UDHAR ki ZINDAGI in Hindi Short Stories by S Sinha books and stories PDF | उधार की जिंदगी

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उधार की जिंदगी


कहानी - उधार की जिंदगी

रवि अपने बॉस को देखने अस्पताल गया था . उसके बॉस की बाई पास सर्जरी हुई थी और वह औपचारिकता वश उनसे मिलने गया था . वह 40 किलोमीटर दूर से अपने जिला मुख्यालय आया था जहाँ बॉस का ऑफिस था . उनसे मिल कर वह लौट रहा था , रास्ते में अस्पताल का ब्लडबैंक था . जब वहां से वह गुजर रहा था उसे किसी औरत की आवाज सुनायी पड़ी ,वह बिलखते हुए बोल रही थी “ डॉक्टर , प्लीज मेरी बच्ची के लिए ब्लड दें , उसकी जान खतरे में है . “


रवि भी उत्सुकता वश अंदर गया . एक औरत जिसके बदन जगह जगह से छिले थे मरहम पट्टी लगाए ब्लडबैंक के इंचार्ज डॉक्टर के सामने दोनों हाथ जोड़े खड़ी थी और बोल रही थी “ प्लीज डॉक्टर , मुझ बेवा पर दया कीजिये . उसकी जान बचा लीजिये . मेरे जीने का एकमात्र सहारा वही है . मेरे शरीर का सारा खून ले लीजिये पर मेरी बेटी को बचा लीजिये . “


“ माताजी , आप समझ क्यों नहीं रहीं हैं . फिलहाल ब्लड बैंक में आपकी बेटी के ग्रुप का दो यूनिट खून था जो मैंने ऑपेरशन थियेटर भिजवा दिया है . आपका भी ग्रुप टेस्ट किया है , वह नहीं मैच करता है और आप वैसे भी बहुत कमजोर हैं . मैच करने पर भी मैं नहीं लेता . “


रवि ने डॉक्टर से पूछा “ क्या बात है डॉक्टर ? “


“ इनकी बेटी का अर्जेंट ऑपरेशन होना है . चार यूनिट ब्लड चाहिए , बैंक में दो यूनिट थे मैंने रिलीज कर दिए . बाकी दो यूनिट के लिए मैंने इन्हें डोनर लाने को कहा है या किसी और ब्लड बैंक में देखें . मेरे बैंक में अब और उस ग्रुप का ब्लड नहीं बचा है . “


वह औरत रोते हुए रवि से बोली “ बेटा इन्हें तुम्हीं समझाओ . मैं कहाँ से डोनर लाऊँ ? जवानी में पति चल बसे , बेटी को पालपोस कर बड़ा किया अब यही मेरे जीने का सहारा है . तुम जवान हो कुछ मदद करो बुढ़िया की . “ और उसके पैर छूने के लिए झुकी .


रवि ने उसे उठाते हुए कहा “ आप धीरज रखिये , मैं देखता हूँ . “

फिर उसने डॉक्टर से कहा “ आप मेरा ब्लड ले सकते हैं . “


“ आपके ब्लड का क्या ग्रुप है ? “


“ O - पॉजिटिव , सुना है यह सभी ग्रुप से मैच कर सकता है . “


“ सभी से तो नहीं पर इन्हें AB पोजिटिव चाहिए , इनका काम हो जायेगा . पर मुझे दो यूनिट चाहिए . “


“ क्या मैं दो यूनिट नहीं दे सकता ? “


“ नॉर्मली हम एक बार में एक यूनिट ही लेते हैं . “


फिर डॉक्टर ने सर्जन और स्पेशलिस्ट से बात कर रवि को कहा “ ठीक है , आप पावर रेड डोनेशन करेंगे . मेरा मतलब यह है कि पेशेंट का होमोग्लोबिन कुछ कम है . स्पेशलिस्ट का कहना है कि आपके ब्लड से रेड सेल्स निकाल कर बाकी प्लाज्मा और प्लेटलेट्स आपको चढ़ा दिया जायेगा . बस इसमें आपको नार्मल डोनेशन की अपेक्षा कुछ ज्यादा समय लगेगा . “


बूढ़ी औरत के चेहरे पर ख़ुशी की एक लहर दौड़ रही थी , उसने रवि को बहुत आशीर्वाद दिया . वह न ही उस लड़की या उसकी माँ को पहले से जानता था बल्कि लड़की से अभी तक वह मिला भी नहीं था .ब्लड बैंक ने उसे एक गिलास ऑरेंज का जूस पीने के लिए दिया . कुछ देर आराम कर वह अपने घर लौट गया .एक ब्लड डोनर सर्टिफिकेट दिया जिसके अनुसार एक साल के अंदर जरूरत पड़ने पर वह अपने लिए इस ब्लड बैंक से खून प्राप्त कर सकता है , अगर ब्लड बैंक में उपलब्ध रहा तब .


