Last Wish (Last Installment) in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | अंतिम इच्छा (अंतिम किश्त)

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अंतिम इच्छा (अंतिम किश्त)

राजेश ने सब बाते सुन ली थी लेकिन उसने अपनी पत्नी कविता को यह नही बताया था।
असलियत का पता चलने पर वह अपने आपको कविता का गुनहगार समझने लगा।वह कविता को चाहता था।प्यार करता था।लेकिन उसने यह जानने का प्रयास नही किया कि कविता भी उसे चाहती है या नही?और यह जाने बिना उसने कविता के पिता से मिलकर शादी का प्रस्ताव रख दिया।कविता के पिता ने भी अपनी बेटी से उसकी पसंद नापसन्द पूछना जरूरी नही समझा।पिता ने समझ लिया दोनो साथ पढ़े है और प्यार करते होंगें।
दिनेश लौट आया था लेकिन उथल पुथल उसके दिल ने भी मच गयी थी।कविता उसे भी अच्छी लगती थीं।उसकी दोस्त थी। उससे उसे प्यार भी था लेकिन दोनों के परिवारों के स्तर में बहुत अंतर था।इसलिए वह उसे जीवन साथी बनाने के बारे में सोच ही नही पाया।जब कविता का रिश्ता राजेश से तय हो गया तब उसने सोचा था दोनो एक दूसरे को चाहते होंगे।प्यार करते होंगे।उसे नही पता था कि कविता उसे चाहती है और उससे शादी करना चाहती है।
लेकिन जो हो चुका था उसे अब नही मिटाया जा सकता था।अब वह राजेश की पत्नी थी।इसलिए कविता से विदा लेते समय वह बोला,"कविता समझौते का नाम ही जिंदगी है।जो हो चुका उसे अब मिटाया नही जा सकता।अतीत को भूल जाओ।भूल जाओ हम मिले थे तभी तुम्हारा दाम्पत्य सुखी रहेगा।"
वह कविता को समझा कर आया था लेकिन क्या भूलना इतना आसान होता है ।वो भी औरत के लिए अपने पहले प्यार को भूलना।कविता के दिल की बात जानकर अब उसे हर पल कविता की याद आने लगी थी।
कश्मीर में हालात सामान्य हो रहे थे।आतंकवादी घटनाओं में कमी जरूर आयी थी लेकिन पूरी तरह बंद नही हुई थी।अब भी जब तब आतंकवादी निर्दोष लोगों की हत्या से नही चूक रहे थे।
जब भी आतंकवादियों के छुपे होने की सूचना मिलती सुरक्षा बल उन्हें घेर लेते।कभी कभी तो कई दिनों तक मुठभेड़ चलती।आखिर आतंकवादी मारे जाते।कभी कोई बच निकलने में भी सफल हो जाता।राजेेश को भी जाना पड़ता था।जब भी राजेश जाता।कविता अपने सुहाग की सलामती की दुआ मांगती रहती।आतंकवादी ही नही मरते थे।फौजी और पुलिस के लोग भी ज़ख्मी या शहीद होते रहते थे।
पुलवामा के जंगलों में आतंकवादियों के छिपे होने की सूचना मिलने पर राजेश भी अपने जवानों के साथ गया था।घना जंगल।सुरक्षा बलों ने जंगल चारो तरफ से घेर लिया था।कई दिनों तक मुठभेड़ चली ।एक एक करके पांच जवान शहीद हो गये और कुछ बुरी तरह घायल हुए थे उनमें राजेश। भी था।उसे सैनिक अस्पताल लाया गया था।कविता को सूचना मिलते ही वह जा पहुंची।
दिनेश को जब यह समाचार मिला तो वह बिना देर किए चला आया।
राजेश बुरी तरह जख्मी हुआ था।डॉक्टरों के अथक प्रयास के बाद भी उसकी हालत में कोई सुधार नही हो रहा था।बल्कि तबियत बिगड़ रही थी।दिनेश ,कविता को सांत्वना देता रहता।एक दिन राजेश अपनी पत्नी और दिनेश से बोला,"मेरे जाने का समय आ गया है।"
"नही--पति की बात सुनकर कविता रोने लगी
"रोने सड़ कुछ नही होगा।वास्तविकता को स्वीकार करना होगा।जाने से पहले मेरी एक अंतिम इच्छा है।"
"क्या?"
"तुम दिनेश को अपना बनाना चाहती थी।लेकिन मैंने तुमहारी इच्छा जाने बिना
राजेश,,कविता का हाथ दिनेश के हाथ मे देते हुए कहा,"तुम मेरी अंतिम इच्छा ज़रूर पूरी करोगे।"