Dhara - 24 in Hindi Love Stories by Jyoti Prajapati books and stories PDF | धारा - 24

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धारा - 24

ध्रुव जबसे अपने घर पहुंचा तब से ही उसकी धारा से बातचीत ना के बराबर हो गयी थी। ध्रुव कभी सामने से धारा को कॉल नही करता था। क्योंकि अपनी टेंशन धारा को बताकर वो उसे और परेशान नही करना चाहता था !
धारा भी ध्रुव की कोई खबर नही मिलने से कुछ उदास और दुखी हो गयी। वो जब भी ध्रुव को कॉल करती, ध्रुव बातें बनाकर उसे टाल देता और यहाँ वहाँ की बात कर बात खत्म कर देता!!,
धारा ध्रुव के इस परिवर्तन को समझ रही थी। लेकिन वो खुद ही ध्रुव को समय देना चाहती थी कि ध्रुव खुद उसे बताए अपनी परेशानी!!
ध्रुव अब अपनी पढ़ाई छोड़ घर परिवार की चिंता में रम गया। उसे रातदिन पापा की फिक्र लगी रहती। कई बार कोशिश की उसने पापा से उनके तनाव का कारण जान ले।मगर पापा हर बार उसे बहला देते। ध्रुव के वापस लौटने के दिन नज़दीक आ रहे थे। एक हफ्ते की जगह उसने पंद्रह दिन ले लिए थे लौटने में। पापा को ऐसे हाल में छोड़कर जाना उसे उचित नही लगा। लेकिन पढ़ाई का नुकसान होते देख, पापा ने उसे वापस जाने का आदेश दे दिया था!! लेकिन ध्रुव की ज़िद के आगे उन्हें झुकना ही पड़ा !!

पापा उठकर दुसरे रूम में गए और कुछ फाइल्स लेकर आये !!

ध्रुव, फाइल्स देखकर, " ये फाइल्स...???"

पापा ने बिना कोई भूमिका बांधे सीधे कहा, " उस समय मैं जबलपुर में ही पदस्थ था और तुम लोग यही पर थे रतलाम में !! वहां जबलपुर में कुछ लोग फर्जी तरीके से एक अवैध जमीन पर कब्ज़ा कर एक हॉस्पिटल खोलने वाले थे साथ ही एक पैरामेडिकल कॉलेज भी !! कुछ नेता, मंत्री लोग थे, कुछ सरकारी विभाग के बड़े अधिकारी और पत्रकार भी शामिल थे इसमें !! सबलोग मिलकर बहुत बड़ी धांधली कर रहे थे !! पर किसी ने आवाज़ नही उठाई !क्यों उठाएगा, पुलिस, नेता, पत्रकार, सरकारी विभाग के बड़े अधिकारी सब लोग शामिल थे उसमे !! कोई आवाज़ उठाता भी तो उसकी आवाज़ को वहीं दबा दिया जाता !! हॉस्पिटल और कॉलेज बनकर तैयार हो गया ! एडमिशन होने लगे !!
बेटा, ये हमारे देश का कानून है, अगर कोई व्यक्ति विदेश से मेडिकल की पढ़ाई करके लौटता है तो उसे यहां आकर मेडिकल के एग्जाम देने होंगे !! और जबतक वो उस एग्जाम में पास नही हो जाते तब तक न तो वे प्रैक्टिस कर सकते हैं ना ही जॉब !! बहुत से बड़े घराने के बच्चे जो विदेश से पढ़कर लौटे थे, वो फैल हो रहे थे यहां आकर !! उन्ही बच्चों को फर्जी तरीके से नौकरी दी जा रही थी !!! रिश्वत लेकर कम मार्क्स वाले लोगो को भी कॉलेज में एडमिशन दिया जाने लगा !! उनके लिए फर्जी डिग्री तैयार की जाने लगी। उसी कॉलेज में मेरे, एक सीनियर ने भी अपनी बेटी को फर्जी तरीके से एडमिशन दिलवाया था तो..."

"एडमिशन दिलवाया था तो...??" ध्रुव ने उत्सुकता से पूछा।

"तो.... मैंने सोचा, जब सब लोग अपने बच्चों के लिए ये रास्ता अपना रहे है तो मैं भी अपने बच्चों के लिए कुछ न कुछ तो करूँ,। जिनसे उनका भविष्य सुरक्षित हो सके !!" पापा कुछ डरते और घबराते हुए बोले। उन्हें पता था ध्रुव उनकी बात सुनकर अवश्य ही गुस्सा होगा ! और हुआ भी वही !!
ध्रुव की धड़कने बढ़ गयी पापा की बात सुनकर ! उसे सच मे विश्वास नही हो रहा था की पापा ऐसा कुछ भी कर सकते हैं !!

"क्या जरूरत थी पापा आपको ये सब करने की..?? हम दोनो भाई बहन पर आपको विश्वास नही था क्या..??? आपको ये लगता है कि मैं और गुड़िया अपने बलबूते आगे नही बढ़ पाएंगे..? जॉब नही कर पाएंगे..??" ध्रुव की आवाज़ में गुस्सा साफ झलक रहा था ! पापा उसकी बात से असहमति जताते हुए बोले, " मुझे तुम दोनो पर पूरा विश्वास है बेटा !! पर हमारे इस करप्ट सिस्टम पर नही है !! जब ये लोग लाखो करोड़ो की रिश्वत लेकर किसी की भी फर्जी डिग्री बनाकर नौकरी दे सकते हैं तो क्या भरोसा...योग्य लोगो को बिना रिश्वत के नौकरी दे या न दे..?? मैंने सिर्फ गुड़िया के लिए ये किया था !! उसे भी मेडिकल फील्ड में ही जाना था ना...!!"


ध्रुव, " पापा.. अगर वो फर्जी तरीके से एडमिशन ले भी ले तो आगे कैसे बढ़ेगी..?? कब तक हम उसके लिए ऐसे ही गलत बातों का सहारा लेते रहेंगे..??चलो, ये सब बातें तो जाने दीजिए... आप मुझे ये बताइये की आपने ये पॉइज़न क्यों लिया था...??"

"तो और क्या करूँ मैं..?? मैंने कितने अरमानों से गुड़िया के लिए बीस लाख रुपये देकर कॉलेज में सीट ली थी !! मगर किसी ने मुझसे भी ज्यादा रुपये देकर वो सीट अपने बच्चे के नाम करवा ली !! और तो ओर... जो रुपये मैंने दिए थे उन्हें भी वहां का डिपार्टमेंट हड़प गया !!"

ध्रुव, " पहली बात ये बताइये आपके पास इतने रुपये आये कहाँ से..?कहीं आपने मम्मी के गहने तो नही बेच दिए..?? और तो और आपने गलत तरीके से एडमिशन करवाया ही क्यों गुड़िया का !! और अगर अब जब एडमिशन दे दिया उन लोगो ने तो आप विरोध क्यों नही करते पापा..? अपने सीनियर से बात करिए !! बीस लाख रूपय कम नही होते हैं !!"

पापा कुछ देर की खामोशी के बाद बोले, "तेरी मां के किसी गहने को मैंने हाथ तक नही लगाया है !!"

