unknown connection - 71 in Hindi Love Stories by Heena katariya books and stories PDF | अनजान रीश्ता - 71

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अनजान रीश्ता - 71

अविनाश अपने घर के गेट के बाहर कार पार्क करते हुए घर की और आगे बढ़ता है । तब उससे महसूस होता है की पारुल उसके पीछे नही आ रही । वह पीछे मुड़कर देखता है तो पारुल कार में ही बैठी हुई थी । अपनी जगह से हिली तक नहीं है। अविनाश फिर से दांत भिसते हुए कार के पास जाकर दरवाजा खोलते हुए कहता है ।

अविनाश: क्या बात है !! वाईफी!! तुम तो अभी से बीवी वाले नखरे दिखाने लगी हो । आई मस्ट सेय तुम काफी जल्दी हमारे रीश्ते में ढल रही हो। एंड आई लाईक ईट...।
पारुल: ( कोई भी जवाब नहीं देती... मानों जैसे अविनाश की बाते किसी बेजान पुतले के कान में जा रही हो । ) ।
अविनाश: ( चिढ़ते हुए ) (पारुल के नजदीक जाते हुए उसका सिटबेल्ट खोलते हुए ) .... वाईफी... अब शादी हो गई है उसका ये तो मतलब नहीं की तुम इतने नखरे दिखाओ... माना की शादी की खुशी की वजह से तुम शोक में हो पर..... ( पारुल को गोद में उठाते हुए ) अपने पति को इतना भी परेशान ना करो। ( घर की और आगे बढ़ते हुए ) ।
पारुल: ( बौखलाते हुए ) छोड़ो मुझे!! ये क्या बदतमीजी है !!?। नीचे उतारो मुझे!? । ( अविनाश की पकड़ से निकलने की कोशिश करते हुए )।
अविनाश: ( पारुल को और कसकर पकड़ते हुए दरवाजा पैर से खोलते हुए ) .... वाईफी... अभी बदतमीजी मैने की कहां है । ( पारुल के करीब चहेरा ले जाते हुए ) ।
पारुल: ( अविनाश के सीने में चेहरा छुपाते हुए ) ये तू... म... गलत.... कर.... रहे.... हो....!।
अविनाश: अच्छा.... अब अपनी बीवी को गोद में उठाना और प्यार भरी बातें करना कब से गलत हो गया!!?।
पारुल: ( कुछ जवाब नहीं दे पाती और दूसरी और घर की ओर देखती हैं। तो देखती ही रह जाती है। अगर कोई और नॉर्मल दिन होता तो वह एक एक कोना देखती । इतना आलीशान घर था । इससे घर नहीं विला कहे तो गलत नहीं होगा । एक बड़ा सा हॉल.... पूरा सफेद रंग का इंटीरियर गोल्डन कलर की नक्शी काम, ऊपर लटक रहे जुम्मर...। सामने वाली दीवाल पर अनगिनत अविनाश की फोटोज और अवार्ड.... बीच में विशाल बैठने के लिए सोफा... । दाई और आलीशान किचन का दरवाजा... बाई और सीढियां पर डिजाइन...... इतनी रात होने के बावजूद मानो यहां सबकुछ दिन की तरह जगमगा रहा था । पारुल ऐसे ही देखने में व्यस्त थी की तभी अविनाश उससे नीचे उतरता है । जिससे वह अविनाश के कंधो को सहारे के लिए पकड़ लेती है । ) ।
अविनाश: ( मुस्कुराते हुए ) क्या बात है... वाईफी लगता है हमसे दूरी बर्दास्त नहीं हो रही!!( आइब्रो ऊपर करते हुए ) ।
पारुल: ( खुद को अविनाश दूर करते हुए दो कदम पीछे लेती है । ) नहीं .. वह तुमने अचानक नीचे... उतारा ... हड़बड़ी में गलती से.... सॉरी...। ( नजरे झुकाते हुए ) ।
