Dhara - 21 in Hindi Love Stories by Jyoti Prajapati books and stories PDF | धारा - 21

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धारा - 21

धारा अपनी ही गुत्थमगुत्था में लगी हुई थी कि उसे अपने पैरों पर किसी का स्पर्श महसूस हुआ ! देव बाम लगा रहा था उसके पैर में !!

धारा ने देव से पूछा , " जब तुम्हे सबकुछ पहले ही याद आ चुका था तो तुम आये क्यों नही वापस..?? आज ध्रुव तुमपर ऐसे सवाल खड़े नही करते और न ही आरोप लगाते !!"


देव , " धारा ... कुछ समय तो मुझे नार्मल होने में ही लग गया!! मैं चाहता था वापस आ जाऊँ यहां ! पर मैं ये भी जनता था कि एक बार जान बच चुकी है मेरी , हर बार भाग्य अच्छा नही हो सकता मेरा !! मुझे मारने वालो को ये अहसास भी दिलाना था की वे लोग अब सेफ हो चुके हैं !! उनकी टेंशन अब खत्म हो चुकी है !! ताकि वे लोग बेरोकटोक अपने काम कर सके और उनकी इसी लापरवाही का फायदा उठाकर मैं उनका भंडाफोड़ कर सकूं !! इसीलिए मैंने ये जाहिर नही होने दिया कि मेरी याददाश्त आ चुकी है !! और याददाश्त जाने का नाटक करता रहा !! यहां आकर भी मैं वैसा ही बना रहा ! ताकि सबको विश्वास हो सके कि मुझे सच में कुछ याद नही है !! "


"तो..तुम मुझे तो बता ही सकते थे ना ! या मुझपर भी विश्वास नही था तुम्हे...??" धारा ने अपनी नाराजगी व्यक्त की।

"धारा जब तुम हॉस्पिटल में मेरा हाथ थामकर मुझसे जो भी कहती थी ना... तब मैं सब सुनता था ! तुम्हारी दोस्ती, अपनत्व, केअर सब महसूस करता था। !! इसलिये तुम पर शक तो मैं किसी हाल में नही कर सकता !!
"मैंने कई बार सोचा तुम्हे सब सच बता दूं, पर जब भी मैं तुम्हे बताना चाहता, मेरा दिल मुझे अनुमति ही नही देता इसके लिए !! मुझे लगता था कि तुम दूर हो जाओगी मुझसे !!" देव की बातों ने फिर धारा को कशमकश में डाल दिया !


देव अपनी बात जारी रखते हुए, " मैं जानता था धारा, मुझे मारने वाले इतनी शांति से नही बैठेंगे ! वो लोग अब भी मेरी मौत पर विश्वास नही करेंगे और मुझे एक बार और ढूंढने की कोशिश जरूर करेंगे !! इसलिये मैं इतने दिनों तक तुम्हारे घर मे ही रहा ! बाहर तक नही निकला!! कोई काम भी होता तो तुम ही जाती थी !! मेरा बाहर निकलना सेफ नही होता थ !! या यूं कहूँ की मैं छुपकर रह रहा था तुम्हारे घर मे !!"


धारा, "ये तो मेरे सवाल का जवाब नही है देव....!! बात मुझपर विश्वास करने की है !!"


देव, " सच कहूं तो शुरुआत में विश्वास नही करता था तुम ओर !! फिर तुम्हे खो देने के डर से कुछ नही बताया !!"


धारा, "तो अब क्यों बता रहे हो ??"


देव, "तुम्हे और धोखे में नही रख सकता !!"

धारा, " धोखे में ?? मतलब ??"

देव, " मतलब ये की प्यार तो तुमसे बहुत करता हूँ मै और....

"देव प्लीज .....!!" धारा देव को बीच मे ही टोकते हुए बोली।

देव, " धारा प्लीज बोलने दो मुझे !! अपनी बात पूरी तो करने दो !!"

धारा, " हम्म.... ठीक है बोलो !!"

देव, " जब हम किसी से प्यार करते हैं ना धारा तो उसे खोने से डरते हैं ! अगर मैं तुम्हे शुरू में ही बता देता की मेरी और दिव्या की सगाई होने वाली थी तो शायद तुम दोस्ती में भी इतना आगे नही बढ़ती !! और अब इसलिए बता रहा हूँ क्योंकि मुझे लगता है कि कहीं न कहीं तुम भी मुझे पसन्द....


"देव प्लीज़ स्टॉप इट ! और ये बात अपने दिमाग से तो निकाल ही दो की मैं भी तुम्हे पसन्द करने लगी हूँ !! हां पसन्द करती हूँ मैं तुम्हे बट... एज़ ए फ्रेंड ओनली !!! इससे ज्यादा नही !!!" धारा देव को बीच मे रोककर थोड़ा चिल्लाते हुए बोली। जैसे ही धारा उठकर जाने लगी देव उसपर गुस्सा करते हुए बोला, " एज़ ए फ़्रेंड़ लाइक करना क्या होता है...?? तुम लड़कियों का ये समझ नही बस.... पसन्द करती हो बट एज़ ए फ्रेंड, प्यार करती हो, बट एज़ ए फ्रेंड ...! दिल की बातें शेयर करती हो, सामने वाले कि इतनी केअर करती हो, उसके लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाती हो ..... बट... एज़... ए... फ्रेंड !!! इतना सबकुछ कोई सिर्फ एज़ ए फ्रेंड नही करता !! तुम्हे क्यों समझ नही आता धारा....!!"


देव की बातें धारा को चुभ रही थी !! धारा खुद को कंट्रोल करने की कोशिश करते हुए देव से बोली, "क्योंकि मुझे समझना ही नही है कुछ !! क्या समझूँ मैं..?? मुझे तुमसे प्यार हो गया है ..ये या फिर तुम दोस्त दे बढ़कर हो मेरे लिए इसलिये मैं तुम्हारे साथ इतनी दूर यहां आ गयी हूँ बिना किसी की परवाह किये !! हां बोलो...क्या समझूँ मैं ??"


देव, "धारा पहले तुम शांत हो जाओ !!एकदम शांत दिमाग से सोचो... क्यों आई हो तुम मेरे साथ.... अकेली.... यहां इतनी दूर, एक अनजान शहर में !!! सिर्फ मेरे पैरेंट्स के उपकार को चुकाने के लिए...?? या उससे भी ज्यादा कुछ ??"