रवि एक नेक दिल इंसान था .उसकी उम्र करीब 30 साल थी .उसकी शादी हो चुकी थी और उसे दो बच्चे थे एक बेटी जया और छोटा बेटा अनिल . वह एक प्राइवेट कंपनी में सेल्स एग्जीक्यूटिव था . जिस लड़की का एक्सीडेंट हुआ था उसका नाम सोनम था , उसकी उम्र करीब 23 साल थी .वह भी एक प्राइवेट कंपनी में काम करती थी .उसकी माँ का नाम उमा था .जब सोनम आठ साल की थी उसके पिता चल बसे थे .उसकी माँ ने बहुत संघर्ष और मुसीबतों का सामना करते हुए बेटी का पालन पोषण किया था . सोनम पिछले तीन साल से जॉब में थी और माँ बेटी दोनों की जिंदगी वापस पटरी पर आ गयी थी .


रवि के माता पिता और सास ससुर कोई भी जीवित नहीं थे . सोनम और रवि में जो एक बात कॉमन थी वह यह कि दोनों अपने माता पिता की एकमात्र संतान थे . रवि देर से घर लौटा तब वह कुछ थका मादा लग रहा था , उसकी पत्नी कोमल ने पूछा “ क्या बात है , आज बहुत थके थके दिख रहे हो . 40 - 50 किलोमीटर तो तुम अक्सर ट्रेवल करते हो इतनी थकावट तो मैंने पहले नहीं देखी है . “


रवि ने रक्तदान की बात कही तब कोमल ने कहा “ क्या जरूरत पड़ी थी किसी अजनबी को खून देने की , वह भी एक ही दिन में दो यूनिट . “


“ जरूरत थी तभी तो दिया .वहां किसी की जान पर पड़ी थी , सब यही सोचेंगे तब यह दुनिया कैसे चलेगी . “


सोनम की शादी ठीक हो चुकी थी , यह एक अरेंज्ड मैरेज था .अभी सोनम या उसके भावी पति का एक दूसरे से सामना नहीं हुआ था .हाँ फोन पर कुछ बातें हुई थीं .जिस दिन सोनम का एक्सीडेंट हुआ था उस दिन सोनम का प्रोमोशन हुआ था और अगले सप्ताह लड़के वाले उसे देखने आ रहे थे .उसने माँ से कहा “ मम्मी , आज ख़ुशी का दिन है , मौसम भी बहुत अच्छा है .हम लोग आज का डिनर स्टार होटल में लेंगे .”


डिनर के बाद दोनों माँ बेटी सोनम के स्कूटी पर घर लौट रही थीं . रोड की मरम्मत हो रही थी .एक लेन बंद था . अचानक एक टैक्सी वाले ने रॉंग साइड से उसे टक्कर मारी .टैक्सी चालक तो धक्का मार कर भाग चला . संयोगवश उसकी माँ उमा सड़क किनारे बालू की ढेर पर गिरी , उसे कोई खास चोट नहीं लगी थी . दुर्भाग्य से खुद सोनम रोड डिवाइडर पर जा गिरी .उसे काफी चोटें आयीं .इत्तफाक से रवि सही मौके पर अस्पताल में उसकी माँ से मिला और उसने रक्तदान देकर सोनम की जान बचायी .


