सब अदिति को ढुंढने निकल पड़ते हैं .....
उधर अदिति मदहोश सी बस चले जाा रही थी... देखते ही देखते वो पुराने किले में चली जाती है तभी अचानक कुछ गिरने की आवाज होती है जिससे मानो अदिति का ध्यान भंग हो जाता है ...अंचभे से चारो तरफ देखती है और घबरा जाती है "....मैं यहां कैसे आ गयी ...कौन सी जगह हैं ये ..."तभी एक आवाज़ आती है ..!
"... घबराओ मत , मेरी सहायता करो ...मदद करो मेरी ..."
" कौन हो तुम ...? सामने आओ .....और मैं यहां कैसे आ गयी कौन - सी जगह हैं ये ..."
" पीछे मुड़कर देखो मैं यहां कैद हूं सहायता करो मेरी .."
अदिति पीछे मुड़कर देखती है और हैरान रह जाती है ...एक नौजवान लड़का एक पिंजरे में कैद हैं और मदद के लिए पुकारे जा रहा हैं ...अदिति सवाल करती है ...
"...कौन हो तुम ...? ये कौन सी जगह हैं ....? मैं यहां कैसे आई ...? तुम यहां क्यूं कैद हो ...? ...???"
" अरे - अरे इतने सारे सवाल एक ही सांस में कर दिये ...घबराओ नहीं ...मैने ही तुम्हें यहां बुलाया है..... "
" तुमने बुलाया है ...मतलब ततततुम प प पिशाच हो (घबरा कर कहती है ) "
"..अरे अरे नही तुम गांव वालों की बातों पर विश्वास करने लगी हो .....वो तो है ही ऐसे ......लोगों ने मुझे पिशाच की उपाधि देकर यहां बंद करवा दिया .....21साल से इस पिंजरे में कैद तड़प रहा हूं ... काश ..! कोई आये और मुझे यहां मुक्त करवा दे ..मेरा दर्द अब मेरे उबांक ( चमगादड़)से देखा नहीं गया इसलिए इसने तुम्हें चुना मुझे यहां से मुक्त करवाने के लिए ...."
" लेकिन तुम पिशाच हो क्या ....?"
" क्या तुम्हें ऐसा लगता है , अगर मेरी कहानी सुनोगी तभी तुम्हें पता चलेगा कि मैं कौन हूं ..? "
" क्या है तुम्हारी कहानी ....?."
" बताता हूं पहले मुझे इस पिंजरे से आजाद कर दो ..."
अदिति हैरान थी क्योंकि पिंजरे को बंद करने के लिए मात्र एक लाल रंग का धागा और कुछ पोटली सी बंधी थी ....वो हैरानी से पुछती है "....तुम तो खुद यहां से निकल सकते हो पिंजरे का छेद बड़ा है और ये तो सिर्फ एक धागे से ही बंधा हुआ है तुम्हे तो अबतक निकल जाना चाहिए था ....."
"..तुम क्या समझोगी जबतक तुम्हें पता चलेगा बहुत देर हो चुकी होगी ..( ये बात वो अपने मन में कहता है )..."
" किस सोच में पड़ गये बोलो "..अदिति ने कहा
" कुछ नही वो (इतना ही बोल पाया था कि बाहर से अदिति अदिति की आवाज सुनाई देने लगी ... सब लोग उसे ढु़ढ रहे थे ...)..
" तुम अपनी कहानी बाद में बताना ...लो अब तुम आजाद हो ( धागा खोल देती है ...और जल्दी से बाहर भागती है )..
अदिति को पुराने किले की तरफ से आते हुए रमन उसे देख लेता है "....तुम वहां क्या कर रही थी ....उस किले में क्यूं गयी तुम ..."
" मैं गयी नही पता नहीं कैसे पहुंच गयी मैं वहां... "
" ओह तो तुम्हें पता नहीं ....खैर छोड़ो बाद में बात करेंगे इस बारे में अभी तुम्हारा पूजा स्थल पर सब इंतजार कर रहे है चलो ...काकी बहुत परेशान हैं ..."
(पुराने किले में)...
" अब मैं आजाद हूं उबांक ..." कहकर जोर से हंसने लगता है.... …...... क्रमशः.....
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