Diwangi - 1 in Hindi Love Stories by Sona books and stories PDF | दीवानगी - भाग 1

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दीवानगी - भाग 1

वो हस्पताल के वेटिंग रूम में कुर्सी पर पीछे सिर टिका कर आंखें बंद कर के बैठी थी।
उसकी आंखों के कोर से आंसू निकल रहे थे। और उसके कंधों को भीगों रहे थे।
उसकी आंखों के आगे एक हफ्ते पहले के सीन चल रहे थे। और वो यही सोच रही थी कि उसकी क्या गलती थी ।
"वो एक लड़की है" क्या यही उसकी गलती है ।वो हर एक शख्स जिस पर वो आंख बंद करके भरोसा करती थी वहीं सब उससे सवाल कर रहे हैं। उस पर शक कर रहे हैं । यहां तक कि उसके मां बाप ने एक शब्द नहीं कहा उसके बचाव में।

क्यूं........... क्यूं आखिर क्यों मैं यहां हूं??? क्यों मुझे जवाब देना होगा ?? जब मैंने कोई गलती नहीं की तो क्यों मैं खुद को साबित करूं?
क्या मेरी स्वाभिमान इतना कमजोर है जो मैं खुद के लिए बोल नहीं सकती। नहीं ,,,,, नहीं,,,, नहीं ,,,,मैं,,,, मैं कोई सफाई नहीं दूंगी । मैं,,,, मैं ,,,,गलत नहीं हूं तो कोई सबूत नहीं दूंगी।



"इन आंखों में जो आंच है उसे बस कुछ पल की गर्मी भर नहीं रहने देना चाहिए ,,,,,,,,जब भी बात खुद पर आए उसे आग बना लेना चाहिए।"

यही कहा था ,,उसने,,,,, ठीक कहा था ।
ये सोचते हुए वो एक हफ्ते पहले जो हुआ उसे याद करने लगीं।


एक हफ्ते पहले

फोन की घंटी लगातार बज रहीं थीं । वो बाथरूम से बाहर निकल कर आई और जल्दी से फोन उठाया।
दूसरी तरफ फोन पर एक लड़के ने चिल्लाते हुए कहा-क्या कर रही थी इतनी देर से
अराध्या??? बेवकूफ
इतनी बार कहा एक बार में फोन उठाया करो।
तुम्हें समझ नहीं आती ?? हमेशा मेरा मूड खराब कर देती हो।

अराध्या धीरे से- सोरी रोहन ,,,,,,वो मैं बाथरूम.....

रोहन- ओह ,,,,जस शट अप,,,,,,,, मुझे तुम्हारी कोई बकवास नहीं सुननी है ।
एक घंटे में तुम्हें लेने आ रहा हूं पार्टी में चलना है । फटाफट तैयार हो जाओ ।

अराध्या- ले,,,, लेकिन .... रोहन ,,,,,इस वक्त,,,,,रात के दस बज रहे हैं।

रोहन खीज कर- अराध्या प्लीज़,,,,,अब तुम अपनी वो बकवास मत शुरू करना ,,,,,, मैंने तुम्हारे पापा से बात कर ली है। और उन्होंने परमिशन दे दी । तो जल्दी करो बेबी,,,,,,
और हां ,,,,,,,वो अपने बहन जी टाइप के कपड़े मत पहनना,,,,,,,,, मेरे दोस्तों के आगे मेरी बेइज्जती नहीं होनी चाहिए ,,,,,,,याद रखना। कोई शोर्ट ड्रेस पहनना ,,,,,मेरी मंगेतर एकदम हाट लगनी चाहिए।
समझ में आया???

अराध्या मायूस और परेशान होकर- प,,,,पर,,,पर रोहन मुझे उन कपड़ों में कम्फ़र्टेबल नहीं लगता।

रोहन गुस्सा कन्ट्रोल करते हुए- बेबी सुनो,,,,,, मेरे लिए प्लीज़,,,,, थोड़ी देर की बात है। और फिर मैं भी तो रहूंगा ना तुम्हारे साथ।
ओके चलों टाइम वेस्ट मत करो ,,,,,मैं आता हूं एक घंटे में । बाय लव यू ,,,,,,, कहकर फोन रख देता है।


अराध्या कुछ देर फोन को देखती रहती है । उसकी आंख से आंस उसकी गाल पर लुढ़क आते हैं।
तभी कोई बाहर से दरवाजा खटखटाता है और वो झट से अपने आंस साफ करके बोलतीं है- कौन है??

दरवाजे पर उसकी मां सुनैना होती है- बेटा मैं हूं ,,,,,,सो गईं क्या ???
वो दरवाजा खोलती है- नहीं मां ,,,,,, बोलिए।
उसकी मां उसकी आंखों की नमी देख लेती है लेकिन कुछ नहीं बोलती। और उससे कहती हैं- बेटा वो रोहन का फोन आया था । तुम्हारी बात हो गई ना?

अराध्या उनकी तरफ देखकर अनमने लहजे में बोलतीं है- जब आपसे बात हो गई है तो मुझसे क्या पूछ रहीं हैं आप।

सुनैना जी- बेटा ,,,,वो तो बस पार्टी में ले जाना चाहता है तुम्हें। तुम्हें भी अच्छा लगेगा बाहर जाकर

अराध्या- आपको मुझसे पूछ तो लेना था कि मैं जाना भी चाहतीं हूं या नहीं।
सुनैना जी-बेटा ,,,,,,पर ये तो कोई बड़ी बात नहीं ?? वो मंगेतर है तुम्हारा ,,,,,

अराध्या नाराजगी से- ठीक कहा,,,,,जब मेरी सगाई से पहले ही नहीं पूछा आपने तो अब तो क्या ही करना???

सुनैना जी-बेटा ,,,,,, तुम इस रिश्ते को जितना जल्दी अपना लोगी उतना ही अच्छा होगा तुम्हारे लिए,,,,,,,,, वरना अपने पापा को तो तुम जानती ही हो।

अराध्या अपने आंस साफ करके- जी ठीक है मां ,,,,समझ गई । अब आप बाहर जाएंगी मुझे तैयार होना है।
सुनैना जी उसके सर पर हाथ फेर कर बाहर चलीं जाती है। और वो अपने मन में दुखी होकर कहती हैं- माफ़ करना बेटा ,,,,,, मैं कुछ नहीं कर पाईं तेरे लिए।