Veera Humari Bahadur Mukhiya - 4 in Hindi Women Focused by Pooja Singh books and stories PDF | वीरा हमारी बहादुर मुखिया - 4

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वीरा हमारी बहादुर मुखिया - 4

" हमारी मुखिया वीरा की जय ...की जयकार होने लगती है
इशिता : नये नाम केे लिए शुक्रििया .....पर अभी जंग बाकि है ...अभी आफत टली नहीं हैं खड़गेल का झुकना बाकि है
इसलिए हर वक्त चौकन्ना रहना होगा...!
ननुमेय(संदेशवाहक) : सरपंच जी ..! हमारे आदमी कैद से छुटकर आ गये ...!
..."हमे बचाने के लिए शुक्रिया ...."
सरपंच : हमने आपको नहीं बचाया है ..हमारी नई मुखिया ने आप सबको बचाया है ...!
...धन्यवाद... मुखिया जी... "
इशिता: आप सब खुश है ये अच्छा है ...इन्हे अंदर ले
जाइऐ ...असली जंग अब होगी ,इसके लिए आप सबको भी मिलकर मेरा साथ देना होगा...!
सब : जरुर मुखिया जी हम सब अब आपके साथ है ...!
पांच दिनों के बाद

बरखा : वीरा जी ...चाची ने आपके लिए ये कपड़े भिजवाये
है ....!
इशिता : इसकी जरुरत नहीं हैं... मैं इन्ही में ठीक हूं ...
यहां तैयारी कैसी हो रही है ...क्या है ...?
सोमेश : हमारे यहां दैवी पूजा का आयोजन हो रहा है . ..डाकुओं की वजह से इतने सालो से बंद थी अब
‌ आपकी वजह से दोबारा शुरु कर रहे है ....;
इशिता : अच्छी बात है ...!
ननुमेय : मुखिया जी ..! आपको चौपाल पर बुलाया ...जल्दी चलिए...!
इशिता : ठीक है ..!
इशिता चौपाल पर पहुंचती है......
सरपंच : आईये मुखिया जी ....आपकी ही प्रतिक्षा थी ....
इशिता: जी ....!
सरपंच : मुखिया जी.... हम पंचो का ये फैसला है ...कृप्या इस साल दैवी पूजा की सर्वप्रथम पूजा आप करे
अगर आपको एतराज न हो तो ....!
इशिता : ठीक है ...जैसी आपकी इच्छा मुझे कोई एतराज नहीं हैं....! ..........आप सब तैयारी किजिए मुझे
कुछ काम है ......सोमेश और बरखा तुम दोनों मेरे साथ आओ ....!
बरखा : हां ...मुखिया जी ...!
इशिता : पहले तो तुम मुझे मुखिया जी मत बोलो ...मुझे अपने दोस्त की तरह समझो ...इसलिए मुझे इशिता बुला सकते हो....!
बरखा : नही ...हम मुखिया जी नहीं बुलाएंगे ...वीरा कहेंगे
सोमेश : हां वीरा जी...!
इशिता : मुझे शक हैं कही वो डाकू आज हमला न कर दे इसलिए जाल बिछाना होगा ताकि वो हम पर हमला न कर पाऐ......!
सोमेश : कैसी योजना है आपकी .....?
इशिता: हां ..सुनो गांव के इस शुरुआती और किनारे किनारे एक बारूद की लाइंस मतलब रेखाएं बना दो ...
सुमित : क्या मैं भी आपकी सहायता कर सकता हूं....!
इशिता : हां जरूर...और देखो यहां शुरुआती छोर पर ये तार बांध दो ....जरा नीचे बांधो ताकि दिखे नही..!
सोमेश : इससे क्या होगा....?
इशिता : इससे बहुत कुछ होगा देखते जाओ .....और देखो पेट्रोल बम ऐसे बनाओ .....इसके शुरू में आग लगा कर उस छत से फैकना .....!
सोमेश : जी..!
मेयर : ये क्या कर रही है आप ...?
इशिता : जंग की तैयारी..... हमारे पास कितनी बंदूक है ...!
मेयर : कम से कम बीस है ....!
इशिता : ठीक है दो मुझे दे दीजिए.. बाकि जिन्हे आप जानते है .बंदूक चला सकते है उन्हे दे ....!
मेयर : ठीक है..!
इशिता : बहुत बढ़िया... काम हो चुका है अब आप जाइऐ..!
नंदिता : वीरा दीदी आप तैयार हो जाइये सरपंच जी कह रहे है पूजा का समय हो गया है...!
इशिता : ठीक है...!
सभी पूजा स्थल पहुंचते हैं...!
सरपंच : आओ मुखिया जी ...पूजा शुरू करो ...पंडित जी बताइये इन्हे........!
पूजा के बाद

