यादों में बसाना है अकेले अकेले l
तुझ से मिलना है अकेले अकेले ll
खुले आसमाँ मे आज उड़ना है l
गले से लगाना है अकेले अकेले ll
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जो एहसास लिख नहीं पाए l
वो अनकहे लब्ज समज जाए ll
काश मिलन की तडप यू बढ़े l
बिना बुलाए पास दौड़ आए ll
काफी देरसे कौआ बोल रहा है l
काश कासिद उनका संदेशा लाए ll
इसी लम्हे के इंतजार में जीते हैं l
वो राहों मे खड़े हो बाहें फैलाए ll
हर दिन खुशगवार बन जाए ग़र l
आज खुद ही आगोश में समाए ll
२४-११-२०२१
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शरदी की साँझ बहोत ही सुहानी है l
प्यारे मौसम में खिली हुई जवानी है ll
दो रूहों का संगम होने जा रहा है l
अनूठे प्यार की बेहतरीन निशानी है ll
तरसती रहती थी निगाहें मिलन को l
दिल की बेचैनियों को आसानी है ll
अधूरा ख्वाब मुकम्मल कैसे हुआ है l
सुनो अनकही अनसुनी कहानी है ll
दिले बेक़रार को कुछ तो सुकून मिले l
मुहब्बत की रस्मे मुसलसल निभानी है ll
१९-११-२०२१
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नई कलम नया कलाम लिखूं l
आज नई सुबह नई शाम लिखूं ll
प्यार मे तेरे क्या क्या लिखूं l
मुहब्बत का नया नाम लिखूं ll
दो आत्मा के मिलन की वो l
बात खास है पर आम लिखूं ll
नए शब्द, नया आगाज और अंदाज़ l
नई जिंदगी की शुरुआत लिख रही हूँ ll
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दिलों मे हसी की खनक है l
मुहब्बत मे दर्द की दहक है ll
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आज ख़ुदा से मिरी गुफ़्तगूं करनी है l
फ़िर दीदार-ए-सूरत हर सू करनी है।l
काश एक बार दीदार ए यार हो जाए l
लम्हा लम्हा यहीं जुस्तजू करनी है ll
शरदी की साँझ बहोत ही सुहानी है l
प्यारे मौसम में खिली हुई जवानी है ll
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अनूठे प्रेम बंधन में बंध चुके हैं l
नशीले प्यार के सामने झुके है ll
अजीब से रिसते ने बाधा है l
जन्मों जन्म से लम्हे रूके है ll
दो आत्मा ओ का मिलन है l
युगों बाद दिल से दिल जुड़े हैं ll
सदियों के इंतजार के बाद l
अश्रुओ से दरवाजे खुले है ll
प्यारी सी आँखों को देखकर l
फिर जाम के नशे में डूबे है ll
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तेरे न होने से कोई फर्क़ नहीं पड़ा l
आज भी महेंदी का रंग है चड़ा ll
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आई जब इन्तहा की घड़ी l
भाग्य रेखा से फ़िर लडी ll
आज ऊंची उड़ान भरेंगे l
तोड़ेंगे ज़माने की हथकड़ी ll
ख्वाबों मे उनसे क्या मिले l
झूम ले इस खुशी की लड़ी ll
बिन बारिस के आखें बरसीं l
कुछ तो बात हुईं है बड़ी ll
दौड़ के लिपट जाओ झट से l
खुशियां बाहें फैलाए है खड़ी ll
भर जवानी में आया बुढ़ापा l
हाथ में लिए फिरते हैं छड़ी ll
प्यार का पहले तोहफ़े में l
अंगुठी नीलम से है जड़ी ll
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भर लो दिलों में उत्साह और उमंगें l
उठो बिस्तर से आ गई ठंड की सुबह ll
शबनम की बूंदे बरस रहीं हैं आसमान से l
निखरी हुईं प्रकृति का नज़ारा देख लो l
जागो नींद से आ गई ठंड की सुबह ll
हल्की हल्की ठंड से खिला है दिन l
मदभरी रुतु छलका रहीं हैं जाम l
निकलो बाहर आ गई ठंड की सुबह ll
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एक अजनबी चेहरा अपना सा लगता है l
दिन दहाड़े देखा हुआ सपना सा लगता है ll
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टिकी हुई है निगाहें रास्तो पे क्यूँ?