सोनम की सर्जरी के तीन दिन बाद वह अस्पताल के कमरे में बेड पर थी . उसे होश आ गया था और वह लोगों की बातें सुन और समझ सकती थी . डॉक्टर ने उसे ज्यादा न बोलने की सलाह दी थी इसलिए वह धीमी आवाज में हां या ना बोलती या मुस्कुरा कर रह जाती . उसके ऑफिस के कुछ दोस्त मिलने आये थे . सोनम की माँ ने उनसे कहा “ मैं तो एक्सीडेंट वाले दिन बहुत घबरा गयी थी क्योंकि मैंने सोनम के करीबी दोस्तों को ब्लड के लिए फोन किया था पर तुम में से किसी का ब्लड मैच नहीं कर रहा था . तभी अचानक एक अजनबी फरिश्ता बन कर आया और दो यूनिट ब्लड दे कर चला गया . मैं भी लगभग होश में नहीं थी वह कब चला गया मुझे पता न चला और ठीक से उसको धन्यवाद भी न दे सकी . “


करीब दो महीने बाद सोनम अस्पतला से डिस्चार्ज हो कर घर आयी . पर वह अब पहले जैसी नहीं रही थी .बात सिर्फ सुंदरता की नहीं थी . यूँ तो पहले भी बहुत खूबसूरत नहीं थी पर फिर भी बिना मेकअप के ज्यादातर अभिनेत्रियों से अच्छी थी . एक्सीडेंट के बाद उसके बाएं पैर में मल्टिपल फ्रैक्चर्स थे . डॉक्टर के लाख कोशिशों के बावजूद उसके दोनों पैर बराबर न हो सके , उसका बायां पैर दाहिने की अपेक्षा एक इंच छोटा रह गया था . इसके चलते वह थोड़ा लंगड़ा के चलती . इतना ही नहीं उसके चेहरे पर भी काफी चोटें थीं . उसके बाएं गाल पर स्टिच मार्क रह गए थे . अस्पताल से डिस्चार्ज करते समय डॉक्टर ने कहा था कि यह प्लास्टिक सर्जरी से दूर हो सकता है . पर उमा या सोनम को महंगी प्लास्टिक सर्जरी की हैसियत नहीं थी .


कहने के लिए सोनम की शादी ठीक हो चुकी थी पर अंतिम फैसला लड़की और लड़के के मिलने के बाद होना था . कुछ दिनों बाद उसे देखने लड़के वाले आये थे . लड़का भी आया था , सोनम से मिलने के बाद लड़के और उसके माता पिता के चेहरे के भाव से उमा उनका फैसला समझ गयी थी . फिर भी सीधे ना बोल कर उसके माता पिता ने जाते समय कहा “ अभी बिटिया को ठीक होने में काफी वक़्त लगेगा . हम घर जा कर सोचते हैं कि हमारे पास उतना वक़्त है या नहीं . “


समझदार के लिए इशारा ही काफी है , माँ बेटी दोनों ने समझ लिया कि यहाँ बात नहीं बनने वाली है . उमा उदास रहने लगी थी . सोनम ही माँ को ढाढ़स देती और बोलती “ माँ , तुम इतनी परेशान क्यों होती हो , शादी के

अलावे भी तो जिंदगी में और काम है . और अभी मैं कोई बूढ़ी नहीं हुई हूँ . शायद आगे इससे भी कुछ अच्छा लिखा हो हमारे तकदीर में . “


इसी बीच रवि का तबदला जोनल ऑफिस में हो गया जो डिस्ट्रिक्ट हेड क़्वार्टर्स में था . सोनम इसी शहर में थी . वह सपरिवार यहाँ शिफ्ट कर गया .


दुर्घटना के तीन महीने बाद सोनम ने ऑफिस जाना शुरू किया . शुरू के कुछ दिन वह बस या ऑटो से दफ्तर जाती , बाद में वह अपने स्कूटी से जाने लगी . उसकी जिंदगी नए सिरे से सामान्य चल रही थी . माँ बेटी दोनों एक दूसरे के लिए चिंतित रहतीं . उमा को अपने जीवनवाल में ही सोनम की शादी की चिंता रहती तो सोनम को माँ की चिंता को लेकर चिंता . माँ पहले से ही ब्लड प्रेशर की मरीज थी और ज्यादा स्ट्रेस उसके लिए ठीक नहीं था . सोनम डरती कि कहीं माँ को कुछ हो जाए तो वह दुनिया में अकेली रह जायेगी . इसी उधेड़बुन में पांच साल बीत गए पर किसी को कुछ न हुआ , न सोनम की शादी न उमा की तबीयत को कुछ हुआ .


