Samay yatra - 3 in Hindi Fiction Stories by Uma Vaishnav books and stories PDF | समय यात्रा.. - 3

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समय यात्रा.. - 3

.......... सब उस आवाज की और देखते हैं, सुप्रिया भी उस ओर देखती है, जहाँ से आवाज आई होती है, वो देखती है, एक बहुत ही हटा कटा नौजवान खड़ा होता है।

तब वो सब कबिले वाले उस नौजवान की ओर देखते हैं, उन में से एक वृद्ध बोलता... ओह.. तो तुम यहाँ .... छुपे हो

भीखूँ... अगर मुझे छुपना होता.. तो अभी भी समाने नहीं आता।

सब से वृद्ध बोलता है... बस बस... हमें सब पता है... तुम सब देख क्या रहे हो.... पकड़ लो इसे और अपने कबिले में लेकर चलो.... इसे वही सजा सुनाई जायेगी।

भीखूँ.... कैसी सजा? मैंने क्या किया है?

दूसरा आदमी.... बात तो ऎसे कर रहा हैं.. जैसे कुछ जानता ही नहीं।...

भीखूँ..... मुझे नहीं पता आप लोग... क्या कह रहे हो?

दूसरा आदमी.....तूने हमारे कबिले की लड़की लाची पर बुरी नजर डाली है।

भीखूँ... क्या.. ये सब आपको किसने कहा?.. आपने लाची से पूछा हैं।

वृद्ध आदमी.... बहन.. बेटियों से ऎसी बातें पूछी नहीं जाती है, हमें खबर मिल जाती है।

भीखूँ.. आपको ये खबर दी किसने?

तीसरा आदमी...... भेरू ने.. अपनी आँखों से देखा।

भीखूँ... अच्छा तो बुलाओं.. भेरू को.. पता तो चले उसने क्या देखा है।

वृद्ध.... वो भी वही है.. कबिले में.तुम चलो.. उसे भी बुला लेगें। सीधे सीधे.. चले चालों वरना बाँध कर घसीटे हुए ले जायेगें।

भीखूँ..इसकी जरूरत नहीं... मैं खुद चलता हूँ। और वैसे भी मैं तुम्हारे कबिले में आने वाला ही था। लाची का हाथ मांगने के लिए.. मैं और लाची दोनों एक दूसरे को बहुत पसंद करते हैं। आप चाहे तो लाची से पूछ सकते हैं।

तभी चौथे आदमी ने गुस्से में आगे बढ़ कर भीखूँ को मारने की कोशिश करते हुए... कहता है... अपने गंदे मुँह से लाची का नाम ना ले... मेरी बहन को बदनाम करता है मैं तुझे छोड़ऊँगा नहीं...

इतने में भीखूँ की माँ बीच में आ जाती हैं, और कहती हैं

.. नहीं.. नहीं.. मेरा बेटा ऎसा नहीं है... कोई तो बात होगी... वो स्त्रियों की बहुत इज्जत करता है, कोई बात जरूर है, आप लोग एक बार लाची से भी पूछ ले। अगर वो कह दे कि भीखूँ ने जो भी कहाँ वो झूठ हैं और भीखूँ ने उस पर बुरी नजर डाली है तो मैं खुद उसे अपने हाथों से सजा दूँगी।

इतने में भीखूँ के कबिले का मुखिया भी आ जाता है और सारी बात जान कर कहता है... ये बात सिर्फ तुम्हारे कबिले की नहीं है,.. अपितु हमारे कबिले की भी इसलिए जो भी पूछताछ, सुनवाई या फैसला होगा... दोनों कबिलों की मौजूदगी में और सब के समाने होगा और फैसला भी दोनों कबिलों के मुख्या मिल कर करेगें।

सुप्रिया एक पेड़ के पीछे छुप कर उनकी सारी बातें सुन और देख रही होती है तभी सुप्रिया के पीछे पतों की हलचल होती है सुप्रिया पीछे मुड़ कर देखती है तो उसके पीछे एक बड़ा सा सांप होता है, जिसे देख सुप्रिया डर जाती है और उस के मुंह से चीख निकलती है.... आआआ

वो बहुत डर जाती है, तभी उसकी चीख सुन कबिले के कुछ लोग... भाला लेकर वहां पहुंच जाते हैं, जहाँ सुप्रिया छुपी होती है उनको देख सुप्रिया और डर जाती है, उसकी समझ में नहीं आता... अब वो क्या करें... इन से कैसे बचे।
तभी भीखूंँ.... वहां आता है और एक हाथ से सांप को उठा कर दूर झाड़ियों में फैक देता है।

सभी बड़े आश्चर्य से सुप्रिया को देखते हैं, और भीखूंँ कहता है... अरे ओ लाची... ये क्या पहना हैं, तू कब से सब सून रही थी.. फिर बोली क्यो नही?

भीखूँ की बात सुन सुप्रिया हैरान हो जाती है। वो कुछ बोलती उससे पहले ही.....

......... कहानी जारी रहेगी