Vo Pehli Baarish - 2 in Hindi Fiction Stories by Daanu books and stories PDF | वो पहली बारिश - भाग 2

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वो पहली बारिश - भाग 2

अंकित के जाने के बाद निया कुछ देर तक वहीं बैठी रही
और आखिरकार जब उसने उठ कर वहां से जाने की हिम्मत करी तो देखा की जैसे कयास लग रहे थे, वैसी ही तेज़ बारिश बाहर आ रही थी।

बाकी लोग जहाँ उस बारिश के मज़े ले रहे थे, वहीं निया बिना कुछ सोचे बारिश में बिन छाते के ही अपने घर की और रवाना हो गई।

अपनी इस हालत के लिए बारिश को कोसते हुए कुछ दूर चली ही थी कि उसका पैर मूड गया और वो गिर गई।

पहले से ही काफी परेशान निया पर, बारिश अचानक से बढ़ने पे और झमाझम पानी बरस रहा होता है की तभी एक पीली सी छतरी को निया की तरफ बढ़ाते हुए, एक लड़का निया के सामने आकर पूछता है,
“आप ठीक तो है ??"

“हाँ”, निया फट से खड़े होकर उसकी तरफ़ देखते हुए बोली।

“हाय आई एम ध्रुव", उस लड़के ने हाथ बढ़ाते हुए बोला। चकोर सा लंबा चेहरा, बड़ी चढ़ी हुई बोहे, काली बड़ी आँखें, कान तक की लंबाई वाले काले बाल जो कंघी करके करीने से सीधी तरफ किए हुए थे जो उसे और हैंडसम बना रहे थे।

“निया.." अपना परिचय देते हुए निया हाथ मिलाती है।

“वैसे आप इतनी बारिश में बाहर कहाँ जा रही थी, वो भी बिना छतरी के.. ये पुणे है मैडम, यहाँ बारिशे इतनी जल्दी नहीं थमती है। मेरी मानिए तो यहीं कही किसी कैफ़े में थोड़े देर इंतज़ार कर लीजिए या कैब करके चले जाइये।"
“हाँ.. मदद के लिए थैंक्स , मैं देखती हूँ। बारिश सचमुच तेज़ है, आप भी ध्यान से जाइएगा, लगता है किसी स्पेशल जगह जा रहे।”

“मैं.. नहीं कहीं स्पेशल तो नहीं, बस पहली बारिश के शिकार ढूंढने जा रहा हूं।”

"हह.. ??”

“वो क्या है ना, मुझे पहली बारिश बहुत पसंद है, तो बस यूँ ही घूमने निकलने जाता हूँ मैं।"

“ओह अच्छा.. , बढ़ी ही अलग सी हॉबी है आपकी।”

“हाहा.. जी हाँ अब क्या कर सकते है। आइए आपको मैं वहां कैफे तक छोड़ देता हूं, फिर देख लीजिएगा की आपको क्या करना है।"

"थैंक्यू.. " निया ध्रुव के साथ आगे बढ़ते हुए कहती है।

वो कुछ ही कदम चले होंगे की एक कैफे आ गया।
"मैं यही रुक जाती हूं..", निया उसके गेट की तरफ इशारा करते हुए बोली।
"ठीक है.. " ध्रुव गेट की तरफ बढ़ता हुआ बोला।
"थैंक्स वॉन्स अगेन.. " निया अंदर की और बढ़ते हुए बोली।
"नो प्रोब्लम... चलिए फिर चलता हूँ मैं, देखो अब कभी मिलना होता है या नहीं। बाय। ” ध्रुव मुस्कराते हुए अपने रास्ते पे बढ़ते हुए कहता है।

"बाय.. " निया भी बहुत धीरे से कहती है और अंदर चली जाती है।

*********************
“ध्रुव, कहाँ रह गया तू, वो लड़की तो कब की चली गयी है", ध्रुव का दोस्त, जिसका गोल मटोल सा भरा हुआ चेहरा है, आँखें छोटी और हल्की भूरी, और मुँह बड़ा, उसे देखकर ऐसा लगता है की वो हमेशा मुस्क्रता ही रहता। ध्रुव के कैफे पहुंचने पे उसे बताता है।

“सॉरी यार.. कुनाल , रास्ते में कोई मिल गया था..” ध्रुव जवाब देता है।

“पर अब क्या करे, वो लड़की तो चली गयी, और मैंने फेसनेम पे देखा था, तो भी सिर्फ निया नाम से उसका पता लगाना मुश्किल है।”

“हाँ, ऐसे सिर्फ नाम से पता लगाना तो मुश्किल होगा.. एक मिनट क्या नाम बताया तूने ??”

