Last Wish - 2 in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | अंतिम इच्छा - 2

Featured Books
Categories
Share

अंतिम इच्छा - 2

केंद्र में सरकार बदलने के साथ ही सरकार की कश्मीर नीति में परिवर्तन आया था।आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई गई।अलगवादियो को नज़रबन्द करने के साथ आतंकवादियों को चुन चुनकर जहुनम भेजा जाने लगा।पत्थरबाजों को पकड़ा जाने लगा।और फिर दुबारा केंद्र में सरकार में लौटने पर सबसे पहला काम सरकार ने धारा तीन सौ सत्तर और पैंतीस ए हटाने का किया।इससे राज्य का विशेष दर्जा खत्म हो गया।जम्मू और कश्मीर का विभाजन करके उसे दो भागों में बांटकर उसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया।और इस तरह जम्मू कश्मीर अन्य राजयो की तरह भारत का हिस्सा बन गया।
कश्मीर में धारा तीन सौ सत्तर हटने के बाद वहां क्या परिवर्तन आये थे।इनकी रिपोर्टिंग के लिए दिनेश कश्मीर गया था।उसे मालूम था राजेश की पोस्टिंग वहाँ है इसलिए वह उसके घर पहुंचा था।
"वेलकम वेलकम ",दिनेश को देखकर राजेश खुश होते हुए बोला,"लगता है जनाब रास्ता भूल गए।"
"अब यो ही समझ लो,"कविता को देखकर दिनेश बोला,"केसी हो?"
"कैसी भी हूँ।तुमने तो कभी याद नही किया?"
"कैसी बात करती हो।याद करता हूँ तभी तो आया हूँ"
"बाटे ही होती रहेंगी या इन्हें चाय पानी भी पिलाएगी।"दोनो को बात करता देखकर राजेश बोला था।
राजेश चाहता था उसे छुट्टी मिल जाये तो वे साथ घूमेंगे।लेकिन गृहमन्त्री का आने का प्रोग्राम था इसलिए उसे छुट्टी नही मिली।वह कविता से बोला,"तुम दिनेश को घुमा देना तुम यहाँ सब घूम चुकी हो।"
दिनेश आया ही था बदले हालात का जायजा लेने इसलिए उसने कविता को साथ ले लिया।दिनेश उन इलाकों का दौरा करना चाहता था जो आतंकवाद से ज्यादा प्रभावित थे।कविता भी उसके साथ गयी थी।दिनेश लोगो से मिलता और बात करता। एक दिन वे वापस लौटकर बाते कर रहे थे।दिनेश बोला,"कविता तुम राकेश के साथ खुश तो हो?"
राजेश उसी समय लौटा था।उसने दिनेश के परधन को बाहर ही सुन लिया था।कविता का क्या जवाब है,यह जानने के लिए वह बाहर ही खड़ा रह गया।
"मेरे खुश रहने या न रहने से तुम्हे क्या फर्क पड़ता है/"
"कविता हम दोस्त है।हमने काफी समय साथ गुज़रा है।हमारी भावनाएं एक दूसरे के साथ जुड़ी है।"
"अगर भावनाओं की तुम्हे कदर होती तो मेरे दिल की बात न जान जाते।"
"तुम्हारी बातो से लग रहा है तुम राजेश के साथ खुश नही हो?"
"दिनेश मैने राजेश को पति के रूप में कभी भी नही चाहा।सिर्फ उसे दोस्त ही रखना चाहती थी।"
"यह तुम क्या कह रही हो?अगर पति रूप में नही चाहा तो फिर तुमने शादी क्यो की?जिसे तुम चाहती थी उससे शादी करती?"
"वो इतना नादान नासमझ था कि मेरे मन की बात पढ़ ही नही पाया।मैं इन्तजार.करती। रही कि एक दिन वह अपने प्यार का इजहार करेगा पर व्यर्थ।
"कौन था वह?"
"तुम,"
"मैं,"दिनेश आश्चर्य से कविता को देखने लगा।I
"हाँ तुमसे प्यार करती थी और तुम्हे ही पति बनाना चाहती थी
राजेश भी बाहर खड़ा कबिता की बात सुन रहा था।आज तक वह समझता था कि कविता उससे प्यार करती है।पर उसके दिल की बात जानकर उसे धक्का लगा।
दिनेश चला गया लेकिन राजेश के जीवन मे भूचाल ला गया।अगर वह न आता तो राजेश कविता के दिल की बात न जान पाता
असलियत जानने के बाद वह अपने को गुनहगार समझने लगा।