अविनाश: ( पारुल के चिन को उंगली से ऊपर करते हुए ) अब इतना तो हक बनता है तुम्हारा नहीं!!? ( गुस्से में ) ।
पारुल: ( अविनाश का हाथ हटाते हुए ) नहीं... बिलकुल भी नहीं... ।
अविनाश: ( मुस्कुराते हुए ) खैर! बातें बाद में होती रहेगी !!! तुम यहीं रुको और भूल कर भी अंदर मत आना समझी जब तक मैं वापस ना आऊं!!। ( यह कहकर वह किचेन की ओर भागते हुए चला जाता है । ) ।
पारुल: पर...!? । ( कुछ बोलती उससे पहले ही वह किचेन की ओर चला गया था । ) ।

पारुल बस ऐसे ही घर के चारो और देखे जा रहीं थी । दिखने में तो काफी अच्छा था । अगर उसकी जगह कोई और होता तो खुशी खुशी ऐसे घर में रहना पसंद करता । पर पारुल को मानो एक बैचेनी सी हो रही थी । उसे तो वही अपना सिंपल सा कमरा और सिंपल सा घर वापस चाहिए था । तभी उसके मॉम डैड का ख़्याल उसके दिमाग में आता है । जिससे उसकी बैचैनी और भी बढ़ जाती है । कल सुबह जब वह लोग देखेंगे की मैं नहीं हूं तो पता नहीं क्या करेगे!? और शादी की खबर मिलेगी तो मेरा मुंह भी देखना पसंद नहीं करेंगे । उसके दिमाग में यह ख़्याल चल ही रहे थे की कह उसके आंखों से आंसू बहने लगे उसे पता ही नहीं चला । तभी अविनाश कहता है ।

अविनाश: ( आंसू पोछते हुए ) अरे!! वाईफी इतनी क्या खुशी की तुम अभी से रो रही हो। अभी तो और बहुत कुछ बाकी है थोड़े आंसू बचाके रखो ... ।
पारुल: ( गुस्से में अविनाश की ओर देखते हुए ) बहुत मजा आ रहा है ना तुम्हे!!? मेरी ऐसी हालत पर ।
अविनाश: ( बहुत बड़ी मुस्कुराहट के साथ ) बहुत!!! ज्यादा...।
पारुल: ( नफरत भरी नजरो से अविनाश की ओर देख ही रही थी की तभी अविनाश कहता है। ) ।
अविनाश: चलो अब ये आंखों से प्यार बरसाने ने के लिए पूरी जिंदगी पड़ी है। पहले ये कलश पांव से गिराओ और घर में प्रवेश करो !! ।
पारुल: ( नफरत भरी नजरे आश्चर्य में बदल जाती है । वह अविनाश की और देखे जा रही मानो जैसे वह कोई एलियन हो । )।
अविनाश: ऐसे क्या देख रही हो... जल्दी करो या पूरी रात मेरी ओर ऐसे ही देखने का इरादा है। वैसे तुम्हे नहीं लगता शादी के बाद तुम कुछ ज्यादा ही मुझपे डोरे डाल रही विच आई डोंट माइंड पर फिलहाल तो रश्म पूरी करो।
पारुल: ( गुस्से में कलश को पाव से ठोकर मारती है जिससे चावल कुछ दूर जाकर बिखर जाते है । ) ।
अविनाश: ( मुस्कुराते हुए ) नोट बेड...नोट बेड... वाईफी तुममे वो सारे गुण है जो अविनाश खन्ना की वाइफ में होने चाहिए ।
पारुल: ( दांत भिसते हुए हाथ को मुट्ठी में बंद कर लेती है । ) हो गया तुम्हारा अब में अंदर आऊ!!? ।
अविनाश: चिल!! चिल बेबी! इतनी भी क्या जल्दी है। अभी तो आरती बाकी है । ( आरती की थाली लेते हुए ... पारुल की आरती उतार रहा होता है। लेकिन वह पारुल की उलटी आरती उतार रहा था। जिससे पारुल उसकी ओर सवाल भरी नजरो से देखती है लेकिन कुछ पूछती नहीं । ) ( पारुल के माथे पर तिलक लगाते हुए ) वेलकम होम मिसेस. अविनाश खन्ना.... होप आपका का आगे का सफर मेरे यानी अविनाश खन्ना के संग अशुभ रहे ।
