Dhara - 26 - last part in Hindi Love Stories by Jyoti Prajapati books and stories PDF | धारा - 26 (अंतिम भाग)

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धारा - 26 (अंतिम भाग)


अब जैसा कि आप लोग चाहते थे कि देव का रोल नेगेटिव न करूँ। तो ठीक है, देव का रोल पॉजिटिव ही रहेगा !!! जैसे कि आप लोग सजेस्ट किये हो, कुछ गलतफहमियां हो गयी थी, " वाला मोड़!! अब देव का रोल पॉजिटिव ही रहेगा, पर धारा तो ध्रुव के साथ ही रहेगी। क्योंकि जो हमारी नायिका है ना.... धारा, वो वन मैन वीमेन है !! चाहे वो सिंगल मर जाएगी पर ध्रुव की जगह अपनी लाइफ में किसी को नही आने देगी !!
मीन्स शी इज़ द काइंड ऑफ गर्ल हु बिलीव्स इन सोलमेट रिलेशनशिप ! द काइंड ऑफ गर्ल हु बिलीव्स इन वन्स इन अ लाइफटाइम काइंड ऑफ लव !! सो अब ये गलतफहमी कब कैसे दूर हुई ये लिखूंगी तो पता नही कितना समय लग जायेगा? इसलियर गलतफहमी दूर करके डायरेक्ट आगे लिख रही हूँ। आई होप आप लोग समझेंगे।




"देव... आ जाओ खाना खा लो !!" धारा ने देव को आवाज़ लगाकर खाने के लिए बुलाया। देव ने आकर देखा तो टेबल पर कुछ भी नही था। उसने हैरानी से धारा को देखा और चेहरे पर एक्सप्रेशन लाकर इशारो से पूछा, " कहां है खाना??"

"खाना.....!" धारा ने एकदम स्लो मोशन में थोड़ा लंबा खींचते हुए बोला।और फिर किचन की ओर इशारा करके, " ये तुम्हारा घर है। वो किचन तुम्हारा है! इस घर के मालिक तुम हो...पर.....पर....पर तुम्हे बचाने वाली तो मैं हूँ !!"

"तो..??" देव ने समझने की कोशिश करते हुए पूछा।

"तो क्या? खाना तो तुम्हे बनाकर खिलाना चाहिए । ऑफ्टर ऑल मैंने जान बचाई तुम्हारी !!" धारा देव पर एहसान जताते हुए बोली।

देव, "डायरेक्ट नही बोल सकती। इतना घुमाफिरा के कहना जरूरी है ??"

धारा ने तेज़ी से सिर हां में हिलाया और देव मुंह बनाकर किचनमे चला गया !! दोनो ने खाना खा रहे थे तभी धारा का मोबाइल घनघनाने लगा।
"ओह हो, अब किसको याद आ गयी खाने के समय..?" धारा ने चिढ़ते हुए मोबाइल उठाया। अननोन नम्बर देखकर उसने एक बार मे तो उसने इग्नोर किया। पर जब दोबारा मोबाइल बजा तो उसने कॉल रिसीव करते हुए मोबाइल कान से लगा लिया।
दूसरी तरफ़ से आवाज़ नही आती देख धारा ने टोंट मारा," ओह भाई साहब...! जब बोलना ही नही है तो कॉल क्यों किया..?? रेडिएशन फैलाने के लिए ??"

दूसरी तरफ से आवाज़ आई,"देव को लेकर एक बजे आफिस आ जाना ...!!" ये ध्रुव की आवाज़ थी जिसे सुनकर निवाला धारा के गले मे ही अटक गया। उससे कुछ बोलते ही नही बना और कॉल कट हो गया।

"धारा आर यु ओके..??" देव ने धारा की खराब हालत देख पूछा।

धारा, "हम्म...फाइन !! ध्रुव सर का कॉल था तुम्हे बुलाया है एक बजे !!"

देव धारा का मुंह देखने लगा। खाने खाते हुए भी देव के मन मे एक ही बात चल रही थी, " अचानक से इस ध्रुव ने मुझे क्यों बुलाया..??अब क्या जानना है इसे..??"




दोपहर में नियत समय पर धारा और देव पहुंच गए। ध्रुव ने उन्हें अंदर भेजने को कहा। जैसे ही दोनो अंदर केबिन में पहुंचे !! ध्रुव ने फाइलों में झांकते हुए बिना सिर उठाये कहा, "मिस धारा... आप बाहर जाइये ! मुझे मिस्टर देव से कुछ पूछताछ करनी है!!"

धारा ने कुछ पल गुस्से में ध्रुव को घूरा, फिर पैर पटकते हुए बाहर निकल गयी। धारा के जाते ही ध्रुव ने फ़ाइल टेबल पर पटकी और देव को बैठने का इशारा करते हुए पूछा, " सो मिस्टर देव.... अब किसी है आपकी तबियत..??"

देव, " यस सर...अब ठीक है!! पर आपने अचानक बुलाया?"

ध्रुव, " आपने जो फाइल्स दी हैं उनमें सब चीजें क्लियर है !! सिवाय एक मर्डर केस से जुड़ी कुछ डिटेल्स के अलावा !! और वो मर्डर केस आपके पिताजी का था ! तो इतना तो मैं श्योर हूँ कि ये जो डिटेल्स मिस हैं ईसमे, वो आपने ही गायब की है !!"