धारा देव की बातों से उसकी मनःस्थिति को समझने का प्रयास कर रही थी !! अब उसे लगने लगा था कि देव को अपने और ध्रुव के बारे में बता देना चाहिए ! इसके पहले की देव के सिर जुनून चढ़े..... देव को समझाना होगा !!
लेकिन धारा ये भी समझ रही थी कि अगर देव को ध्रुव के बारे में डायरेक्ट बताएगी तो जाने क्या रिएक्शन होगा उसका ??
आज उसकी पागलपन सी बातें सुनकर धारा अंदर ही अंदर कांप गयी !! एक डर बैठ गया धारा के मन मे की अगर उसने देव को बताने में देरी की तो शायद देव के सिर सच मे ही पागलपन का भूत सवार ना हो जाये !!



धारा ने देव को चुप कर बैठाया और दोनो के लिए कॉफ़ी बनाकर लाई !! उसने देव से आज अपने अतीत के उन पन्नो को बताने का निर्णय लिया था जिसे जानने का अधिकार उसने किसी को नही दिया था !! कितने ही लोगो ने जानना चाहा था धारा से उसके पास्ट के बारे में कई वो कहां से है?? माता पिता कहां है उसके ?? उसने अब तक शादी क्यों नही की ??? मेडिकल कॉलेज से लेकर तो हॉस्पिटल तक का सफर कैसा रहा उसका?? और भी बहुत से सवाल ! जिनका जवाब देने से धारा हमेशा घबराती थी !

पर देव के रूप में धारा को एक अच्छा दोस्त मिला था जिसे वो खोना नही चाहती थी! इसलिए आज उसने सोच लिया था कि अपने बीते हुए उन अच्छे बुरे हर लम्हे से देव को रूबरू कराना है !!



धारा कॉफ़ी बनाकर लायी और देव को कॉफ़ी का मग देते हुए , " मैं जबलपुर में थी !! मेडिकल कॉलेज के !! कॉलेज के ही होस्टल में रहती थी तब ! बोरिंग सी लाइफ थी पर मुझे बहुत पसंद थी !! क्योंकि किसी से बात करना पसन्द नही था मुझे !! सिवाय मिताली के ...!! मिताली, मेरी एकलौती दोस्त , जिसे मैं प्यार से मीतू बुलाती थी !!
हम लोग रोज़ होस्टल से कॉलेज साथ ही आते जाते !!






धारा की तरह ध्रुव भी अपने बीते हुए वक़्त को ही याद कर रहा था ! अजीब सा इत्तेफाक था ये भी !! धारा और दोनो ही अपने अतीत को सोच कर रहे थे, मगर दोनो का ही नज़रिया अलग था एकदूसरे से !! दोनो के साथ ही अतीत में धोखा हुआ था ! अब ये धोखा उन्हें किसने दिया, ये बात तो सिर्फ उनका बीता हुआ वक़्त ही जानता था !!



ध्रुव बालकनी में ही रखे सोफे पर बैठकर उन पुरानी बातों को याद कर रहा था ! जब वो जबलपुर में आईएएस की तैयारी कर रहा था !!


जबलपुर की बारिश में भीगती वे सड़कें और बारिश से बचने के लिए इधर-उधर भागते लोग !! उन्ही लोगो मे ध्रुव और उसका दोस्त अश्विन भी भागकर टीनशेड के नीचे आकर खड़े हो गए !!

" यार, आज तो बड़ी गलती कर दी अपन ने.... बाइक लेकर आना था !! भले ही भीग जाते, पर समय से वापस होस्टल पहुंच जाते !!!" अश्विन मुंह को रुमाल से पोंछते हुए ध्रुव से बोला !! मगर ध्रुव का ध्यान उसकी बातों पर ना होकर सामने की टीनशेड में खुद को बचाती हुई दो लड़कियों पर था !
ध्रुव को, लड़कियों को ऐसे देखते देख अश्विन ने हैरानी से कहा , " भाई...बारिश में पिघल गया क्या..??"


"हें... मतलब ??" अश्विन की बात पर ध्रुव ने आश्चर्य जताया।

"अरे मतलब उधर...!!" अश्विन सामने की ओर इशारा करते हुए बोला ! जिस पर ध्रुव ने उसके गले मे हाथ डालकर दबोचते हुए कहा, " साले कमीने... मैं यहां आईएएस की कोचिंग करने आया हूँ ! ना कि लड़कियों को ताड़ने !! और उन दोनों लड़कियों को भी मैं इसलिये देख रहा हूँ क्योंकि उन दोनों को शायद वो पास खड़े लड़के अश्लील हरकतों से तंग कर रहे हैं !!" ध्रुव ने सामने टीनशेड के बगल में खड़े कुछ लड़कों की ओर इशारा करते हुए कहा! जो वास्तव में ही अश्लील हरकतें कर रहे थे !!
उन दोनों के बगल में ही खड़ी एक महिला ने अपनी साथ महिला से कहा, " कैसी बेशर्म लड़कियां है..? वो लड़के कैसे इशारे कर रहे हैं फिर भी चुपचाप खड़ी होकर देख रही है..?? ये तो नही की चली जाए या फिर जवाब दे दे उन लड़कों को..!! उनकी जगह मैं होती न तो अभी दो रेप्टे में ही औंधे मुंह गिरते ये लड़के ??"

अश्विन ने हैरानी से मुंह खोला लिया !! फिर उस महिला को नीचे से ऊपर तक देखा और धीरे से ध्रुव से बोला ," सुना, क्या बोली ये आंटी ???"

ध्रुव ने इस बार भी अश्विन की बात पर ध्यान नही दिया ! उन लड़को की हरकतें जब ज्यादा बढ़ने लगी तो ध्रुव ने उधर जाने के लिए कदम बढ़ाया !!

अश्विन उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे पीछे खींचते हुए, " ओह... भाई-भाई किधर ?? हाँ किधर चला ??"

ध्रुव, " उन लड़कों को रोकने !! हरकते बढ़ती ही जा रही हैं उनकी !!"

अश्विन, " ओ भाई..!! वो लड़कियां खुद विरोध नही कर रही तो तू क्यों बीच मे कूद रहा है !! जाने दे !! आजा वापस !!"


ध्रुव, " हम लोग आईएएस की तैयारी कर रहै हैं ना....ऐसे बनेंगे आईएएस..?? ये ...अपनी आंखों के सामने गलत होता हुआ देखकर ?? तू अगर रुकना चाहता है तो रुक, मैं जा रहा हूँ उन लड़कों को समझाने !!"


अश्विन, " भाई तू पगला गया क्या..?? खुद को देख उनको देख !! कहां तू डेढ़ पसली और वो हरे भरे कबाब !!"
ध्रुव ने गुस्से में अश्विन को घूरकर देखा !!

