कहानी - पिता की डायरी
एक शाम रमन पत्नी के साथ अपनी बालकनी में बैठा चाय पी रहा था . नीचे अपार्टमेंट के प्ले ग्राउंड में उनका बच्चा सुमन खेल रहा था . सुमन कुछ दिनों बाद पांच साल का होने वाला था . वह अपने दोस्तों को साइकिल चलाते देख मचल रहा था और उनकी साइकिल के पीछे पीछे कुछ दूर दौड़ता फिर खड़ा हो कर कौतूहलपूर्वक उन्हें देखता . फिर वापस आकर अपनी गेंद से खेलने लगता .
बेटे को देख कर माँ सुधा ने पति से कहा “ सुमन कुछ दिनों से साइकिल लेने की बात कह रहा है . क्यों न हम उसके लिए एक साइकिल खरीद दें . “
“ हाँ , मैंने भी सोचा है . 10 दिन बाद उसके जन्म दिन पर साइकिल गिफ्ट देंगे . पर अभी इसे सरप्राइज रहने दो . “
सुमन जब वापस घर आया तो उसने अपनी माँ से साइकिल की बात दोहरायी . माँ ने कहा “ अभी तू छोटा है , गिर जाएगा तो चोट लगेगी तुम्हें . कुछ और बड़ा हो जा तब हम तेरे लिए साइकिल ले देंगे .. “
“ मम्मी , आजकल छोटी उम्र के बच्चों के लिए भी साइकिल आती है , उसमें ऐसा उपाय भी रहता है कि बच्चा गिरे नहीं . और वह एडजस्टेबल भी होता है ताकि कुछ वर्षों तक बड़ा होने पर भी उसे चला सकें . “
“ अच्छा , अब मेरा बेटा इतना होशियार हो गया है . फिर भी अभी कुछ दिनों तक पापा तुम्हें साइकिल देने के पक्ष में नहीं हैं . “
दो दिन बाद सुमन पापा के साथ बालकनी में बैठा था . ऊपर आकाश में पहली बार हेलीकॉप्टर जाते देख कर बोला “ पापा , वो देखिये नए स्टाइल का एरोप्लेन उड़ रहा है . “
“ नहीं बेटा वो प्लेन नहीं है , उसे हेलीकॉप्टर कहते हैं . “
“ नहीं , वह एरोप्लेन है नए टाइप का . “ 2
“ नहीं बेटे , वह प्लेन नहीं हेलीकाप्टर है . “
बाप बेटे के बीच ये यह बहस बीस बार हुई . अगले दिन सुमन अपने दोस्तों के साथ प्ले ग्राउंड में खेल रहा था तब उसने ऊपर एक हेलीकॉप्टर उड़ते देखा , जिसे वह एरोप्लेन समझता था . उसने दोस्तों को कहते सुना “ देख ऊपर हेलीकॉप्टर जा रहा है . “
वह दौड़ कर पापा के पास गया और बोला “ पापा , अभी अभी ऊपर हेलीकॉप्टर गया है . “
“ अच्छा , अब तू जान गया न कि वह प्लेन नहीं हेलीकॉप्टर था . “
कुछ दिनों बाद जब वह अपने नर्सरी स्कूल से लौटा तो वह घर में नयी साइकिल देख कर बहुत खुश हुआ और उसने माँ से पूछा “ यह साइकिल मेरे लिए है न मम्मी ? “
“ और तेरे सिवा दूसरा कौन है यहाँ . आज तेरा जन्मदिन है न . पापा ने तेरे लिए सरप्राइज गिफ्ट लाये हैं . तुझे पता नहीं है पर तेरे पापा तुझे बहुत प्यार करते हैं . “