देव, " यस सर वो मेरे पापा की डेथ से जुड़े हुए कुछ क्लू थे उसमे !! पर जब वो सीडी मुझे मिली तब उसमे काफी कुछ पहले से ही मिसिंग था !!"

ध्रुव, " मिसिंग था..... सच मे?? देखो देव, छुपाने से कोई फायदा नही है!! मैं सबकुछ जनता हूँ, तुम्हारा पास्ट, प्रेजेंट सबकुछ। तो तुम कुछ न ही छुपाओ तो बेहतर हैं। अगर तुम थोड़ा कॉपरेट करो तो शायद हम तुम्हारे पापा के कातिलों को आसानी से सज़ा दिला सकते हैं !!"

देव ने संशय से ध्रुव को देखा। देव की असमजंस्यता को देखते हुए ध्रुव ने देव को अपने बारे में सबकुछ बता दिया। यहां तक कि अपने और धारा के बारे में भी।
"देव... आई नॉ तुम्हे शायद मुझपर भी शक हो रहा होगा!! होना भी चाहिए...आखिर परिस्थितियां ही कुछ ऐसी बनी के किसी पर भी एकबार में विश्वास करना असम्भव है हम दोनो के लिए ही।"

ध्रुव की बात सुनकर देव ने बाहर चहलकदमी कर रही धारा को देखा !! ध्रुव को अच्छा नही लगा, देव का इस तरह धारा को निहारना। देव का ना जाने क्यों मन हुआ ध्रुव की बातों पर विश्वास करने का।

देव धारा को देखते हुए, " मैं बचपन से ही धारा को पसन्द करता हूँ ! बट तब सिर्फ एज अ फ्रेंड पसन्द करता था ! पापा मुझे और दिव्या को हमेशा ही धारा से कम्पेयर करते थे ! कभी कभी तो गुस्सा भी बहुत आता था धारा पर ! लेकिन जब पापा उसे कभी कभार घर लेकर आते तो उसका व्यवहार भा गया मुझे ! पापा की डेथ के बाद उसने जिस तरह से मम्मी को सम्भाला...बस तभी से वो मेरे मन मे बस चुकी थी ! मैंने मम्मी से बात करनी चाही.... मगर तबतक मम्मी को दिव्या पसन्द आ चुकी थी ! मैंने मम्मी को मनाना भी चाहा धारा से शादी करने के लिए ! पर मम्मी ने मुझे कसम दे दी थी अपनी ! इसलिए मुझे दिव्या से शादी करने के लिए हामी भरनी पड़ी !!"

ध्रुव ने आश्चर्य से पूछा, " तो फिर तुमने दिव्या से सगाई क्यों नही की..??"

देव , " मम्मी की इच्छा थी कि मैं दिव्या से सगाई करूँ! और मैं तैयार भी हो गया था ! लेकिन सगाई वाले दिन कुछ लोगो ने मुझपर जानलेवा हमला किया था ! इस वजह से मैं सगाई नही कर पाया !!"

ध्रुव, " और वो हमला प्रोफेसर ने करवाया था??"

देव," हाँ! वो चाहते थे की मैं सीबीआई में रहकर उनका काम करूँ !! मैं जहां रहता हूँ, वहां के चौकीदार अखिलेश, वो प्रोफेसर के लिए काम करते हैं !! मुझपर निगरानी रखने के लिए उसे रखा गया है वहां। ताकि मेरी पल पल की खबरें मिलती रहे उन्हें !! कौन मेरे पास आता है? कौन मिलता है? मैं कहाँ जाता हूँ...?? किस्से मिलता हूँ? ये सब जानकारियां वो पहुंचाता है उन लोगो के पास ! इसलिए भी यहां आकर मैंने कुछ याद ना आने का नाटक किया !!!"

ध्रुव, " लेकिन तुमने उनकी कुछ तो हेल्प की ही होगी न...तभी तो उन्होंने तुम्हे इतने मौके दिए होंगे??"

देव, " हाँ हेल्प तो की है!! यहां के कई सारे लाकर्स की डुप्लीकेट कीज़ लेजाकर मैंने अपने घर मे रखी हुई है! अलग अलग कोने में छुपाकर !!" बोलते बोलते देव को धारा का चाभी ढूंढना याद आ गया और वो हँसने लगा। मगर ध्रुव को देखते ही उसने अपने आप को सम्भाला और यहां आनेतक का सारा किस्सा ध्रुव को कह सुनाया !!
ध्रुव के मन के किसी कोने मे देव के लिए थोड़ी जलन की भावना उत्पन्न हो गयी थी। जो कि किसी भी प्रेमी के लिए स्वाभाविक होती है ! और यही भाव कुछ देव के मन मे भी थे। या यों कहें कि इससे भी ज्यादा !! मगर धारा के दिल मे सिर्फ सिर्फ ध्रुव है, ये बात देव जानता था, इसलिए उसे अपनी किस्मत पर रोना आ रहा था!!

"देव...?? ठीक हो? क्या हुआ कुछ बोल रहे थे? कीज़ के बारे में?? रुक गए बोलते बोलते !!" ध्रुव ने देव का ध्यान अपनी ओर खींचा!!

