परमेश्वर एक है. वही एक निराकार है, वही एक साकार है. पुराणों में उसी एक परमेश्वर को परम शिव कहा गया है. तो दूसरे पुराण में उसी एक परमेश्वर को महाविष्णु कहा गया है. तो तीसरे पुराण में परम शक्ति कहा गया है. तो चौथे पुराण में महागणेश कहा गया है.
अपनी - अपनी श्रद्धा भक्ति के अनुसार लोगों ने उसी एक परमेश्वर को अलग-अलग नाम दिए हैं. लेकिन सभी पुराण यही मानते हैं कि एक ही परम शक्ति, एक ही परमेश्वर से सारे ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई है.
वेदों में भी एक परमेश्वर के बारे में कहा गया है. हिंदू धर्म भी मूलतः एक परमेश्वर की ही पूजा करता है. परंतु हिंदू धर्म परमेश्वर के विभिन्न रूपों की भी पूजा करता है. वैसे तो परमेश्वर का रूप सभी प्राणियों, जड़ - जंगम के अंदर विद्यमान है. सभी अलग-अलग दिखते हुए भी उसी एक परमेश्वर की एक ही सत्ता से निकले हुए हैं और एक ही सत्ता के अंदर है.
कौन है वह जिसने सबको बनाया? कौन है वह जिसने सारी दुनिया बनाई? वैज्ञानिकों के विचार अलग हैं. धार्मिक पुस्तकों के विचार अलग हैं.
समझ में नहीं आता, किस पर विश्वास करें और सच क्या है? झूठ क्या है?
प्रतिलिपि जी ने मुझे एक मैसेज भेजा था. जिसमें लिखा था कि प्रीति जाधव नाम की एक लड़की तो शायद मराठी भाषा में लिखती है ने पिछले महीने ₹100000 कमाए.
तो सपने में मैंने देखा कि मैं हर महीने ₹100000 कमाने बैठ गया. इतनी ज्यादा रकम मिलने से मैं धीरे-धीरे करोड़पति हो गया. मैंने नया मकान बना लिया. उस पैसे का इन्वेस्ट कई जगह कर दिया और मैं अब अरबपति खरबपति बन गया.
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कोरोना काल में लोग शहर की नौकरी का लालच छोड़कर अपने घर आ गये. कई लोग ऐसे थे जो 10 -15 साल में मजबूरी में अपने गांव अपने घर आए थे. आंखिर अपना किनारा तो अपना ही होता है.
निर्जन हिमालय में बसे हुए कैलाश में कोई नहीं रहता. वहां कोई साधारण प्राणी रह भी नहीं सकता है. वहां केवल महादेव और उनके गण ही रह सकते हैं और वही रहते भी हैं
हर व्यक्ति को कुछ ना कुछ बचत करते रहनी चाहिए. बचत ही भविष्य में काम आती है. अगर किसी व्यक्ति को 30000 महीने में सैलरी मिलती है और वह 20000 बचत कर ले व 10000 खर्च करे तो 10 साल के अंदर उसके पास लाखों रुपए हो जाएंगे.
इन रुपयों का प्रयोग वह घर की स्थिति सुधारने और बच्चों की शिक्षा दीक्षा करने में कर सकता है..
मेरा एक दोस्त आईएएस में निकल गया तो मेरा खुशियों का ठिकाना ना रहा. मेरा यह दोस्त मानव प्रेमी और समाज सेवी है.
ऐसे व्यक्ति का आईएएस की परीक्षा में निकलना समाज के लिए और देश के लिए बहुत ही उत्तम होगा.
यादें अच्छी हो या बुरी, कभी ना कभी जिंदगी में याद आ ही जाती हैं. अपने अच्छे किए हुए कर्मों और बुरे कर्म दोनों याद आते रहते हैं.
अच्छे कर्म स्वयं में और समाज में सकारात्मकता से लाते हैं. इसके विपरीत बुरे किए हुए कर्म समाज में नकारात्मकता फैलाते हैं.
यह कलियुग है. कलियुग में धीरे-धीरे धर्म का नाश होता जाता है. लोग धर्म को अधर्म समझने लग जाते हैं और धर्म को अधर्म. नायक को खलनायक समझते हैं और खलनायक को नायक.
रावण, दुर्योधन, कर्ण, शकुनी आदि का कई लेखक महिमामंडन करते हैं और राम, पांडवों जैसे नायकों का अपमान करते हैं. ऐसा करके वह स्वयं को राक्षस वंशी ही सिद्ध करते हैं.
हालांकि रामायण महाभारत आदि ग्रंथों में ऐसे लोगों को राक्षसों का दूसरा जन्म घोषित किया गया है.
कई देशद्रोही गद्दार तत्व सीधे-साधे आदिवासियों को पूर्व के राक्षस सिद्ध करते हैं. ऐसा करके वह अपनी देश विघटनकारी छवि को छिपाने की कोशिश करते हैं. जबकि यह भोले - भाले आदिवासी और कोई नहीं भगवान राम के अनुगमन कर्ता थे और एक तरफ से देव ही थे.