एक दिन सोनम माँ को ले कर अस्पताल गयी थी . उमा चेयर पर बैठी अपनी बारी का इंतजार कर रही थी . अचानक उमा की नजर रवि पर पड़ी . वह स्ट्रेचर पर किसी पेशेंट , जिसका पूरा बदन सफ़ेद चादर से ढका था , को ले कर जा रहा था और उसके साथ दो बच्चे रोते चल रहे थे . उमा ने उसे आवाज देकर रोकने की कोशिश करते हुए कहा “ बेटा , अरे बेटा एक मिनट रुको . “


पर रवि न रुका न उसने उमा की ओर पलट कर देखने की कोशिश की . फिर उमा ने अपनी कुर्सी से उठ कर आवाज दी “ बेटा , रुको . “


तभी पीछे से आती नर्स ने उमा से कहा “आप शांत रहें . थोड़ी देर पहले उनकी पत्नी का देहांत हुआ है , अब आप और उन्हें परेशान न करें . “


उमा “ हे भगवान , इतने नेक आदमी के साथ ऐसा अन्याय क्यों किया तुमने ? “


सोनम बेटी ने पूछा “ माँ , तुम इन्हें कैसे जानती हो ? “


“ यही वो फरिश्ता है जिसने ब्लड दे कर तुम्हारी जान बचायी थी . “


सोनम ‘ ओ माय गॉड ‘ बोल कर के अपनी जगह पर बैठ गयी .


सोनम ने अस्पताल के ऑफिस से रवि का पता लिया .


चार दिन बाद सोनम माँ के साथ रवि के घर गयी , उस दिन चौथा था . कुछ लोग पहले से ही वहां बैठे थे . दोनों ने रवि को नमस्कार कर उसकी पत्नी के फोटो पर फूल चढ़ाये . कुछ देर की प्रार्थना के बाद सभी लोग जाने लगे . उमा ने रवि से कहा “ बेटे , मुझे तुम्हारी पत्नी के बारे में सुन कर बहुत दुःख हुआ . भगवान भी कितना निर्दयी है . “

रवि उत्तर में कुछ न कह सका . बस खामोश दोनों हाथ जोड़े खड़ा रहा था . उमा ने ही फिर कहा “ बेटा , लगता है तुमने मुझे नहीं पहचाना . “


“ सॉरी , मैं आपको नहीं पहचान सका , मुझे आपके बारे में कुछ याद नहीं आ रहा है . “


उमा ने बेटी को पकड़ कर कहा “ यह मेरी बेटी सोनम है . करीब पांच साल पहले तुमने ही अपना खून दे कर इसकी जान बचाई थी . “


“ ओह हां , याद आया . अब कैसी हैं आप ? “ सोनम की तरफ देख कर रवि बोला


“ ठीक हूँ , मुझे आपकी पत्नी के बारे में सुन कर बहुत दुःख हुआ . क्या हुआ था उन्हें ? “


“ उसे पैंक्रियाज कैंसर था, इलाज के बीच में ही चल बसी . “


सोनम ने कहा “ वैरी , सॉरी . “


“ अच्छा अब मैं चलता हूँ , कुछ काम है . “ रवि बोला


सोनम अपनी माँ के साथ लौट आयी . करीब एक महीने बाद रविवार के दिन माँ बेटी दोनों रवि के घर गए . उनहोंने उसके बच्चों के लिए फल , मिठाई और कुछ गिफ्ट ले लिए थे . कुछ देर तक आपस में उनकी बात हुई . वहां उन्होंने देखा कि दोनों बच्चे जया और अनिल रवि हो तंग कर रहे थे, वे रोते हुए बोल रहे थे “ पापा , हमें अब मम्मी ऐसा खाना कब मिलेगा ? कुक का बनाया खाना अच्छा हमें नहीं लगता है . “


सोनम ने कहा “ मैं , कल से आप दोनों के लिए अच्छा खाना रोज ले कर आऊंगी . आप बोलो , क्या चाहिए कल के खाने में . “


दोनों बच्चे चुप थे , रवि बोला “ अरे नहीं नहीं , आप क्यों तकलीफ करेंगी . यह तो हमें जिंदगी भर फेस करना है . कोई दो चार दिन की बात नहीं है . “


“ मैं रोज की बात कर रही हूँ . ऑफिस जाते समय मैं टिफिन ड्राप कर दूंगी . शाम को लौटते समय फिर खाली टिफिन पिक कर लूंगी . अच्छा बच्चों कल मैं बिरियानी , मटर पनीर लंच के लिए और आलू पराठे डिनर के लिए एक ही साथ ले कर आऊंगी . ठीक रहेगा न . “


