......दुल्हन.....💀
अंधेरा घिर चुका था ....सोहन अपने घर के लिए भागे जा रहा था.... इतना अंधेरा उसे डरा रहा था ...मुंह पर हनुमान चालीसा गाते गाते भागे जा रहा था
"...भूत पिशाच निकट नहीं आवे ...महावीर जब नाम सुनावे ...." कांपते हुए गाऐ जा रहा था...
पहाड़ी रास्ता होने के कारण पैर ज्यो का त्यो पड़ रहा था... इसी बीच भेडि़यों की आवाजे सुनाई दे रही थी जो उस अंधेरे रास्ते को और डरावनी बना रही थी....
...तभी अचानक उसका पैर फिसल गया.... पैर में चोट लगने के कारण जोर से करहाने लगा .....
....तभी छम छम की आवज से वो जंगल गुंजने लगा ....एक तो अंधेरा ऊपर से घना जंगल और अब सबसे बुरी बात हुई उसका गिरना ....वो तो डर के मारे थर थर कांप रहा था ...मन में ये था अगर किसी चुड़ैल ने पकड़ लिया तो उससे छुटकर भागेगा कैसे ...?
......वो छम छम की आवाज और पास आने लगी ...और पास आती गयी ....
" ...ककककौन हो तुतुम ...". डर से सोहन ने पूछा
" अरे ....तुम तो मुझे देखकर डर गये ...घबराओ नहीं मैं यही पास में रहती हूं तुम्हारी करहाने की आवाज सुनी तो आ गयी तुम्हारे पास ....तुम्हें तो काफी चोट लगी है ..चलो मेरा घर यही पास में है ..."
".तुम हो कौन चुड़ैल हो ...मां कहती हैं को चुड़ैल घुमती है."
वो जोर जोर से हंसने लगती है .."..तुम अभी भी बच्चे जैसे हो भूत प्रेत पर यकिन करते हो ....मैं पायल हूं यही पास है मेरा घर चलो सुबह होते ही चले जाना .....अरे ! घबरायो नहीं चलो ..."
सोहन उसके साथ चला जाता है ......धीरे धीरे समय बितता गया सोहन पायल की सुंदरता में खो गया कब एक हफ्ता बीत गया पता भी न चला ....अब सोहन का उसे छोड़कर जाने का मन नही था , इसलिए वो पायल से वादा करके की जल्दी ही वो उससे शादी कर लेगा कहकर , अपने गांव चला जाता है ....
अपनी मां को शादी के लिए मना कर वो पायल से शादी कर लेता है और दोनों एक साथ रहने लगते है.....
कुछ दिनों तक तो सब सही था पर एक दिन मालती जी ( सोहन की मां ) देखती है की उनका बेटा पहले से काफी दुबला हो चुका है .....पहली बार को वो नजर अंदाज कर देती है ,ऐसे ही सात दिन बाद वो पाती हैं सोहन काफी कमजोरी महसूस कर रहा है और कोई भी काम करने पर जल्दी ही थक जा रहा है .....तब मालती जी उससे पायल के बारे में पुछती है कि वो तुम्हें कहां मिली , तब सोहन सारी बात मालती जी को बता देता है .....
मालती जी तुरंत गांव के पुरोहित के पास जाती है और सारी बाते उन्हें बता देती है ...
पुरोहित जी उन्हें बताते हैं, वो लड़की छलावी चुड़ैल है ....ऐसे ही लड़को को अपने जाल में फंसा कर उनका खुन पीती है ...मालती जी काफी घबरा जाती हैं और उनसे उससे छुटकारे के लिए पुछती है ...पुरोहित जी उन्हें उपाये बताते हैं ".....ध्यान से सुनो मालती वो चुड़ैल दिन की रोशनी में झुलसकर ही मर सकती है , तुम अपने बेटे से कहना क्यूंकि वो उसकी ही बात मानेगी , उससे कहना रात में वो उसे एक छलनी दे और उसमें पानी भरने के लिए कहना ...वो उसकी बात नहीं टालेगी इसलिए उसमें पानी भरने की पूरी कोशिश करेंगी और इसी बीच सुबह की पहली धूप की किरण से वो खत्म हो जाएगी ....."
पुरोहित जी के कहे अनुसार ही काम होता है और उसका नामोनिशान मिट जाता है .......🙏
......ये थी एक सच्ची घटना बस नाम बदल दिया है ....
अगली कहानी है " आवाजे "