सिम्मी ने निकली अपने घर से , पापा के सामने से फ़ुर्र से वेदांत के घर जाने के लिए ।परंतु वेदांत के बंगले में 9बजे तक सिम्मी नहीं आई है ।सिम्मी तो सुभह ही बड़े जोश से वेदांत से प्यार का फैसला करने और वेदांत से लड़ने के मूड में प्रस्थान किया है।पर सिम्मी को क्या प्रॉब्लम हो गया होगा।मैं जानने के लिए उतावला हो गया ।मामला क्या है ।हल्की ठंडी हवा चल रही है ।दसहरा पर्व हो चुका है।खलयानो में धान की फसल लहलहा रही है ।प्रकृति की हरा रंग लिए हुए धान की बालियाँ माथा झुकाये किसान को नमन कर रहा है ।कि आप ने तीन महीने तक मेरा सेवा करने में कोई कसर नही छोड़ी है ।कुछ ही दिन में धान की लम्बी- लम्बी बालियाँ पिला दिखाई देने लगेगा ।जो सुनहरा कलर की गहनों की रूप लेलेगा।
शेखर और मनोज डाइरेक्टर के बीच में जम कर वादविवाद हुआ आगे हांथा पाई तक पहुंच गया।वेदांत ने बीच बचाव किया।शेखर,बहुत गुस्से में था ।लड़ाई मोनिका पर थी।वर्मा ने मोनिका पर तंज कसने लगा और यूनिट से निकाल देने और उसके जगह डॉली शर्मा को शिफ्ट करने की बात की ।और तो और मोनिका पर दबाव बना रहा था।वर्मा ने मोनिका से गंदी- गंदी बात कर रहा था।रात को आने को भी कहा रहा था।शेखर सुन लिया जिससे मामला गड़बड़ हो गया।वर्मा थाने जाने के लिए उतावला हो रहा था।जैसा तैसा वेदांत ने मामले को संभाला ।मोनिका ,वेदांत से कहा-सर मैं वर्मा के साथ काम नहीं कर सकती।ओ एक नई चुड़ैल को लाई है मुझे मक्खी के तरह फेक देना चाहता है ।बहुत प्रौडी है वर्मा जी।मैं अपने कला का सम्मान करता हूँ ।वर्मा हमारे गुरु है।अब गुरु और शिष्य के बीच का आत्मिक,ह्रदय से जो कॉर्डिनेशन था ।टूट चुका है।यह समय अश्लीलता का दौर है।नाम शोहरत और पैसे के लिए इंसान बहुत निचे गीर गया है ।हम जैसे लड़कियां सेक्स से जुड़ने ,अंग प्रदर्शन करने,अश्लील पोज देने ,उतेजना शील फ़िल्म बनाने को ,नाम ,सोहरत,पैसे के लिए बिक जाते है।ये सब समय,और माहोल का दोष है।फ़िल्म लाइन की दिशा कुछ पाखंडी लोग अपनी दबदबा,और सहिंसा बनने के लिए अपने स्वार्थ के लिए करते रहते हैं।
वेदांत-हाँ मोनिका तुम ने सच कही।
यही तो चल रहा है सर ,मैं ही खुद आप की सेवा के लिए तैयार रहती हूं ।फ़िल्म लाइन में आम बात है ।वेदांत ने मोनिका से कहा।परंतु मैं इस पर विश्वास नहीं करता ।मेरा टारगेट ही अलग है ।मैं किसी को गुमराह नहीं करना चाहता ।मैं अपना काम साफ सुथरा करना चाहता हूं ।
वर्मा का गुस्सा शांत हुआ।शेखर की अग्नि ठंडा होने लगा।अब दोनों नार्मल हो चुके है।शेखर ,वेदांत से कहता है -अरे यार वर्मा एक अच्छा डाइरेक्टर है परंतु सेक्स को ही ज्यादा प्रीफेन्स देना चाहता है।तुम्ही बताओ ये सहीं है ।गलत है।अब कैसे करे वर्मा को रेस्टीगेट कर दिया जाए या समझौता कर ले ।उस दरिद्र से कौन समझौता करें।इसे इस बार छोड़ देते हैं ।तुम चिंता मत करो मैं कल ही बॉम्बे जा रहा हूँ ।पूरी फिल्म मेकिंग ,डायरेक्शन का कोर्स इंस्टीट्यूड से सीख कर लौटूंगा ।वेदांत कहता है-वंडरफुल मैं बहुत खुश हूं ।तुम अभी के अभी जाने की तैयारी करो।राज सर है।उनका बंगाल भी ।
शेखरओके कहते हुए सूटिंग स्पॉट से बाहर निकल जाता हैं ।डॉली के नाम आने से लोग उन्हें ट्रोल करने लगे हैं ।
सिम्मी आधे रास्ते में पहुँची थी।मन में कई उमंग ,