ध्रुव कुछ बोलता उसके पहले ही अश्विन मुस्कुरा उठा !! ध्रुव को उसके मुस्कुराने का कारण समझ नही आया !! उसने मुड़कर देखा, दोनो लड़कियां उन्ही की तरफ आ रही थी।
शायद उन लड़कों से तंग आ चुकी थी।

दोनो लड़कियां आकर ध्रुव और अश्विन से थोड़ी ही दूरी पर खड़ी हो गयी।

मिताली परेशान होकर बिल्कुल रोनी सूरत बनाते हुए बोली ," ये सारे ऑटो वालो को आज ही जाना था हड़ताल पर !! क्या मुसीबत है यार..!! आज ही हड़ताल होनी थी और आज ही बारिश भी !!हे प्रभु कृपा करो... होस्टल पहुंचने तक के लिए बारिश बन्द कर दो बस !! दस रुपये के लड्डू चढ़ाऊंगी !!"

पता नही क्यों लेकिन मिताली की बात सुनकर अश्विन को हंसी आ गयी !! धारा ने अश्विन को खा जाने वाली नज़रो से घूरा ! मगर अश्विन को तो जैसे कोई फर्क ही नही पड़ा !!

धारा ने गुस्से में भड़कते हुए अश्विन से कहा, " इसमें हँसने वाली कौन सी बात है..?? जोक सुनाया उसने..??"

अश्विन कुछ उत्तर देता उसके पहले ही ध्रुव बोल उठा, " ओह हेलो...!! इसपर क्यों भड़क रही हो..?? जिसपर गुस्सा आ रहा है उससे तो कुछ कहते नही बनी और यहां आकर बिगड़ रही हो...कहीं का गुस्सा कही पर निकाल रही हो?"

धारा ध्रुव को उंगली बताते हुए, " लुक मिस्टर.... मैं कही का गुस्सा कही भी नही निकाल रही! समझे !! तुम्हारा दोस्त हंस रहा था मेरी फ्रेंड की बात पर !! इसलिए मैं उससे बोल रही हूँ ! तुम बीच मे मत पड़ो, !!"

ध्रुव, " मैं बीच मे नही पड़ रहा ! ये दोस्त है मेरा ! अगर कोई इससे कुछ कहेगा तो ये मेरी रिस्पांसिबिलिटी है कि मैं मेरे दोस्त की हेल्प करूँ !! ना कि तुम्हारी तरह अपने दोस्त को लेकर भाग जाऊँ !!"


धारा को गुस्सा आया ध्रुव पर ! लेकिन ध्रुव का कहना भी सही था !
धारा ने एकबार फिर गुस्से में ध्रुव को देखा और फिर उससे दो कदम दूर जाकर खड़ी हो गयी !! ध्रुव ने धारा को देखा और अपनी जेब से रुमाल निकालकर मुंह पर बांध लिया।
धारा को उसकी ये हरकत समझ नही आई !! और अश्विन को भी.....!!


अश्विन ने हथेली मोड़कर इशारे से पूछा, " क्या...??"

ध्रुव, " परफ्यूम की स्मेल से सिर चढ़ रहा है यार !! इतनी भयानक स्मेल......!!"


बारिश जब कम हुई तो मिताली ने धारा से कहा, " देखना यार, बारिश कम हो गयी ! निकलते हैं अपन लोग..!! कहीं फिर से तेज़ हो गयी तो प्रॉब्लम हो जाएगी !! होस्टल देरी से पहुँचे तो वार्डन चिल्लाएगी सो अलग !!"

अश्विन बड़े ही गौर से मिताली की बातें सुन रहा था ! उसने धीरे से दबी जुबान में ध्रुव से कहा, " ये भी अपनी तरह होस्टल में ही रहती है ??"

ध्रुव ने आंख दिखाई अश्विन को, तो वो चुप हो गया ! कम बारिश देखकर जैसे ही धारा और मिताली जाने के लिए टीनशेड से बाहर आई, वे छिछोरे लड़के उन दोनों के इतने करीब से लेकर गुजरे की सड़क का पानी सीधे धारा के कपड़ो पर गया।

"साले कमीने, धरती के बोझ...!!" धारा ने चीखते हुए गाली दी उन लड़कों को।

उन लड़कों ने आगे जाकर बाइक रोकी और पीछे मुड़कर देखा, धारा गालियां देती हुई उनकी ओर बढ़ रही थी और मिताली उसके पीछे जाते हुए उसे वापस लौट आने को कह रही थी !!
धारा के पीछे ही ध्रुव और अश्विन भी जा रहे थे !! उन बाइक सवार लड़को को लगा कि सब लोग उन्हें पीटने आ रहे हैं, ये सोचकर ही उनकी घिग्गी बन्ध गयी और वे लोग बाइक लेकर भाग गए!!
जबकि धारा अब भी उन्हें गालियां दिए जा रही थी !!! वे लड़के तो गालियां नही सुन पाये पर वहां खड़े बाकी लोगो को धारा की गालियां स्पष्ट सुनाई दे गई।


धारा दनदनाती हुए पीछे मुड़ी और ध्रुव और अश्विन को देखकर उनपर ही भड़क उठी।
"क्या प्रॉब्लम है तुम दोनो की...?? क्या लग रहा था तुम्हे, मैं अकेली उन लड़कों को सबक नही सीखा पाऊंगी तो चलो , चलकर उसकी हेल्प करते हैं! लड़की इम्प्रेस हो जाएगी !!"


"व्हाट..??" ध्रुव ने धारा फिर अश्विन को देखते हुए कहा।


धारा ,"और नही तो क्या..?? तुमने सोचा होगा.... अरे वो।लड़के इस लड़की को पलटकर जवाब जरूर देंगे, फिर मैं हीरो की तरह एंट्री लेकर इसकी हेल्प करूँगा ! राइट !!"


धारा की ऐसी बेतुकी बातें सुनकर ध्रुव को गुस्सा आ रहा था उसपर !! बिना सोचे समझे धारा कुछ भी कहे जा ही थी। कुछ देर तो ध्रुव सुनता रहा फिर धारा को डांटते हुए बोला , " चुप...बिल्कुल चुप !! तब से बिल्कुल जो मन मे आया बोले ही जा रही हो.... !! हम दोनो तुम्हारा पीछा नही कर रहे हैं समझी !! हमारा होस्टल इसी साइड है इसलिए इधर से जा रहे हैं !! तुम्हे इम्प्रेस करूँगा और वो भी मैं.....!! बहुत से काम है मेरे पास...!! ऐसे फालतू किसी सड़क चलती लड़की को इम्प्रेस करूँ इतनी खराब किस्मत नही है मेरी समझी !!! चल अश्विन...!!"