"तो फिर..?? रिश्वत...? इसलिये आप रुपये वापस ना मिलने पर गुस्सा हैं ? और रिश्वत की कमाई से ही अबतक हम जीते...." ध्रुव के आगे के वाक्य हलक में ही अटक गए जब उसकी बात सुनकर पापा ने हाँ में सिर हिलाया।
ध्रुव हतप्रभ रह गया सुनकर। पापा आगे बोले, " रिश्वत लेने और देने का आरोप लगा है मुझपर बेटा !! कुछ समझ नही आ रहा क्या करूँ...?? मेरे खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जा चुका है ! केस की तहकीकात चल रही है ..!! अगर दोष सिद्ध हो गया तो क्या होगा, बस यही सोचकर सिर फटा जा रहा था !! इसलिए ही मैंने ज़हर खाकर सारी झंझट से मुक्ति पाने की सोची !! " ये लाइन ध्रुव के होंश उड़ाने के लिए काफी थी।

ध्रुव पापा की हथेली थामकर बोला, " मुझे नही पता पापा क्या सही है या क्या गलत...?? लेकिन आप जानते भी हैं और मानते भी है कि जो आपने किया वो बिल्कुल गलत था !! रिश्वत लेना भी गलत था और जब आप की चोरी पकड़ी गई तो उससे बचने के लिए आत्महत्या करना भी गलत है !! आपने एकबार भी हमारे बारे में नही सोचा !! पापा, आज नही तो कल जब सबको पता चलेगा तो क्या तब हम सम्मान से जी पायेंगे समाज मे...??"

पापा कुछ नही बोले सिर्फ सिर झुकाकर बैठे रहे !! ध्रुव कुछ भी सोचने की समझने की शक्ति से बाहर जा रहा था !! एक तो पापा ने गलत तरीके से रुपये कमाए और उन्हें गलत कामो में ही लगा दिया !! कहीं न कहीं उसे पापा का कबूलनामा भी हज़म नही हो रहा था!! पापा ने इतना कुछ किया है आजतक... ऐसे कैसे वे आत्महत्या के बारे में सोच सकते हैं !! ध्रुव को पापा की बातों में सच्चाई तो नज़र आ रही थी मगर वो ये भी लग रहा था कि कुछ और भी है जो पापा छुपा रहे हैं !! और वही उनकी आत्महत्या जैसे कदम उठाने के बारे में सोचने का मुख्य कारण है !!







इधर कुछ दिनों से ध्रुव से किसी भी प्रकार का कोई भी सम्पर्क नही जुड़ने से धारा बैचेन हो रही थी !! मिताली को तो बिल्कुल पगला चुकी थी वो !! धारा के इस व्यवहार से मिताली भी आश्चर्यचकित थी !! एक दो बार मिताली ने बातों ही बातों में धारा के मन की बात जाननी भी चाही, मगर धारा को मन की बात दबाना बहुत अच्छे से आता था जिस वजह से मिताली सफल नही हो सकी।
धारा जब भी ध्रुव को फ़ोन मिलाती ध्रुव हमेशा बिजी होने का बहाना बना देता या बाद में बात करता हूँ बोलकर फ़ोन रख देता !!
धारा ने सोच लिया था, कुछ भी हो जाये, अब वो ध्रुव को कॉल नही करेगी !!! ध्रुव ही उसे करेगा तो बात करेगी या फिर कॉल रिसीव ही नही करेगी।





ध्रुव घर मे छत पर एक कोने में बैठा खुद से ही जूझ रहा था !! पापा ने जो कुछ भी कहा उसमे उसे कुछ कमी सी नज़र आ रही थी !! ऐसा लग रहा था जैसे कुछ छूट रहा हो...?? या शायद वो समझ नही पाया !! बार बार पापा की कही हर एक बात याद कर कर के उसका सिर दर्द से फटा जा रहा था !! एक मन कहता, " नही.... पापा ने कभी रिश्वत ली ही नही !! आजतक उन्होंने पूरी निष्ठा और परिश्रम से काम किया है !! और ना ही वे गुड़िया के एडमिशन के लिए ऐसे रिश्वत दे सकते हैं !! आजतक उन्होंने कभी हम दोनो भाई बहन को नकल तक नही करने की प्रेरणा दी , तो वे कैसे हमारी नौकरी लगवा सकते हैं रिश्वत देकर...??"
तो दूसरी तरफ मन कहता, " जब रातदिन व्यक्ति भ्रष्ट लोगो को संगति में रहता है तो मन मे कहीं न कहीं गलत प्रभाव पड़ ही जाता है !! जब सब लोग अपने बच्चों के बारे में सोच रहे हैं तो अपने बच्चों के बारे में सोचना क्या गलत बात है...??"





पापा ने जैसे तैसे ध्रुव को विश्वास दिलाया कि वे किसी भी स्थिति में कुछ भी गलत कदम नही उठाएंगे !!! दो तीन दिन और रुकने के बाद जब घर का माहौल सामान्य लगा और होटल व कोचिंग से बार बार कॉल आने पर उसने वापस जाने का निर्णय ले लिया था !!
उसके जाने से पहले मम्मी ने कहा, " ध्रुव बेटा, जाने से पहले मार्किट ले चल मुझे !! कुछ सामान लाना है !! गुड़िया अपने फ्रेंड के यहां गयी हुई है और तेरे पापा ऑफिस !! जबतक वो आते है , हम लोग काम खत्म कर के आ जाएंगे !!"

ध्रुव मान गया और घर का काम निपटाकर दोनो माँ बेटे, मार्किट निकल गए !! सर्दी का मौसम होने की वजह से मम्मी ने ध्रुव के लिए एक ब्लैंकेट लिया !! उसे गर्म कपड़े दिलवाए !! साथ ही उसके साथ रखने के लिए ड्राई फ्रूट्स, चने, बिस्किट और भी बहुत सारी चीजें खरीद ली !!

ध्रुव मम्मी की खरीदारी देखकर हंसते हुए बोला, " मम्मी, विदेश में सेटल होने नही जा रहा हूँ मैं !! जबलपुर ही जाना है !! वो भी कुछ महीनों के लिए !! आपने तो इतना कुछ खरीद लिया है कि समझ नही आ रहा इतना सब लेकर कैसे जाऊंगा !!"

मम्मी ध्रुव को प्यार से डपटते हुए बोली, " कुछ भी कर कैसे भी कर मुझे नही पता !! ये सब तुझे लेकर जाना है बस !! कितना दुबला हो गया है तू... देखा भी है खुद को ध्यान से..?? पिछली बात कितना हष्ट पुष्ट था ! और इस बार तो सुख कर तीली हो गया !!"

ध्रुव, " हर माँ को अपना गोलमटोल बच्चा भी सूखा कांटा ही नज़र आता है !! और आप कितना ही रख दो... मेरे दोस्त जब इतना कुछ देखेंगे ना... तो ऐसे टूटेंगे इसपर जैसे जन्मों के भूखें हो !!"

"हाँ तो खिला देना उनको भी !! इतना सारा तो रखा है !! और सच कहूं तो इतना ज्यादा उन्ही की वजह से रखा है मैंने ! मुझे तो ये ही समझ नही आता, तेरे पापा ने तुझे कोचिंग के लिए जबलपुर ही क्यों भेजा...?? यहीं रहकर भी तो तू पढ़ सकता था ना...!!!" मम्मी एक एक सामान को देखते हुये बोली ! ताकि कुछ सामान रह ना जाये !!!
मम्मी की बात सुनकर ध्रुव के भी कान खड़े हो गए !! वो भी सोचने लगा कि, मम्मी सही तो कह रही हैं... जबलपुर ही क्यों भेजा मुझे !!" लेकिन फिर ये सोचकर सिर झटक दिया कि जाने से पहले एक बार और पापा से पूछकर देखेगा !! शायद पापा और कुछ भी बता दें।
पूरी खरीदारी के बाद ध्रुव और मम्मी वापस घर लौटे !!
घर का लॉक खुला देख मम्मी के कदम वहीं ठिठक गए ! वे हैरानी से बोली, " मैंने तो लॉक लगाया था ! लॉक खुला कैसे..?? कहीं चोंर तो......."

मम्मी और ध्रुव घर में भागे !! ध्रुव का ध्यान बाहर रखे पापा के जूतों पर गया ! उसने मम्मी से कहा, " शायद पापा आ गए हैं !! उन्होंने ही लॉक खोला है !!"

