chandra prakash patsariya-vgyan kavi in Hindi Book Reviews by ramgopal bhavuk books and stories PDF | चन्द्र प्रकाश पटसारिया-विज्ञान कवि

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चन्द्र प्रकाश पटसारिया-विज्ञान कवि

विज्ञान कविताओं के कवि चन्द्र प्रकाश पटसारिया का कृतित्व

रामगोपाल भावुक

विज्ञान कविताओं के कवि चन्द्रप्रकाश पटसारिया का नाम चर्चा में आ चुका था। आपने अपने नगर इन्दरगढ़ में विज्ञान कवि सम्मेलनों की परम्परा शुरू कर दी थी। मुझे और चर्चित कवि प्रिय धीरेन्द्र धीर को भी दिनांक 25.1.2005 के शुभ अवसर सहभागिता करने का अवसर दिया था। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य आनन्द मोहन सक्सैना ने की थी। मुख्य अतिथि के रूप में मंच पर ए. वी. सिंह डिप्टी कलेक्टर उपस्थित रहे। कार्यक्रम की भव्यता आज इतने दिनों बाद भी आंखों से ओझिल नहीं होती। साहित्य और विज्ञान के संगम ने श्रोताओं की खूब तालियाँ बटोरी ।

बात वर्ष 2009 की है, हिन्दी दिवस पर आपको पंचमहल क्षेत्र की साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समिति मुक्त मनीषा (डबरा) भवभूति नगर ने आपको ससम्मान आमंत्रित किया था। जिसमें चुनार से डॉ रामदुलार सिंह ‘पराया’ जी को भी मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया था।

कार्यक्रम की अध्यक्षता चन्द्र प्रकाश पटसारिया जी ने की थी। आपकी विज्ञान की कवितायें इस नगर में लम्बे समय तक चर्चा में बनी रहीं।

इसका यह प्रभाव पड़ा कि आपको राजवीर खुराना जी के गजल संग्रह ‘ शकुनी के पासें’ के विमाचन के अवसर पर आपकी विज्ञान की पहेलियों का आनन्द नगर के लोग ले सके थे।

उसके बाद तो चन्द्रप्रकाश पटसारिया जी के साथ उनकी पुत्री कवि नीलम शर्मा को भी जी भर कर सुनने का अवसर मिला था।

इसके बाद से तो हमरा माह, दो माह में मिलना शुरू हो गया था। सतत् सम्पर्क के कारण आप इस क्षेत्र के अवधूत बाबा गौरी शंकर का सानिध्य महसूस कर सके थे।

हमें स्वतंत्र हुए पिच्चत्तर वर्ष से अधिक समय हो रहा है। शिक्षा का प्रचार प्रसार भी पर्याप्त हुआ है लेकिन अंधविश्वास आज भी हमारा पीछा नहीं छोड़ रहे हैं। विज्ञान का हम सहारा तो लेते हैं लेकिन उसे समझने का ठीक ढंग से प्रयास नहीं करते। हमारे बीच रह रहे कवि चन्द्रप्रकाश पटसारिया जी विज्ञान की कविताओं के माध्यम से विज्ञान के सूक्ष्म से सूक्ष्म रहस्य जन जीवन को समझाने में लगे हैं।

दैनिक जीवन में विज्ञान,

सिखलाता हमको यह ज्ञान।

मिश्रित हुए खाद्य सामान,

हल्दी में मेटेनिल रंग मिलान।।

पटसारिया जी प्रदूषण की समस्या से अत्याधिक चिन्तित हैं। वे संबाद शैली में समझाते हुए कहते हैं-‘

पोलीथीन की थैली बोली, थैली को फटकार,

मेरा प्रचलन बढ़ गया छोड़ो तुम बाजार।

सस्ती हूँ मैं दाम में, सुविधा में बेजोड़

फिर नाहक क्यों हर जगह करते मेरी होड़।।

बकवास बंद कर थैली थैला ये गुर्राया।

पर्यावरण प्रदूषण का तूने संकट फैलाया।

*****

आपकी ग्यारह पुस्तकें अभी तक प्रकाशित हो चुकी हैं। इनमें से अधिकांश पुस्तकें विज्ञान कविताओं पर आधारित हैं।