धारा का ध्रुव पर यूँ बेवजह चिल्लाना मिताली को कुछ समझ नही आया !! अकारण ही धारा ध्रुव से झगड़ पड़ी थी !! कोई बात भी नही थी, फिर ध्रुव पर गुस्से का कारण क्या था... मिताली जानना चाहती थी !!
पर धारा को गुस्से में लाल पीला देख उसने फिलहाल चुप रहने में ही अपनी भलाई समझी और धारा को खींचते हुए अपने होस्टल की तरफ निकल पड़ी।




जारी..........


(JP)

धारा- 12

ध्रुव और धारा की मुलाकात इतनी खास नही थी पर पहली ही मुलाकात में एकदूसरे के लिए गुस्सा जरूर भर गया था मन मे !!



ध्रुव ने होस्टल में आते ही पलंग पर अपनी नोटबुक पटकी और गुस्से में कपड़े बदलने लगा !! अश्विन उससे खुद से ही यूँ जूझते देखकर बोला, " क्या हुआ यार...?? क्यों खुद पर गुस्सा कर रहा है ?? हो सकता है उस लड़को को कोई समस्या आ या बेचारी पहले ही ही परेशान हो इसलिए अपनी भड़ास तुझपर निकाल दी हो !!"


"तू हमेशा दूसरों की ही साइड लिया कर...!!मैं तो दुश्मन हूँ तेरा..!! ध्रुव ने अश्विन को ताना मारा ! फिर शर्ट की बटन लगाते हुए बडबडाया, " पूरे दुनिया जहान के लोगो के दिल दिमाग मे क्या चल रहा होता है सब पता होता है इसे..!! बस अपने दोस्त की ही कोई चिंता नही है !!"

अश्विन पलंग पर पड़े पड़े ध्रुव का बड़बड़ाना सुन रहा था !! ध्रुव ने जब उसे इतना शांत देखा तो चीख़ कर बोला, " साले..कुत्ते ! वहां वो लड़की मुझे बिना वजह इतना कुछ सुना गयी और यहां तू मुझसे सुन रहा है !!"


"तो क्या करूं मैं..??" अश्विन अपनी जगह से उठ खड़ा हुआ और ध्रुव के सामने खड़े होकर बोला, " देख भाई.... जिस दिन हमारे कोचिंग पर टेस्ट होता है और हम टेस्ट में पास नही होते हैं तब हमारा भी तो कितना मूड खराब होता है ना..?? तो सोच उन लड़कियो के साथ भी ऐसा कुछ हुआ होगा और ऊपर से वे लफंगे लड़के भी....! तो उनको तो डबल परेशानी हुई होगी ना..!!" अश्विन ने बड़े ही सलीके से समझाया।


ध्रुव को भी समझ आ गया ! शायद हो सकता है, वास्तव लड़कियां परेशान हो !! आखिर वे भी होस्टल का ज़िक्र कर रही थी ! समय से आना - जाना, ऐसे बदतमीज लोगों से सामना करना, रोज़ का ही काम होता होगा! इंसान कहां तक बर्दाश्त करे ! कभी न कभी , कहीं पर तो गुस्सा फूटता ही है !! इसलिए शायद धारा का सारा गुबार ध्रुव पर निकला !!





धारा ने भी होस्टल रूम में घुसते ही अपना सामान टेबल पर पटका और गुस्से में रूम के कोने में घुटने में मुंह छुपाकर बैठ गयी ! धारा को जब भी रोना आता या गुस्सा आता, तो वो कोने में जाकर बैठ जाती !!

मिताली ने उसके सामने बैठकर उससे इतना गुस्सा होने का कारण जानना चाहा !! उसने धारा का चेहरा पकड़कर अपनी ओर किया ! आंखे लाल हो चुकी थी धारा की !!

उसकी हालत देख मिताली घबरा गई ! " धारा.... क्या हुआ तुझे ?? तू ये... तेरी हालात देख बहन ! क्या बात है..?? फिर से उस प्रोफ़ेसर श्रीवास्तव ने कुछ किया क्या..?? बोल तू ??"


धारा मिताली के गले लगकर फफक पड़ी ! आखिर वही थी उसके सुख दुःख की साथ ! जिसके साथ अपनी हर प्रॉब्लम, खुशी, सब कुछ धारा शेयर करती थी !!
मिताली ने थोड़ी देर धारा को यूं ही रोने दिया ! जब धारा का रोना सिसकियों में बदल गया, तब उसने एक ग्लास पानी लाकर पिलाया धारा को ! और उसके बाल ठीक करते हुए पूछा, " अब बोल क्या बात है...??"

"अनाथ होना मेरा दोष है क्या मीतू..?? ये मेरी गलती थी जो लोग मुझे किडनैप करके बेचने ले जा रहे थे...??" दर्दभरी आवाज़ में धारा ने कहा। जिससे मिताली का दिल।भी भर आया !!

धारा अपने आंसू पोंछकर, " तुझे पता है उस प्रोफ़ेसर ने आज मुझसे क्या कहा..??"

मिताली के दिल की धड़कने बढ़ गयी ! उसने सहमते हुए पूछा, " क्या कहा..??"


धारा, "तुम्हे बचपन मे बेच दिया गया था ! पुलिस ने तो काफी समय बाद रेस्क्यू किया था सबको..!! हो सकता है तब तक किसी ने एक दो बार तुम्हारे साथ फिजिकल रिलेशन बना ही लिया होगा !!"

मिताली अपना सिर पकड़ कर बैठ गयी वहीं। धारा ने अपने आंसू पोंछते हुए कहा, " वो चाहते हैं कि मैं भी एक बार उनके साथ......!" बोलते बोलते धारा रुक गयी ! और फिर से फफक पड़ी।
मिताली ने गले लगा लिया उसे ! धारा , " क्यों मिताली, एक लड़की की ज़िंदगी ऐसी क्यों होती है?? खासकर तब, जब वो लड़की अकेली हो !! लोगो को लगता है अकेली है तो जैसे चाहो फायदा उठाओ...!! मेरे अंकल मेरी फीस भरते हैं हमेशा ! और प्रोफेसर ने मुझसे कहा, " कब तक दूसरों के सहारे जियोगी उनके भरोसे आगे बढोगी ..?? अब खुद कुछ करना सीखो अपने लिए....सिर्फ एक बार मुझे खुश कर दो..! कभी फीस नही भरनी होगी ! प्रैक्टिकल की चिंता नही करनी होगी ! एग्जाम में टॉप करोगी !!"