पारुल: ( बिना कुछ कहे आगे बढ़ती है लेकिन तभी उसे प्रतीत होता है की अविनाश ने उसे गोद में उठा लिया है । ) छोड़ो मुझे घटिया आदमी... मैं खुद चल सकती हूं!!! । नीचे उतारो मुझे।
अविनाश: बीवी... आज कुछ ज्यादा ही ऑर्डर नहीं दे रही मुझे... ( मुस्कुराते हुए चहेरे का हावभाव बदल जाता है ) भूलो मत तुम किस से बात कर रही हो । तो बि केरफुल जितना सह सको उतना ही जहर उगलो!! वर्ना शरीर के लिए हानिकारक हो जाएगा ।
पारुल: ( गुस्से में खुद को काबू करने की कोशिश कर रही थी । वह एक और लफ्ज़ इस घटिया आदमी के साथ बात करके दिमाग खराब नहीं करना चाहती थी । ) ।
अविनाश: ( मुस्कुराते हुए पारुल को और करीब करते हुए ) गुड गर्ल... ।

पारुल को अविनाश एक कमरे के बाहर उतारते हुए दरवाजा खोलता है । और पारुल का हाथ थामते हुए वह उससे अंदर ले जाता है । अविनाश चुटकी बजाते हुए लाइट चालू करता है। जिससे पूरे कमरे में रोशनी हो जाती है । कमरे के बीचोबीच एक बड़ा सा बेड था । बेड के दाई और एक बड़ी सी बालकनी थी या फिर यूं कहो गार्डन था । जहां पर दो झूले और कुछ चेयर थी । बेड के बाई और बाथरूम और एक बड़ा सा शीशा था। बेड के सामने कुछ दूर एक लॉन था जहां पर सोफास और टेबल थे । उसके अलावा अविनाश की एक विशाल तस्वीर रूम में आते ही रखी हुई थी । साथ में कुछ महंगी शो पीस की वस्तुएं थी । जो इस कमरे में पारुल के लिए सांस लेना भी मानों गुनाह जैसा अनुभव करवा रहा था । तभी अविनाश कहता है ।

अविनाश: वाइफी आओ ( पारुल का हाथ थामते हुए उससे बेड की ओर ले जाता है । ) ।
पारुल: ( डरते हुए अविनाश से हाथ छुड़वाने की कोशिश करती है । ) ये.... क्या.. क....र.... रहे.... हो... !? ।
अविनाश: ( मुस्कुराते हुए ) वही जो पति पत्नी करते है वाईफी.... ।
पारुल: ( अविनाश के हाथ में से हाथ छुड़वाते हुए खुद को अपने हाथ से ढकते हुए... दो कदम पीछे लेते हुए ) क्या.... मतलब है... तुम्हारा..... !? ।
अविनाश: ( बेड पर बैठते हुए पारुल को अपनी और खींचता है जिससे पारुल उसके ऊपर गिर जाती है । ) ( पारुल की कमर को पकड़ते हुए ) वहीं जो तुम समझ रही ही माय स्वीट वाईफी... नाऊ अब हम शुरू करे... ।
पारुल: ( डरके मारे उसकी धड़कन तेज हो गई थी । वह अविनाश के सीने पर हाथ से धक्का देते हुए उससे दूर जाने की कोशिश कर रही थी । ) ।
अविनाश: ( फिर पलटी मारता है.... जिससे अब पारुल बेड पर थी और अविनाश उसके ऊपर एक हाथ बेड रखे हुए ... वह पारुल के चहेरे को गोर से देखकर रहा था । उसके चहेरे के बदलते हावभाव अविनाश को काफी मजेदार लग रहे थे । कभी आश्चर्य कभी बड़ी बड़ी आंखों से सवाल तो कभी गुस्सा... यह सोचते हुए उसकी नजर पारुल के होठ पर पढ़ती है। जिस वजह मानो अविनाश के आंखो में एक अलग भाव उमड़ रहा था । वह मुस्कुरा रहा था तभी पारुल कहती है । ) ।
पारुल: ( धक्का देने की कोशिश करते हुए ) घटिया इंसान!!! सोचना भी मत... ऐसा वैसा करने की ... वर्ना...!?।
