Bhutiya Mandir - 2 in Hindi Horror Stories by Rahul Haldhar books and stories PDF | भूतिया मंदिर - 2

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भूतिया मंदिर - 2

इस घटना के 10 दिन पहले ......

नितिन , विनय , शुभम और विशाल चारों बहुत खुश
थे क्योंकि वे सब उत्तराखंड घूमने जा रहे थे ।
उन सब का ग्रेजुएशन पूरा हुआ था और फिर इस ट्रिप
का प्लान किया गया ।
शुभम – " भाई मैंने तो कुछ गर्म कपड़े ले लिए हैं वहां
बहुत ठंडी पड़ती है । "
विनय – " भाई हमें भी पता है । "
विशाल – " यार वहां किसी नैनीताली को मैं दिल न दे
बैठू । "
तीनों हँस पड़े और बोले – " तू तो है ही दिलफेंक आशिक
तुझे कोई न कोई मिल ही जाएगी । "
कुछ घंटों के बाद ट्रेन से उत्तराखंड के प्रकृति की छटा के
नजारें दिखने लगी । फिर वो सब नैनीताल पहुँचे ।
रात हो चुकी थी तो जल्दी से एक होटल में रुक गए ।
अगले दिन भरपूर नैनीताल का मजा लिया चारों ने ,वहां
तो जितना घूमों उतना ही कम था ।
नितिन पहाड़ों के फोटो खींचना चाहता था और कई
प्राकृतिक चीजों के भी तो वह चारों पहाड़ों पर चल दिये
पर उन्होंने कोई गाइड नही ली , अक्सर लोग पहाड़ों पर
घूमने के लिए एक गाइड का सहारा लेतें हैं ।
पहाड़ पर घूमते हुए वह एक छोटे से गांव के ऊपर थे
जिसमें दस बारह घर थे वहां पहाड़ से गांव बहुत ही
शानदार लग रहा था शाम हो चली थी पर वह बेफिक्र
होकर अभी भी घूम रहे थे । पास ही एक छोटा पेड़ो
का जंगल था वह चारों उस ओर बढ़ चले बाहर से
जितना कम जंगल दिख रहा था अंदर कुछ ज्यादा ही
घना था फिर उन्हें एक काला व बहुत ही पुराना एक
घर दिखा पर पास जाकर ठीक से देखा तो वह एक
मंदिर था पर बहुत ही पुराना उस पर कुछ अच्छी
कलाकृति बनी हुई थी पर अंदर तक एकदम गंदा व
झाड़ियों से घिरा हुआ था मानों 100 साल पहले इसे
खोला गया था, शाम अब रात में बदलने वाली थी और
अंधेरे ने अपना कदम बढ़ाना शुरू कर दिया था ।
विनय ने कहा – " भाई लौट चलो रात होने वाली है । "
पर नितिन और विशाल का मन उस मंदिर के अंदर
जाने को कर रहा था तो नितिन बोला – " चलो यार
अंदर देखते है कि अंदर से मंदिर कैसी है । "
विशाल बोला – " क्या पता अंदर लाखों का खजाना
ही हो जो हमारा इन्तजात कर रहा हो । "
कुछ हाँ व ना के बाद वो चारों अंदर जाने के लिए तैयार
हो गए मोबाइल के फ़्लैश टोर्च को जलाकर देखा तो वहां
बड़ीकाली माता मंदिर लिखा हुआ था और मंदिर का
छोटा दरवाजा एक ताला से बंद था जिस पर एक पोटली
बंधी हुई थी और एक बड़ा त्रिशूल बांधा गया था मानों
कोई जादू टोना किया गया हो पर किसी मंदिर में कोई
जादू टोना का सामान कैसे हो सकता है ।
विनय बोल उठा – " यार ताला भी लगा है , अब क्या
इसे तोड़ोगे । छोड़ो बे चलते हैं ।"
पर नितिन ने एक बड़ा सा पत्थर उठा कर उस पर जोर
से दे मारा , दो वार में वह ताला टूट दूर जा गिरा ।
" वाह मेरे पहलवान " शुभम ने उसकी पीठ ठोकते हुए
बोला ।
त्रिशूल को खोलकर वहीं रखकर धक्का देकर दरवाजें
को खोला जैसे ही मंदिर का दरवाजा खुला एक चीख
की आवाज व एक हवा उन चारों को छूती हुई निकल
गई । यह चीख सुन उन्हें कुछ डर तो लगा पर नितिन
बोला –" यार कोई छोटा जानवर जंगल में चिल्ला रहा
होगा डरपोक कहि के । "
बाहर से मंदिर छोटा दिख रहा था पर अन्दरकाफी लंबा
व बड़ा था दीवाल मकड़ी के जालों व कालेपन से भरा हुआ
था । चारों अंदर की तरफ गए दीवालों पर मोबाइल के
टोर्च से देखा तो वहां के दृश्य भयंकर थे मानों किसी ने
