MAANO YA NA MAANO - 1 in Hindi Fiction Stories by Koushik B books and stories PDF | मानो या न मानो - भाग 1

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मानो या न मानो - भाग 1

ये बात २००५ की तब हम लखनऊ इसी आलमबाग रेलवे क्वार्टर में रहते थे। हमारा परिवार तीसरे माले में रहता था। एक रात सोटे हुए अचानक मेरी आंख खुल गई। में बाथरूम की तरफ से बड़ा तो मुझे किसी के रोने की आवाज सुनायी दी मैंने ध्यान से सुना तो मुझे किसी औरत के रोने की आवाज बिलकुल साफ सुनाई देने लगी फिर में बाथरूम से फ्रेश होके अपने बिस्तर पे फिर से सो गया। सुबह उठ के मैंने अपने मां से पुचा क्या अपने किसी औरत के रोने की आवाज सुनी है तो बता दिया की उन किसी के रोने की आवाज की सुनी है। कुछ दिन सब ठीक चलता रहा। कुछ दिन में मेरी दीदी के पोस्ट ग्रेजुएशन के एग्जाम शुरू होने वाले थे। वो रात को अपने विषय केई तयारी कर रही थी तब उस से किसी औरत के रोने की आवाज सुना दी। उसे ज्यादा ध्यान न देते हुए अपनी पढाई जारी रक्खी। सुभा दीदी ने मां से पुछा की क्या आप ने रात को किसी के रोने की आवाज सुनी थी मैंने बोला में कुछ दिन पहले रोने की आवाज सुनी थी। ऐसे ही कुछ दिन और गुजर गए। क्यों के हम मोहल्ले में नए थे तो मां से बोल चल बढ़ाने के लिए मोहल्ले की औरते मां से मिलने के लिए आई थी। कुछ दिनों में उनसे मां की अच्छी दोस्ती हो गई। एक दिन बातो में उन से पक्का की कॉलोनी में रात को कौन रोया करता है। क्या किसी को कोई मुश्किल है या घर में लड़ती होती है रात को? इस बात पर वो लोग हंसने लगी और बोली अभी तो नई नई हो थोड़े दिन रुक जाओ बस चुप चाप मजा लो।हम जिस कॉलोनी में रहते हैं वो बहुमंजिला इमारत है। जिस में चार माले है। हम तीसरे माले में रहते हैं। छोटे माले में एक दीदी रहती थी उनका भाई नोएडा से इंजिनियरिंग की पढाई कर रहे थे। वो छुटी में घर ऐ द और अपनी लास्ट सेमेस्टर के लिए एक प्रोजेक्ट पे काम कर रहे थे। वो रात भर जग के प्रोजेक्ट बना रहे थे। एक दिन ऐसे ही वो अपने प्रोजेक्ट पे काम कर रहे थे। उन्हों उस औरत की रोने की आवाज सुना दी। जाने की लिए के कौन रो रहा है उन्हो ने खिड़की से बहार झका तब्भी जो उन होने जो देखा वो देख के उनकी आवाज बंद हो गई और वो बोहुत घबड़ा गए। उन होने बता की उन किसी औरत की छायाकृति देखी जो हवा में उड़ रही थी। ये देख कर उनको काई दिनो तक तेज बुखारा था।माँ इज नंगे में मोहल्ले की औरतों से इस बारे में बात की।तो मोहल्ले की औरतों ने बताया की हमारे भवन के चुने हुए में एक औरत रहती थी उसकी मौत कार दुर्घटना में हो गया था। लोग खेते है की उसे आखिरी बार घर नहीं ले गए थे और ना ही उसका अंतिम संस्कार विधि से नहीं किया गया था इसलिय उसे आत्मा रोटी रहती है। वो किसी को नुक्सान नहीं पोहुचती बस रोटी रहती है।हमरे बिल्डिंग में से एक परिवार वैष्णोदेवी मंदिर गए थे वहा से वो मां वैष्णोदेवी का धागा ला के बंद दिया तब से वो आवाज आनी बंद हो गई।

उमीद करता हूं आपको ये कहानी पसंद आई होगी। अगर आपके साथ ऐसी कोई घाटा घटी है तो कमेंट बॉक्स में कमेंट करें। ये मेरा पहला लेख है कुछ लिखने में गलती हो तो छम्मा चाहता हूं। और कोसिस करुंगा समये के साथ अपनी गल्तियो से सिख कर और अच्छा लिख और आहे सबो का प्रयोग करू।

ध्यानवाद: