनील और जेनिफर क्रूज़ पर मिले . सुनील अपने शिप के साथ वापस लौट रहा था और उसने जेनिफर से कहा कि वह उसे एक एक लड़के से मिलवाएगा जो उसे प्यार करता है और उसे प्रपोज करना चाहता है . अब आगे पढ़ें .....
तेरे सुर और मेरे गीत
दोनों शिप पर गये . सुनील ने कहा “ मैं 5 मिनट में चेंज कर आता हूँ . “ जब वह बाथ रूम से निकला तब वह इंजन रूम ड्रेस में था . जेनिफर को सवालिया निगाहों से देखते हुए देख कर वह बोला “ 45 मिनट के अंदर मुझे नीचे इंजन रूम में जाना होगा , ड्यूटी रिपोर्ट करनी है . “
कुछ देर तक दोनों बातें करते रहे , फिर जेनिफर ने घड़ी देख कर कहा “ अब मेरे लिए तुम्हारे पास सिर्फ 15 मिनट बचे हैं , इसलिए मुझे चलना चाहिए . “
“ हां , क्योंकि अब डॉकिंग सीढ़ी भी हटने वाली होगी और इसके पहले तुम्हें शिप से नीचे उतर जाना होगा . “
सुनील जेनिफर को छोड़ने गल्ली में लगी सीढ़ी तक आया . उसे गले से लगा कर कहा “ मिस यू , बी इन टच . फ़रवरी में नेशनल पार्क में मैं उस लड़के के साथ वहीँ मिलूंगा . “
“ श्योर , मैं भी तुम्हें मिस करूंगी . “ बोल कर जेनिफर हाथ हिलाते हुए बॉय कर सीढ़ियां उतरने लगी .
सुनील इंजन रूम में अपनी ड्यूटी पर चला गया . अपना शिफ्ट समाप्त होने पर जब वह केबिन में आया तो उसकी नजर जेनिफर की गिफ्ट पर पड़ी . उसने पैकेट खोला तो उस में एक बहुत ही सुन्दर पेंटिंग थी जिसके नीचे में लिखा था “ मेरे अजीज दोस्त की याद में जो मात्र 4 दिनों में मेरे दिल पर अमिट छाप छोड़ कर जा रहा है . तुम्हें बहुत मिस करूंगी डियर सुनील - जेनिफर . “
सुनील मन ही मन मुस्कुराने लगा और सोचने लगा - मैं कहाँ तुम्हें छोड़ने वाला हूँ जेनिफर . जल्द ही मिलूंगा नेशनल पार्क में . मैं तो तुमसे क्रूज के पहले भी मिल चुका था पर न तुम्हें याद रहा न ही तुम मुझे पहचान सकी हो . पहली ही मुलाकात में मैंने तुम्हें प्रपोज करना चाहा था पर अचानक माहौल ख़राब कर दिया था तुमने . अब देखूँ उस दिन तुम कैसे बच कर जाती हो . उधर जेनिफर के मन में भी उथलपुथल मची थी जब से सुनील ने उसे किसी लड़के के बारे में कहा था जो उसे प्रपोज करने वाला है . मन ही मन वह सोच रही थी सुनील इतना श्योर कैसे है कि कोई लड़का मुझे पसंद करता है और प्रपोज करने के लिए इच्छुक है .
आखिर फ़रवरी का वो दिन भी आ गया जब सुनील और जेनिफर मिलने वाले थे . जेनिफर निर्धारित समय से कुछ पहले ही गोल्डन गेट नेशनल पार्क पहुँच गयी . वह अपनी मनपसंद सूर्ख लाल रंग की लॉन्ग स्कर्ट में पार्क के फूलों के बीच कोई परी सी लग रही थी . फूलों के रंग से उसके ड्रेस का रंग भी मैच कर रहा था . उधर सुनील भी अपनी पसंदीदा नेवी ब्लू ड्रेस में पार्क आ रहा था . उसने घड़ी देखी , वह पहले ही 10 मिनट लेट हो चुका था . कैब से उतर कर जल्दी जल्दी रोड क्रॉस करने लगा जबकि उस समय पेडेस्ट्रियन को रोड क्रॉस करने का सिग्नल अभी नहीं हुआ था . अचानक एक कार ने उसे टक्कर मारी और उसकी आँखों के सामने अँधेरा छा गया . कुछ दिनों बाद जब उसे होश आया तो उसने अपने को अस्पताल में पाया . अपने दोनों पैरों में प्लास्टर देखा . उसने अपनी माँ को बगल में देखा तब पूछा “ मम्मा , यह सब कैसे हुआ ? “ माँ ने अपने बेटे के सर पर हाथ फेरते हुए कहा “ शुक्र है मेरे लाल की जान बच गयी . “
“ क्या तुम्हें जेनिफर ने फोन किया था ? “
“ नहीं , तुम्हारे फोन के तो सैकड़ों टुकड़े हो चुके थे . उसके ऊपर से दर्जनों कार गुजर जाने से वह किसी काम लायक नहीं रहा था . तुम्हारे पॉकेट में शिप वाला आई डी था जिसे देख कर पुलिस ने मुझे खबर दी . “