भीगी हुई है निगाहें फ़ासलो से क्यूँ?
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वादों से वो मुकर गया कोई गिला नहीं l
रास्तें से वो भटक गया कोई गिला नहीं ll
शाम ढले यार दोस्तों की महफिल मे l
जाम पी के छलक गया कोई गिला नहीं ll
दिल फेंक आशिकाना मिजाज रखता था l
दिल के हाथो मचल गया कोई गिला नहीं ll
कभी आया ही नहीं उम्रभर वादा निभाना l
बातों से वो फिसल गया कोई गिला नहीं ll
खुशगवारी ही रहीं साथ निभाने की लो l
ख्वाबों से निकल गया कोई गिला नहीं ll
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याद उन्हें भी आई होगी l
आंख उनकी रोई होगी ll
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कौन अफवाहें फ़ैला रहा है l
क्यूँ ये शहर जला रहा है ll
पास रहने को बुला रहा है ll
दिल हिलाने दहला रहा है ll
अपने ही घर के आँगन में l
बारुदी गोद में सुला रहा है ll
जहन को तपिश दे दिन दहाड़े l
ख्वाबों मे आके झुला रहा है ll
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भरोसा करके पछताते है लोग यहाँ l
दिल लगाके पछताते है लोग यहाँ ll
इश्क़ की पथ्थरीली गली गुजरकर l
जान लुटाके पछताते है लोग यहाँ ll
अक्ष दिखाके पछताते है लोग यहाँ ll
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हिम्मत नहीं हारना चलना है और बाकी l
भूलभुलैया से निकलना है और बाकी ll
कुछ देर बाद सवेरा उजाला ले आएगा l
ठेर जा रात संग जलना है और बाकी ll
समंदर के ख्वाबों को सहलाया बहोत l
सागर देखते उछालना है और बाकी ll
चाँद जैसे मुखड़े को जी भरकर देखकर l
आज चांदनी को खिलना है और बाकी ll
कई युगों के बाद पिया मिलन हुआ है l
खुशी के मौके पे मचलना है और बाकी ll
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प्यार करते तो हो पर लुटाते नहीं l
तुम सताते हो लेकिन सताते नहीं ll
आंखमिचौली के खेल में शाम से l
वो रूठे है फिर भी क्यूँ मनाते नहीं ll
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फूल राहो मे बिछाते रहो l
दिन खुशी से सजाते रहो ll
जीने की राह दिखा के l
दीप आशा के जगाते रहो ll
हसी खुशी से जियो - जीने दो l
लम्हो को खुशी से सजाते रहो ll
घना बादल क़ायनात मे छाया है l
तीरगियो मे रोशनी जगाते रहो ll
एक शम्स तुम्हारा भी है सखी l
चमक से उसकी जगमगाते रहो ll
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नये साल में सब के होठो की मुस्कुराहट बनो l
अपने और अपनों के लिये सुख की आहट बनो ll
हर सबा हर शाम खुशगवार बने जिंदगी की l
रसीली खुशियो से जीवन में सरसराहट बनो ll
छोटे बड़ो का भेद भूलाकर क़ायनात मे l
मजबूरो के दिन रात की थरथराहट बनो ll
मत सोचों क्या पाओगे किसी को देकर कुछ l
आज दुआओं को बटोरकर जगमगाहट बनो ll
सब को प्यारी सी मसर्रतें बाँटकर जहां मे l
सखी दिलों की हसी की छलछलाहट बनो ll
सबा - भोर की हवा
मसर्रतें - ख़ुशियाँ
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दिल मे उम्मीदे भरकर ज़ी लेते हैं l
लम्हें सीने से लगाकर ज़ी लेते हैं ll
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सब का धर्म एक मधुशाला में l
सब है मस्ती मे मधुशाला मे ll
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चलो इस दिवाली प्यार के दिये जलाते हैं l
सब के दिलों में प्यार के दिये जलाते है ll
दिलों दिमागों की सरहदों को मिटा दे l
आज नफ़रतों को प्यार से जलाते है ll
सोए ख्वाबों को आशा के साथ जगाए l
फिर जीने की उम्मीदों को जगाते है ll
छोटे बड़ो को खुशियो का तोहफ़ा दे l
मुस्कराहट देके सभी को हसाते है ll
आज अपनों परायों से ऊपर उठकर l
खुशी और प्यार से गले लगाते है ll
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