मिताली धारा का दर्द समझने की कोशिश कर रही थी !! या शायद वो खुद भी महसूस कर रही थी !!
धारा कांपने लगी थी रोते रोते !! मिताली ने उसे पानी पिलाया और कोने में से उठाकर पलंग पर बैठाया !!

धारा, " हम लड़कियों के साथ ही ये सब क्यों होता है मीतू..?? कभी मार्किट जाओ तो लोगो की चुभती नज़रें.. उनकी डबल मीनिंग बातें, कहीं सफर करो तो, कहीं आओ जाओ तो, उठने-बैठने में, चलने में हर काम मे दिक्कत !!
अरे दुपट्टा नही डाला... अरे ऐसे झुको मत.... कैसे पतले ट्रांसपेरेंट कपड़े पहने हैं, कैसी बैठी है...?? हर बात में दिक्कत लोगो को...!! सिर्फ लड़कियों से ही उम्मीद क्यों..?? कभी कोई उन लोगो से क्यों नही कहता कि अगर लड़की के कपड़े ठीक नही है तो तू उधर मत देख ! लड़की जा रही है तो जाने दे, मत बोल !!"
"सब हम लड़कियों को ही क्यों समझना होता है..?? लड़की खुली तिजोरी होती है *? कोई भी लूट सकता है! क्या सामान है जो कोई भी लूट लेगा...?? क्यों हम लड़कियों की और लड़कों की इज्जत।में , मान सम्मान में इतना भेदभाव किया जाता है ?? चलो मर्दों के तो ठीक पर औरतें भी पीछे नही रहती है बदनाम।करने में, कोसने में !!
हम लड़कियां क्या अलग होती है..?? भगवान ने ही बनाया है ना हमे भी..!! जिस औरत के गर्भ से एक लड़का जन्म लेता है हम भी वही से आते है !! क्या अंतर होता है एक लड़के और लड़की में..?? बस जिस्म की बनावट का ही ना..?? और उसी के लिए ये मर्द और लड़की को नोच खाते हैं ?? "


आज फिर से धारा मिताली के सामने अपना दर्द आंसूओ में बहा रही थी ! जब भी वो अपनी भड़ास मिताली के सामने निकलती, बस बोले ही जाती ! धारा को ये सुधबुध ही नही रहती की वो क्या बोले जा रही है ?? उसे बस अपने आप को शांत करना होता था।

एक बार मिताली और धारा ने जाकर उनकी कंप्लेंट भी की ! पर कोई नतीजा नही निकला ! कारण था सबूत ना होना ! इस वजह से उल्टा धारा पर ही डाँट पड़ी की वो बेवजह ही प्रोफेसर को बदनाम कर रही है क्योंकि वो पढ़ाई में अच्छे नंबर नही ला पाई !
प्रोफेसर तो बच गए पर धारा उस दिन के बाद से हर रोज़ उस प्रोफेसर से खुद को बचाती आई है ! पहले प्रोफेसर सिर्फ उसे अप्रत्यक्ष रूप से इशारे किया करता था, बहाने से लैब में बुलाया करता था ! पर कंप्लेंट के बाद से वो डायरेक्ट ही धारा को परेशान करने लगा !
एक बार फिर जब धारा ने कंप्लेंट की कि, " प्रोफेसर अकेले ही मुझे लैब में बुलाते हैं ?? कभी भी ऑफिस का काम होता है, मुझे अकेले ही करने को बोलते हैं ! अगर कल को मुझे कुछ होता है तो पूरा कॉलेज बदनाम हो जाएगा आपका..! फिर आप के इस पैरामेडिकल कॉलेज, होस्टल, हॉस्पिटल का क्या हाल होगा इसका अंदाज़ा आप लगा ही सकते हैं !!"

पूरा स्टाफ और अधिकारी जानते थे श्रीवास्तव सर कैसे हैं ! इसलिये कॉलेज प्रशासन को रिस्क भी नही ले सकता था ! और धारा के स्वभाव से भी सब परिचित हो ही चुके थे इसलिए उन्होंने प्रोफेसर को वार्निंग दे दी थी कि किसी भी गर्ल स्टूडेंट को अकेले न तो बुलाएंगे न ही प्रैक्टिकल करवाएंगे !!"



मिताली ने धारा को लिटाया और उसका सिर अपनी गोद मे रख सहलाने लगी। धारा उसकी एक हथेली अपने हाथों में लेकर , " पता है मीतू, कितनी बार मैंने सोचा अंकल को बता दूं ! वो पुलिस में है सब सम्भाल लेंगे !! पर फिर सोचती हूँ कि आखिर कब तक उनके सहारे आगे बढूंगी मैं..?? अपने आप को सम्भालना सीखना होगा अब !! हर मुसीबत से खुद लड़ने के लिए अपने आपको तैयार करना होगा ..!!!"
"उनके पास पहले ही उनकी कितनी समस्याये हैं ..अपनी तकलीफ उन्हें बताकर और परेशान क्यों करना ??
अगर मैं उनसे कहूंगी भी ना... तो वो तुरंत मुझे कहीं किसी अच्छे से कॉलेज में एडमिशन दिलवा देंगे ! पर वहां भी कोई इन प्रोफेसर के जैसे ही मिल गया तो..? और वैसे भी मुसीबत से जितना भागो वो उतना ही सामने आती है ! इसलिए अब मैं लड़ूंगी इस मुसीबत से....!!!"

धारा और मिताली बातें करते करते ही सो गई। दोनो में से किसी ने खाना नही खाया !!




सुबह जल्दी क्लास थी ! दोनो सहेलियां उठी, तैयार हुई और बिना नाश्ते के ही कॉलेज के लिए निकल ली !! आज भी हल्की हल्की बारिश थी, पर दोनो सहेलियां आज छाता लेकर गयी थी !! फिर से उसी टीनशेड के नीचे ऑटो का इंतज़ार हो रहा था ! पर बारिश के कारण इक्का दुक्का ऑटो ही निकल रहे थे वो भी सवारी लेकर !!

धारा, " यार... ये बारिश हमेशा हमारे आने जाने के समय ही तेज़ क्यों होती है ?? जब हम कॉलेज पहुंच जाते हैं तब मंद पड़ जाती है !!"

मिताली ने कोहनी मार कर सामने देखने का इशारा किया !! धारा ने देखा, ध्रुव और अश्विन एक ही छाते में मस्ती करते हुए चले आ रहे थे !!
धारा ने मिताली को घूरा ! जिसपर मिताली ने कहा, " कल तूने कुछ ज्यादा ही गालियां सुना दी थी बेचारे को !! अपना गुस्सा उसपर निकाल दिया !!"


ध्रुव की नज़र जैसे ही धारा और मिताली पर गयी, उसके कदम वहीं रुक गए !! उसने अश्विन को पकड़कर खींचा और थोड़ी ही दूर एक छोटी सी चाय की टपरी पर चलने का इशारा किया !
धारा को समझते देर नही लगी कि ध्रुव उसकी वजह से ही अपना रास्ता बदल रहा है !! धारा को खुद पर ही गुस्सा ताजे लगा था !! गिल्टी फील हो रहा था उसे !!

धारा ने एक बार सोचा माफी मांग लूँ, पर फिर विचार त्याग दिया, ये सोचकर कि शायद वे दोनो लड़के कोई गलत मतलब ना निकालने लगे !!!


ध्रुव तो नही मगर अश्विन जरूर थोड़ी थोड़ी देर ने चुपके से धारा और मिताली की तरफ देख लेता !! एक बार ध्रुव और धारा की नजरें भी आपस मे टकराई पर दोनो ही हड़बड़ाकर इधर उधर देखने लगे !! बहुत समय वैट करने पे एक ऑटो वाला आया !!
मिताली और अश्विन ने साथ मे ही उसे रुकने को कहा। ऑटो वाले भैया ने रुककर पूछा, " कहाँ जाना है मैडम आप दोनो को..??"

मिताली और अश्विन ने एकदूसरे को देखा ! फिर मिताली ने ऑटो वाले से कहा, " हम दोनो को साथ मे नही जाना ! मुझे जाना है अपनी सहेली के साथ !!"

"ओह हेलो.....ये ऑटो मैंने रुकवाया है ! तो तुम कैसे जाओगी..??" अश्विन ने कहा।

धारा मिताली के पास आई ! मिताली ने बिना अश्विन की बात का जवाब दिए ऑटो वाले से पूछा, " आपको पहले आवाज़ किसने लगाई भैया...??"

ऑटोवाला अपना सिर खुजाते हुए बोला, " देखिए मैडम...मैंने किसी की आवाज़ नही सुनी ! आप दोनो को यहां बारिश में भीगकर इंतज़ार करते देखा तो आ गया !!"


अश्विन और मिताली दोनो ही आपस मे बहस करने लगे कि कौन जाएगा ??
जब दोनो में से कोई नही माना तो ध्रुव झुंझलाकर उनके पास आया और गुस्से में अश्विन से बोला, " क्यों बेकार में उलझ रहा है !! जाने दे यार इनको..!! ताकत है हम में !! भगवान ने पैर दिए हैं ना हमे... इन्ही से चलते हैं ! चल!!"

ध्रुव अपनी बात कहकर आगे बढ़ गया ! मगर धारा जल भून गयी। उसे लगा जैसे ध्रुव ने इंडिरेक्टली उन दोनों को कमज़ोर कहा।

धारा फिर उसे हाथ दिखाते हुए चिल्लाकर बोली, " ओए.... कहना क्या चाहते हो..?? तुम लोगो मे ताकत है तो क्या हम लड़कियां कमज़ोर हैं ?? हम पैदल नही चल सकती ??"

"हें.... ओए ये क्या बोल रही है तू...??" मिताली उंगली चबाते हुए बोली।


"मेरे कहने का वो मतलव नही था ! आप लोग जाइये....हम पैदल ही चले जायेंगे टहलते हुए !!" ध्रुव धारा को समझाते हुए बोला !


" तुम्हारे कहने का जो मतलब था वो मैं अच्छे से समझ गयी !! तुम लड़के खुद को ज्यादा ही ताकतवर समझते हो न...!!" धारा के मन मे फिर श्रीवास्तव सर की बातें घूमने लगी। लेकिन इस बार धारा ध्रुव पर हावी होती उसके पहले ही ध्रुव उसपर भड़क गया , " तुम अपने आपको समझती क्या हो...?? कहीं की राजकुमारी हो या कलेक्टर ?? जो मन मे आता है कहती हो और निकल जाती हो ! कल भी बिना वजह मुझे इतना कुछ सुनाकर चली गयी.....और गालियां तो ऐसे दे रही थी जैसे आशीर्वाद हो !! माँ बात ने सिखाया नही कैसे बात की जाती है...?? अरे छोटे छोटे बच्चे भी तुमसे ज्यादा समझदार होते हैँ ! तमीज़ से बात करना तो आता है उन्हें कम से कम !!"

ध्रुव की बातें सुनकर धारा खामोश हो गयी !! उसे जवाब देने के लिए जो शब्द मुंह मे आये थे वही रह गए। उसने कुछ कहा नही बस चुपचाप सिर झुकाकर वहां से चल दी !
मगर मिताली को ध्रुव की बातें जरूर चुभ गयी। उसने गुस्से में दांत पीसकर देव को कहा, " तमीज़ की बात कर रहे हो...?? तमीज़ सिखाने के लिए माँ बाप का होना भी जरूरी होता है मिस्टर !! माँ बाप होते तो जरूर तमीज़ सिखाते उसको !! अनाथ है बेचारी....जैसे तैसे सर्वाइव कर रही है दुनिया से, खुद से !! तरह-तरह के लोगो से सामना होता है ना रोज़....तो तमीज़ से काम नही चला सकती वो ! बदतमीज़ी होना पड़ता है ऐसे लोगो के लिए..!! कल भी ऐसी ही बात से परेशान थी इसलिए गुस्सा आप पर निकाल दिया था !! मैं माफी मांगती हूँ उसकी तरफ से आपसे .....आयम सॉरी !!" मिताली की आंखे नम हो गयी बोलते बोलते ! उसने अपनी बात पुरी की और धारा के पीछे भागी।

ध्रुव स्तब्ध रह गया मिताली की बात सुनकर !! धारा अनाथ है सुनकर ही कुछ टूट सा गया उसके अंदर !! दिल पर एक बोझ से लद गया उसके ..... बहुत भारी गिल्ट ! धारा को ऐसी बात बोलने के बाद और मिताली की बातें सुनने के बाद ध्रुव अपनी ही नज़रो में लज्जित महसूस कर रहा था !!

उसने नज़रें उठाकर दूर जा रही दोनो सहेलियों को देखा ! फिर सिर झटक कर खुद को सम्भाला और अश्विन के साथ अपनी कोचिंग के लिए निकल गया !! शाम को ध्रुव अश्विन को वही क्लास पर छोड़कर जल्दी आ गया! उसका मन ही नही लगा आज पढ़ाई में ! ऐसा नही था कि पहले किसी व्यक्ति से उसकी बेवजह अनबन ना हुई थी या झगड़ा नही हुआ था ! पर धारा के साथ हुए इस बेवजह के झगड़े ने ध्रुव को बैचेन कर दिया था !