देव, "हां, वो कुछ याद आ गया था !! एक्चुअली, जो कीज़ मैंने घर पर लेजाकर रखी थी वो प्रोफेसर को ब्लैकमेल करने के लिए ही रखी थी !!"

ध्रुव, " तुम अकेले ही हो या कोई साथ है तुम्हारे..??इन सबमे!!"

देव, " सोसायटी में जो मंदिर है, वहां के पुजारी !! बहुत अच्छे हैं वो! हमेशा हेल्प की है उन्होंने मेरी !! मैंने उन्हें ही ये सारी फाइल्स और सीडी सौंप रखी थी ! सोसायटी में कौन आ रहा है कौन जा रहा है, इसकी हर खबर वो मुझे देते थे!! जब मुझे लगने लगा था कि शायद अब मैं ज्यादा दिन ज़िंदा ना रहूं, तो मैंने उन्हें कोडवर्ड के साथ ये फ़ाइल उन्हें दे दी थी! ताकि समय आने पर वो फ़ाइल अपनी असली जगह , यानी हेड ऑफिस पहुंच जाए !!"

"वैसे.... एक और बात थी !!" ध्रुव ने कुछ सोचते हुए पूछा।

देव," जानता हूँ, दिव्या के बारे में जानना चाहते हो ना..??"

ध्रुव ने हां में सिर हिलाया।

देव के चेहरे पर एक दर्द उभर आया ! आंखों में आंसू उतर आए। देव ने आंखे बन्द करते हुए कहा, " कहीं ना कहीं वो भी बराबर की ज़िम्मेदार है, पापा की मौत की !!"

ध्रुव को जैसे शॉक लगा ! कई सारे प्रश्न उमड़ने लगे उसके दिमाग मे। लेकिन ध्रुव के पूछने से पहले ही देव ने बताना स्टार्ट कर दिया, " जैसे मैं धारा से चिढ़ता था, वैसे ही दिव्या भी चिढ़ती थी। या शायद उसे जलन थी धारा से !! पापा की नज़रो में हमेशा ही दिव्या छाई रहती। हम तीनों में सबसे होशियार वही थी। मगर जब धारा ने अपने कॉलेज में टॉप किया, तो वो पापा की आंखों का तारा बन गयी। जो दिव्या को अखर गया !! ये जो प्रोफेसर इतने दीवाज़े हुए जा रहे थे ना धारा पर... इसका भी रीज़न कही न कहीं दिव्या ही है!!"

देव की अंतिम पंक्ति ने ध्रुव को और ज्यादा आश्चर्य में डाल दिया। वो जितना केस को सुलझाने की कोशिश करता, केस उतना ही उलझता जा रहा था।

देव," प्रोफेसर की बेटी और दिव्या दोनो ने साथ ही सिविल सर्विसेज की तैयारी की थी। वहीं से दिव्या को प्रोफेसर के बारे में उनकी बेटी से पता चला और उनके गलत कामो के बारे में भी। पापा ने भी कई बार बातों ही बातों में उसे बताया था इन सबके बारे में !! वो चाहती तो आकर बता सकती थी सब कुछ पापा को! लेकिन उसने ऐसा कुछ नही किया ! धारा को भी वो प्रोफेसर से बचा सकती थी पर तब भी उसने ऐसा कुछ नही किया !!! पापा की डेथ के बाद भी जब वो आई, तो मम्मी बस धारा की ही तारीफ किये जा रही थी जो दिव्या को हजम नही हुई। उसने धारा से दुगनी सेवा की मम्मी की। और मम्मी ने धारा की जगह दिव्या के गुण गाने शुरू कर दिए !! बस फिर मम्मी ने आखिरी इच्छा बोल बोलकर मेरी शादी दिव्या से कराने की कसम खा ली। वो चाहती थी कि मैं उनकी आंखों के सामने शादी कर लूं। ओर शायद किस्मत में कुछ और ही लिखा था...!!"


घण्टो तक देव और ध्रुव की पूछताछ चलती रही। जिससे धारा तंग आ चुकी थी। उसने बाहर भी जाना चाह, मगर उसे जाने ही नही दिया गया।
ध्रुव को अबतक देव से नफरत हो रही थी... मगर दुबारा से सारी सच्चाई जानने पर उसे देव से सहानुभूति हो गयी।
देव की हेल्प करने का वादा तो उसने कर दिया था, मगर धारा से नज़रें कैसे मिलाएगा, ये सवाल उसे डरा रहा था।


थोड़ी देर बाद देव बाहर आया, चेहरे पर एक सुकून का भाव लेकर ! देव को यूं चिंतामुक्त से देखा धारा को अजीब लगा।

"ध्रुव सर बहुत अच्छे हैं यार !!" धारा के बोलने से पहले ही देव बोल उठा। सुनकर धारा के चेहरे पर एक लंबी सी स्माइल आ गयी। देव के पीछे ही ध्रुव भी बाहर आया। ध्रुव को देखकर तो धारा की स्माइल और भी ज्यादा मीठी हो गयी। ध्रुव तो अपने आप को संभालकर आगे निकल गया मगर देव अटक गया।
धारा बगैर देव को देखे, ध्रुव को जाता देख मन ही मन कुढ़ते हुए बोली," कब तक भागोगे ध्रुव बाबू...? अपनी धारा में बहाकर नही ले गयी न आपको तो नाम बदल दूंगी..... मेरा नही तुम्हारा !!"

