Meena Kumari...a painful story - 6 in Hindi Moral Stories by Sarvesh Saxena books and stories PDF | मीना कुमारी... एक दर्द भरी दास्तां - 6

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मीना कुमारी... एक दर्द भरी दास्तां - 6

मीना कुमारी चाहती थी कि वह मां बने लेकिन कमाल अमरोही नहीं चाहते थे क्योंकि उनकी पहली बीवी से पहले ही बच्चे थे, वह नहीं चाहते थे कि वह मीना कुमारी के बच्चों को अपना नाम दें और शायद यही कारण रहा कि मीना कुमारी अंदर ही अंदर और घुटती रहीं |

लोगों का मानना था कि मीना कुमारी मां नहीं बन सकती थी अब यह अफवाह थी या सच यह तो सिर्फ एक राज है |
मीना कुमारी की अब निजी जिंदगी की परेशानियां उनकी एक्टिंग में भी झलकने लगी थी और इन्हीं दिनों मीना कुमारी के पास एक ऐसी फिल्म का ऑफर आया जिसने मीना कुमारी को एक नई पहचान दी, फिल्म थी "साहब बीवी और गुलाम", गुरुदत्त साहब ने मीना कुमारी को इस रोल के लिए चुना लेकिन कमाल नहीं चाहते थे कि मीना कुमारी यह फिल्म करें |

मीना कुमारी को यह सब पाबंदियां बिल्कुल रास नहीं आ रही थी वह हर अच्छा रोल करना चाहती थी उसे निभाना चाहती थी और ऐसा ही रोल था फिल्म" साहब बीवी और गुलाम" की छोटी बहू का, छोटी बहू की कहानी पढ़कर मीना कुमारी को लगा जैसे किसी ने खुद उनकी कहानी लिख दी हो पति के प्यार को तरसती छोटी बहू, औलाद के लिए तरसती छोटी बहू झूठी रस्मों रिवाजों और पाबंदियों में फंसी जिम्मेदारी निभाती छोटी बहू जो पति के लिए कुछ भी करने को तैयार थी, मीना कुमारी ने छोटी बहू का रोल बखूबी निभाया और अपने अंदर छुपे हुए दर्द को छोटी बहू के साथ मिला दिया |

1962 में आई फिल्म "साहब बीवी और गुलाम" जो बॉलीवुड में मील का पत्थर साबित हुई और 1963 में इस फिल्म को फिल्म फेयर अवार्ड मिला इस फिल्म में मीना कुमारी को कहीं-कहीं पर शराब पीकर एक्टिंग करनी थी, फिल्म में मीना कुमारी की एक्टिंग को खूब सराहा गया लेकिन कमाल अमरोही को यह बिल्कुल पसंद नहीं था दोनों अब अंदर ही अंदर घुट रहे थे, नींद ना आने के कारण मीना कुमारी रात रात भर बेचैन रहती, डॉक्टर को दिखाया तो डॉक्टर ने उन्हें थोड़ी सी ब्रांडी पीने के लिए कहा जिससे उनका शरीर सुकून से सो सकें और बस वह थोड़ी सी ब्रांडी मीना कुमारी के लिए दवा बन गई |

मीना कुमारी ने अपने शरीर को ब्रांडी का आदी बना लिया और उसके नशे में धीरे-धीरे खुद को डुबो लिया |

इसी बीच मीना कुमारी की जिंदगी में आए धर्मेंद्र साहब जो हिंदी सिनेमा में अपनी पहचान बनाने के लिए बहुत संघर्ष कर रहे थे, मीना कुमारी की धर्मेंद्र के साथ आई फिल्म "फूल और पत्थर" लोगों ने काफी पसंद करी और इन्हीं दिनों में मीना कुमारी ने धर्मेंद्र को एक्टिंग के काफी गुर सिखाए और कहा यह भी जाता है कि मीना कुमारी ही वह हैं जिन्होंने धर्मेंद्र को फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित किया उनके एक बड़ा अभिनेता बनने के पीछे मीना कुमारी का बहुत बड़ा हाथ है |

साल 1964 में आई "पिंजरे के पंछी" जिसमें दोबारा से धर्मेंद्र के साथ उन्होंने काम किया अब मीना कुमारी और धर्मेंद्र के बीच नजदीकियां बढ़ बढ़ रही थी जो कमाल को बिल्कुल पसंद नहीं आती थी |