थोड़ी ही देव में धारा और मिताली आती हुई नजर आई ध्रुव को ! मिताली और धारा दोनो ही आधा सफर पैदल करती और आधा ऑटो से ! पैसे बचाने के लिए ! और कभी कभी तो वो आधे रास्ते भी ऑटो या बस से ना जाकर पैदल ही जाती थी ! दो तीन किलोमीटर दूर तो था ही कॉलेज !! दोनो सहेलियां मस्ती करते हुए रास्ता पार कर लेती आसानी से !!

धारा की नज़र जब ध्रुव पर गयी तो वो ध्रुव की साइड जाने के बजाय सामने की और जाकर खड़ी हो गयी ! बारिश की फुहार अब भी बरस रही थी और पास ही एक ठेले पर भुट्टे सिक रहे थे !

मिताली की नाक में जैसे ही गर्म सिंकते भुट्टे की महक पहुंची उसने आसपास नज़रें दौड़ाना शुरू कर दिया !! भुट्टे देखते ही वो बच्चो की तरह उछलते हुये बोली, " धारा...बहन देखना भुट्टे !! मेरा बहुत मन हो रहा है खाने का !! मैं लेकर आती हूँ !!"

धारा ने कहा, " मेरा मन नही है खाने का ! तू ले आ तेरे लिए !!"

मिताली अपने लिए भुट्टे लेने चली गयी ! धारा इधर उधर देखते हुए अपना ध्यान बंटा रही थी। पर ध्रुव धारा को ही देख रहा था कि कब वो उसकी ओर देखे और कब मैं माफी मांगू !! पर धारा जानबूझकर उसे इग्नोर कर रही थी !!
लाख कोशिशों के बावजूद भी धारा खुद को रोक नही पाती और चुपके से नज़र घुमाते हुए उसकी गतिविधियों को देखती रहती !
जैसे ही धारा की नज़र ध्रुव पर पड़ती ध्रुव फौरन अपने कान पकड़कर आंखों से सॉरी का इशारा देता धारा को ! मगर धारा मुंह बना लेती !!


मिताली , " क्यों भाव खा रही है...? बेचारा कब से तो माफी मांग रहा है !!"

धारा, " तो क्या करूँ मैं..? पहले तो कुछ भी बोल दो, फिर माफी मांग लो , बस हो गया..??"

मिताली, " अब उसे थोड़ी ना पता था यार तेरे बारे में की तू कौन है ?? और अगर आज उसने जो अनजाने में बोला उसकी वजह से अगर वो गलत है तो तूने तो कल उसे दुनिया जहान की गालियां सुनाई थी....वो सही कहलायेगा क्या..??"

मिताली की बातों ने धारा को सोचने पर मजबूर कर दिया। उसे अपनी गलती का अहसास हुआ ! अब तो सच मे ही उसकी नज़र ध्रुव की ओर नही जा पा रही थी।

जब धारा से माफी नही मिली तो ध्रुव ने अपनी कॉपी निकाली और उसका एक पेज निकालकर उस पर कुछ लिखा और फेविस्टिक कि हेल्प से वही पीछे चिपका दिया और चुपचाप वहां से चला गया।


धारा ने खुद को हिम्मत दी और समझाया ध्रुव से अपने कल के और आज के व्यवहार के लिए माफी मांगने के लिए !! जैसे ही धारा ने नज़रें उठाई, ध्रुव जा चुका था !! धारा को अफसोस हुआ कि उसने देरी कर दी।

" फील मत कर इतना.....वो कोई कागज चिपकाकर गया है वहां पर ! शायद तेरे लिए ही होगा !! मैं लेकर आती हूँ !!" बोलते हुए मिताली जैसे ही जाने लगी धारा ने कलाई पकड़कर रोका उसे। "तू रुक मैं लेकर आती हूँ !!"

मिताली ने अजीब रिएक्शन देखकर, धारा बोली, " चल दोनो चलते हैं !!"

धारा ने वहाँ पहुंचकर काजग निकाला और पढ़ने लगी। उसपर लिखा था,

" I'm Sorry मुझे पता नही था आपके बारे में ! मैंने आजतक किसी से ऐसे बात नही की ! पता नही गुस्से में कैसे बोल गया ! दिल से क्षमा चाहता हूँ ! Sorry Once Again.."

ध्रुव '

ध्रुव ने एक सॉरी नोट लिखकर छोड़ा था धारा के लिए ! जिसमे लास्ट में दो स्माइली भी बनी हुई थी।🙂🙂

ध्रुव ने ज्यादा कुछ तो नही लिखा पर धारा को बुरा लगा ! इस बात से की गलती ना होने पर भी ध्रुव ने उससे माफी मांगी !!

"ओह.... तो ध्रुव नाम है बंदे का ! मस्त नाम है....!!" मिताली खुश होकर बोली। मगर धारा ने कोई प्रतिक्रिया नही दी।

"तुझे क्या हुआ अब..??" धारा को शांत देख मिताली ने पूछा।


"बुरा लग रहा है यार... कल उस प्रोफेसर के चक्कर मे कितना कुछ सुना गयी मैं उस लड़के को..!! आज भी बिना गलती के माफी मांग रहा था वो !!" धारा अफसोस प्रकट करते हुए बोली।


"कोई नही यार.... तुझे अपनी गलती रियलाइज तो हुई !! वो रोज़ यहीं तो दिखता है हमे ! कल भी आयेगा! कल सॉरी बोल देना.!!" मिताली धारा को दिलासा देते हुए बोली।


अगले दिन धारा ने ध्रुव का बहुत इंतज़ार किया मगर ध्रुव आया ही नही ! आज मौसम साफ होने की वजह से ध्रुव और अश्विन बाइक से निकल गए थे ! धारा ने शाम को मिलने का सोचा लेकिन फिर नही मिल पाई! क्योंकि वो शाम को भी बाइक से होने की वजह से घूमते हुए होस्टल पहुंचे थे !!

तीन चार दिन तक ऐसा ही रहा !! अब तो धारा की हिम्मत भी जवाब देने लगी ! मिताली उसे समझाती मगर धारा के मन मे ये बात घर कर गयी कि ध्रुव उसकी वजह से ही अब इस रास्ते से न जाकर किसी दूसरे रास्ते से जाने लगा हो !!"