और वेदांत के इश्क के दीवानी हो कर कई सुगन्धित अरमानों के महल बनाने की असंख्य कल्पना करती हुई स्कूटी तीब्र गति पर चल रही थी ।यही कहीं 60 -70 की स्पीड से कम नहीं रह होगा।।।सिम्मी एक्टिवा सुपर G फाइव हवा से बात कर रहा था ।एक पुलिस अंकल की नजर सिम्मी पर पड़ा तुरंत सक्रिय हो गया ।अगले चौक की पुलिस को सावधान कर दिया गया।सभी सोच रहे थे कि लड़की तो गई ।इसके छिथड़े ही मिलेंगे।एक कार गति से आ रहा था ।दोनों आमने सामने हो गए दर्शकों की नींद उड़ गई।गई लड़की आज अभी।परंतु शुक्र है भगवान का बाल -बाल बच गए।लोगो के होश उड़ गए ।बच कैसे गई।जब दोनों की गाड़ियां आमने सामने हो गए एक साथ ब्रेक लगा।जब आदमी का सामान्य दिमाग़ काम नहीं करता है तो तीसरा सेंस ऑटो मेटिक काम करने लग जाता है ।एक्टिवा में खरोच भर आया ,कार की हेड लाइट टूट गई।सिम्मी जमीन पर धम से गिरते हुए कहा-वेदांत फिर क्या हुआ ??लड़की बेहोस हो गई।मोबाइल थोड़ा डेमेज हो गया स्क्रीन प्लेट छरी दर्री हो गया ।डिस्प्ले काम करना बंद हो गया ।
कार वाले साहब ने मेडिकल कॉलेज इलाज के लिए ले गया ।सदमा के वजह से बेहोस हो गई थी ।सिम्मी को होश आने की इंतजार हो रहा था ।पगली दो घंटे तक बेहोस रही।अचानक होस आया अपने को मरीज के बिस्तर पर।साहब ने बताया तुम्हारा एक्सीडेंट हो गया था।किसी राहगीर ने बताया गिरते हुए वेदांत का नाम ली थी तुम ।कौन है वेदांत क्या लगते है ।
साहब उसी के दीवानगी में ये मेरा हाल हुआ है।मेरा एक्टिवा चकना चूर हो गया होगा।और मैं जिंदा कैसे बच गई।आश्चर्य बड़ा आश्चर्य।
तुम्हारी एक्टिवा बन कर आ गया है ।और तुम्हें मामूली खरोच भर है।मलहम पट्टी कर दिया गया है।ये देखो तुम्हारे कोहनी ,घुटने में ,सिर में मलहम पट्टी बंधी है।तुम घर जा सकती है।
नहीं सर मैं नहीं जाऊंगी ,मुझे घबराहट हो रही है ।और मेरे पिता जी मेरा मसाला बना देंगे ।ऐसे ही मैं चटनी बन गई हूं।
ठीक है ,तुम्हारे पिता जी को सूचना देना होगा ।
नो सर,सब पागल वेदांत के कारण हुआ है।उसे तो मैं डोसा बना कर खाऊंगा।
मुझे भी डियूटी जाना है।जल्दी बताओ तुम्हारे रिस्ते दारों को बुला दूँ।
मोबाइल तो गया कवाड में नम्बर भी पूरा याद नहीं ।सर डीग्गी में शेखर का नंबर है।ओके।वेदांत का जिक्र कर रही थी।सायद तुम्हारे प्रेमी है उनका नंबर याद होगा ही।
याद तो है सर पर हो मेरा भूसा बना देंगे ।मुझे डांटेंगे ।केयर लेस कहेंगे।मैं नर्भस हो जाऊंगी।और मेरा ईगो जाग जाएगा ।रहने दो वेदांत को।मरने दो सूटिंग में ,हीरोइन मोनिका के पीछे पागल है ।मेरा तो ख्याल ही नहीं रखता कंबस्त।
कौन मोनिका?ओह!
वेदांत की छिपकिल्ली और क्या।
शेखर और वेदांत फ़िल्म प्रोड्यूसर ।
हाँ -हाँ -हाँ जी -जी आप कैसे जानते हैं ।
मोनिका को मैं चाहता हूं ।हम दोनों सगाई करना चाहते है।
नाम सुना है शेखर भैया से ,देखी नही हूँ उसकी सूरत भी।
वेदांत को कौन नहीं जानता पूरे सी जी में फ़ेमस और स्मार्ट भी।तुम भाग्यवति हो।जीवन दान मिल गया ।शिवजी की कृपा है।
यस सर ...
आप तो वेदांत सर के प्रेमिका है।मैं आप मेरे रिस्पेक्टेड हो ।शेखर को फोन कर देता हूँ ।सब सम्हाल लेगा ।आराम से लेटे रहो।काफ़ी ,चाय ,बिस्किट क्या लेना पसंद करेगी।
चाय,काफ़ी पीती नहीं ,ब्रेड ,दूध लुंगी।
वेटर से ब्रेड ,दूध मंगवा दिया।
यहां भी मेरी सेवा।
मेम साहब लोग जान जाएँगे कि तुम वेदांत के होने वाले सोहरत हो तुम्हें देखने की भीड़ लग जायेगी।पब्लिक सेक्टर में संभल कर रहना जरा ।
हां बाबा ,सर मैं गांव की देहाती लड़की हूं ।
सिम्मी, तुम वेदांत सर के होने वाली ओ हो।वेदांत सर बहुत ही जेंटल मेन्ट हैं ।शेखर आते ही होने फोन कर दिया है।चलता हूँ मेम साहब ।इतना कह कर कार वाले सज्जन वहां से चले जाते हैं ।