बरखा : वीरा ...अभी तो डाकू आये नही ....!
इशिता : कोई बात नहीं ....अब आप सब अपना काम किजिए जब जरुरत हो बुला लेना ....!
कुछ ही घंटे बीते थे कि तभी डाकुओं का हमला होता है..
ननुमेय : सरपंच जी ..डाकू यहां आ रहे है...!
सरपंच : क्या..😨😱..सब अपने अपने घर जाइऐ भगदड़ मत करिए ...मेयर जी वीरा को बुला दीजिए..
पूरे गांव में अफरातफरी मच जाती है
बरखा : मैं जाती हूं ......वीरा.. वीरा दरवाजा खोलो ....
इशिता : हां ..?
बरखा : वीरा डाकुओं ने हमला कर दिया...!
इशिता : ओह .!आ गये... चलो ......सुमित ,सोमेश योजना के मुताबिक काम शुरु कर दो और मेरे अंगुठा दिखाने पर मशाल जमीन पर फैक देना .....!
सोमेश : जी .....सुमित , धर्मा , झन्ना चलो छत पर जल्दी...!
खड़गेल : ऐ सरपंच बहुत हिम्मत आ गई तुम सब में ...हमारे मना करने पर भी दैवी पूजा की....
ऐ ! कालू जरा इन्हे सजा दो दे ..दे चाबुक...!
जैसे ही चाबुक मेयर पर मारता है उसपर गोली चलती है..
खड़गेल : कौन है ...गोली चलाने वाला हिम्मत है तो सामना कर खड़गेल सिंह का........
इशिता : चल आ तो गया ...तेरा पाला अब मुझसे पड़ा है..!
खड़गेल : तू है इनकी मुखिया.... जिसने मेरे साथियों को डराया ...ह..तुझे तो मैं चींटी की तरह मसल दूंगा...
इशिता : अच्छा ..फिर तैयार हो जा चींटी से मुकाबला करने के लिए ...मेयर जी आप अंदर जाइये....!
खड़गेल : चल ठीक है......
धोखे में उलझाकर इशिता को पकड़ लेता है.....
खड़गेल : देखो गांव वालो इसके बलबूते उछल रहे थे.... अब मेरे खंजर की नोक पर है ..
(इशिता अंगुठे का निशान दिखाती है और अब शुरू होता है खेल .....देखते देखते पूरे में आग लग जाती है)
सब चिल्लाने लगते है
खड़गेल : ये क्या हो रहा है (बाजी पलट गई)
इशिता : अब तेरी बारी ......चलाओ गोलियां....!
......भागो भागो (शोर मचने लगता है.....और तार से उलझकर गिरने लगते हैं ......!
इशिता : कहां भाग रहा है... चींटी को मसलेगा नहीं ....
(खड़गेल सिंह बहुत बुरी तरह हार जाता है ....भागने लगता है ...इशिता पकड़ लेती है ...)
खड़गेल : छोड़ मुझे .....(गोली चलाकर भाग जाता है ...ये गोली इशिता के कंधे पर लगती है ...)
मेयर : वीरा....!
........क्रमशः.......