आपकी सभी पुस्तकों का परिचय इस प्रकार है-

विज्ञान पंचम कृति में, विज्ञान कविता संग्रह है। इसमें पाँच विधाओं में कवितायें संकलित है। हाइकु, कुडिलियाँ , साखियाँ, चौकड़ियाँ और गीत

इसकी एक साखी देखे-

प्रकृति प्रदूषण ना करें, ज्वलन की दर हो समान।

अंत पदार्थ हो न्यूनतम,भण्डारन आसान

यही है ईधन की पहिचान

वे कवितायें ज्ञान की विज्ञान की, में पाचन क्रिया समझाते हुए कहते हैं-

मुख से जब भोजन लेते हैं, दांतों से इसे चवाते हैं।

टइलिन लार मिलाकर के, अब आगे इसे बढ़ाते हैं।

********

आगे भोजन का सार तत्व आंतों में सोखा जाता है।

व्यर्थ तत्व का बाहर जाना, यह सब पाचन कहलाता है।

विज्ञान पहेलियाँ कृति में बाहन के पार्टस बोझों की पहेली देखें

टिड्डे सा तन रहू कांच पर नहीं मुझे हेरानी

उसी कांच पर नांच करूँ में जब जब बरसे पानी

इसका उत्तर है बाइपर

ज्ञान पहेलियाँ कृति में भी इसी तरह की पहेलियाँ संकलित हैं।

ष्शालागीत कृति में-जय जय हे सरस्वती माता नामक बंदना से कृति का प्रारम्भ है। वे आदर्श शिक्षक के रूप में हम सब के सामने हैं। उन्हें राष्ट्रपति द्वारा वर्ष 2005 में साम्मानित भी किया जा चुका है।

रोबोट की शादी कृति में बच्चों की बारह विज्ञान कथायें संकलित है। विज्ञान की ओर बच्चों को आकृषित करने के लिये यह रोचक रचना है। चन्द्र प्रकाश पटसारिया जी यों बाल साहित्यिकार के रूप में हमारे सामने उपस्थित बने रहते हैं।

मानव शरीर क्या क्यों कैसे, में मानव शरीर रचना के सौ प्रश्नों के उत्तर सचित्र दिये गये हैं।

जैसे थकान क्यों आती है? आदि जैसे महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर हैं।

विज्ञान परिचयावली कृति में साठ वैज्ञानिकों का सचित्र जीवन परिचय, घटना क्रम, उनकी खोजें और उन्हें मिले सम्मानों को काव्य रूप में सृजन कर परिचय दिया गया है। इसकी एक कविता की पंक्तियां देखें-‘ईश्वर की सुन्दर तम रचना

भारत में उजाला लाई थी।

शिखर सिरोमणि वैज्ञानिक,

अब्दुल कलाम बन आई थी।

इस तरह यह ग्रंथ पठनीय एवं संग्रहणीय भी हो गया है।

‘बजरंग कृपा’ कृति में हनुमान जी की आराधना में रोचक कीर्तनों का सग्रह है।

कार्तिक ब्रत संकल्प कृति में, सवैया छंद के माध्यम से विज्ञान के प्रश्नोउत्तर एवं राधा-कृष्ण के रोचक सवाल- जवाब दिये गये हैं।

कार्तिक स्नान के अवसर पर लम्बे समय से यह परम्परा ब्रज क्षेत्र में चली आ रही है कि कोई जानकर नदी, जलाशय से स्नान करके आती हुई गोंपिकाओं को रोक कर उनके प्रश्नों के सटीक उत्तर देकर उन्हें सन्तुष्ट कर देता है तो ही वे उसे दान देतीं हैं। निश्चय ही पटसारिया जी इस काम में भी निपुण लगते हैं।

आपके काव्य की भाषा सहज सरल है। अधिकाशं कवितायें छंदबद्ध है। सबैया आपका प्रिय छंद हैं। बुन्देली का प्रभाव आपकी कविताओं में दिखाई देता हैं।

मैं आपके उज्वल भविष्य की कामना करता हूँ। आप दिन-दूने और रात- चौगुने चर्चित होते चले जायें। धन्यवाद

सम्पर्क- रामगोपाल भावुक

मो 0 -09425717707

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पता- कमलेश्वर कॉलोनी (डबरा)

भवभूति नगर, जिला ग्वालियर म.प्र. 475110

tiwariramgopal5@gmail.com