thong-glove pain in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | तांगेवाला-दास्ताने दर्द

Featured Books
Categories
Share

तांगेवाला-दास्ताने दर्द

"बाबूजी आओ बेठो"।मुझे देखते ही अधेड़ तांगेवाले ने जोर से आवाज लगायी थी।मैं रोज स्टेशन तांगे से आता जाता था इसलिए सभी तांगेवाले मुझे जानते थे।उस ताँगेवाले का नाम मुझे नही मालूम लेकिन वह मुसलमान था।एक बार उसी ने अपने बारे में बताया था।वह छोटी उम्र से ही तांगा चला। रहा था।
मैं तांगे में जाकर बैठ गया। वह बराबर आवाज लगा रहा था,"टेसन
रात अभी ज्यादा नही हुई थी।नौ बजने में भी कुछ मिनट बाकी थे।पिछले दो दिनों से शीत लहर चल रही थी।धुंध और कोहरे ने शहर को अपनी चपेट में ले रखा था।ठंड की वजह से लोग दिन में भी कम बाहर निकल रहे थे।शाम को जल्दी बाजार बंद हो जाता।सिर्फ इक्की दुक्की दुकाने ही खुली रहती।
मैं तांगे में बैठा इधर उधर देख रहा था।कोहरे के कारण बन्द दुकानों के बाहर जल रहे बल्बों की रोशनी दम तोड़ती नज़र आ रही थी।वातावरण में खमोशी छायी थी।
"अब कोई नही आएगा।"तांगे वाला सवारी की राह देखते देखते थक चुका था।और तांगे मे बैठ गया।
"चल यार"घोड़ा मालिक की भाषा समझता था।इसलिए उसके कहते ही चल पड़ा।
"बाबूजी एक बात पुछु।"तांगा पुल के पास आ गया था।
"पुछो"पीछे की सीट पर बैठा मैं गर्दन घुमाकर सामने देख रहा था।सड़क पर घुप्प अंधेरा था।इस सड़क पर मैने कभी लाइट जलते हुए नही देखी।
"आप तो अपने है"वह इस तरह बोला मानो मै उसका अज़ीज़ दोस्त हूँ,"मैं आपसे एक सलाह लेना चाहता हूँ।"
"सलाह।कैसी सलाह?"
"मैं एक बहुत बड़ी आफत में फंस गया हूँ।"
"कैसी आफत।साफ साफ बोलो।"
"मेरी पहली बीबी भरी जवानी में मुझे अकेला छोड़कर खुदा के पास चली गयी थी।मैं दूसरा निकाह नहीं करना चाहता था लेकिन रिश्तेदारों के जोर देने पर"वह कुछ देर के लिए चुप हो गया।फिर बोला,"मैने दूसरा निकाह कर लिया।पहली बीबी से एक लड़का है।मेरी दूसरी बेगम अनपढ़ होने के साथ नासमझ या कहे बेवकूफ भी है।बीस साल हो गए निकाह को लेकिन उसमें कोई बदलाव नही आया है।वह आये दिन मायके चली जाती है।इस बीबी से एक लड़की है।यही मुसीबत है।"
"लड़की और मुसीबत।"उसकी बात मेरी समझ मे नही आ रही थी।"
"लड़की जवान है।।इकहरे बदन की गोरी चिट्टी।बाबूजी क्या बला की खूबसूरत है।कश्मीरी सेब से सुर्ख लाल से गाल,गुलाब की पंखड़ियों सदृश पतले मधु से रसीले होंठ, झील सी बड़ी बड़ी आंखे,काले लम्बे पीठ के पीछे झूलते बाल।एक बार देखते ही तबियत खुश हो जाये।दिलकश हसीना को देखकर दिल मचल जाए।"वह इस तरह बता रहा था।मानो लड़की का बाप न होकर औरतो का दलाल हो।
"उसकी जवानी और खूबसूरती को लेकर मैं हमेशा डरता रहता था।जमाना बहुत खराब है।आजकल किसी का विश्वास नही है।अपनो का भी नही।इसलिए बीबी को हमेशा बेटी के पास रहने की सलाह देता था।लेकिन वह मन चाहे जब बेटी को छोड़कर मायके चली जाती थी।मैं कहाँ तक ध्यान रखता।मैं सुबह तांगा लेकर निकलता हूँ तो फिर रात को ही घर लौटता हूँ।"
"बेटी जवान है तो उसका निकाह कर दो।"
"कैसे कर दूं बाबूजी।लड़की ने मुझे मुसीबत में डाल दिया है।"बात कहते कहते उसका गला रुंध आया।
"कैसी मुसीबत?"वह अपनी बेटी को मुसीबत बता रहा था।
"मेरी इज़्ज़त मिट्टी में मिल जाएगी।मैं बिरादरी में मुँह दिखाने लायक नही रहूंगा।"
"हुआ क्या है साफ साफ बताओ।"
"बाबूजी वह पेट से---/बड़ी मुश्किल से वह अपनी बात कह पाया था,"अब मैं क्या करूँ?
"चुपचाप बेटी का गर्भपात करा दो।"
"अब देर हो चुकी है।मैं कितना बेवकूफ हूँ जो समय रहते इस बात का पता नही चला।"
"एक काम करो लड़की से पूछो कौन है वह लड़का और उससे निकाह कर दो।"
"निकाह,"वह फीकी हंसी हंसा,"माँ दोनो की अलग है लेकिन बाप एक ही है।"
"मतलब?"
"मेरे बेटे का अंश ही मेरी बेटी के पेट मे है।"उसकी आवाज भर्रा गयी।मुझे अपने धर्मग्रन्थो की बात याद आ गयी।जवान लड़की को जवान भाई के साथ भी घर मे अकेला नही छोड़ना चाहिए।
"तुम अपनी बेटी को लेकर कुछ महीनों के लिए दूर चले जाओ।बच्चा होने पर किसी को गोद दे देना।यही उपाय है।"
उस दिन के बाद वह तांगेवाला मुझे दिखाई नही दिया


,