Ameer Garib - 1 in Hindi Fiction Stories by S Sinha books and stories PDF | अमीर गरीब - 1

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अमीर गरीब - 1

( एक अमीर लड़की सुरेखा ने रघु को उसकी गरीबी के चलते अपने योग्य नहीं समझा और उसके प्यार को ठुकरा दिया … )

भाग-1

बरसात की शुरुआत थी, पर आसमान बिल्कुल साफ़ और नीला दिख रहा था. बारिश की कोई उम्मीद न थी. फिर भी कॉलेज जाने समय सुरेखा ने यह सोच कर छाता ले लिया कि धूप से बच सके. उसके हॉस्टल से कॉलेज एक किलोमीटर की दूरी पर था. दोपहर के बाद जब वह कॉलेज से निकली चार बज रहे थे, आकाश में घने बादल छाये थे. उसने सोचा 10 मिनट से भी कम समय में वह अपने हॉस्टल पहुँच जाएगी शायद इस बीच बारिश न हो. वह तेज क़दमों से हॉस्टल की ओर बढ़ रह रही थी.

उसका हॉस्टल दूसरा चौराहे पार करने के बाद था. अभी वह पहले चौराहे पर ही थी कि देखते ही देखते तेज हवा के साथ जोरों की बारिश होने लगी. उसने जैसे ही छाता खोला कि हवा के झोंके से उसका छाता उल्टा खुल गया. सुरेखा छाता को सीधा करने की कोशिश में लगी थी. तेज हवा के झोंके से छाता भी उसके हाथ से छूट गया और सड़क पर उल्टी दिशा में चलने लगा. तब तक सुरेखा भींग गयी थी. तभी एक लड़का दौड़ता हुआ आया. उसने छाता को उठा कर सीधा किया और उसे देते हुआ बोला “ अभी बारिश काफी तेज है. आप थोड़ी देर मेरी दूकान पर बैठें, जब बारिश कम हो जाए आप चली जाना. “

उस आदमी की एक साधारण सी चाट, स्नैक्स और चाय की दुकान थी. सामने वाले भाग में यह दुकान थी और अंदर में परिवार रहता था. अक्सर शाम को 4 से 8 बजे तक उस दुकान पर ग्राहकों की भीड़ होती थी. दुकान पर पहुँच कर उसने कहा “ आप यहाँ बेंच पर बैठ जाएँ, यहाँ बगल में चूल्हा जल रहा है. आपके कपड़े भी सूख जाएंगे, तब तक आप गरम गरम चाय पीएं. “

“ थैंक्स. “ सुरेखा ने कहा था

उनकी आवाज सुन कर उस लड़के के पिता की आवाज अंदर से आयी “ कौन है रघु ? “

“ मैं इनका नाम तो नहीं जानता, पर ये बगल के कॉलेज में पढ़ती हैं. और कभी कभी अपनी सहेली के साथ हमारी दुकान पर भी आती हैं. “

“ मैं सुरेखा हूँ. बी ए सेकंड ईयर में पढ़ती हूँ. “

चाय पीते हुए सुरेखा ने देखा कि रघु उसे देखे जा रहा था. जब सुरेखा उसकी ओर देखती वह नजरें फेर लेता था. बातों बातों में उसने रघु के परिवार के बारे में जानकारी ली. रघु से छोटा एक भाई और एक बहन थी. उसके पिता अब बूढ़े हो चले थे तो रघु ने दुकानदारी संभाल ली थी. वह खुद बारहवीं पास था, पर वर्तमान आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि आगे पढ़ सके.

थोड़ी देर में बारिश कम हो गयी तो सुरेखा ने रघु को थैंक्स कहा और वह अपने हॉस्टल के लिए चल पड़ी. इसके बाद से सुरेखा रघु की दुकान पर अक्सर आने लगी. कभी वह अकेली होती तो कभी अपनी सहेली रागिनी के साथ. सुरेखा ने महसूस किया कि अक्सर रघु उसकी ओर देर तक देखा करता, पर नजरें मिलने पर अपनी आँखें फेर लेता था. कुछ ख़ास बातें नहीं होती थीं, बस दोनों की ओर से “ हेलो, क्या हाल है “ तक ही बातें सीमित रहीं. रागिनी ने भी महसूस किया कि रघु सिर्फ सुरेखा की ओर ही देखता,न तो उसकी ओर या किसी अन्य लड़की की तरफ देखता था.