"चलें...??" देव ने पूछा।

धारा, " हाँ मैं तो कब से इंतज़ार में हूँ ! चलो!!"

बाहर आकर देव ने धारा को वहीं रुकने को कहा और खुद टेक्सी लेने चला गया।। ध्रुव अपनी कार लेकर जैसे ही निकलने लगा, धारा अचानक से उसके सामने आ गयी ! ध्रुव ने जल्दी से ब्रेक लगाया और बाहर निकलकर गुस्सा करते हुए चिल्लाया," क्या हरकत है ये? ऐसे अचानक से चलती गाड़ियों के सामने आ जाना? मरने का शौक है??"

धारा कार से टिककर मुस्कुराते हुए," मरना होता तो तुम्हे लेकर मरती!! ताकि मेरे मरने के बाद कोई और तुम्हारी लाइफ में एंट्री न ले सके !!"

ध्रुव ब्लश कर रहा था! मगर धारा को देख उसने सम्भाला खुद को।
ध्रुव सिर झटककर कार में बैठने लगा।
धारा एकदम मासूम से शक्ल बनाकर बोली, "लिफ्ट दे दो प्लीज़??" ध्रुव देखता ही रह गया धारा की मासूमियत।
"क्या हुआ? क्या सोच रहे? इतने प्यार से रिक्वेस्ट करूँगी तो गोद मे उठाकर घर तक छोड़कर आओगे..??" धारा दोनो भौंहे उचकाकर ध्रुव को छेड़ते हुए बोली।
धारा की इस हरकत से देव हड़बड़ा गया ! " बेहूदा औरत??'

"देव.... ध्रुव बाबू लिफ्ट दे रहे हैं!! आ जाओ !!" ध्रुव को इग्नोर कर धारा ने आवाज़ लगाकर देव को बुलाया और उसका झूठ सुनकर बेचारे ध्रुव का मुंह खुला रह गया।
देव के आने से पहले ही ध्रुव धारा पर नाराज़ होते हुए बोला," मैंने कब कहा लिफ्ट देने के लिए??"

धारा, " अरे..... तो अपने पहले और आखिरी प्यार को ऐसे ही किसी के भी साथ भेज दोगे??"

ध्रुव, " तुम न अपनी ये नौटंकी उस देव के सामने दिखाना!मुझे बताने की जरूरत नही है! बहुत अच्छे से जानता हूँ मैं तुम्हे !!"
ध्रुव की बात सुनकर धारा की आंखों में आंसू आ गए। " "अच्छे से जानते तो शायद इतने साल अकेले तड़पने के लिए छोड़कर नही जाते !!" ध्रुव के दिल पर जैसे हथौड़े से वार किया धारा के आंसू और लफ़्ज़ों ने।

देव आकर आगे बैठ गया और धारा चुपचाप पीछे बैठ गयी। धारा का एकाएक ही शांत और उदास हो जाना, देव के समझ से परे था! उसने पूछा, भी पर धारा ने थकान होने और सिर दर्द का बहाना बनाकर बात टाल दी। ध्रुव बार बार रास्ते मे मिरर से धारा को देख ले रहा था। और धारा बाहर देख रही थी। देव से ज्यादा ध्रुव को तकलीफ दे रही थी धारा की खामोशी। शायद वो यही चाहता था, की धारा झगड़े उससे! इतने सालों की भरपाई करने के लिए गुस्सा करे उसपर। चिल्लाए खूब उसपर। मगर धारा का रिएक्शन तो बिल्कुल ही ऑपोजिट था!
एक दो बार मिरर में धारा और ध्रुव की नजरें टकराई भी। मगर धारा ने मुंह फेर लिया। जानबूझकर। क्योंकि धारा की चालाकी थी। जितना वो तड़पी उतना ही ध्रुव को तड़पाना था ! तभी तो हिसाब बराबर होगा। इसलिए ही धारा मन मे ही हज़ारों तरकीबें सोच चुकी थी ध्रुव से अपनी बात मनवाने के लिए उसे घुटनो पर लाने के वास्ते।। ध्रुव को सालों बाद देखकर उस के मन को अपार सुकून तो मिला था! पर मन मे एक डर भी था कि,"कही इतने सालों में ध्रुव की लाइफ में कोई ओर तो नही आ गयी या फिर उसने शादी कर ली होगी तो..? मेरा क्या होगा??" धारा खुद ही सवाल करती अपने आप ही और खुद ही जवाब देकर संतुष्ट होने का प्रयास
करती।



