Ishq - 4 in Hindi Short Stories by om prakash Jain books and stories PDF | इश्क. - 4

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इश्क. - 4

इश्क़ तीन आप लोगों ने पढ़ा, मुझे निरंतर अच्छा रिस्पांस मिल राहा है ,जिसके लिए आप सभी पाठकों को मेरा अभिवादन ।
वेदांत कहता है - राज सर आप का बहुत -बहुत शुक्रिया ,आप ने मुझे पहचाना और मेरे टैलेंट को समझा है ।सर मैं बॉम्बे तो आ सकता हूँ ,परंतु मेरा अपने राज्य के भाखा- बोली और यहॉं की संस्कृति से अपने दिल और भावनात्मक रूप से मेरा जुड़ाव है।मुझे अपने छत्तीसगढ़ महतारी की सेवा करना है।बॉम्बे फ़िल्म इंडस्ट्रीज में बहुत मेहनत और टैलेंट की जरूरत होता है ,मुझसे नहीं होगा ।
राज सर-मैं कहाँ कहा रहा हूँ कि तुझे अपने मातृ -भूमि को छोड़ने को।जीवन में तरक्क़ी करना चाहिए तो अपने आप को थोड़ा अर्जेस्त करना ही पड़ेगा।
" जी राज सर !"
राज -जब तुम्हारा मन चाहे मेरे जूह वाली बंगला में आ कर रुक सकते हैं।तुमसे मुझे कोई शिकवा शिकायत नहीं होगा।और आप की जब मर्जी मेरे साथ काम कर नई -नई तकनीकी ज्ञान ले सकते हैं।
आप का मैं जीवंत परियंत आभारी रहूंगा।सर मैं अपने छत्तीसगढ़ का नाम और पहचान देश में फिल्म के माध्यम से करने का अथक प्रयास और संघर्ष जारी रहेगा।
राज सर -तुम ये नहीं समझना कि बॉलीवुड नशेड़ियों और गंजेड़ियो की जमात है।बहुत अच्छे और विचारशील ,प्रतिभामान लोग भी है।कुछ लोग पैसों की और सुपरस्टार की लोलुप्ता हो जाने के साथ अपने आप में ईगो का प्रवेश होने लगता है।और ऐसे लोग गंदे माहोल पैदा करते है ।निजी जीवन में सेक्स केंडल को भी एक अभिअंग बनाने लग जाते है ।मानोमस्तिक है इसे नियंत्रण करना चाहते हुए भी नहीं किया जा सकता।
वेदांत -हाँ ,राज सर आप ने ठीक ही कहा है।
राज -रखता हूँ फोन अपना ख्याल रखना ,गुड बॉय ।
ओके सर ।
काका, वेदांत से कहता है-सिम्मी बिटिया कैसी है ।
अच्छी है, परंतु मेरा काम शेखर बिगाड़ देता है।
बेटा ,शेखर बहुत ही अच्छा इंसान है।तुम्हारा अनंत भक्त है।
काका ,शेखर का नाम न ले तो ठीक है ओ एक पागल इंसान और झक्की है।उसे मार -मार कर उसका कीमा बनाने का मन होता है।
तुम दोनों क्यों लड़ते हो मैं देखता हूं तुम दोनों के अंतर मन में एक दूसरे के प्रति अथाह प्रेम है।ये क्या झूठ है।
नहीं ,सच है काका ।परंतु शेखर ही मुझसे पहले लड़ता है।
शेखर का प्रवेश होता है।काका ये कहते हुए कि -मुझे तुम दोनों के लिए बेड पकोड़ा बनाना है।तुम दोनों गप सप करो। काका किचन की ओर जाने लगता है।शेखर काका से कहता है।
काका आज गरमा गरम ब्रेड पकोड़ा के साथ काफी भी बनाते लाना।
ठीक है बेटा आज तो बना कर ले आता हूँ ।अपने सिम्मी भाभी को एक दिन वेदांत का घर दिखाने लेते आना।
हां काका, आप जाओ वेदांत से पर्सनली बात करना है।काका किचन की ओर चला जाता है।
वेदांत ,शेखर से कल वाली बात को ले कर लड़ने लगता है ।
तू मेरा पूरा शेड्यूल ही खराब कर देता है।