धारा होस्टल आकर सिर पर हाथ धर, आंखे मूंद कर लेट गयी ! उसकी आँखो के सामने ध्रुव का कान पकड़कर माफी मागंते हुए चेहरा आ रहा था !!
धारा आंख उठकर बैठ गयी ! जैसे ही वो आंखे बंद करती ध्रुव का चेहरा दिखाई देने लगता ! थक हारकर धारा सिर पकड़कर बैठ गयी !

धारा, "क्या करूँ मिताली...बता ना यार ! कुछ समझ ही नही आ रहा !! मैं घुटती जा रही हूँ अंदर ही अंदर ! वो तो बिना गलती किये ही माफी मांगकर चला गया और मुझे मौका ही नही मिला..!!"

मिताली, " छोड़ ना यार......भूल जा उसको अब ! कब तक परेशान रहेगी उसके बारे में सोचकर ?? तूने पहली बार तो किसी को गाली दी नही...या किसी से पहली बार झगड़ा किया हो...?? बस जैसे तुझे बाकी के सब याद नही है वैसे ही उसे भी बुरा सपना समझकर भूल जा !!!"


"ऐसे कैसे भूल जाऊँ यार.... आंखे बंद करते ही उसका चेहरा घूमने लगता है आंखों के सामने !!उसकी माफी मांगती नज़रें !! मेरी नज़रो में ही अटक चुकी है !!" धारा मिताली की गोद मे सिर रखकर बड़बड़ाई।


मिताली,"मतलब ध्रुव साहब का नशा चढ़ चुका है तुम्हारी नज़री में...!!"

"मतलब...??" धारा ने झटके से उठते हुए पूछा !

मिताली, "अरे मतलब....कही क्रश तो ..."

"ऐसा कुछ नही है ! वो मैं बिना वजह इतना कुछ बोल गए थी न...और फिर तुने मुझे एहसास दिलाया इसलिए ये सब हो रहा है !! तू है इस सब की ज़िम्मेदार !!" मिताली की बातों से बचने के लिए धारा ने उसपर ही आरोप लगा दिया !

"हाय राम ! मैंने क्या किया ...??" मिताली सदमे की एक्टिंग करते हुए बोली।

धारा, "कुछ नही किया मेरी माँ... तू जाकर तैयार हो हम लोग मार्किट चलते हैं ! कुछ स्टेशनरी का सामान लाना है !!"

धारा और मिताली तैयार होकर मार्किट पहुंची ! कुछ नोट्स की ज़ेरॉक्स करवाई और सामान खरीदा ! चाट और फुल्की खाई ! फिर टहलते हुए मार्किट की दुकान देखने लगी।।

अचानक से धारा ने मिताली का हाथ पकड़ा और उसे खींचकर एक दुकान में घुस गई लेकर !! मिताली पूछे जा रही थी मगर धारा ने जवाब नही दिया !! पर मिताली को उसका जवाब अपने आप ही मिल गया !!

"ओह.... तो तुम्हारे ध्रुव बाबू भी स्टेशनरी खरीद रहे हैं यहां !!" मिताली ने धारा को छेड़ते हुए कहा। जिस पर धारा ने गुर्राकर उसे देखा !

ध्रुव शायद बुक्स देख रहा था ! धारा उसके पास जाकर, " करंट अफेयर्स में लूसेन्ट कई बुक ठीक रहेगी !!"

ध्रुव चौंक गया अचानक धारा को देखकर ! पर उसने धारा की बात का कोई जवाब नही दिया ! बल्कि बुक को वही रख चलता बना ! बुरा लगा था ध्रुव को...धारा से कितनी माफी मांगी उसने, पर धारा ने देखा तक नही था उसकी ओर !!

धारा मिताली को छोड़कर ध्रुव के पीछे भागी ! उसको आवाज़ लगाते हुए, " ध्रुव सुनो.... अरे सुनो तो !!"
पर ध्रुव के कानों तक तो जैसे धारा की आवाज़ पहुँच ही नही रही थी।

"अच्छा बाबा सॉरी !! आय एम सॉरी न...!! आगे से कभी ऐसी गलती नही होगी ! कान पकड़कर सॉरी !!" बोलते हुए धारा वही बीच सड़क पर कान पकड़कर खड़ी हो गयी।

आसपास के सब लोग धारा को देखते हुए हँसने लगे ! जब ध्रुव ने सबको उसकी ओर देखता पाया, तो स्थिति जानने के लिए पलटकर देखा !

धारा, किसी मासूम से बच्चे की तरह कान पकड़कर खड़ी हुई थी ! ध्रुव ने देखा....तो एकटक देखता ही रह गया! अपने आप ही उसके कदम धारा की ओर बढ़ने लगे ! ध्रुव जैसे जैसे करीव आ रहा था, धारा के फेस के एक्सप्रेशंस चेंज होते जा रहे थे ! ध्रुव उसके चेहरे के बदलते हर एक एक्सप्रेशन को देख रहा था !
ध्रुव जब धारा के बिल्कुल सामने जाकर रुका तो धारा ने उससे माफी मांगते हुए कहा, " सॉरी... उस दिन कुछ परेशान थी इसलिए गुस्सा तुम पर निकाल दिया !! प्लीज़ माफ कर दो...!!"

धारा के इतनी मासूमियत भरे लहजे को देखकर ध्रुव के चेहरे पर स्माइल आ गई !!! वो भूल ही गया कि धारा से नाराज़ था!
अब तक ध्रुव ही धारा पर नज़र जमाये था! मगर जब ध्रुव मुस्कुराया तो धारा की नज़र उसके होंठ के निचले हिस्से पर पड़ने वाले डिंपल पर पड़ी ! जो ध्रुव की स्माइल को बहुत ही प्यारी बन रही थी !!

"वाओ...तुम्हारा ये डिंपल तुम्हारी स्माइल को ओर ज्यादा क्यूट बना रहा है !!" धारा ने ध्रुव के होंठो के नीचे डिंपल को टच करते हुए कहा।

धारा की इस बेबाक हरकत से ध्रुव असहज हो उठा ! अपने शब्दों में थोड़ी रुखाई लाते हुए उसने कहा, " क्या है ये सब..? बीच मार्किट में क्या पागलपन कर रही हो ??"

धारा मासूमियत से, " माफी मांग रही हूँ !!"

ध्रुव , " कोई बात नही हो जाता है कभी कभी जब दिमाग खराब होता है तब !! इट्स ओके ! मेरी भी गलती थी !!"

ध्रुव इतनी जल्दी और इतनी आसानी से माफ कर देगा, इसकी उम्मीद नही थी धारा को ! वो असमंजस में थी कि ध्रुव ने सच मे उसे माफ कर दिया है या सिर्फ उसे टालने के लिए कहा।





जारी..............

(JP)