मम्मी ने राहत की सांस ली ! मगर पापा इतनी जल्दी आ गए ये सोचकर भी उन्हें आश्चर्य हुआ !! दोनो घर के अंदर आये ! मम्मी और ध्रुव ने सारा सामान रखा और मम्मी किचन में पानी लेने चली गयी। ध्रुव ने पापा के रूम का गेट नॉक किया !! मगर कोई रिस्पॉन्स नही मिला !! ध्रुव ने आवाज़ भी लगाई और ज़ोर से दरवाजा भी खटखटाया मगर कोई प्रतिक्रिया मिलते ना देख ध्रुव का माथा ठनका !!
उसने फौरन खिड़की पर जाकर देखा ! खिड़कियां भी अंदर से बन्द थी !! इतनी देर में तो मम्मी की हालत खराब होने लग गयी थी !! हाथ पैर ठंडे पड़ गए उनके।
ध्रुव मम्मी से बोला, " मम्मी, प्लीज़ परेशान मत हो !! मैं आपको संभालूं या फिर पापा को देखूं !! प्लीज़ आप शांत रहो !!"

ध्रुव ने मम्मी को तो दिलासा दे दिया ! मगर उसका दिल बैठा जा रहा था किसी अनहोनी की आंशका से !! जब बहुत देर हो गयी और दरवाजा नही खुला तो ध्रुव की हिम्मत जवाब दे गई ! इतनी देर में आसपास के लोग भी इकठ्ठे हो चुके थे !! सभी लोग तरह तरह की बातें करने लगे !! ध्रुव को उनपर भी गुस्सा आने लगा !! लोगो ने मिलकर दरवाजा तोड़ने का निर्णय लिया।
जैसे ही दरवाजा तोड़ा, अंदर का नज़ारा देख दिल दहल उठा सबका !! मम्मी एक चीख के साथ बेहोंश हो गयी और ध्रुव वही दरवाज़े की चौखट से टिक गया !! जैसे शरीर में जान ही नही हो उसके !! उसकी नज़रें अपने पापा पर ही ठहरी हुई थी जो फांसी पर झूल रहे थे !!
पूरे शहर में आग की तरह खबर फैल गयी। कब हुआ..??क्यों हुआ..??कैसे हुआ..? कितने ही सवाल रह गए पीछे !!
थोड़ी ही देर में पुलिस भी आ गयी। मम्मी को होंश तो आ गया, मगर चेतना नही लौटी। वे सुधबुध खोकर एकदम बुत बने बैठी थी। विश्वास ही नही हो रहा था आखिर ये कदम क्यों उठाया गया !!!

पुलिस में शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और ध्रुव और उसके घरवालो के अलावा मोहल्ले पड़ोस के लोगो से भी पूछताछ करने लगे !! मम्मी, गुड़िया और ध्रुव तीनो की हालत कुछ भी कहने सुनने की नही थी। पुलिस ने उनसे बयान लिया और चली गयी।
अचानक से ध्रुव के पिता को ये कदम उठाने की क्या जरूरत पड़ गयी, सबके बीच यही चर्चा का विषय बना रहा !!
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी कुछ नही आया ! पुलिस ने दो तीन बार पूछताछ की, घर की छानबीन की फिर केस क्लोज कर दिया।

ध्रुव को पुलिस का ये रवैया कुछ समझ नही आया !! आखिर इतनी आसानी से केस क्लोज कैसे कर सकते है !! उसने एक दिन पुलिस वालो से बात भी की तो उन्होंने जवाब दिया, " देखिए... एक तो आपके पिता मानसिक तनाव से ग्रस्त थे कई दिनों से !! उनके स्टाफ वालो ने भी यही कहा कि वे ना जाने किस दुनिया मे खोए रहते..कोई भी काम ढंग से नही करते थे !! काम मे लापरवाही के अलावा, उनपर रिश्वत लेने का भी आरोप था !! हो सकता है इसलिए ही उन्होंने आत्महत्या कर ली हो !!"

ध्रुव ने बहुत बहस की पुलिसवालों से। लेकिन उन्होंने ध्रुव को ही धमका दिया कि वे लोग फर्जी केस बनाकर उसे ही फंसा देंगे अगर ज्यादा बहस की तो !!
ध्रुव वापस घर लौट आया ! सारा कार्यक्रम निपट चुके थे !! मम्मी की हालत देखी नही जा रही थी उससे ! उसपर गुड़िया का भी रो रोकर बुरा हाल था ! वो पापा की मौत का कारण जाने या घरवालो को संभाले, इसी में उलझ रहा था। पिता का साया तो सिर से उठ चुका था। माँ को नही खोना चाहता था इसलिए उसने मम्मी को सम्भालना ज्यादा जरूरी समझा !!
ध्रुव का दिल और दिमाग ये बात मानने को तैयार ही नही हो रहे थे कि रिश्वत जैसे आरोप की वजह से पापा आत्महत्या कर सकते हैं !! हो ना हो बात कोई और थी। या शायद ऐसा कदम उठाने के लिए उन्हें उकसाया गया था !!
एक ओर पापा की आत्महत्या , दूसरी और पुलिसवालों का रवैया दोनो ने ही ध्रुव के दिमाग के तार हिला दिए थे। ध्रुव अपनी समझ से इतना तो समझ पा रहा था कि पुलिसवालों ने इतनी जल्दी और आसानी से केस बन्द किया है इसका मतलब... उन्हें ये करने के लिए कहा गया है !!







"ध्रुव को अबतक लौट आना चाहिए था ना मीतू,....!! फिर क्यों नही आया...?? कहीं उसकी तबियत तो खराब नही हो गयी...??" कमरे में इधर उधर चक्कर लगाते हुए धारा में मिताली से पूछा। जिसपर मुस्कुराते हुए मिताली ने जवाब दिया कि, " अगर इतनी ही चिंता हो रही है तो कॉल कर के पूछ लें ना !! सारी टेंशन खत्म हो जाएगी !! तेरे यहां वहां चक्कर लगाने से उसे पता तो चल नही जाएगा कि उसकी याद में कोई बिल्कुल बोरा रहा है !!"

धारा ने मिताली को आंखे दिखाई, और मिताली उसे छेड़ते हुए बोली, " तू मान या मत मान.... मगर तेरा काम तमाम हो चुका है धारा !!"

"तू ना, दिमाग खराब मत कर समझी !! वो सिर्फ दोस्त हैं मेरा !!" धारा ने मिताली को तकिया मारते हुए कहा।

मिताली प्यार से धारा को समझाते हुए बोली, " चल ठीक है मान लेती हूँ तेरी बात ! तुम लोग सिर्फ दोस्त हो ! या यूं कहूँ के बहुत अच्छे दोस्त !! पर धारा, ये क्या ज़िद है कि वो कॉल नही करेगा तो तुम भी नही करोगी..?? हो सकता हो वो किसी परेशानी में हो और तुम परेशान ना हो जाओ, ये सोचकर तुम्हे बता नही रह हो...!! तुम उसको समझने की कोशिश करो धारा !! अपना ईगो साइड में रख एक बार कॉल तो करो उसे !!"
धारा को मिताली की बात जँच गयी। एक बार ट्राय करने में प्रॉब्लम भी क्या है, सोचकर उसने कॉल कर दिया ध्रुव को।
ध्रुव ने पहले तो फ़ोन नही उठाया ! मगर उसे लगा धारा शायद किसी प्रॉब्लम मेंतो नही...?? ये सोचकर उसने फ़ोन उठाया।

"हेलो ध्रुव... कब से कॉल कर रही हूँ तुम्हे ! फ़ोन क्यों नही उठा रहे मेरा..?? तुम ठीक तो हो न ?? आंटी तो ठीक है ना...?? वापस क्यों नही आये अब तक ? मुझे चिंता हो रही थी, पता नही क्या बात हो गयी जो तुम अबतक लौट कर नही आये और ना ही कॉल किया या किसी कॉल का आंसर दिया !!!" धारा एक ही सांस में सब बोल गयी। ध्रुव ने भी उसे बीच मे नही टोका और मिताली भी मुंह खोले उसे ही देखने लगी।
मिताली को अपनी ओर ऐसे देखते देख, धारा ने उसे हाथ पकड़कर रूम से बाहर निकाल दिया और दरवाजा बंद कर के पलंग पर बैठते हुए ध्रुव के जवाब का इंतज़ार करने लगी। ध्रुव ने बस "हूं" कहा और खामोश हो गया।

धारा को कुछ आशंका सी हुई। उसने पूछा, " ध्रुव.... तुम ठीक तो हो ना ! घर पर सब ठीक है ना ?"