“निया...”, कुनाल ने दोहराया।

“ओये ये जरूर से वहीं लड़की होगी जिससे अभी मैं मिला, मुझे लग तो रहा है की उसके साथ कुछ गड़बड़ है, पर मैंने क्यों नहीं सोचा की यहीं वजह होगी।”

“तो अब कहाँ है वो लड़की??” कुनाल पूछता है।

“कैफे में छोड़ा था उसे और शायद अभी तक कैब मिली नहीं होगी उसे, बारिश जो इतनी ही। चल फटाफट चल, ढूंढते है उसे”, ध्रुव कुनाल को चलने का इशारा करता है।

और दोनों उस कैफे की तरफ भागते है, पर वहां जाकर उन्हें पता लगता है की निया कैफे से निकल चुकी है।

"तू उधर जा और मैं इधर जाता हूं", ध्रुव कुनाल को बाहर निकल कर इशारे से बताते हुए कहता है।

"ठीक है" कुनाल के ये कहने की देर थी, की दोनो अपने अपने रास्ते पे निया को कुछ ऐसे ढूंढते है , जैसे कोई अपने खोई हुई कीमती चीज ढूंढ रहा हो।

“वो रही वो”, ध्रुव अपने आप से कहता है और कुनाल को फोन मिला कर पूछता है,

"याद कर मैरून टॉप और ब्लू जींस पहना था क्या उसने?"

“हाँ.. पहना तो वहीं था, मिल गई क्या? रुक मैं आता हूं उधर", कुनाल बोलता है।

वहीं निया एक कोने में खड़े होकर बार बार अपने फ़ोन की तरफ देखते हुए खुद से बस ये बोले जा रही थी, “और कितना ख़राब होगा, आज का दिन???, पहले अंकित, फिर बारिश और अब ये कैब।"

ध्रुव भागते हुए निया के पास आया।

“अरे आप दोबारा, क्या हुआ?" निया ने भागते हुए ध्रुव से पूछा।

“मिस निया, मुझे पता लगा की आपका कुछ देर पहले ब्रेकअप हुआ है , तो मैं अपने और अपने दोस्त की तरफ़ से आपका पहली बारिश कमिटी में स्वागत करता हूँ”, ध्रुव फिर से निया के आगे हाथ बढ़ाते हुए बोला ।
“क्या ??"
“हाँ, पहली बारिश कमेटी, उन लोगों की कमेटी है जो आपकी तरह पहली बारिश के बेहरम पने का शिकार हुए है।”
“क्या बकवास है, बारिश… , बारिश नहीं लोग बेहरम होते है मिस्टर।"
“नहीं आप समझ नहीं रही है.."
“मैं सब समझ रही हूँ, की ये क्या चल रहा है।”
“अरे वाह.. शुक्र है, आप इतने समझदार हो, ये समझाने वझाने के काम में मैं बिलकुल अच्छा नहीं हूँ।”

“हाँ.. हमेशा से ही थी समझदार मैं”, निया एक दम से ध्रुव के पैर पे पैर रखते हुए बोली।

“आ आ आ... ", ध्रुव चिलाया।

“ये पैसे वैसे हड़पने की जगह ना कोई मेहनत का काम करो.. अब मैं चलती हूँ मेरी कैब आ गयी है। और दुआ करना की आगे कभी मुझसे ना मिलो, नहीं तो ये निया ना ऐसे किसी को छोड़ती नहीं इतनी आसानी से, वो भी तब जब कोई जिंदगी में ताका झांकी करे।" निया उसके सामने आई कैब में बैठते हुए बोली।