Ittefaak - 8 in Hindi Love Stories by Jagruti Joshi books and stories PDF | इत्तेफाक - भाग 8

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इत्तेफाक - भाग 8

यहा इत्तेफाक ये है की दोनो की शादी एक दूसरे से ही हो रही है पर दोनो गम मै इतने डूबे है की उनको पता ही नही चला अगर फोटो देख लेते तो शायद .......

दोनो की शादी हो गई वो शादी के बाद इनदोर से जयपुर आ गये जहा राज के दादा जी की पुस्तैनी कोठी थी विर प्रताप सिंह रिटायर हो गये थे तो अब सब लोग जयपुर सिफ्ट हो गये थे। सारी सादी की रस्मे पूरी हुई कुलदेवी के दर्शन हो गए, पूरे दो दिन बाद दोने आज साथ होने वाले थे। सारे मेहमान चले गए ,राज की भाभी ने सुहाग की सेज सजाई ओर खुशी को राज के कमरे मे ले गई जो अब उसका भी था।
रात के बारा बजे रुम का दरवाज खुला खुशी ने आहट सुनी उसने घूंघट ओर नीचे कीय ओर ठीक से बैठ गई उसका जी घबरा यहा था, उसे पता नही था की सामने उसका जो पति है वो ही उसका प्यार है
राज-

ने सीधा पूछ लीया कहा सोने वाली हो बेड पर या नीचे,
खुशी को कुछ समझ ना आया तो वो रजाई लेके बेड के साईड मे खडी हो गई।
राज- ने कहा एक बात सुन लो कमरे के बाहर मे तुम्हारा पति हु अन्दर नही, ओर मूजे हा या ना मै मुंडी हीला कर ही जवाब देना मुजे ज्यादा चुचपड पसंद नही है ओर मुज से जीतना हो सके दूर ही रहना। ओर कबट मे से तकीया और रजाई नीकाली ओर बेड की दुसरी और सो गया। दोनो के बीच बेड था एक दुसरे के इतना करीब होने के बावजूद भी दूर थे दोनो ।
खुशी ने राज की आवाज सुनी ही नही थी तो वो केसे पहचान ती हर बार उन दोनो को अपनापन महसुस होता पर दोनो को लगता की वो अभी भी उस लम्हो को भुले नही तो ईस लिए एसा होता है।
वो राजपूत घराने से थे तो घूंघट प्रथा थी खुशी सिर्फ अपनी जेठानीसा कै साम ने ही घुंघट उचा कीया था क्यु की उन्हो ने बोहोत फोर्स कीया था । दिन रात एसे ही गुजर रहे थे राज को कुछ ज्यादा काम आ जाता तो वो खुशी को आवाज लगा लेता ओर खुशी घूंघट मे भी नीचा मुह कर कर काम कर देती । ज्यादातर वो कम ही आमने सामने आते थे।
पूरे दो साल गुजर गये थे खुशी की जेठानी प्रेगनेंट थी उसकी सास ने मन्नत मानी थी की उसकी बहु की गोद भराई होगी तो वो सोने का पालना मां को भेट देंगी इस मन्नत को पूरा करने के लिए सब जाने वाले थे पर डोक्टर ने मना कीया था ट्रैवेल करने से सातवा मसीना चल रहा था तो
खुशी ने सलाह दी की मांसा मन्नत आपने मानी है ओर आपने ये तो नही कहा की भाभी सा भी आपके साथ आयेगी, तो आप बाबा सा ये ओर भाई सा जाके मन्नत पूरी करके आइये हम भाभी सा कै साथ रुकेंगे । सब को ये बात अच्छी लगी राज को बोल दिया घर जल्द आने को । ओर सफर के लीये सूखा नाश्ता तैयार कीया सब पेकिंग हो गई।

.जारी है ...........