अविनाश: ( आश्चर्य में सोचते हुए... आहान!! अभी भी ब्रेव बनने का नाटक... चलो देखते है कब तक ये नाटक जारी रख सकती हो!! । ) ( पारुल के चेहरे के करीब जाते हुए ) वर्ना क्या... वाईफी!!? । ( पारुल के बालो को जुड़े में खोलते हुए ) ।
पारुल: ( अविनाश के सीने पर हाथ रखते हुए थोड़ी दूरी बनाने की कोशिश करते हुए ) वर्ना.... मैं... चिल्ला...चिल्लाकर..... सबको बुला लुंगी..... और फिर तुम्हारी.... बदनामी ही.... होगी.... सोचो... तुम्हारे.... फैंस.... क्या.... सोचेंगे.... ।
अविनाश: ( हंसते हुए ) हाहाहाहाहा...... सच में !?।
पारुल: ( अविनाश को हंसते हुए देख रही थी और हां में सिर को हिलाते हुए जवाब देते हुए नजरे झुका लेती है।)।
अविनाश: ( पारुल के चहेरे पर उंगली फेरते हुए ... उसका चेहरा अपनी और करते हुए ....) तुम्हे लगता है ... मुझे फर्क पड़ता है.... कौन क्या सोचता है.... ( चिल्लाते हुए ) आई.... फ**किं**ग.... डोंट केर ...।
पारुल: ( अचानक अविनाश के चिल्लाने की वजह से डर जाती है! आंखे बंद करते हुए अविनाश के शेरवानी को पकड़ लेती लेती है । ) ।
अविनाश: ( मुस्कुराते हुए पारुल के हाथ अविनाश के सीने पर सटे हुए थे वह देखते हुए । ) ओपन योर आयस... वाइफी ।
पारुल: ( बंद आंखों से डरते हुए सिर को ना में हिलाते हुए ) ।
अविनाश: ओपन इट वाइल आई एम नाईस..... वरना ।
पारुल: आई... ( सिर को फिर से ना में हिलाते हुए.... । )।
अविनाश: फाइन अगर तुमने आंखे नहीं खोली तो मैं तुम्हे किस करूंगा और उसकी जिम्मेदार तुम खुद होगी... वैसे भी ये लिस्टिक कलर तुम पर शूट भी कर रहा है । ( पारुल के होठ पर अंगूठा फेरते हुए । )
पारुल: ( कांपते हुए ... मानो जैसे उसके शरीर में एक बिजली सी दौड़ रह हो । ) ( झट से आंखे खोलते हुए ) ।
अविनाश: तुम से बात मनवाना काफी आसान है!!! वैसे... ( मुस्कुराते हुए अविनाश का ध्यान अभी भी पारुल के होठों पर था ) ।
पारुल: ( दूसरी ओर देख रही थी वह अविनाश के सामने देखना नहीं चाहती थी । )
अविनाश: लुक एट मि... ।
पारुल: ( ना चाहते हुए भी अविनाश की ओर देखती है । वह जानती थी कि इस वक्त अविनाश से बहश करना यानी मुसीबत को दावत देने जैसा था । ) ( अविनाश की ओर देखती है पर मानो जैसे उसने सबसे बड़ी गलती कर दी हो । डर के मारे पारुल का गला सुख रहा था । अविनाश की आंखों में कई भाव उमड़ रहे थे । जो की पारुल के लिए अच्छा संकेत नहीं है । ) अ...वि....।
अविनाश: शहहह!!! ( पारुल के होठों पर हाथ रखते हुए ) .... अगर तुम बात को आगे बढ़ाना नहीं चाहती तो मेरा नाम मत लो....।
पारुल: ( डरते हुए बस उससे देखे ही जा रही थी । मानो वह उसे धक्का देना चाहती थी पर हिम्मत ही नहीं थी । और तो और अविनाश का ये रूप अजीब सा है क्योंकि ये कौन से भाव उसके चहेरे पर उमड़ रहे है ये पारुल भी समझ नही पा रही थी । ) ।