ध्रुव की आवाज़ भारी हो गयी !! जैसे तैसे उसके मुंह से निकला, " धारा.... धारा वो..." बोलकर ध्रुव की आंखों से आंसू बहने लगे। ध्रुव को रोता हुआ जानकर धारा को लगा शायद उसकी मम्मी......! क्योंकि ध्रुव यही तो बोलकर गया था कि मम्मी की तबियत ठीक नही है !!!
धारा दबी सी आवाज़ में बोली, " आंटी...??"

ध्रुव रोते हुए, "पापा.... छोड़कर चले गए धारा !! हमेशा के लिए !!"

धारा शॉक्ड रह गयी सुनकर। झटके से उठते हुए उसने कहा, " व्हाट...?? अंकल ..? कब कैसे...?? तुमने बताया क्यों नही ..?" धारा को ध्रुव की चिंता होने लगी।

ध्रुव खुद को संभालते हुए, " पंद्रह दिन हो गए ! पता नही कैसे क्या हुआ...? एक झटके में ही ज़िन्दगी बदल गयी धारा ! सबकुछ बदल गया !! अब मैं वापस नही आऊंगा लौटकर वहां !!यहीं रहूंगा मम्मी और बहन के पास ! उन्हें जरूरत है मेरी !!"

धारा को समझ नही आ रहा था ध्रुव से क्या कहे..? कैसे उसे तसल्ली दे ! कभी ऐसा मौका आया ही नही ! पर ध्रुव की अंतिम पंक्ति ने जरूर उसके दिल मे हलचल मचा दी थी। जब उसने कभी न लौटकर आने वाली बात कही ! ध्रुव को ढांढस बंधा कर धारा ने उसे अपना और मम्मी का ध्यान रखने का कहकर फ़ोन रखा ! और सिर पकड़कर बैठ गयी। मिताली दरवाजा पीट रही थी। धारा ने गेट खोला।
मिताली गुस्से में बड़बड़ाती रही मगर धारा ने उसकी एक बात तक नही सुनी।
अचानक से धारा को यूं अनमना सा देख मिताली ने पूछा ," ओए क्या हुआ..?? अचानक से बारह क्यों बज गए चेहरे के..? क्या कहा ध्रुव ने।"

धारा खुद में खोई हुई सी बोली , " ध्रुव के पापा नही रहे यार !!"
मिताली को भी जैसे सदमा लगा सुनकर। उसने भी कब, कैसे...क्या हुआ जैसे सवाल किए, जिसका कोई जवाब धारा ने उसे नही दिया।
धारा तो बस ध्रुव के बारे में सोचकर ही परेशान हुए जा रही थी कि वो कैसे खुदको और घरवालो को संभाल रहा होगा ?? पता नही उसके साथ कोई होगा भी या नही..?? ध्रुव घरवालो को तो सम्भाल रहा होगा, मगर उसे कौन सम्भाल रहा होगा ??" ध्रुव की चिंता में धारा बिल्कुल घुले जा रही थी। मिताली ने उसे सलाह दी , " तू चली क्यों नही जाती उससे मिलने...?मैं भी चलती हूँ साथ मे ? उसे भी अच्छा लगेगा ! आखिर दोस्त हैं हम उसके !!"

धारा को मिताली की सलाह एकदम सही लगी। दोनो ने अगले दिन ध्रुव के घर जाने का मन बनाया और तीन दिन की छुट्टी का आवेदन देकर सामान पैक करने लगी।


धारा और मिताली तय समय पर स्टेशन पहुंचकर टिकट लिया और ट्रेन में बैठ गयी !! निकलने से पहले धारा ने ध्रुव को कॉल कर अपने आने की सूचना दे दी थी! इसलिए जब दोनो रतलाम पहुंची ध्रुव उन्हें लेने आ गया था !!धारा ने जब ध्रुव की हालत देखी तो रोना आ गया ! खुदको संभालकर उसने ध्रुव से पूछा , " कैसे हो...??"

ध्रुव ने सिर्फ सिर हिलाकर आंखों से ही ठीक हूँ का इशारा किया ! दोनो को घर लाने के बाद धारा ने ध्रुव की मम्मी और बहन से मुलाकात की !! धारा को लगा था ध्रुव के घर रिश्तेदारों के जमावड़ा होगा !! मगर किसी को भी वहां ना देख उसे बड़ी हैरत हुई ।। ध्रुव की मम्मी ने बताया कि दो तीन दिन तक सब वही रुके उसके बाद चले गए !! आखिर सुसाइड केस था ! कोई पुलिस के पछड़े में नही पड़ना चाहता !! ध्रुव की मम्मी से ही धारा को पता चला कि ध्रुव के पिता की डेथ नेचुरल नही बल्कि सुसाइड थी।

"तुम्हे क्या लगता है ध्रुव..? अंकल ने ये कदम क्यों उठाया ??' धारा ने ध्रुवसे पूछा।

ध्रुव, " पता नही ! पर किसी के दवाब में आर ही उन्होंने ऐसा किया है !!"

धारा, " तुम पुलिस से क्यों नही सम्पर्क करते ? शायद वो हेल्प करे। और ये तो सुसाइड है ना।... तो पुलिस की छानबीन होना तो बनती है !!"

ध्रुव, " वही तो समझ नही पा रहा हूँ मैं !! जब ये सुसाइड केस है तो पुलिस कोई जांच क्यों नही कर रही है !! दस दिन में ही केस बन्द कर दिया !जब मैं उनके पास पहुंचा तो उन्होंने कहा कि हम अपने स्तर से जांच कर रहव हैं ! आप मत सिखाइये हमे हमारा काम ! हमने उनके आफिस में भी पता किया है... उनका व्यवहार नार्मल था सबसे !!बस किसी से उन्होंने रिश्वत ली थी अपना काम करवाने के लिए !! और जिससे रिश्वत ली उसका काम नही होने से उस व्यक्ति ने भी सुसाइड कर लिया और नाम पापा का आ गया !! जिस वजह से पापा ने भी सुसाइड कर लिया ताकि बदनामी ना हो ....!!! पता नही धारा, मगर मुझे तो कुछ गड़बड़ लग रही है !! सब लोग मिले हुए हैं !! सब लोग !! पुलिस, पत्रकार, पापा के ऑफिस वाले... सब लोगो की मिलीभगत है इसमें !! मैंने पापा से हर तरह से जानने की कोशिश करी, मगर पापा ने मुझे कुछ भी अच्छे से नही बताया !!"

ध्रुव अपने मन की बात धारा से कहकर खुद को काफी हल्का महसूस कर रहा था !! उसके और पापा के बीच जो कुछ भी बात हुई थी, इतने दिनों तक घर मे जो टेंशन मची हुई थी, वो सब ध्रुव ने धारा के साथ शेयर की !!
धारा भी कहीं न कहीं खुद को खुश महसूस कर रही थी। क्योंकि ध्रुव में उसे कई बार सहारा दिया था ! आज उसे मौका मिला था ध्रुव का दुख बांटने का ! जिससे वो भी अपनी दोस्ती निभा सके । ध्रुव और धारा छत पर बैठकर बातें कर रहे थे !! ध्रुव की बहन ने आकर उनसे नीचे चलकर खाना खाने को कहा।




दो दिनों में धारा और मिताली ने ध्रुव की मम्मी और बहन को काफी सम्बल दिया !! अच्छा लगा धारा को ध्रुव की मम्मी से मिलकर !! और उससे ज्यादा अच्छा लगा ध्रुव को, जो धारा उसका दुख बांटने के लिए आई। धारा की इच्छा दो दिन और रुकने की थी। मगर उसे समझ नही आया, ध्रुव से क्या कहकर रुके !! वो ध्रुव को वापस आकर पढ़ाई जारी रखने के लिए मनाना चाहती थी ! बहुत देर तक जब उसे कोई रास्ता नज़र नही आया तो उसने ध्रुव से डायरेक्ट बात करने की सोची।

धारा ध्रुव के पास पहुंची और पीछे से मिताली उसका मोबाइल लेकर उसके पास पहुंच गई !!! चिरपरिचित नंबर धारा हैरान हुई !! उसके अंकल का कॉल था ! बिना देर किए उसने फ़ोन उठाया !! " हेलो अंकल "
फ़ोन पर किसी ने धारा से कुछ कहा और उसके हाथ से फ़ोन छूट कर गिर गया और वो धड़ाम से ज़मीन पर बैठ गयी !!

ध्रुव और मिताली भागकर उसके पास पहुंचे !!
ध्रुव ने घबराकर पूछा, " धारा क्या हुआ ?? किसका कॉल था ??"

धारा की आंखों में आंसू बहने लगे। धारा भरभराती आवाज़ में सिर्फ इतना ही बोल पाई, " मेरे अंकल को मार दिया किसी ने !!"





धारा बदहवास सी हो गयी। बस जल्द से जल्द उसे लखनऊ पहुंचना था ! रोना चाहती थी वो चीख चीख के.... आखिर आज जिस इंसान की वजह से वो सुरक्षित है, डॉक्टर बनने वाली है उसे किसी ने छीन लिया उससे !!
ध्रुव धारा को संभालते हुए बोला, " धारा सम्भालो, अपने आप को !!"

"ध्रुव.. मुझे, मुझे अभी जाना है अंकल के घर !! मुझे ले चलो ना... प्लीज़ !! प्लीज़ ध्रुव !" धारा ने रोते हुए ध्रुव से रिक्वेस्ट की।

ध्रुव, " हाँ, मैं छोड़ आऊंगा तुम्हे अंकल के घर !! तुम सम्भालो खुद को !! मैं अभी टिकट बुक करवाता हूँ, लखनऊ के लिए। पर तुम प्लीज़ सम्भालो अपने आप को।
धारा को दिलासा देकर ध्रुव ने तत्काल में टिकट बुक करवाई और धारा को लेकर स्टेशन पहुंचा !! वो खुद जा रहा था धारा के साथ !! मिताली ने ध्रुव के घर रुककर उसकी मम्मी और बहन के पास रुकने का निर्णय लिया था !!
ट्रैन आने में दस पंद्रह मिनट शेष थे ! जल्दबाजी में पानी लाना भूल गए थे!! ध्रुव वही दुकान दे पानी की बोतल लेने गया ! जब वो वापस आया, तब धारा सिर पकड़े बैठी थी। ध्रुव ने पूछा, " क्या हुआ..?? ठीक तो हो ??"

"हूँ" धारा ने एकदम बुझे स्वर में कहा। ध्रुव उसकी मानसिक हालत समझ रहा था। धारा कितनी अटैच थी अपने अंकल से। आखिर आज धारा उन्ही की वजह से ही सही सलामत खड़ी थी। ट्रैन आने का अनोउंसमेन्ट हो गया !! ध्रुव ने बैग कन्धे पर डाला और धारा को हाथ पकड़कर उठाया !! ध्रुव जैसे ही आगे बढ़ा, धारा वहीं चक्कर खाकर गिर गयी।

"धारा.. धारा क्या हुआ? उठो !!" धारा के गाल थपथपाते हुए ध्रुव ने कहा। आसपास मौजूद लोग भी वहां धारा और ध्रुव को घेर कर खड़े हो गए। अब अपनी अपनी राय बताने में लगे हुए थे। ध्रुव में जो पानी की बोतल लाया था, उसमे से पानी लेकर धारा के मुंह पर छींटे मारे ! मगर धारा को होंश नही आया !! ध्रुव उसे लेकर हॉस्पिटल पहुंचा। डॉक्टर ने चेक कर बताया, " बीपी लॉ होने की वजह से चक्कर आये हैं !! तनाव बहुत ज्यादा है इन्हें !! शांत एयर स्वस्थ माहौल दे इन्हें !!!"

धारा को होंश आने पर उसने फिर से लखनउ जाने की ज़िद की। मगर ध्रुव उनकी एक नया सुनते हुए उसे घर ले आया !! उसकी हालत नही थी सफर करने की। जब धारा ठीक हुई, तब तक उसके अंकल का अंतिम संस्कार किया जा चुका था ! इस बीच, पुलिस ने ध्रुव के पापा के केस की वजह से ध्रुव और उसके घरवालो को शहर से बाहर जाने से मना कर दिया था !! मिताली के भी होस्टल से कहीं जाने के कारण उसके घरवालो ने उसे घर बुलाया।
ध्रुव ने भारी मन से धारा को अकेले ही लखनऊ भेजा !! लखनऊ में अपने अंकल के घर पहुंचकर धारा ने अपने सकुशल पहुंचने की सूचना ध्रुव को दो। ध्रुव ने राहत की सांस ली।


धारा कितने समय बाद गई थी वहां। सबकुछ बदल चुका था तबतक !! कितने लंबे अंतराल के बाद वो सबसे मिल रही थी वहां। आखिरी बार देव के जन्मदिन पर अंकल आंटी ने उसे बुलाया था !! उसे वही से पता चला कि देव भी हैदराबाद में था !! उसे भी अपने पापा के मर्डर के बारे में पता नही था !!
पिछली बार जब धारा देव के जन्मदिन पर आई थी, तब देव ने उससे दोस्ती की थी। पर अभी वो ऐसे व्यवहार कर रहा था, जैसे धारा को जानता ही न हो। धारा ने भी माइंड नही किया। उसे लगा, शायद पिता के मौत का सदमा लगा है।

धारा अपनी आंटी के पास पहुंची। वे किसी गहरे सदमे में थी। ना किसी से बोलना, ना ही खाना पीना !! सब बन्द कर चुकी थी वे !! बस एक ही बात कहती रहती, " क्या बिगाड़ा था हमने किसी का...? क्यों भगवान ने ये सज़ा दी ?? उनहोने तो कभी किसी का बुरा चाहा ही नही... फिर कोई कैसे उनकी जान ले सकता है ??"
अपनी माँ समान आंटी को रोते देख, धारा का जी भर आया !! हाल ही के दिनों के ईश्वर ने दोहरे झटके दिए थे उसे। पहले ध्रुव के पापा की आत्महत्या और फिर देव के पापा का मर्डर !!जिसने धारा को अंदर तक हिला के रख दिया।
दोनो माओं की हालत देखी नही जा रही थी उससे !! दोनो मृत्यु अप्राकृतिक थी। पर होनी को कौन टाल सकता है..??