ध्रुव ने देव और धारा को छोड़ा और अपने घर पहुंचा ! घर आकर उसने अपनी बहन को कॉल किया!
"हेलो भैया.... कैसे हो?"
ध्रुव," गुड़िया मैं पापा के मर्डर का केस रेओपेन करवा रहा हूँ!! बस अब बहुत हो हुआ... दोषियों को सज़ा मिलना जरूरी हो गया है!इन लोगो ने बहुत घोटाले कर लिए, कई निर्दोष लोगों की जान ले ली। अब और नही। चाहे मुझे अपनी जान ही क्यों न देनी पड़े इन सबको तो सज़ा मिलकर ही रहेगी !!"
"फिर वापस कब आओगे भैया..??'
"जल्द ही आऊंगा ! जो कसम खाई थी वो बस पूरी होने की कगार पर ही है!! मम्मी कैसे हैं..?"
"मम्मी ठीक हैं ! मौसी के साथ मंदिर गयी है !!"
"मौसी..? कब आ गयी? बताया नही??"
"आज सुबह ही तो आई हैं! मम्मी बहुत दिनों से याद कर रही थी उनको तो आ गयी !!"
"और तेरी प्रैक्टिस... ठीक चल रही है न??"
" हां भाई..एकदम परफेक्ट चल रही है !! थैंक यू सो मच भाई..!! इतनी परेशानी होने के बाद भी आपने मुझे डॉक्टर बनाया !! खुद को भी सम्भाला !!"
"एई... दोबारा ऐसे अहसान जताने वाली बात कही न तो मम्मी से बोलकर तेरी शादी दूर दराज के किसी गांव में करवा दूंगा ! समझी !!"
"हां समझ गयी ! वैसे मेरी शादी से याद आया.... आपकी शादी की बात कहां तक पहुंची? आई मीन. धारा भाभी, बात हुई उनसे आपकी..??"
धारा के लिए भाभी शब्द सुनकर ध्रुव मुस्कुरा उठा। "नही ..बात तो नही हुई पर आज सोच रहा हूँ, उसके सामने कंफेशन कर ही दूं!!"

"भाई, देर मत करो! अब जल्द से जल्द भाभी को अपने दिल की बात बताओ और आप उन्हें छोड़कर क्यों गए वो भी बता दो ताकि आपके दिल पर पड़ा सालों का बोझ उतर जाए!!"

"हम्म... तू बिल्कुल ठीक कह रही है गुड़िया !! मैं आज ही कुछ सोचता हूँ !!"

ध्रुव ने काफी देर तक घर पर बात की फिर धारा से कैसे बात करना है, सोचने लगा। उसने अपना मोबाइल उठाया और कई मैसेज लिखे, पर धारा को एक भी सेंड नही कर पाया !! ध्रुव की हिम्मत ही नही हो पा रही थी !!