“ डॉक्टर ने क्या कहा है मेरे पैरों के बारे में ? “
उसी समय डॉक्टर भी आया , उसने कहा “ वेल सुनील , तुम लकी हो कि सर की इंजुरी ब्रेन इंजुरी नहीं थी वरना जिस हालत में तुम आये थे हमलोग डर गए थे कि तुम्हें बचा पाएंगे या नहीं . पर तुम्हारी दोनों टाँगें कार के नीचे आने से बुरी तरह कुचल गयीं थीं . उनमें मल्टीप्ल फ्रैक्चर थे . हमसे जितना बेहतर इलाज हो सकता था हमने किया . तुम्हें कम से कम दो से तीन महीने अस्पताल में रहना पड़ेगा . इसके बाद भी तुम को व्हील चेयर का सहारा लेना होगा , तुम्हारे पांव पूरी तरह लोड लेने लायक नहीं रह गए हैं . एनी वे हम और बेहतर होने के लिए प्रार्थना जरूर कर सकते हैं . “
उधर जेनिफर ने नेशनल पार्क में घंटों तक सुनील का इन्तजार किया , जब वह नहीं आया तो उसने समझ लिया कि सुनील ने उसे धोखा दिया या उसके साथ बेहद भद्दा मजाक किया है . उसने सुनील के फोन पर बहुत बार कॉल किया पर जवाब नहीं मिला , जवाब मिलने का सवाल ही कहाँ था . सुनील का फोन अब कबाड़ के लिए भी बेकार हो चुका था . दो बार जेनिफर सुनील से मिलने की उम्मीद में सैन फ्रांसिस्को पोर्ट के पास सेलर्स क्लब भी गयी , वहां अक्सर जहाजी मनोरंजन के लिए आया करते हैं . पर वहां भी उसे निराशा मिली . उसने अब मान लिया था कि सुनील ने उसे धोखा दिया है . दोनों में करीब सात आठ महीने से कोई सम्पर्क नहीं रहा था .
इधर सुनील को कंपनी ने कुछ कॉम्पेन्सेशन दिया और कुछ कॉम्पेन्सेशन इंश्योरेंस कम्पनी से भी मिला था . कुछ सोशल सिक्योरिटी कैलिफोर्निया सरकार की ओर से उसकी माँ को भी मिला करता था . कुल मिलाकर पैसे की चिंता नहीं थी पर वह घर में बंद अकेलेपन और व्हील चेयर लाइफ से वह ऊब चुका था . जेनिफर की याद अलग सताती थी . वैसे भी उसने सोच रखा था कि अब वह जेनिफर के लायक नहीं रहा . वह कुछ गीत लिखा करता और साथ में उसने पेंटिंग सीखना शुरू किया . सुनील के एक दोस्त ने उसकी एक पेंटिंग को सैन फ्रांसिस्को की आर्ट गैलरी में प्रदर्शन के लिए रखा था .
दुर्घटना के करीब एक साल बाद उस दिन पेंटिंग की प्रदर्शनी का उद्घाटन था . सुनील का दोस्त उसे लेने आया था . उसके दोस्त के पिता भी व्हील चेयर के सहारे चला करते थे इसलिए दोस्त की कार में विशेष हाइड्रॉलिक सिस्टम था जिसके चलते व्हील चेयर का चढ़ाना या उतारना बहुत आसान था . सुनील ने दुर्घटना के बाद दाढ़ी बढ़ा रखी थी . मौसम भी जाड़े का था . बदन पर गरम कपड़ों के साथ टोपी और मफलर भी थे . यह प्रदर्शनी खास कर नए उभरते हुए कलाकारों की थी , शायद इसलिए ज्यादा लोगों की रूचि नहीं रही होगी इस प्रदर्शनी में . दो घंटे वहां रुकने के बाद सुनील जाने लगा . गेट के पास एक लड़की उसके व्हील चेयर से टकरा गयी . उसने सॉरी कहा और वह आगे बढ़ गयी . उस लड़की ने भी ओवर कोट टोपी , मफलर और रंगीन चश्मा पहन रखे थे . उसके हाथ में भी एक पेंटिंग थी . उस लड़की के साथ एक लड़का भी था .
वह लड़की आयोजकों के पास जा कर अपनी पेंटिंग को प्रदर्शनी में रखने के लिए बोली . आयोजक ने कहा “ मैडम , यह हॉल हमें सिर्फ एक दिन के लिए मिला है . कल 10 बजे के बाद दूसरी प्रदर्शनी की तैयारी शुरू होने वाली है . इसलिए अगर आपकी पेंटिंग शाम तक बिक गयी तो आपको अपना चेक भेज दिया जायेगा वरना कल 10 के पहले आकर अपनी पेंटिंग वापस ले जाएं . “
क्रमशः