धारा में देव की मम्मी का बहुत ध्यान रखा !! उन्हें एकपल के लिए भी अकेला नही छोड़ा ! समय से उन्हें खाना खिलाना, दवाई देना !! सबकुछ बहुत अच्छे से सम्भाल लिया उसने !!
देव भी उसके इस काम से बहुत प्रभावित हुआ। लेकिन उसने धारा से ज्यादा बातें नही की।
एक रात जब धारा लेटी हुई थी तब देव की माँ ने उसे बताया कि, " देव के पापा, किसी केस के सिलसिले में बहुत परेशान थे !! कई दिनों से वो घर भी देररात को लौटते। मैं पूछती तो कहते, " बस ये केस खत्म कर दूं, दिल से बहुत बड़ा बोझ हट जाएगा !! लाखो बच्चो के भविष्य का सवाल है !!" बस इसी केस की पड़ताल के चक्कर मे किसी मंत्री तक पहुंच गए थे !! मंत्री जी के कहने पर ही देव के पापा को मारा है उन लोगो ने !!"

धारा इतने दिनों से इतने मानसिक तनाव में थी कि कुछ भी सोचने समझने की शक्ति शेष ही नही रही उसमे। पढ़ाई का नुकसान हो रहा था सो अलग !! पढ़ाई, कॉलेज याद आते ही उसे प्रोफेसर श्रीवास्तव याद आने लगते और उसकी घबराहट बढ़ जाती !! ज्यादा दिन की अनुपस्थिति होने पर कॉलेज और होस्टल से धारा को जल्द वापस आकर उपस्थिति दर्ज कराने का आदेश निकाला गया।
मजबूरी थी, इसलिए देव और उसकी मम्मी ने उसे रोका भी नही !! धारा कुछ दिन वहां रुककर वापस लौट गयी। उसे अपनर अंकल की मौत का गहरा दुख था ! और आंटी व देव को ऐसे हाल में अकेले छोड़ने पर बुरा भी लगा । किंतु वापस ध्रुव से मिलने की भी क़लग ही खुशी थी। लखनऊ में भी धारा ने ध्रुव को बहुत मनाया, जबलपुर लौटकर अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए। बहुत दिनों बाद ध्रुव को देखने की, उससे मिलने की अलग ही खुशी और उत्साह था धारा को !!

धारा होस्टल पहुंची, तो देखा, मिताली अपना सामान पैक कर रही थी। धारा को आश्चर्य हुआ, उसने मिताली को रोकते हुए पूछा , " तू कहाँ जा रही है, बोरिया बिस्तर बांध के...??"

मिताली की आंखे नम हो गई। उसने धारा को गले लगाते हुए कहा, " पापा ने घर बुलाया है !! कॉलेज में बात हो गयी है !! अब मैं घर से ही एग्जाम दूंगी !! यहां नही रुक सकती !!"

धारा को झटका लगा तगड़ा वाला !! मिताली चली जायेगी तो उसका क्या होगा ?? सोचकर ही सिर चकरा गया उसका !!

"लेकिन क्यों..?? यहां क्या प्रॉब्लम है उन्हें ? अचनाल से ये फैसला क्यों..? तू वहां से डेली अपडाउन करेगी तो ज्यादा दिक्कत होगी ना !!! मत जा यार!! मैं कैसे रहूंगी तेरे बिना..?? " धारा भी भावुक होते हुए बोली।

मिताली, "नही जानती यार !! पापा ने कल सीधे आदेश सुनाया, वापस आ जाने का ! उन्होंने होस्टल में, कॉलेज में भी बात कर ली है !! पापा अभी आ जाएंगे थोड़ी देर में !!"

धारा, "अभी आ जाएंगे मतलब..?? तू आज के आज ही जा रही है..?? तूने फोन पर भी मुझे बताना जरूरी नही समझा ना..?? कैसे रह पाऊंगी मैं ? सोचा तूने ??"

मिताली के दिमाग मे अलग ही बात चल रही थी। उसका जाना कोई बेवजह का नही था !! बल्कि प्रोफेसर श्रीवास्तव का दवाब था मिताली के घरवालो पर ! प्रोफेसर की हरकतों से मिताली के घरवाले वाकिफ थे इसलिए कोई रिस्क नही लेना चाहते थे !! आखिरकार मिताली के पापा उसे लेने आ गए। धारा जे भारी मन से मिताली को विदा किया और रूम में आकर फुट फुट कर रोने लगी।
"क्यों भगवान.? मेरे साथ ही ऐसा क्यों करते हो आप? जब दूर ही करना होता है तो भेजते ही क्यों हो किसी को भी मेरी ज़िंदगी में..?? सब के साथ थोड़ा समय देकर उन्हें मुझसे अलग कर देते हो...??" धारा बेड पर पड़े पड़े ही भगवान की तस्वीर को देखते हुए बोली।
धारा रोते हुए ही सो गई। जब जागी तब मन थोड़ा हल्का लग रहा था उसका !! उठकर हाथ मुंह धोया, और ध्रुव को कॉल किया जानने के लिए की वो कब वापस लौट रहा है !!
ध्रुव ने अपनी परेशानी से धारा को अवगत कराते हुए कहा, " धारा, मैं अगर वापस आ गया तो खर्चा डबल हो जाएगा!! वैसे ही इनकम नही है अभी !! पापा की जॉब मम्मी को मिलने में समय लगेगा, कानूनी प्रक्रिया है !! लंबी चलेगी !! गुड़िया को भी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन दिलवाना है !! तुम समझ सकती हो न !!!"

धारा को उम्मीद थी, मिताली के जाने के बाद ध्रुव तो उसके पास रहेगा !! पर ध्रुव ने भी अपनी असमर्थता जता दी थी। धारा भी समझ रही थी, इसलिए उसने भी ज़िद नही की !!
मिताली के इआते ही पूरा होस्टल उसे किसी भूतिया हवेली से कम नही लग रहा था !! उसपर भी रूम तो जैसे खाने दौड़ रहा हो !! धारा का रूम में अकेले रहना मुश्किल हो रहा था !!
रातभर करवटें ही बदलती रही, नींद आसपास भी नही फटकी आंखों के।
अगले दिन तैयार होकर कॉलेज पहुंची !! पता चला प्रैक्टिकल होने हैं !! सिर पीट लिया धारा ने अपना, "बहुत नुकसान हो चुका पढ़ाई का !! एड़ी चोटी का दम लगाकर पढ़ाई करना होगा अब तो !!!"

धारा सीधे प्रैक्टिकल रूम में पहुंची !! रूम में घुसते से ही प्रोफेसर श्रीवास्तव से ही टकराना हुआ उसका !!गुस्से से दांत पीसते हुए मन मे बड़बड़ाई, " दिन ही खराब चल रहे हैं आजकल !! जब जहां देखो वहां मनहूसियत !!"

"क्या बात है धारा... कहां गायब थी इतने दिनों से..?? पढ़ाई से मन उठ गया... या मन को कोई और भा गया ??" प्रोफेसर ने धारा को ऊपर से नीचे देखते हुए कहा।
धारा को प्रोफेसर की चुभती नज़रें बर्दाश्त नही हो रही थी ! उसने प्रोफेसर को नज़रंदाज़ कर रूम में कदम रखा !!
जैसे ही धारा रूम में आई, वहां कोई नज़र नही आया !! धारा पैर पटकते हुए वापस जाने के लिए मुड़ी, मगर प्रोफेसर ने उसका हाथ पकड़ लिया !! धारा जैसे ही चीखने को हुई, प्रोफेसर ने उसके मुंह पर अपना हाथ रखते हुए कहा, " कोई नही सुनने वाला यहां तुम्हारी आवाज़...!!! क्यों कि सब लोग जा चुके हैं !!"
फिर कुछ सोचकर प्रोफेसर ने धारा के मुंह पर से अपना हाथ हटाया और तेज़ कदमो से बाहर निकल गए। प्रोफेसर के जाते ही धारा वॉशरूम भागी और बार बार अपने चेहरे पर पानी डालने लगी ।। एक लड़की ने आकर कहा, "अरे धारा... यहां क्या कर रही हो..??"