बच्चे फिर भी चुप थे , पर चेहरे पर ख़ुशी दिख रही थी . रवि बोला “नो , आप क्यों रोज रोज तकलीफ उठाएंगी . हम सब धीरे धीरे आदि हो जायेंगे . “


“ प्लीज आप मना न करें . हाँ अगर बच्चों को मेरा बनाया खाना अच्छा न लगे तब फिर देखेंगे क्या करना है . “


सोनम अब रोज कुछ न कुछ खाना ले कर आया करती . छुट्टी के दिन उसकी माँ भी आती और कुछ घंटे रुक कर रवि के किचेन में ही सोनम ताजा खाना बना कर जाती . करीब दो महीने बाद एक दिन रवि खुद बच्चों को ले कर सोनम के घर पहुंचा . रवि बोला “ बच्चे सोनम ऑन्टी के घर जाने की जिद कर रहे थे . “


छोटा बेटा अनिल बोला “ऑन्टी तो बिल्कुल मम्मी जैसा टेस्टी खाना बनाती हैं . इन्हें ही आप कुक रख लीजिये पापा . “


“ छिः , बेटे ऐसे नहीं बोलते . ऑन्टी मम्मी जैसी है , वो कुक नहीं है बेटे . “ फिर उमा की ओर देख कर बोला “ सॉरी ऑन्टी , मेरा मतलब था बच्चे को सोनम को रेस्पेक्ट करना चाहिए . “


“ बच्चों को मम्मी तो नहीं मिल सकती पर मम्मी जैसी प्यार करने वाली तो चाहिए ही . आखिर अकेले कब तक ऐसा चलेगा .मेरी सोनम अगर ठीक रहती तो मैं तुम्हें उसके लिए सोचने को कहती , पर …. “


“ पर क्या हुआ उसे ? “


“ देख ही रहे हो , पैर भी ख़राब है और चेहरा भी . “


“ अब दुर्घटना बता कर तो नहीं आती , ऐसा कभी भी किसी के साथ हो सकता है . मान लीजिये मेरे साथ ही हो तब ? “


“ शुभ शुभ बोलें , ऐसी बात न बोलें . “ सोनम ने बीच में रवि को टोका था


“ अब मैं आपका जितना भी शुक्रिया अदा करूँ कम पड़ेगा . पिछले कुछ महीनों से बच्चों के व्यवहार में काफी चेंज आया है . आपकी तारीफ़ करते नहीं थकते . “


“ मैं तो जिन्दगी भर आपकी सेवा करूँ फिर भी कम होगा . “


“ ऐसी तो कोई बात नहीं है मुझमें . “


“ये जिंदगी उधार दी है आपने मुझे . इसका कुछ कर्ज चुका सकूँ तो धन्य समझूंगी खुद को . “


उमा बोल पड़ी “ सोनम ठीक कह रही है . अगर वह तुम्हारे योग्य होती तो मैं तुम्हें उसे सौंप कर चिरनिंद्रा में चैन से सो जाती . “


“ सोनम हर तरह से किसी के योग्य है , बल्कि मैं ही उसके लायक नहीं हूँ . “


“ क्यों “ उमा ने पूछा

मैं विधुर दो बच्चों का बाप . और अनिल की पैदाइश के बाद मैंने अपनी नसबंदी भी करा ली है . हर औरत शादी के बाद माँ बनना चाहती है . “


“ सभी औरतें ऐसा ही सोचें कोई जरूरी तो नहीं है . “ तभी सोनम ने बीच में बात काटते हुए कहा “ मेरे साथ ऐसी कोई बात नहीं होगी . इन बच्चों के साथ कोई भी औरत खुश रह सकती है . और फिर आगे चल कर बच्चों के मन में सौतेले भाई बहन का कोई डर भी न होगा . “


“ तब मैं बात पक्की समझूँ ? “ क्यों बच्चों , सोनम ऑन्टी को कुक बनाओगे ? “ सोनम की माँ ने पूछा


“ यस “ दोनों बच्चे एक साथ उछल पड़े


“ नो बच्चों , कुक नहीं योर नयी मम्मी . “ रवि ने कहा

समाप्त

नोट - यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक है और इसके किसी पात्र , घटना या स्थान का किसी और से कोई संबंध नहीं है .

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