दिन , मास , बरस बीतते गए . करीब 60 साल बीत गए . सुमन बड़ा हो कर नौकरी करने लगा था , उसकी शादी हो चुकी थी . सुमन को एक बेटी भी थी . रमन और सुधा अपने बेटे के साथ रहते थे . एक बार सुधा बहुत बीमार थी , उसने बेटे से कहा “ मेरा कोई भरोसा नहीं , कब आँख मूँद लूँ . बेटा पापा का ख्याल रखना . तुमलोग ही उनके बुढ़ापे का सहारा हो . उनका खास ख्याल रखना ,उनके पैरों में कमजोरी है . अभी तो छड़ी के सहारे चल लेते हैं . “
इसके दो सप्ताह के बाद ही सुधा चल बसी . रमन कुछ दिनों तक बहुत उदास रहा फिर धीरे धीरे उसने हक़ीक़त से समझौता कर लिया . एक दिन बाप बेटे दोनों बालकनी में बैठे थे . ऊपर से एक प्लेन जाते देख रमन बोला “ बेटे ऊपर देख आसमान में यह क्या उड़ रहा है ? “
“ पापा , आप अब भूलने लगे हैं . यह प्लेन है . “
“ अच्छा ,वही नए डिज़ाइन वाला हेलीकॉप्टर . “
“ हेलीकॉप्टर नहीं , यह एरोप्लेन है . “
“ हां , मैं समझ गया नए टाइप का हेलीकॉप्टर . “
करीब 10 बार दोनों में बहस होती रही . सुमन उसे प्लेन कहे और रमन हेलीकॉप्टर . तब झुंझला कर कुछ कड़ी आवाज में सुमन बोला “ पापा आप नहीं समझेंगे या भूलने लगे हैं . बंद कीजिये ये बहस . आपको जो कहना है कहिये . “
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उसी रात सुमन पापा के कमरे में पानी रखने गया . उसे देख कर रमन ने अपनी डायरी जान बूझ कर गिरा दी और दूसरी ओर मुंह कर के सोने का नाटक करने लगा . “
सुमन ने डायरी डायरी उठा कर उसकी आखिरी पेज पढ़ी , लिखा था “ आज सुमन प्लेन को मेरे बार बार हेलीकॉप्टर कहने पर गुस्सा हो उठा . बचपन में बीसों बार उसके हेलीकॉप्टर को प्लेन कहने पर मुझे गुस्सा नहीं प्यार आया था . पर आज मेरा बेटा मुझ पर गुस्सा हो गया , सिर्फ इसलिए कि मैंने प्लेन को 5 बार हेलीकॉप्टर कहा था . “
सुमन ने पेज पलट कर अगला पेज पढ़ा , लिखा था “ आज मेरा 65 वां जन्म दिन है . सुधा ने कहा था कि उसने सुमन को मेरे लिए नयी छड़ी लाने को कह रखा है . “
डायरी पढ़ने के बाद उसकी आँखों में आंसू आ गए . अगले दिन जब रमन नित्य क्रिया से निवृत हो कर नाश्ते के लिए अपने कमरे से निकला तो उसने बाहर बेटे और बहू को खड़े देखा . दोनों ने उसके पैर छू कर प्रणाम किया और कहा “ हैप्पी बर्थ डे पापा . “
बगल में खड़ी छोटी पोती ने भी पैर छू कर हैप्पी बर्थ डे दादू कहा और उन्हें नयी छड़ी देते हुए कहा “ अब आपकी पुरानी छड़ी से मैं खेलूंगी . इसे मुझे दीजिए और ये नयी छड़ी लीजिये , पापा आपके लिए लाये हैं . “
रमन ने बेटे बहू और पोती तीनों को आलिंगन में ले लिया . सुमन बोला “ पापा , कल रात आपकी डायरी गिरी पड़ी थी . मैंने उसे पढ़ा तब अहसास हुआ , पिता अपने बच्चों के लिए कितना कुछ बर्दाश्त करता है और मैं कल आपकी बात पर बिगड़ गया . मुझे माफ़ कर दें पापा , वैरी सॉरी . “