"वॉशरूम में कोई क्या करने आता है..??" धारा ने बेरुखी से जवाब दिया।

"हाँ वो तो पता है क्या करने आते हैं !! जब प्रैक्टिकल क्लास शिफ्ट कर दी गयी हो उसके बाद यहां आकर तो एक ही काम होता है... प्रोफेसर को जाते हुए देखा मैंने...!!" उस लड़की का ये टोंट धारा को कान मे पिघले शीशे के समान चुभा।

इसे पहले की धारा उसे जवाब देती, वो लड़की वहां से जा चुकी थी !! धारा हैरानी में थी। कॉलेज की कई सारी क्लासेज को शिफ्ट कर दिया गया था !! लेकिन इसकी कोई सूचना धारा के पास नही होने से वो पुराने जानकारी से ही क्लास में पहुंच गई।
क्लास खत्म होने के बाद, जो भी सूचनाएं चस्पा की गई थी नोटस बोर्ड पर उन्हें पढ़ने के बाद धारा होस्टल पहुंच गई। होस्टल पहुंचकर पता चला एक नई लड़की आ गयी है उसकी रूम में !! बीच सत्र से किसी को होस्टलके रखना धारा की समझ से बाहर था ! पर पैसे हो तो कुछ भी हो सकता है, ये बात धारा भी अच्छे से जानती थी !! नई आई लड़की बहुत ही अजीबोगरीब थी !! दो तीन दिन तो धारा उससे ऐसे भागती रही, जैसे तांत्रिक से प्रेत भागते हैं। लेकिन कब तक भागेगी..?? रहना तो उसके साथ ही है.... मन मारकर धारा ने खुद को समझा लिया !!
कुछ दिनों में आदत भी हो गयी। एक दिन वो लड़की कहीं गयी हुई थी !! जब वापस लौटी तो शराब की गन्ध आ रही थी उसके पास से !! धारा रूम से ही उसे देख रही थी, चिढ़ आ गयी धारा को १! उस लड़की से ठीक से चलते भी नही बन पा रहा था !! जैसे ही अंदर रूम में आई, लड़खड़ाते हुए टेबल से जा टकराई और उसके बैग का सारा सामान यहां वहां फैल गया !! कुछ चीज़ें धारा के पैरों में जाकर गिरी।
धारा ने जब उन सामानों को देखा, " छि... ये यहां करने क्या आई है..??" धारा ने नफरत भरी निगाहें उस लड़की पर डालते हुए मन मे कहा।

उस लड़की ने ज़मीन पर बिखरा सामान उठाया और लड़खड़ाती ज़ुबान में धारा से बोली, " वो क्या है ना, प्रोटेक्शन रखना जरूरी है !! कहीं गलती से प्रेग्नेंट हो गयी तो घरवालो को क्या मुंह दिखाउंगी...??" और सारा सामान समेटकर उस लड़की ने टेबल पर ही पटक दिया और पलंग पर फैल गई। धारा उससे टेबल पर पड़े सामान को अपने बैग में डाल लें, ऐसा कहना चाहती थी, पर लड़की बेहोंश हो चुकी थी तबतक !!
"मन तो कर रहा हक़ी इसे घसीटकर बाहर फेंक आऊं !!" धारा गुस्से में भर गई ! फिर उस लड़की की मिमिक्री करते हुए बोली, " घरवालो को क्या मुंह दिखाउंगी...??" हुह.. ऐसा काम ही क्यों करती है लड़कियां ये ही समझ नही आता मुझे तो!! माँ बाप भी भेज देते हैं और देखने तक नही आते की उनकी औलादें कर क्या रही है..? बस आंख मूंद कर विश्वास कर लेते हैं !! एक ये है जिसके पास माता पिता है रोकने टोकने के लिए, जिनकी इज्जत का इसे कोई खयाल ही नही और दूसरी मैं हूँ, मां बाप होते हुए भी अनाथ, फिर भी मजाल जो किसी को अपनी अस्मिता भंग करने दी हो...!!"

उस लड़की के आने से कुछ समय के लिए धारा का मन तनाव से मुक्त हो चुका था !! फिर रूम की हालत देख, धारा ने रूम को व्यवस्थित करना उचित समझा !! आखिर मन तो बहलाना था !! मिताली से ज्यादा उसे ध्रुव की याद सता रही थी !! चाहे वो दोस्ती नाम दे रही थी अपने और ध्रुव के रिश्ते को !! मगर धारा का दिल ये जान चुका था कि उसका दिल दोस्ती के रिश्ते से कहीं ज्यादा आगे बढ़ चुका है !! लेकिन ध्रुव के मन की बात नही जानती थी इसलिए खुद को ही रोक रही थी किसी गलत दिशा में जाने से। कहीं दोस्ती का रिश्ता भी खत्म ना हो जाये !! आखिर मिताली और ध्रुव ही तो थे उसकी लाइफ में, जो उसके बारे में सबकुछ जानते थे !!

रूम साफ करने के बाद धारा ने मोबाइल उठाया और मिताली को कॉल किया !! एक बार तो मिताली ने नही उठाया !! मगर थोड़े ही समय बाद उसने कॉल बैक किया !! धारा "हेलो" कहा तो मिताली एकदम दबी सी आवाज़ में बोली, " धारा.... तू जितनी जल्दी हो सके होस्टल छोड़ दे !! और कहीं दूसरी जगह किराये का रूम देखकर वही रहने लगे जा !!"

"लेकिन क्यों..?? क्या हुआ..??" धारा ने चौंकते हुए पूछा।

"देख, मुझे अभी पता चला.. जो लड़की तेरे रूम में आई है वो सही नही है !! तुझे पता है कितनी घटिया लड़की है वो..!! तू भी उसके चक्कर मे किसी मुसीबत में मत पड़ जाना !!" मिताली ने उस नई आई लड़की के चरित्र से धारा को अवगत कराते हुए सावधान रहने को कहा और बाद में बात करती हूँ कहकर फ़ोन रख दिया।

धारा ऊपर की ओर देखते हुए, "हे भगवान.... मैं ही क्यों..? आपकी सारी समस्याओं का निर्माण मेरे लिए ही किया जाता है क्या..??"
धारा ने अपना मोबाइल पलंग पर फेंका और खिड़की के पास जाकर बाहर देखने लगी !! बाहर उसने देखा, एक लड़का शायद किसी का इंतजार कर रहा था !! उसे ज्यादा इंतज़ार नही करना पड़ा !! एक लड़की भागते हुए उसके पास आई और उसके गालों पर किस करके शायद माफी मांग रही थी उससे !! चेहरे के एक्सप्रेशन देखकर धारा यही अंदाज़ा लगा रही थी। होंठों पर स्माइल किये धारा खुदको और ध्रुव को इमेजिन करने लगी उन दोनों की जगह !! अगर वो ध्रुव के सामने अपनी फीलिंग्स एक्सप्रेस करती है और ध्रुव के एक्सेप्ट करने के बाद धारा और वो दोनो ऐसे ही एक दूसरे का इंतज़ार करेंगे, बाइक से घूमने जाएंगे !! देरी होने पर ऐसे ही किस कर के मनाएंगे एक दूसरे को !!! पर थोड़ी ही देर में ये इमैजिनेशन का भूत उसके सिर से उतर गया और धारा गुस्से में गाली देते हुए बोली, " कुत्ता कहीं का...!!प्यार नही करता ठीक है! दोस्ती तो की है ना..!! एक फोन तक करना जरूरी नही समझा !! अरे परिवार की चिंता है ठीक है समझ आता है... लेकिन जब मैंने उसे अपने बारे में बताया हुआ है तो थोड़ी चिंता तो मेरे लिए भी करनी चाहिए ना उस दुष्ट को !! इतना हक़ तो बनता है ...!!!"