खून से देवी देवताओं का अपमान किया हो ऐसा दृश्य
उन्होंने कभी नही देखा था वहां ॐ ( ओम ) जोकि हिन्दू
धर्म का एक पवित्र चिन्ह है उसे उल्टा लिखा गया था
और उसे काटा गया था । और एक देवता का सिर कटा
हुआ था और एक देवी के अंतड़ियों को कटकर निचे
गिरते हुए दिखाया गया था मानो किसी ने इसे अभी अभी
खून से बनाया वह इतनी अच्छी तरह से बना था कि
एक बार देख कर ही समझ में आ सकता था कि वहां
देवी देवताओं का अपमान किया गया था ।
विशाल बोल पड़ा – " किस कुत्ते ने यह बनाया होगा ,
साला । "
नितिन भी चिंता भरे स्वर में बोल पड़ा – " पता नही ,
कोई पगलाया होगा । "
फिर वह मंदिर के गर्भगृह में पहुँचे वहां का दृश्य तो
और भी भयानक था वहां चारों तरफ कई हड्डियां रखी
हुई थी और मूर्ति के स्थान पर एक शरीर के हड्डियों का
ढांचा लटकाया गया था और उसकी पूजा की गई थी
और वहीं पास में एक काले साया को देवता को खाते
हुए बनाया गया था ।
यह सब देखकर लग रहा था कि यह कोई मंदिर नही
मानों बुरी शैतानों का घर हो । पर बाहर तो बड़ीकाली
माता मंदिर लिखा था पर अंदर ऐसा क्यों उन चारों को
कुछ समझ नही आ रहा था । फिर एकाएक वह जगह
एक भयानक आवाज से गूंज उठा और चारो ओर से
कई चमगादड़ उड़ने लगे ।
अब यहां रुकना ठीक नही था वह बाहर निकलने लगे
विनय , विशाल और शुभम तो बाहर की तरफ जाने लगे
पर नितिन वहीं खड़े होठों पर मुस्कान लिए एकटक
उस पूजा किये गए हड्डी के ढांचे को देखे जा रहा था
तीनों ने उसे बुलाया पर वह मानों कुछ सुन ही नही रहा
था ।
शुभम चिल्लाया – " नितिन चल यार । कि तुझे अभी भी
यह सब मजाक लग रहा है ।"
पर वह टस से मस नही हुआ केवल उसे घूरे जा रहा था
विनय ने उसका हाथ पकड़ कर उसे खींचा , नितिन ने
गुस्से से विनय को देखा और आंख लाल करते हुए उसे एक
घक्का दिया , और फिर उसे घूरने लगा ।
धक्के से विनय नीचे जा गिरा था उठ कर गुस्से में बोला –
" ठीक है तू मर यहां पर । " इतना कहा ही था कि
नितिन वहीं बेहोश होकर गिर पड़ा यह देख वह तीनों
घबरा गए उसके मुँह पर पानी के छीटें मारे फिर भी वह
नही उठा । उसे तीनों उठाकर बाहर आने लगे तभी उन्हें
ऐसा लगा मानों कोई उनके पीछे खड़ा होकर गुस्से में गुर्रा
रहा हो पर अंधेरे में कुछ नही दिखा मोबाइल के टोर्च से देखा
तो पीछे कोई नही था । एकाएक किसी ने विशाल को पैरों
से पकड़कर खींचा और मुँह के बल गिर पड़ा और पीछे
की तरफ खींचा चला गया । विशाल डर के मारे चिल्लाने
लगा और फिर जल्दी से उठकर भागा । नितिन को कंधे
पर उठाकर बाहर आने लगे तो देखा गेट तो बाहर से बंद
है पर विशाल और शुभम ने गेट पर जोर का धक्का मारा
जिससे वह खुल गया फिर चारों तरफ बहुत तेज हवा
चलने लगी और मानो उन्हें मंदिर के अंदर की तरफ
खींच रही हो । विनय ने वहां पड़े त्रिशूल को उठा लिया
जैसे ही त्रिशूल उठाया सब कुछ शांत हो गया ।
वही गेट के पास त्रिशूल फेंक नितिन को कंधे पर उठा
वह तीनों मोबाइल का टोर्च जला अंधेरे में भागे और फिर
पहाड़ की तरफ , एकाएक नितिन को होश आ गया ।
यह देख उनकी जान में जान आयी होश में आते ही
नितिन भारी आवाज में बोला – " हम वहां से क्यों चले
आये ?"
विनय – " साले तुमको फिर जाना है क्या ? चूतिये एक
हवा से ही बेहोश हो गए और क्यों चले आये । "
एक हंसी की छटा बिखरी सबके चेहरे पर …

रात हो चुकी थी मोबाइल के घड़ी में 7:30 बज रहे थे ।
आगे अन्धेरे में अभी इस पहाड़ पर कैसे जाएं पर किसी
तरह आगे बढ़े ।………


…क्रमशः