Tere Ishq me - 2 in Hindi Love Stories by Jagruti Joshi books and stories PDF | तेरे इश्क में - 2

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तेरे इश्क में - 2

सब लोग डांस प्रैक्टिस कर ने चले गए।
श्री ने एक चेर ली ओर वो जीया और बाकी सब का डांस देख सके इस लिए वो ठीक उनके सामने बैठ गई।
उस ओर ठीक उसके सामने दर्श बेठा था। दोनो की नजरे एक दूसरे से टकरा रही थी। पर श्री को थोडा अजीब लग रहा था।
श्री वहा से खडी हुई, दर्श ओर नाच गाने के शोरशराबे से थोड़ा दूर जाके पेड के नीचे बैठ गई ।
उसने अपनी आंखो को बंद कीया लंबी सांस ली , दर्श की ओर देखा ।
ओर पुरानी यादो मे खो गई।

छे साल पहेले

प्रिन्सिपल की ऑफिस मे प्रिन्सिपल मेम जोर जोर से श्री पर चिल्लाए जा रही थी।
श्री मूहँ लटकाये बस सुने जा रही थी।
मेम- ने कहा हर बार इतनी मस्ती , पूरे स्कूल को परेशान करके रख दिया है तुने।
इस बार तो हद ही कर दी च्यूइंग गम लगादी मिश्रा जी की टेबल पर ।
उनकी नई शर्ट खराब करदी।
बारवी मे हो अगर डोक्टर बन ना है तो पढ़ाई मे ध्यान दो , इन नादानियो मे नही।
श्री - सोरी मेम मेने जान बूझकर नही चिपकाई थी हड़बड़ाहट मे हो गया था।

मेम - दांत पीसते हुए कहा चूप रहो आख़री बार वॉर्निंग दे के छोड रही हु ।
वो भी ईस लिए के तुम्हारी वज़ह से स्कूल हर बार सारे स्पोर्ट्स मे अव्वल स्थान प्राप्त कर ती है , ओर स्कूल मे तुम।
जाओ अब, ओर ध्यान रखना तुम ब्राइट स्टूडेंट हो बहोत आगे जाओगी बस शरारते कम करदो।

वो प्रिन्सिपल की केबिन से मुह लटकाये निकल गई ।
ओर स्कूल के ग्राउंड मे अपने दोस्तो के पास आती
है ।
मयंक- ने उसे पीछे से मारते हुए कहा क्या हुआ ?
श्री- सालो तुम्हारी वज़ह से डांट मुजे पडती है।
ओर समज नही आता मेम तारीफ करती हे या डांट ती है 😏
मन - ने कहा यार तु फस बी जाये तो आसानी से निकल जायेंगी।
ओर हम कुछ भी करे तो हमारी कम्‌ˈप्‍लेन् हमारे पेरेंट्स तक पहुंच जाती है
ओ ओ ओ इस लिए बलि का बकरा मै बनु हर बार,
वो अपना मूह बिगाड ती है।
जीया ने कहा छोडो यार चिल करो।
कुछ तुफानी करते हे?

काया और निसी साथ मे हा हा चलो।
मयंक हमममममम वो तो ठीक है पर क्या करे।
श्री जो भी करो मुजे ईनवोल मत करना मे जा रही हु क्लास मे बाय।

जीया ने उसका हाथ खींचा ।
क्या है श्री ने खीझ ते हुए कहा ।
चल ना यार कुछ करते है ,
हम ऐ सा कुछ करेंगे जो सिर्फ हमे ही मजा आऐ और कोई परेशान भी ना हो ।
वो लोग सोच ने लगे ।
मयंक ने कहा चलो मुर्गा बनाते है किसी का।
काया- ने कहा यार कोई बचा ही नही जीस को हम ने परेशान ना कीया हो ।
अब कोई हमारे झांसे मे नही आयेगा।

है एक बंदा मन ने कहा।
कोन सब साथ मे बोल उठे ?
दर्श शीना का बॉयफ्रेंड।
सब श्री की तरफ देख ने लगे।

श्री ने कहा - ना बाबा ना वो खडूस । क्या आप मेरी अर्थी उठवाना चाहते हो।
मुजे ईतना जल्दी नही मरना। मे जा रही हुं ओके चलो बाय।
जीया - ने कहा यार सिर्फ झूठ मूठ का प्रपोज करना हे बस ।
सब ने मुस्किल से श्री को मनाया।
तभी
श्री ने कहा वो तो एक महीने से भी ज्यादा हुआ स्कूल आया ही नही।
सब उसके साम ने देख ने लगे।
उसने बात को संभालते हुए कहा , अरे मेने शीना को भी करीब एक महीने से नही देखा इस लिए कहा।
ओके सब एक साथ बोले ।
श्री ने मन मे ही राहत की सांस ली।

मयंक - ने कहा ओके तो चलो मे गेट पर जाता हु जेसे ही वो आऐ उसे लेकर आ जाऊंगा ।
ओर श्री तु चिंता मत कर ,
हमे लगा बात बिगाड ने वाली है तो हम कुछ भी करे बीच मे आ जाएंगे ओके।
मयंक स्कूल गेट के पास जाके खडा रहा , करीब पंद्रह मिनट हो गए थे ,
वो जाने ही वाला था की उसने दर्श को आते देखा।
मयंक ने हाथ से इशारा कीया तो वो रुक गया

दर्श- Why stopped me, do I know you?

मयंक हा आप हमारे सिनियर थे।
मेरी दोस्त को आप का काम हे सिर्फ पंद्रह मिनट।
फिर आप चले जाना।
दर्श ने कहा ओके चलो , मूजे ओर भी काम हे।

मयंक ने मैसेज कर दीया श्री को ।
श्री अपने हाथ मे गुलाब का फूल लेके तैयार हो गई ।
उसकी हार्ट बीट तेज हो रही थी और होठ सुक रहे थे।
जेसे ही दर्श को देखा वो जेसे कही खो सी
गई ।
वो दोनो पास आये तो मयंक ने कहा
श्री तुम को जो बोलना है वो बोलदे
दर्श ने उसे देखकर कहा तुमको क्या काम है।

श्री को थोड़ी घबराहट हो रही थी। उसके गले से आवाज ही नही नीकल रही थी।
दर्श जेसे जाने को मुडा तभी उसने कहा,

मुजे पता है तुम्हारी पहेले से ही एक गर्लफ्रेंड है, पर बस मुजे अपनी बात कहेनी है अगर आज नही कही तो कभी नही बोल पाउंगी।

दर्श उसे देख ने लगा वो क्या बोल ने वाली थी वो भी अब जान ना चाहते था।
श्री ने कहा प्लीज माइन्‍ड्‌ मत करना।

ओर श्री ने बोल ना शुरु किया ।
आज मेने तुम को
एक महिने -दस दिन- छे घंट्ट
ओर वो अपनी घडी की और देखती है फिर कहेती है
दस मिनट ओर पच्चीस सेकंड के बाद देखा है।
मुजे मालूम है की इन सब बातो से तुम को कोई फर्क नही पडेगा।
मेने 1st टाइम तुम को लाइब्रेरी मै देखा था तुम कोई इकोनॉमिक्स की बुक ढूंढ रहे थे।
मे सामने से टकराई तुम ने बुक उठाई ओर सोरी बोल कर निकल गए ,
तुम्हारी आवाज ईतनी रौबदार थी की महीनो तक मेरे कानो मे गुंज ती रही,
ओर आंखे तो मे जेसे डूब ही गई थी।
जब दुसरी बार देखा तो तुम अपने फटफटी लेकर स्कूल मे आ रहै थे।
पहेली बार देखा तुम्हारे अलावा कीसी के पास बाइक नही थी ।
कोई लडका साईकिल लेके तुम से टकराने वाला था तुम ने वक्त रहते ही ब्रेक लगादी और वो लडका तुम्हारा गुस्साई हुई सकल देख के बीना साईकिल लिए भाग गया था ।
मेने पहेली बार गुस्सा देखा था तुम्हारा । ओर
जितनी बार देखा तब खडूस ही लगे।
हा पर तुम हसते हुए ज्यादा अच्छे लगते हो।
मेने देखा था तुम्हारी गर्लफ्रेंड ने कुछ कहा था
ओर तुम्हारे चहेरे पर कीतनी बडी स्माईल आ गई थी .
पहेली बार एसे मुस्कुरा ते हुए देखा था।
ओर एक बात तुम ज्यादातर वाइट कपडे ही पहेन ते हो। तेरा जुता नम्बर 9 है। तुम को पढना बोहोत ही पसंद है , ओर नुक्कड की चाय। ओर तुम दाडी रखते नही पर उसमे बोहोत अच्छे लगते हो।
ओर जब पहेली बार तुम को गाते हुए सुना तो मे तुम्हारी फेन हो गई।
वो गाना था "" बडे अच्छे लगते है , ये धरती ये नदीया ये रैना ओर तुम""।

मुजे पता है की तुम मेरे नही हो , क्या करु फिर भी प्यार हो गया और वो चूप हो गई।

दर्श बस उसे देखता रहा ।
उसने सोचा की उसकी गर्लफ्रेंड भी ईतने साल उसके
साथ रहेने पर भी सायद उसे इतने अच्छे से नही
जानती होगी।
वो जाने लगा ओर कहा तुम्हारी कोई ट्रिक मेरे सामने नही काम आयेगी ।
मे खूब जानता हुं तुम जैसी लडकीओ को।

श्री ने कहा
ओ बाबु साहब बोहोत लडकीओ को देखा होगा मगर मेरी जेसी नही।
प्यार था तो कहे दीया पर ये श्री आपको वादा करती है की मुड़कर भी नही देखेंगी आपको।
ओर एक बात की आपकी शीना है ना वो आपकी है ही नही,
मे दुआ करूंगी की एसा ना हो।
पर वो मुज जैसी नही है ना तो गैरन्ˈटी नही ले सकती।
ओर वो दर्श के पास से गुजर गई।
क्रमश.........