उधर देव ने धारा को अपने और ध्रुव के बीच हुई सारी बातें कह सुनाई.!! धारा को तो अपने कानों पर विश्वास ही नही हुआ... देव की बातें सुनकर ! देव से थोड़ा नाराज़ भी हुई...आखिर देर ने उससे इतना कुछ छुपाया जो था! और देव से ज्यादा नाराज़गी ध्रुव पर थी। देव ने अपने किये की माफी मांगी धारा और अपने रूम में चला गया !!
धारा ने अपने मोबाइल पर एक मैसेज टाइप किया," आधे घण्टे में आकर मिलो !!" एड्रेस लिखकर मैसेज ध्रुव को सेंड कर दिया! ध्रुवमैसेज पढ़कर चौंक गया!
"अचानक से धारा ने मिलने बुलाया..? पर क्यों??" अपना ज्यादा दिमाग न लगाकर ध्रुव धारा के बताए एड्रेस पर समय से पहले ही पहुंच गया! धारा वहां पहले से ही थी। ध्रुव को जल्दी आया देखकर उसने कोई प्रतिक्रिया नही दी
धारा का बर्ताव ध्रुव को अजीब लग।
"क्या हुआ..? यहां क्यों बुलाया..₹?"
"कुछ बातें क्लियर करनी है इसलिए..??"
"कौन सी बातें। ???"
"मुझे नही लगता कि बताने की जरूरत है..!!तुम अच्छे से जानते हो ध्रुव..?"
"धारा....."
"ध्रुव प्लीज़.... मुझे नही जानना की तुमने उस दिन मेरी बात पर विश्वास क्यों नही किया..? क्यों तुम अचानक मुझे छोड़कर चले गए ! इतने सालों तक कहां थे? कुछ भी नही जानना....!! सिवाय एक बात के ....."
ध्रुव ने धारा को देखकर नज़रे घुमा ली।
"चाहे जितनी नज़रें घुमालो देव..... पर मैं जानती हूँ, तुम्हारी नज़रो मे मेरे अलावा कभी कोई भी नही रही है..!!"
"यहां क्यों बुलाया..??" ध्रुव ने बिना धारा की ओर देखे प्रश्न किया ।
"कभी भी.... एक पल के लिए भी.... तुमने कभी मुझसे प्यार किया था?? बस इस सवाल का जवाब दे दो... हां या ना में! आई स्वेर, कभी ज़िन्दगी में अपना चेहरा नही दिखाउंगी तुम्हे!बस एक बार मेरे इस सवाल का जवाब दे दो !!"
"देखो धारा.....
"सिर्फ हां या ना...??"
"हां !!" ध्रुव ने जवाब दिया। और धारा की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा करने लगा! जब धारा की आवाज़ नही आई तो उसने पलटकर देखा ! धारा नज़र ही नही आई। उसने आसपास भी जाकर देखा, मगर धारा नही मिली। क्योंकि वो जा चुकी थी।
ध्रुव ने अपना सिर पीट लिया।
जहां था वहीं घुटने के बल बैठते हुए ध्रुव बोला,"क्या है ये लड़की..?? बिन कुछ बोले ही चली गयी..?? धारा....एक बार मुझे अपनी बात कहने का मौका तो देती !"
" तुमने मुझे मौका दिया था, जब प्रोफेसर वाला कांड हुआ था तब...??'
ध्रुव ने सिर उठाकर देखा, धारा ही थी। ध्रुव मुस्कुराने लगा। धारा उसके पास आकर खड़ी हो गयी।
"बैठ जाओ... और सुन लो, क्यों मैं उस दिन तुम्हारी बात माने बिना ही चला गया?"
"नही सुनना मुझे !!" धारा गुस्से से बोली।
"सुनना तो होगा.... वरना मैं खुदको कभी माफ नही कर पाऊंगा !!"
"नही ध्रुव.... सब बातें दफन हो चुकी है सीने में! बुरी याद समझकर भुला दिया है मैंने सब! अब गड़े मुर्दे उखाड़कर फिर से दिल और दिमाग खराब नही करना !!"
"फिर भी धारा... एक बार जो मैं कहना चाह रहा हूँ, सुन तो लो !!"
"ठीक है बोलो !!"
"उस दिन मैं तुम्हे अपने दिल की बात कहने आया था! मगर वो इंस्पेक्टर, जो प्रोफेसर के केस का इंचार्ज था, वो पापा के केस के सिलसिले में एक बार हमारे घर आया था!"
"क्यों ...?" धारा को आश्चर्य हुआ सुनकर।
"पापा के पास कुछ पेपर्स थे। मतलब कुछ लोग फेक आईडी यूज़ करके अपने डाक्यूमेंट्स बनवा रहे थे। पापा ने जब अपने स्तर पर जांच करवाई तो उन्हें धमकियां मिलने लगी। पापा को कई झूठे आरोपो में फंसाया जाने लगा ! पापा इतने मानसिक तनाव में आ गए कि उन्हें सुसाइड जैसा कदम उठाना पड़ा !! गुड़िया के मेडिकल में भी यही दिक्कत आई! इंस्पेक्टर ने सारे ओरिजनल डाक्यूमेंट्स को फर्जी बताकर घरमे सबको खूब टॉर्चर किया ! रात दिन कोई भी पुलिसवाला घर पर आ धमकता ! लोगो को जो अबतक सहानुभूति थी घर मे सबसे...वे ही लोग बातें बनाने लग गए। मम्मी को चिंता थी, अगर हम दोनो भाई बहनों की। इसलिए हमलोगो ने घर छोड़कर नाना के घर जाने का फैसला किया। उस दिन जाने से पहले मैं तुमसे मिलने आया। सोच, रूम खाली करने के साथ ही तुम्हे अपने हालात भी बता दूंगा। पर वहां तो अलग ही झोलझाल था! वो प्रोफेसर, इंस्पेक्टर सब मिले हुए थे! इंस्पेक्टर ने धमकी दी थी मम्मी को...अगर मैंने तुम्हारा साथ दिया तो वो लोग मुझे और गुड़िया को कोई भी झूठे केस में फंसा देंगे! मम्मी डर गई। अपनी कसम देकर उन्होंने मुझे लौट आने को कह दिया। वहां से आने से पहले भी मैं तुम्हे सारी सच्चाई बता देना चाहता था...पर जाने क्यों वो इंस्पेक्टर फिर आकर बोला कि तुमसे दूर रहूं वरना मुझे अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा !! मैं मम्मी और गुड़िया की सलामती चहताथा। इसलिए वापस लौट गया! बिना तुमसे कुछ भी कहे। पर मेरा विश्वास करो धारा... एकपल के लिए भी मैंने तुम्हारे अलावा अपने मन मे किसी का ख्याल नही लाया! तुम्हारी हरपल की खबर होती थी मुझे! लेकिन हालत ऐसे बन जाते की मैं तुम्हारे सामने नही आ पाता! जब मैं यहां आया, तो सबसे पहला काम प्रोफेसर को सज़ा दिलाना था। मगर उसने यहां भी कई लोगो को रिश्वत खिलाकर उनका मुंह बंद करवाया हुआ था! मैंने बहुत मुश्किलों से उनके खिलाफ सबूत इकठ्ठे करना शुरू किया। उसमे मुझे ऐसे चौकाने वाले सबूत मिले जो मैं तुम्हे बता नही सकता !! मतलब लोग रुपयो के लिए इतना गिर सकता है की किसी की जान भी ले ले !
कई गलतफहमियां भी हुई..मगर अब दूर हो चुकी है !! अब सब ठीक हो चुका है धारा ! मैंने एक पिटीशन भी दाखिल कर दी है, केस रीओपन करवाने के लिए। जल्द ही केस रीओपन हो जाएगा, और सब सलाखों के पीछे होंगे!"

अपनी बात समाप्त कर ध्रुव ने धारा की ओर देखा, जो बड़े ही मज़े से उसके कांधे पर सिर रखकर सो रही थी।

"कमाल है यार...मैं यहां अलग ही कथा बांच रहा था मतलब? ये तो सो गई। सुना भी या नही इसने कुछ..??"
ध्रुव ने धारा को आवाज़ लगाई .."धारा... धारा !!"