किसने कहा मैं तो तुम्हारा कोई अहित नहीं किया है।
तू एक नंबर का डामर है ।
तू कौन से भाषा में बात कर रहा है।डामर का मतलब ।शेखर ,वेदांत को फ़साने लगता है।
वेदांत,कल की बात को समझ तुम किसी को कुझ भी बोल देते हो ।शेखर बम होता है।
हाँ, मैं तेरा नौकर हूँ क्या ।
नौकर नहीं हैं तो क्या हुआ,तू मेरा गुलाम बादशाह है ना।
मैं सब समझ गया ,सिम्मी भाभी को करनाल के पहाड़ी के शूटिंग में ले कर नहीं आया इसी लिए तुम नाराज हो मुझसे तुम ।इतनी सी बात है बस।
बात ये नहीं ,देख रहा हूँ जब से सिम्मी मेरे लाइफ में आई है ।तुम जलने लगे हो।और सिम्मी को मेरे से दूर करने की प्रयास ,ये झूठ है क्या?।
तुम गलत इल्जाम लगा रहे हो मुझ पर ,तुम्हारे सिर पर ठठेड़ा का एक हथौड़ा मारूंगा तो सब अकल ठिकाने पर आ जायेगा।
मार ले तेरा मन का मुराद पूरी हो जाएगा ।सिम्मी से जलता है नही ये तो बाता नहीं रहा है ।
सुन पागल ,जब से देख रहा हूँ सिम्मी भाभी पर इल्जाम लगा रहा है ।भाभी तुम पर जान छिड़कती है ।मेरा तो बकबक ,इंजॉय करने का हॉबी है ।आदत नही ।
सिम्मी को लेने तुम्हे भेजा था ।उसे घर वापस जाने को नहीं उकसाया तुमने।और रेस्टोरेंट में मजे से चाय पी कर ,शॉपिंग करवा कर उसके घर छोड़ने की प्लानिंग किया तुमने।मेरे से दस हजार रुपये भी झटक लिए।
अच्छा बेटा ,मैं जो भी करता हूँ तुम्हारे भला के लिए ही करता हूँ समझे लल्लू।
भलाई की बात मत कर तेरा चटनी बना कर ब्रेड पकोड़ा के साथ खा जाऊंगा।
मेरा तू चटनी बनाएगा ।तेरा मैं आइस्क्रीम बना कर फ्रिज में डाल दूँगा ।समझे ।
चल तू बता यार ,तेरे को तेल की खौलते कढ़ाई मैं डालने की बात करुं तो तुरंत कहोगे अभ्भी सिम्मी भाभी को फोन करता हूँ ।मुझे डराने की तेरे पास अच्छा अस्त्र भी है और शास्त्र भी।
तुम जैसे अड़यल आदमी नही हूँ ।भाभी को तुम अभी से शूटिंग दिखाने मत ले जाओ ,तेरा हीरोइन कितनी गंदी है उसका सूरत भी देखने नही भाता ।ये हीरोइनों की कोई जात -पात का ठिकाना होता है ।और कोई उनका पर्सनल लाइफ होता भी है ।
तू क्या कहा रहा है मुझे कुछ समझ नही आ रहा है ।
तू क्या समझेगा ,काका नास्ता ले कर आ रहा है।अब दोनों झूठ- मुठ की लड़ाई करने लगे है वेदांत और शेखर।
अरे बच्चे दोनों कब तक लड़ते रहो गे इसी प्रकार ।
काका आप ने काफी बहुत अच्छी बनाई है ।दोनों एक साथ बोले ।
बना लेता हूँ ,तुम्हारी काकी जब से इस दुनिया को छोड़ कर गई है ।तुम दोनों के सेवा में लगा रहता हूँ ।तुम दोनों से मेरा बहुत प्यार है ।लड़ते क्यों हो दोनों को आज तक समझ नही सका ।काका के आंखों में कभी खुशी कभी गम की आँशु निकलने लगे ।
वेदांत -काका ,हम लोग है ना आप के बुढ़ापे की सहारा हमने आप को सगा काका माना है ।इस रिस्ते को जीवन भर निभाएंगे ।आप से कोई शिकवा सिकायत नही होने देंगे ।
मैं किसी के बोझ नहीं बनना चाहता हूं ।जब तक प्राण है काम करते रहूंगा।इस दुनिया में मेरा कौन है तुम दोनों के सिवाय ।भगवान करे तुम दोनों की जोड़ी सलामत रखे ।और तुम दोनों के लिए भगवान से दुआ भी मांगता हूं ।