अविनाश: ( अविनाश के दिल और दिमाग के बीच मानो जंग चल रही थी । ऊपर से शराब मानो उसके दिल को और भी बहका रही थी । पी तो इसलिए थी की वह पारुल के सामने खुद को काबू कर सके पर यहां तो उसका उल्टा हो रहा है । पारुल को जब उसने दौड़ते हुए दुल्हन के जोड़े में देखा था तभी से उसका दिल जोर जोर से धड़कना शुरू हो गया था। जैसे तैसे उसने काबू पा लिया था । लेकिन पारुल को इतने करीब पाकर मानो उसका दिल मक्कारी कर बैठा था । ) ( आंखे बंद करते हुए एक गहरी सांस लेते हुए फिर से आंखे खोलते हुए पारुल की ओर देखता है । प्रिंसेस.... ( नफरत के साथ ) ।
पारुल: ( अविनाश की ओर देखती है । फिर से पुरानी वाली नफरत आंखों में झलक रही थी । मानो फिर से पुराना वाला अविनाश लोट आया था । )
अविनाश: अगर गलती से भी किसी को पता चला कि ये शादी मैने जबदस्ती की है। तो अगली बार हम सिर्फ इस तरह बाते नही करेगे!! और फिर तुम्हारे परिवार वालो के लिए भी अच्छा नहीं होगा ।आई बात समझ में।
पारुल: ( आंखे बंद करते हुए सिर को हां में हिलाते हुए जवाब देती है ।)।
अविनाश: वर्ड प्रिंसेस वर्ड!!! ।
पारुल: हां!!! ।
अविनाश: ( अविनाश पारुल से दूर खड़े होते हुए कहता है ।) तो फिर ठीक है जब तक तुम अपना वादा नहीं तोड़ोगी में अपना वादा निभाऊंगा!!! । लेकिन!!! गलती से भी गलती हुई तो !!! अंजाम तो तुम जानती ही हो। अब आराम करो.... वाशरूम में मैने तुम्हारे कपड़े रखवा दिए है चाहो तो चेंज कर सकती हो । और हां.... आज की बात गलती से भी मत भूलना... ।


यह कहते हुए अविनाश रूम के बाहर दरवाजा पटकते हुए चला जाता है । पारुल बेड पर जैसी थी वैसे ही लेटी हुई थी । अभी क्या हुआ और क्या हो जाता!? अगर अविनाश कुछ उल्टा सीधा करता भी तो कौन रोकता उससे!!? । यह सोचते सोचते उसके आंखों से आंसू बह रहे थे । आजकल तो मानो सांस लेने से ज्यादा आंसू जैसे उसके जिंदगी भाग बन गए हो । वह अपने हाथ मैं से चूड़ियां, गहने, निकलते हुए कमरे में फेंकती है। लिपस्टिक को हाथ से रगड़ते हुए पोंछती है । और फिर सिकुड़ते हुए पलंग पर ही बैठते हुए खुद का प्रतिबिंब आईने में देखती है । अविनाश के खून से अभी भी उसकी मांग भरी हुई थी । मानो उसकी तरह उसके खून ने भी साथ ना छोड़ने की जैसे कसम खाई हो । पारुल एक दम से खड़ी होते हुए बाथरूम की ओर भागते हुए सांवर चालू करके उसके नीचे खड़ी हो जाती है। ठंडा पानी जैसे उससे सच्चाई से अवगत करा रहा था । की ये सबकुछ डरावना सपना नहीं बल्कि एक भयानक सच है जिससे वह चाह कर भी मिटा नही सकती । वह सांवर के नीचे सिकुड़ते हुए बैठकर हाथ पटकते हुए जोर जोर से रोने लगती है । जैसे मानो इतने घंटो बाद अब उसे होश आया हो की क्या किया है उसने!!? । अविनाश का खून उसकी मांग से होते हुए उसके चेहरे पर पानी और आंसू के साथ बह रहा था। पारुल तो मानो जैसे टूट सी गई थी । शायद इसीलिए क्योंकि इतने घंटे सदमे में उसने भाव काबू में किए थे वह सब उमड़ कर बाहर आ रहे थे ।