ध्रुव के घर पुलिस का आना जाना लगा हुआ था !! जबतब वे लोग ध्रुव और उसके घरवालो को कभी फाइल्स तो कभी कुछ और बात के लिए टॉर्चर करते रहते !! जीना दूभर हो चुका था उनका !! ध्रुव के पापा के एक सहकर्मी से ही ध्रुव को पता चला कि वे लोग किसी फ़ाइल की तलाश में हैं !! जिनका पूरा काला चिठ्ठा उसमे है !!! अगर वो फ़ाइल किसी के हाथ लग गयी तो बहुत से बड़े ओहदे वाले लोगो के नाम सामने आ जाएंगे !! ध्रुव इसलिए भी वापस जबलपुर नही आना चाहता था, कहीं वे लोग उसकी गैर मौजूदगी में कुछ गलत न कर दे उसकी बहन और मम्मी के साथ !! ये बात वो धारा से कहकर उसकी चिंता नही बढ़ाना चाहता था !!




धारा का फाइनल ईयर था और ट्रेनिंग !! दिल घबरा रहा था !! जैसे तैसे तीन साल निकल गए मगर ये आखिरी साल बहुत भारी निकला !! अब फाइनल एग्जाम का समय और प्रोफेसर की धमकी !! उसे फैल कर देने की!! धारा ने हर बार प्रोफेसर की धमकी का मुंह तोड़ जवाब दिया लेकिन अब तो उसकी हिम्मत टूटने लगी थी। कोई था ही नही उसकी हिम्मत बढ़ाने वाला !!
प्रैक्टिकल एग्जाम हो चुके थे ! अब बेसब्री से रिजल्ट का इंतज़ार कर रहे थे !!! सब पास हो गए सिवाय आठ लड़कियों के !! उन आठ लड़कियों में से धारा भी एक थी !! धारा को विश्वास ही नही हुआ कि वो फैल हो गयी !! सब एग्जाम तो अच्छे गए थे फिर फैल कैसे हो गयी..?? बाकी सब के भी यही हाल थे !! किसी को विश्वास नही हो रहा था !! धारा को समझ आ गया था कि ये सब प्रोफेसर ने जानबूझकर किया है !! ताकि धारा के पास उनकी बात मानने के सिवाय कोई ऑप्शन ना बचे !
उन्होंने मौका देखकर फिर से धारा के सामने अपना आफर रखा, " सोच लो धारा.... अगर फैल हो गयी तो अपने अंकल के आजतक तुम पर किये सारे एहसानों पर पानी फेर दोगी तुम..!! उन्होंने कितनी फीस भरी है तुम्हारी... लाखो रुपये ! तुम तो कभी सपने में भी नही सोच सकती थी डॉक्टर बनने के बारे में !!अरे डॉक्टर बनना तो दूर की बात है, तुम तो कभी स्कूल जाने तक के बारे में नही सोच सकती थी !!"

"मैं जाकर कंप्लेंट करूँगी आपकी !!!" धारा ने धमकी देते हुए कहा।

प्रोफेसर, " कहां जाओगी कंप्लेंट करने..?? कोई नही सुनेगा तुम्हारी ! तुमसे पहले भी कितनी लड़कियां ऐसे ही धमकी देकर घुटना टेक चुकी हैं मेरे सामने !!"

धारा, " लेकिन मैं उन कमज़ोर लड़कियों में से नही हूँ सर !! आजतक आपकी बात नही मानी तो अब कैसे मान लुंगी !! भूल ही जाइये आप !! अगर आपने मेरी आंसर शीट या मार्कशीट के साथ छेड़छाड़ की तो मैं पुलिस में जाऊंगी आपके खिलाफ !!"

प्रोफेसर, " कहीं भी चली जाओ, कोई नही सुनेगा तुम्हारी !! वैसे मेरे पास कुछ है तुम्हारे लिए !!"

धारा ने बिना आगे कुछ सुने बाहर जाना चाहा ! प्रोफेसर ने अपना मोबाइल निकालकर धारा के सामने कर दिया !! उसमे धारा की फ़ोटो थी, जिसे देखकर धारा की आंखे हैरानी से बड़ी हो गयी। चक्कर आ गए उसे ! दीवार के सहारे खुदको जैसे तैसे सम्भाला उसने !!
प्रोफेसर, " क्या हुआ धारा..? चौंक गई न अपना फ़ोटो देख के..!!"
धारा, " कोई इंसान इस हद तक कैसे गिर सकता है??"

" जैसा माहौल मिलता है, इंसान उसमे ढलना सीख ही जाता है !! अब तुम तो आती नही हो मेरे पास..!! इसलिए तुम्हारे ऐसे फ़ोटो से ही काम चला लेता हूँ !! अब भी अगर तुमने मेरी बात नही मानी तो... ये फोटो तो वाइरल होगा ही, तुम फैल भी हो जाओगी ! तुम्हारे अंकल की इतने सालों की मेहनत, तुम्हारी मेहनत सब बर्बाद नही करना चाहोगी तुम..!! कल रात को इस एड्रेस पर आ जाना !!" प्रोफेसर ने एक एड्रेस की स्लिप धारा को पकड़ाई और बाहर निकल गए !
धारा ने एकबार भी आंख उठाकर नही देखा ! धारा अब भी उलझन में थी कि प्रोफेसर के पास उसके ऐसे फ़ोटो पहुंचे कैसे..?? फ़ोटो एडिट किये हुए तो बिल्कुल नही थे ये बात धारा जानती थी !! तो फिर...?
"उस लड़की ने मेरे फोटोज क्लिक कर के उनका एमएमएस बनाया और प्रोफेसर की भेज दिया!! ईसलिये ही मिताली मुझसे होस्टल छोड़ने को कह रही थी ??" धारा सिर पकड़कर बैठ गयी ! आखिर उसने मिताली की बात क्यों नही मानी !! धारा जल्द से कॉलेज से बाहर निकली और टेलीफोन बूथ से मिताली को कॉल लगाया ! रिंग जा रही थी मगर कोई उठा नही रहा था ! मिताली के जाने के बाद उसने एक दो बार ही कॉल किया था धारा को! एग्जाम में भी उसके पापा साथ आते और उसे साथ ही ले जाते ! धारा तो बात तक नही कर पाई उससे ! मगर इतना समझ रही थी कि मिताली को धारा से मिलने से रोक जा रहा है !! इसलिए मिताली का फोन भी उससे ले लिए गया था और धारा जब किसी को कॉल करती तो उसका नंबर देखकर भी कोई फोन नही उठाता ! यही वजह थी जो धारा ने बूथ से कॉल करना ठीक समझा !!
दोबारा ट्राय करने पर भी कोई रिस्पॉन्स नही मिला ! धारा ने तक हारकर फ़ोन रख दिया ।


प्रोफेसर के बढ़ते दवाब को देखते हुए धारा ने सोच लिया था कि अब तो सबक सिखाना ही है ! इसलिए उसने उन बाकी की लड़कियों से मिलने का विचार किया जिन्हें प्रोफेसर ने फैल कर दिया था ! धारा को ये करना जरूरी लगा क्योंकि अभी प्रोफेसर को सबक नही सिखाया गया तो कल को वो ना जाने कितनी लड़कियों को अपना शिकार बनाएगा !!
धारा ने अपनी प्लानिंग उन लड़कियों को समझाकर उनका सहयोग मांगा ! लाखो रुपये खर्च किये थे उनके पैरेंट्स ने! अगर वे फैल हो गयी तो क्या करेंगी आगे !! और सारी लड़कियों प्रोफेसर की किसी न किसी हरकत से सताई हुई थी इसलिए सब तैयार हो गयी !!



जारी.............


(JP)