काका ,आप के नेक विचार है और महान भी हैं । शेखर कहता है-काका आप को तकलीफ होने नहीं देंगे ।वेदांत शादी कर के भाभी के प्यार में भूल जाएगा।परंतु मैं आप को छोड़ नहीं सकता ।
वेदांत -चुप बे बकबक बहुत करने सिख गया है ।मैं सिम्मी को भूल सकता हूँ काका को नही ।
यैसा मत करना बेटा ,हम अपनी जिंदगी जीय चुके हैं।ये शरीर सुखी पेड़ की तरह है ,कब लुढक कर जमीन में गिर जाए ।
ओह!काका आप शांत हो जाइए हमें अपना कर्तब्य निर्वहन करने दीजिए ।वेदांत ने कहा।
सिम्मी अपने गॉव में हैं ,वेदांत से काफी नाराज भी हैं ।मिलने की कसक उसके दिल में बहुत हो रहा है ।जब भी कंप्यूटर सीएससी सेंटर में खोलती है स्क्रीन पर वेदांत का ही छवि दिखाई देने लगता है ।रात को जैसे बिस्तर पर गई नींद छू मंतर रात भर करवट बदलते कब सुभह हुआ पता भी नही चला ।सिम्मी अर्धनिंद्रा में मिठी -मिठी मुस्कुराती,और वेदांत के सपने देखा करती ।वेदांत से इश्क हो गया मैं क्या करूँ ।इश्क में पागल हो चुकी है।आज बिना बताएं वेदांत की घर जाने के लिए संकल्प लेती है ।सुभह 8 बजे वेदांत से मिलने के लिए तैयार हो कर अपने कमरे से निकलती है ।पापा आप।
आज बहुत उदास दिख रही है । किससे मिलने जा रही है ।
किसी से नही पापा ।
चोरी पकड़ी गई बेटा तुम्हारी ।सिम्मी डर जाती है, हार्ड बीट बढ़ने लग जाता है।मुझे मालूम है ।
क्या ??सिम्मी सोचती है ।वेदांत से प्रेम कहानी जान चुके है ।और आज मैं मारी गई ।
शेखर बता रहा था ,उसकी बहन अमेरिका जाने वाली है ।इसी लिए उदास है ।रात को सपने देख करती है ।
हाँ पापा सच मे अपने सहेली की याद बहुत आता है ।रात में सपने देखता हूँ ।कास मैं भी अमेरिका में अपने सहेली के साथ रहती ।कितना मजा आता ।बस मैं अपने सहेली से मिलने जा रही हूं ।शेखर का फोन आया था मिलने बुलाई है ।रात हो जाये तो रात भी रुक सकती हूं ।बहुत सारे बात करनी है पापा ।
जा बेटी जा मैं तुझे नही रोक रहा हूँ ।अमेरिका जाने के पहले अपनी सहेली को घर बुला आती ।
नही पापा ,गांव में कहाँ ,हमारा घर भी अच्छा नहीं है।ओ लोग बहुत अमीर हैं ।
हम गरीब है तो क्या हुआ ,हमारा दिल बहुत बड़ा है ।
रहने दीजिए कहना अच्छा लगता है प्रेक्टिकल कठिन है ।जाऊ मैं ,आज उसका मजा चखा के रहूंगा ।बहुत भाव खाने लगा है ।
लगा है??किसका मजा चखाएंगी, तबियत ठीक तो है।बड़बड़ाये जा रही है ।
सहेली को मार- मार कर उसका भरता बनाउंगी।
और एक हप्ता रुक नहीं सकती ।इतना कहते हुए स्कूटी में चाबी लगा कर गाड़ी स्टार्ट करती है और फुर्र से वेदांत से मिलने उड़ जाती है ।उसका पापा देखते ही रह जाता है ।
आगे वेदांत और सिम्मी का मिलन होता है या नही। टकरार होता है या प्यार ।देखते है सिम्मी के पापा को मालूम नही है कि अमेरिका वाली सहेली कौन है ।सच पता चलेगा वेदांत को स्वीकार कर पायेगा ।या सदमा लगेगा बेटी ने झूठ कही थी ।अपना समीक्षा जरूर लिखें ।बहुत- बहुत धन्यवाद।