धारा ने सिर उठाकर ध्रुव को देखा और मुस्कुराकर फिर उसके कंधे को पकड़कर सिर रखकर सोने लगी।
"ओह मोहतरमा.... कुछ सुना भी या नही, मैंने इतना कुछ कहा!!"
"तुम्हे जो कहना था, बताना.. तुम कह चुके ! अब मैंने सुना या नही उससे कोई मतलब नही है !!"
"व्हाट यु मीन मतलब नही है..?? मैं यहां इतने सालों से परेशान हो रहा था!!"
ध्रुव अपनी ही धुन में बोले जा रहा था और धारा ने उसको किस कर दिया। ध्रुव उचककर दूर हट गया।
"पागल...पब्लिक प्लेस है ये...!!" वो गुस्से में बोल।
"घर होता तो चलता..?" धारा उसको और छेड़ते हुए बोली। जिससे ध्रुव झेंप गया। लेकिन गाल शर्म से लाल हो चुके थे उसके।
ध्रुव ने जाने के लिए कहा और उठकर खड़ा हो गया. !! धारा ने उसका हाथ पकड़कर रोका, " आई लव यू..?"
"आई लव यू टू !!"
"सच..??'
"शायद"
"मज़ाक नही प्लीज! अब बर्दाश्त के बाहर है। अच्छी भली जी रही थी अकेली। पर तुमने फिर से आकर बवालकर दिया। अब और नही । "
"अरे, बाबा सच्ची !!"
ध्रुव ने आगे बढ़कर धारा को हग किया। धारा भी सबकुछ भूलकर उसकी बाहों में सिमट गई।
ध्रुव ने समय देखा और धारा को चलने का इशारा किया।
"कहाँ चलना पसन्द करोगी? मेरे साथ या देव के घर पर ही..?"
"अम्म...तुम्हे साथ, देव के घर!!"
"मतलब..??'
"तुम्हे नही लगता, उसे भी सब बताना चाहिए..?"
"उसे सब बता दिया है मैंने धारा!!"
धारा ने आश्चर्य से ध्रुव को देखा। धृब ने उसे अपनी और देव के बीच हुई सारी बातें बताई। धारा को भी राहत मिली के देव को समझ आया। वरना शायद वो एक अच्छा दोस्त खो देती।

धारा और ध्रुव जब घर पहुंचे तो देव पैकिंग कर चुका था!! ध
"कहां जा रहे हो ये बोरिया बिस्तर बांध कर?" धारा ने पूछा।
"बस...एकांत चाहता हूँ कुछ समय का!!"
"हां तो यहां कौन सा मेला लगा हुआ है जो तुम्हे एकांत नही मिल पा रहा??"
"धारा.....
"देव...पहले हमारो बात सुन लो..?" ध्रुव ने देव को टोकते हुए कहा।
"नही ध्रुव, मैं जानता हूँ तुम क्या कहना चाहते हो..? पर प्लीज, मुझे मत रोको!!"
"फाइन...नही रोकूंगा, पर फिर भी तुम्हे हमारी बात सुननी ही होगी।और हमारा साथ भी देना होगा !!" ध्रुव ने लेस रीओपन करवाने की बात देव को बताई साथ ही सारे सबूत लेकर उसे कोर्ट पहुंचने को कहा।

देव और ध्रुव ने जितने भी सबूत इकठ्ठे किये थे, उनकी कई कॉपियां तैयार की और एक एक कॉपी कोर्ट में जमा करवा दी।
दिव्या जो इतने समय से गायब थी उसे भी बुलाया गया। क्योंकि आज वो जो कुछ भी थी वो देव के पापा की वजह से ही थी। और उसकी गवाही भी मायने रखती थी।
देव ने जब दिव्या को देखा, तो गुस्से में मुंह फेर लिया। और धारा तो पहचान ही नही पाई।
अपना बयान रिकॉर्ड कराने के बाद दिव्या देव के पास आकर माफी मांगते हुए बोली,"जानती हूँ देव...माफी मिले ऐसा कोई काम नही किया है मैंने। बल्कि मैं तो सज़ा की हकदार हूँ। अगर मैं उसी समय अंकल को सब बता देती तो वे और अधिक सतर्क हो जाते। और शायद आज हमारे साथ होते। "

दिव्या, आगे बढ़कर धारा के पास आई और अपने आंसू पोंछते हुए बोली, "और धारा...... सबसे ज्यादा तो मैं तुम्हारी दोषी हूँ ! इतना कुछ बर्दाश्त करना पड़ा तुम्हे। मेरे लिए अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल है !! और मेरी सज़ा यही है कि मैं सबसे दूर ही चली जाऊँ और लौटकर कभी तुम लोगो को अपनी शक्ल ना दिखाऊँ..!!"

धारा और देव ने कुछ न कहना ही उचित समझा, मगर ध्रुव बोल पड़ा," ऐसा तो सम्भव नही है दिव्या जी, की आप कभी शक्ल ना दिखाएं!! क्योंकि जबतक केस चलेगा..आपको आना होगा। अपनी शक्ल भी दिखानी होगी और हमारी शक्ल भी देखनी होगी।"

" वो तो......" दिव्या बोली ही थी कि धारा उसे टोकते हुए बोली," तुम्हारा ये मगरमच्छ के आंसू बहाने हो गया हो तो...तुम जा सकती हो !!"
ध्रुव ने हैरानी से धारा को देखा। धारा ने एक नज़र देव पर डाली, जो नज़रे घुमाकर खड़ा था। फिर दिव्या को तंज कसते हुए कहा, " तुम कितना गिल्टी फील कर रही हो, दिखाई दे रहा है हमे !! सो प्लीज़ अपनी ये नौटंकी बन्द करो!!"

"तुम्हे मेरे आंसू नौटंकी लग रहे हैं..??" दिव्या अपने आंसू पोंछते हुए बोली, जिसपर देव ने जवाब दिया," नौटंकी नही है तो क्या है ये..? दिव्या, तुमने तो।कभी मुझसे प्यार किया ही नही। तुमने हमेशा खुद से प्यार किया! तुम्हे अपने अलावा कोई और नज़र आया ही कहाँ कभी भी! तुमने तो सगाई भी मुझसे इसलिए ही कि थी क्योंकि मैंने तुम्हें अपने दिल की बात बता दी थी कि मैं धारा को पसन्द करने लगा हूँ! लेकिन तुम्हे तो पाने की लत लगी हुई थी ना। धारा को तुमसे ज्यादा मिल जाये ये तो तुम्हारे बर्दाश्त के बाहर था!"

दिव्या बिना देव की बात सुने गुस्से में पैर पटकते हुए चली गयी। धारा को बहुत आश्चर्य हुआ मगर।" देव....तुमने दिव्या को अपने दिल की बात बताई थी..??"
"हां... तभी तो खुश था उससे सगाई न होने पर! अगर वो दिल की अच्छी होती, तो मैं अपने आप को कभी माफ नही कर पाता। यही सोचकर घुटता रहता कि मैंने एक मासूम लड़की के साथ बहुत गलत।किया है!!"




कुछ ही दिनों में कोर्ट से मंजूरी मिलने पर केस की सुनवाई शुरू हो गयी। सबने बहुत कोशिश की ध्रुव और देव को रोकने की। जब तक केस चला तब तक दोनो को खूब धमकिया भी मिली। जब एक व्यक्ति को अरेस्ट किया गया तो परत दर परत खुलती गयी और कई बड़े चेहरे बेनकाब होते चले गए। बड़े बड़े नाम उजागर होने से हर जगह सनसनी से फैल गयी। बड़े-बड़े लोगो के नाम आने से, के दिक्कतें भी आई। केस को लंबा खींचने की कोशिश की गई बहुत से लोगो ने अपने बचाव में झूठे गवाह और सबूत भी बना लिये !! तारीख पर तारीख मिलते मिलते पूरे छह साल केस चला । कितने ही स्टुडेंट्स जो फर्जी तरीके से एडमिशन लेकर पढ़ रहे थे उनकी पढ़ाई बीच मे ही रुक गई। बहुत से डॉक्टर्स की जब डिग्री की जांच हुई तो वे डिग्रियां फर्जी पाई गई। साथ ही उन तमाम कॉलेजेस की मान्यता भी रद्द कर दी गई।
इसका ये नतीजा हुआ कि जो फर्जी तरीके से एडमिशन लिए हुए थे उनके साथ ही मेहनत से प्रवेश लिए हुए छात्रों को भी नुकसान हुआ। पर आखिरकार सबको न्याय मिल ही गया।
धारा को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताडित करने के लिए प्रोफेसर को सजा सुनाई गई साथ ही उसके एवज में धारा को मुआवजा भी देने का फैसला सुनाया गया! सिर्फ धारा को ही नही, देव और ध्रुव को भी।

जिस दिन फैसला आया, उस दिन ध्रुव ने देव और धारा के साथ मिलकर एक छोटा सा आयोजन रखा ! कोई पार्टी या फंक्शन नही बस छोटी सी गेदरिंग। जिसमे इन तीनो के अलावा, ध्रुव की मम्मी और बहन, अश्विन और उसकी वाइफ , देव के एक दो खास दोस्त, और धारा की ओर से डॉ नकुल, डॉ धीरज और डॉ दिव्या और उनके दोनो बच्चे।

ध्रुव और धारा शादी कर चुके थे! इन सालों में देव को भी एक अच्छा लाइफ पार्टनर मिल चुका था! ध्रुव की बहन..दिशा! जिसे हमेशा उसने गुड़िया कहकर पुकारा! ध्रुव ने कभी सोचा ही नही था उसकी गुड़िया अब बड़ी हो चुकी है! देव कभी कभार ध्रुव और धारा से मिलने जाया करताथा, बस वही से दिशा और देव की लव स्टोरी शुरू हो गयी। ध्रुव को तो कोई आपत्ति थी ही नही...उसकी बहन एक अच्छे लड़के की जीवनसंगिनी बन चुकी थी।
धारा तो हमेशा ही देव को चिढ़ाती,"बच्चू..डॉक्टर से पीछा नही छूटने वाला तुम्हारा! धारा न रही, दिशा ही सही। अब दिशा ही तुम्हे सही दिशा दिखाएगी। और उसकी इस बात पर सब खिलखिला पड़ते!!





(समाप्त)