एक दिन रागिनी ने सुरेखा से कहा “ तुमने गौर किया है कि रघु तुम्हारी ओर बड़ी हसरत भरी निगाहों से देखता है. “

“ हाँ, मैंने भी महसूस किया है, अक्सर मुझे देखा करता है. पर मुझे भरोसा है वह एक अच्छा लड़का है, उसकी नीयत बुरी नहीं होगी. “

“ क्या पता उसके मन में क्या चल रहा है, कभी कुछ कहा है उसने या तुमने जानने की कोशिश की है ? “

“ न कोशिश की है, न ही इसकी जरूरत है. बी ए करने के बाद मुझे इस शहर से कुछ लेना देना नहीं है. “

कुछ दिन बाद रघु ने सुरेखा नाम को फेसबुक पर खोजना शुरू किया. सुरेखा नाम की दर्जनों लड़कियों को खंगालने के बार उसे वह सुरेखा मिली जिसकी उसे तलाश थी. उसने उसकी प्रोफाइल में देखा... सुरेखा, स्टूडेंट, फाइनल ईयर बी ए,.. कॉलेज. उसने हिम्मत कर सुरेखा को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजा. लगभग एक सप्ताह तक सुरेखा की ओर से अभी तक कोई जबाब नहीं मिला था. इस बीच वह दुकान पर भी आयी, पर इस विषय पर कोई बात नहीं हुई.

एक दिन फिर रघु ने मैसेज भेजा “ आपने मेरा रिक्वेस्ट अभी तक स्वीकार नहीं किया है. मैं दुकानदार हूँ और आपके जितना पढ़ा लिखा नहीं हूँ, क्या यही कारण है ? “

फिर भी कोई जवाब नहीं दिया. रघु ने रागिनी से सुरेखा का फोन नंबर लिया था. उसने रागिनी को भरोसा दिया था कि वह कोई ऐसी वैसी हरकत नहीं करेगा. इसके चलते दोनों सहेलियों में झगड़ा भी हुआ और दोनों में बातचीत भी बहुत कम हो गयी थी. सुरेखा ने रघु की दुकान पर जाना छोड़ दिया था, पर रागिनी पहले की तरह वहां जाती. रघु के पूछने पर रागिनी ने उसे कहा “ सुरेखा तुमसे और मुझसे दोनों से बहुत नाराज है. “

“ पर मैंने तो अभी तक उससे न ऐसी कोई बात की है जिससे वह नाराज हो. बस फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजा था. “

“ एक लड़का और एक लड़की बहुत दिन तक सिर्फ फ्रेंड नहीं रह सकते हैं. अच्छा सच कहना क्या तुम्हारे दिल में उसके लिए कोई चाहत नहीं है ? “

“ चाहतें तो बहुत हैं, पर जरुरी तो नहीं कि हर ख्वाईश पूरी हो. वैसे मैं भी अपनी हैसियत और सीमा समझ सकता हूँ. कोई पढ़ी लिखी लड़की मुझसे क्यों मेलजोल बढाए ? “

“ नहीं, सब लड़कियां ऐसी नहीं होतीं, मैं भी सुरेखा की तरह नहीं सोचती हूँ. “

“ वह क्या सोचती है ? “

“ हो सकता है मैं बिल्कुल सही न होऊं, फिर भी मेरा अंदाजा काफी हद तक ठीक होना चाहिए. सुरेखा एक गज़ेटेड अफसर की बेटी है, उसका बड़ा भाई इंजीनियर है. मेरे ख्याल से उसे वैसे ही सपनों के राजकुमार की अपेक्षा हो सकती है. “

क्रमशः

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